निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए − Show
Solution'बुद्धि पर मार' का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए आपस में लड़ाया जाता है। Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B) Is there an error in this question or solution? APPEARS IN'बुद्धि पर मार' का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए आपस में लड़ाया जाता है।'बुद्धि पर मार' का आशय है की बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए लेना और फ़िर धर्म, ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ना भिड़ाना। यह साधारण लोगो नही समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मानते हैं। Book: स्पर्श भाग 1Chapter: 7. Dharam Ki AadSubject: Hindi - Class 9thQ. No. 2 of LikhitListen NCERT Audio Books to boost your productivity and retention power by 2X. 2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए- ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध मे लेखक के क्या विचार हैं? लेखक बुद्धि पर मार’ वाक्यांश का प्रयोग धर्म के ठेकेदारों द्वारा साधारण लोगों की बुद्धि पर किये गये मार के संबंध में करता है। लेखक का इस वाक्य से तात्पर्य है कि धर्म के ठेकेदार आम लोगों की बुद्धि में ऐसे
विचार भर देते हैं जिनसे वे गुमराह हो जाते हैं| इस प्रकार के विचार उनके सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर देते हैं, उन्हें आपस में लडवा देते हैं| Chapter ExercisesMore Exercise Questionsप्रश्न 13-8: ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं? उत्तर 13-8: प्रश्न 13-9: लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए? उत्तर 13-9: प्रश्न 13-10: महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए? उत्तर 13-10: प्रश्न 13-11: सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है। उत्तर 13-11: Formulae Handbook for Class 9 Maths and ScienceEducational Loans in India NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़ is part of
NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास मौखिक प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. लिखित प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) लिखिए- प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए- प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. भाषा-अध्ययन प्रश्न 1.
उत्तर-
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर लिखिए- प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न
6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. More Resources for CBSE Class 9
We hope the given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़ will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. बुद्धि की मार के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?'बुधि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं? बुद्धि की मार से लेखक का अर्थ है कि लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना कि वे उनके अनुसार काम करें। धर्म के नाम पर, ईमान के नाम पर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है।
बुद्धि पर मार के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं धर्म की आड़ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?1 Answer. 'बुद्धि पर मार' का आशय है की बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए लेना और फ़िर धर्म, ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ना भिड़ाना। यह साधारण लोगो नही समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मानते हैं।
लेखक की दृष्टि में धर्म और ईमान को किसका सौदा कहा गया है और क्यों?लेखक ने दृष्टि में धर्म और ईमान को मन का सौदा कहा गया है क्योंकि यह व्यक्ति का अधिकार है कि उसका मन किस धर्म को मानना चाहता है। इसके लिए व्यक्ति को पूरी आज़ादी होनी चाहिए। व्यक्ति को कोई धर्म अपनाने या त्यागने के लिए विवश नहीं किया जाना चाहिए।
लेखक के अनुसार क्या किसी दूसरे की स्वाधीनता छीनने का साधन न बने?लेखक की दृष्टि में धर्म किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने का साधन ना बने। जिसका मन जो धर्म चाहे वो माने और दूसरे को जो चाहे वो माने। दो भिन्न धर्मों मानने वालो के लिए टकरा जाने का कोई स्थान ना रहे।
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