Solution : .चिड़िया की बच्ची. कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी पक्षी को पिंजरे में बन्द नहीं करना चाहिए। मनुष्य ही क्या ? पशु-पक्षियों को भी स्वतंत्रता प्यारी होती है। वे भी मनुष्य की तरह स्वतंत्र रहकर अपना जीवन स्वच्छन्दता के साथ जीना चाहते हैं। ऐसे जीवन जीने में उन्हें अपार सुख और खुशी मिलती है। Show
माधवदास एक बड़ा व्यापारी है। उसके पास अपार धन-दौलत है। संगमरमर से बनी नई कोठी, उसके सामने सुहावना बगीचा, फल-पौधे, हौज में लगे फव्वारे सब आकर्षित करने वाले हैं। वह कला का प्रेमी है। किसी प्रकार की कोई गंदी आदत उसे नहीं है। इतना सबकुछ होने पर भी उसके जीवन में खालीपन है क्योंकि वह अकेले रहता था। माधवदास के बगीचे में सुंदर चिड़िया का आना-एक दिन शाम के समय गुलाब के पौधे की टहनी पर सहसा एक चिड़िया आकर बैठ जाती है। चिड़िया बहुत सुंदर थी। वह इधर-उधर फुदक रही थी। नन्ही सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज़ निकाल रही थी। माधवदास को वह चिड़िया बहुत प्यारी लगी वे उसे कहने लगे-"चिड़िया! यह बगीचा मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया है। तुम बेखटके यहाँ आया करो।" चिड़िया भयभीत हो गई। वह बोली "मैं थककर यहाँ बैठ गई थी। मैं अभी चली जाऊँगी मुझे माफ़ कर दो।"
माधवदास तरह से चिड़िया को अपने पास रखने के लिए तरह-तरह के प्रयास करता है। वह बार-बार कहती है कि मुझे देर हो रही है, मुझे जाना है। माधवदास उसे बातों में ही उलझाता रहता है। वह उसे कहता है कि मैं तुझ पर प्रसन्न हूँ, अपने पास के फूलों को देख, तू कितनी सुंदर है, माँ के पास क्या है? कुछ भी तो नहीं, मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। लेकिन चिड़िया जाने की जिद्द करती है। माधवदास के एक बटन दबाते ही झट से एक नौकर भागकर बाहर आया। 'माधवदास ने उस नौकर को इशारा कर दिया।' वह अब चिड़िया को पकड़ने का यत्न करने लगा। माधवदास ने चिड़िया को बातों में उलझाए रखना चाहा। वह कहता रहा तुम कितने भाई-बहन हो, अभी उजाला है, मुझसे डरो मत लेकिन चिड़या तो केवल जाने की ही रट लगाए थी। चिड़िया का उड़ना-अचानक चिड़िया को ऐसा प्रतीत हुआ कि एक कठोर स्पर्श उसकी देह को छू गया है। वह चीख मारकर चहचहाई और फुर्र से उड़ गई। वह निरंतर एक साँस में उड़ती रही। उसने माँ की गोद में जाकर ही दम लिया। वह माँ की छाती से चिपक कर सोई, जैसे अब पलक ही न खोलेगी क्योंकि वह चिड़िया की बच्ची बहुत डर गई थी। चिड़िया की बच्ची प्रश्न-अभ्यासकहानी से1. किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था उत्तर - माधवदास की संगमरमर की कोठी में सुहावना बगीचा था इस बगीचे में फव्वारे लगे थे उसके पास बहुत अधिक धन था। वह भोग-विलास में अपना जीवन बीता रहा था। उसने चिड़िया को मोती की झालर, सोना देने की इच्छा प्रकट की। सेठ माधवदास के यहाँ अनेक नौकर-नौकरानियों काम करते थे। परन्तु, माधवदास के जीवन में खालीपन था। वह अपनी आलीशान कोठी में अकेला रहता था। वह अपने मन की शांति के लिए एक छोटी-सी चिड़िया से विनती करता है। 2. माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है। क्या माधवदास निःस्वार्य मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- माधवदास के पास आलीशान कोठियां थीं, सारे सुख-वैभव थे, दास-दासियाँ थीं, परन्तु उसके मन वह अपनी आत्मिक शांति के लिए चिड़िया की बगीचे में रहने की विनती कर रहा था वह चिड़िया से कहता कि- "इस बगीचे को अपना ही समझो। माधवदास चिड़िया से यह बात निःस्वार्थ भाव से नहीं कह रहा अपने मन की संतुष्टि के लिए चिड़िया को अपने बगीचे में रूक जाने के लिए बार-बार कह रहा था।
3. माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं का कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ माधवदास की नजर में चिड़िया की जिद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंदर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर- माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्व नहीं दे रही थी। उसे बार-बार अपनी माँ की याद आती थी इसलिए वह बार-बार अपने घर लौट जाना चाहती थी। दूसरी तरफ माधवदास की नजर में
चिड़िया की जिद का कोई तुक न था। माधवदास मानता था कि दुनिया के सभी सुख धन से प्राप्त किए जा सकते हैं। इसलिए वह बार-बार चिड़िया को धन, मोती, सोना और सुख ले लेने को कह रहा था। माधवदास आत्म-सुख पाने के लिए अपना सारा सुख-वैभव, सम्पत्ति लुटा देने को तैयार था जबकि चिड़िया की बच्ची माँ का प्रेम पाने के लिए माधवदास द्वारा दिए जा रहे सभी सुख-वैभवों को ठुकरा रही थी 4. कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए। उत्तर- सेठ के नौकर के पंजे से निकलकर चिड़िया के साथ अच्छा हुआ। यदि चिड़िया सेठ द्वारा दिए गए प्रलोभन में फँस जाती तो वह सदा के लिए बंधन में पड़कर अपनी माँ के प्यार से वंचित रह जाती। भले ही वह पिंजरे में सुख पाती लेकिन वह अपनी आजादी खोकर जीवन के वास्तविक सुख को खो देती। वह कभी शांतिपूर्वक जीवन नहीं जी पाती। 5. 'माँ मेरी बाट देखती होगी'- नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?उत्तर- एक कवि ने माँ के बारे में लिखा है "उसको नहीं देखा हमने कभी, पर उसकी जरूरत क्या होगी? माँ के बिना बच्चे के जीवन की कल्पना करना ही दुखदायी है। माँ ही बच्चे को जन्म देती है। माँ ही बच्चे को सँवारती है। माँ के बिना कोई भी
बच्चा अपने जीवन को जी नहीं सकता। बच्चा खाए-पिए बिना रह सकता है, लेकिन माँ के प्यार की भूख उसे सदैव बनी रहती है। दुनिया में जिस प्रकार सर्वश्रेष्ठ दूध माँ का होता है, वैसे ही माँ के प्रेम के बिना बच्चे का उचित पालन पोषण भी नहीं हो सकता। माँ के महत्त्व को न केवल मनुष्य ही बल्कि पशु-पक्षी भी मानते हैं। माँ के प्रेम के सुख के आगे सभी सुख तुच्छ व हीन हैं। 6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?उत्तर- इस कहानी का शीर्षक हम ‘माँ की महत्ता' भी दे सकते हैं। चिड़िया की बच्ची ने माँ का प्यार पाने के लिए सभी सांसारिक सुखों को हीन समझा। वह माँ का प्यार पाने के लिए किसी भी लोभ में नही फँसी। चिड़िया की बच्ची के लिए माँ का प्यार ही अनुपम है। चिड़िया की बच्ची कहानी से आगे1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चीटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति के अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए। उत्तर - स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें अन्यत्र भी देखने को मिलता है। ऋतुओं में, फसलों में, नदियों में, पहाड़ों में, पक्षियों में, पशुओं में, हवाओं में, बादलों आदि में देखने को मिलता 2. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा- स्वाधीनता' या 'प्रलोभनोंवाली पराधीनता? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों का पढ़े और विचार करें। (क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता। |