बार बार झूठ बोलने से क्या होता है? - baar baar jhooth bolane se kya hota hai?

बार बार झूठ बोलने से क्या होता है? - baar baar jhooth bolane se kya hota hai?

झूठ या सच बोलने की प्रवृत्ति पर साइंटिफिक अध्ययन हो चुके हैं. (Pixabay से साभार)

गौतम बुद्ध (Gautuam Buddh) ने कहा था कि 'आप जैसा सोचते हैं, वैसे ही हो जाते हैं', साइंस ने इस बात को साबित किया है कि ब्रेन किसी बर्ताव के दोहराव से उसका आदी हो जाता है. झूठ और सच का विज्ञान वाकई दिलचस्प है.

  • News18India
  • Last Updated : October 25, 2020, 15:00 IST

    हिटलर (Adolf Hitler) के प्रोपैगैंडा का सिद्धांत था 'झूठ पुख़्ता ढंग से बोलो और बार बार बोलो, तो लोग उसे सच मानने लगेंगे'. लेकिन, नाज़ियों (Nazis) को यह विज्ञान नहीं पता था कि झूठ बोलना, झूठ बोलने वाले का कितना नुकसान करता है. कुछ ही समय पहले वैज्ञानिकों ने स्टडीज़ (Scientific Study) के बाद बताया कि झूठ बोलने से व्यक्ति का कम समय के लिए कोई फायदा भले हो, लंबे समय के लिए बड़ा नुकसान होता है. वहीं, सच बोलने या ईमानदारी बरतने से भले ही लगे कि नुकसान ज़्यादा होगा, लेकिन बड़ा फ़ायदा होता है.

    जी हां, झूठ और सच बोलने के पीछे पूरा विज्ञान है. समाज, मीडिया और सियासत से हम बहुत हद तक रोज़मर्रा जीवन में जुड़े हैं इसलिए झूठ सुनने या झूठ के बारे में सुनने के आदी हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि लोग झूठ आखिर क्यों बोलते हैं, झूठ या सच बोलने के पीछे विज्ञान क्या कहता है और झूठ बोलने से बचा कैसे जा सकता है... एक के बाद एक पहलू को समझते हैं.

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    हम झूठ बोलते ही क्यों हैं?
    कई वजहें हो सकती हैं. किसी सज़ा या अपमान से बचने, ज़्यादा फायदा पाने, ताकत, पैसा, प्रमोशन या इंप्रेशन जमाने जैसी कई वजहों से लोग झूठ बोलते हैं. अर्थ समझा जाए तो किसी तरह के लाभ पाने या किसी तरह के नुकसान से बचने के लिए झूठ बोला जाता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में रिसर्चरों ने देखा कि पहला बड़ा झूठ बोलते वक्त ब्रेन के एक हिस्से ऐमिग्डाल में नकारात्मक सिग्नल यानी परेशानी के संकेत दिखते हैं.

    यहां यह भी समझना ज़रूरी है कि कोई जन्म से झूठ बोलना नहीं सीखता यानी यह प्राकृतिक टेंडेंसी नहीं है. विशेषज्ञ कहते हैं कि साथ के वयस्कों, समाज और मीडिया से बच्चे झूठ बोलना सीखते हैं. और बचपन ही सही उम्र है, जब झूठ बोलने की टेंडेंसी पर रोक लगाना ज़रूरी है.

    बार बार झूठ बोलने से क्या होता है? - baar baar jhooth bolane se kya hota hai?

    वैज्ञानिक मानते हैं कि झूठ बोलने की आदत से छुटकारा संभव है.

    कैसे खतरनाक है झूठ बोलना?
    रिसर्चरों ने देखा कि ऐमिग्डाल में जो निगेटिव रिएक्शन पहले झूठ के वक्त दिखते हैं, वो तब नहीं दिखते जब आप झूठ बोलने के आदी हो जाते हैं. तब मस्तिष्क में तनाव नहीं होता. इसका मतलब वैज्ञानिकों ने साफ बताया कि आप जितना झूठ बोलते हैं, आप उतने आदी होते जाते हैं. यानी झूठ बोलना केमिकल और साइकोलॉजिकल तौर पर आपके अंदर ऐसी टेंडेंसी पैदा करता है, जिससे आपका कैरेक्टर खराब हो जाता है.

