बाजार में एक जादू है का क्या तात्पर्य? - baajaar mein ek jaadoo hai ka kya taatpary?

“बाजार में एक जादू है।”—यह कहने का तात्पर्य यह है कि बाजार ग्राहक को आकर्षित करता है। वहाँ सुन्दर ढंग से सजी चीजों को देखकर मनुष्य उनको खरीदने के लिए मजबूर हो जाता है। यह जादू उन पर प्रभाव डालता है जिनको अपनी आवश्यकताओं का पता नहीं होता और जेब में खूब पैसा होता है। बाजार जाकर वे जो अच्छा लगता है उसे खरीद लेते हैं। यह नहीं देखते कि उनको उसकी जरूरत है या नहीं। वे फिजूलखर्ची करते हैं। इस जादू के उतरने पर उनको पता चलता है कि ज्यादा चीजें सुख नहीं देतीं बल्कि उसमें बाधा डालती हैं।

बाजार में एक जादू है क्या तात्पर्य?

उत्तर- (क) बाजार के जादू का तात्पर्य है- बाजार का आकर्षण एवं सम्मोहन। बाजार में सभी वस्तुएँ हमें अपनी ओर खींचती हैं-उसी तरह जैसे चुम्बक लोहे कोअपनी ओर खींचता है। (ख) बाजार का जादू तब अधिक प्रभावी होता है जब जेब भरी हो और मन खाली हो।

बाजार में किसका जादू है?

पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुंच जाएगा।

बाज़ार का जादू कब चलता है?

बाजार में रूप का जादू है। यह तभी असर करता है जब जेब भरी हो तथा मन खाली हो। यह मन व जेब के खाली होने पर भी असर करता है। खाली मन को बाजार की चीजें निमंत्रण देती हैं।

बाजारूपन का क्या तात्पर्य है *?

'बाजा़रूपन' से तात्पर्य है दिखावे के लिए बाजार का उपयोग करना। जब हम अपनी क्रय शक्ति के गर्व मे अपने पैसे से केवल विनाशक शक्ति-शैतानी शक्ति, व्यंग्य की शक्ति बाजार को देते हैं तब हम बाजार का बाजा़रूपन बढ़ाते हैं। इस प्रवृत्ति से न हम बाजार से लाभ उठा पाते हैं और न बाजा़र कौ सच्चा लाभ देते हैं।