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    याद रखिए कि ऐमिग्डाल हमारे ब्रेन का वो खास हिस्सा है जो डर, चिंता और इमोशनल रिस्पॉंस पैदा करता है, जैसे झूठ बोलने के समय पछतावे, ग्लानि या डर जैसी फीलिंग्स. बार बार झूठ बोलने से इसका रिस्पॉंस देना एक तरह से खत्म होता जाता है.

    सच बोलने का विज्ञान क्या है?
    हमें अक्सर यही डर होता है कि ज़्यादा ईमानदारी या सच्चाई से काम लेने पर लोग ठीक नहीं समझेंगे या फिर हमारा नुकसान हो जाएगा. लेकिन 'ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलाई हैं'. जी हां, शिकागो यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी बता चुकी है कि इस तरह के डर और भ्रम सही नहीं हैं. दूसरी तरफ, ईमानदारी से काम लेने पर आप जितना सोचते हैं, उससे कहीं ज़्यादा खुशनुमा और बेहतर फील करते हैं.

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    क्या है 'ला नीना' और क्यों इस बार ज़्यादा ठंड पड़ने के हैं आसार?

    रिलेशनशिप की बात हो या सामाजिक संबंधों की या प्रोफेशनल जगहों की, स्टडी में पाया गया कि हर जगह आप सच्चाई और ईमानदारी से काम लेकर खुश रह सकते हैं. इस साइकोलॉजिकल स्टडी का सार यही निकला कि 'ऑनेस्टी इज़ द बेस्ट पॉलिसी' कहावत बेशक ठीक है.

    क्या झूठ से छुटकारा संभव है?
    बेशक. झूठ बोलने की आदत से पीछा छुड़ाने के लिए आप अपने परिवार या दोस्तों का सहारा लेकर सही फीडबैक ले सकते हैं, जो आपको ईमानदार होने के लिए प्रेरित करेगा. दूसरे आप सच बोलने और ईमानदारी से खुद फीडबैक देने की प्रैक्टिस करें और तीसरे किसी परिस्थति में अपने मन या ज़मीर की बात सुनें और आदतन झूठ बोलने का मन करे भी तो, काबू करें और सच बोलें, भले ही शुरूआत में आपको इसके कुछ नुकसान हों.

    इस पूरे वैज्ञानिक अध्ययन का सार यही है कि झूठ बोलने से और ज़्यादा झूठ बोलना आसान होता जाता है. तो दूसरी तरफ, ईमानदारी के साथ भी यही सिद्धांत है. बात प्रैक्टिस की है, कैरेक्टर की है. आपको ही तय करना है कि आप किस अभिव्यक्ति का जोखिम उठाना चाहते हैं.undefined

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    Tags: Science, Study

    FIRST PUBLISHED : October 25, 2020, 15:00 IST

    झूठ बोलने से क्या क्या हानियां होती है?

    झूठ अधिक बोलते हैं उन्हें तनाव और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 3. डेलीमेल वेबसाइट पर प्रकाशित शोध की मानें तो ज्यादा झूठ बोलने से गला खराब होने या सिरदर्द जैसी शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं।

    ज्यादा झूठ बोलने से क्या होता है?

    झूठ बोलना हमें भावनात्मक तौर पर अंदरूनी तरीके से खोखला कर देता है। झूठ बोलने वाले को उसका झूठ एक टूटे हुए काँच के टुकड़े की तरह लगता है जो उसे अंदर ही अंदर काट रहा होता है। झूठ बोल कर प्रशंसा पाना खुद के व्यक्तित्व पर शंका जताने वाला काम है।

    झूठ बोलने से कौन सा पाप लगता है?

    गरुड़ पुराण में भी झूठ बोलने को पाप की श्रेणी में रखा गया है और ऐसे लोगों को नर्क में मिलने वाली यातनाओं के बारे में भी बताया गया है. जबकि आज के समय में लोग बात-बात पर झूठ बोलते हैं और ऐसी स्थिति उनकी मौजूदा जिंदगी और मरने के बाद की स्थिति के लिए भी ठीक नहीं है.

    झूठ बोलने की बीमारी का नाम क्या है?

    एडीएचडी (Attention deficit hyperactivity disorder) दिमाग की वो बीमारी है जो कि आज तक तेजी से बच्चों में बढ़ रही हैय़ इसमें बच्चा छोटी-छोटी बातों पर भी झूठ बोलने लगता है और ये आदत उनमें बढ़ती ही जाती है।