छोटी आंत और बड़ी आंत का क्या कार्य होता है? - chhotee aant aur badee aant ka kya kaary hota hai?

छोटी आंत और बड़ी आंत का क्या कार्य होता है? - chhotee aant aur badee aant ka kya kaary hota hai?

छोटी आँत के कार्य ( Functions of the small intestine ) 

छोटी आँत के कार्य भोजन का पाचन और पचे हुए पदार्थों का अवशोषण मुख्यतः छोटी आँत में ही होता है और इसके लिए छोटी आँत ठीक प्रकार से उपयोजित होती है । और यह खुद बहुत लम्बी होती है । इसकी दीवार के भीतरी वृत्ताकार भंजों ( plicae circulares ) , श्लेष्मिका के रसांकुरों ( villi ) तथा श्लेष्मिक कला की कोशिकाओं के सूक्ष्मांकुरों ( microvilli ) के कारण , भीतरी सतह लगभग 600 गुना बढ़ी हुई होती है । इसीलिए , इस सतह का कुल क्षेत्रफल लगभग 250 वर्ग मीटर होता है । 

यान्त्रिक कार्य ( Mechanical Functions ) 

जैसे ही काइम की पहली खेप आमाशय से ग्रहणी में पहुँचती है , ग्रहणी की दीवार में क्रमाकुंचन ( peristalsis ) होने लगता है और क्रमाकुंचन की छल्लेदार तरंगें ( peristaltic waves ) पूरी आँत की दीवार में प्रवाहित होने लगती हैं । अतः पूरी आँत जपमाला की जैसे , मणिकाबद्ध ( beaded ) दिखाई देने लगती है । ये तरंगें काइम को आँत में आगे की ओर खिसकाती हैं । हर मिनट , लगभग 12 से 16 बार इन तरंगों में संकीर्णन ( constriction ) के बिन्दु बदलते रहते हैं ।

अतः काइम बार – बार छोटे – छोटे पिण्डों में अलग – अलग होकर आँत में स्रावित होने वाले पाचक रसों से ठीक प्रकार से मिल जाती है । इसीलिए क्रमाकुंचन के बीच – बीच में होने वाली इन तरंग-भंग गतियों को मिश्रण गतियाँ कहते हैं । क्रमाकुंचन छोटी आंत के समीप के भाग में अपेक्षाकृत तेज और दूर के भाग में कुछ धीमा होता है । आँत के क्रमाकुंचन तथा मिश्रण गतियों का नियमन स्थानीय प्रतिवर्ती ( local reflexes ) द्वारा होता है जो ग्रहणी की दीवार के प्रसार , काइम के सान्द्रण एवं pH तथा काइम में ऐमीनो अम्लों और प्रोटीन्स की मात्राओं पर निर्भर करते हैं । 

जैव-रासायनिक कार्य ( Biochemical Functions ) 

छोटी आंत में पहुंचने वाली काइम में कुछ नहीं पचे हुए कार्बोहाइड्रेट्स , वसा तथा प्रोटीन्स होती हैं , लेकिन भोजन के सभी पोषक पदार्थों का पूरा पाचन छोटी आंत में ही होता है । 

पूरे पाचन क्रिया में तीन पाचक रसों की मुख्य भूमिकाएँ होती हैं —अग्न्याशयी रस ( pancreatic juice ) , पित्त ( bile ) तथा आन्त्रीय रस ( intestinal juice ) । 

काइम के ग्रहणी में पहुँचने पर ग्रहणी में सबसे पहले अतिरिक्त अग्न्याशयी नलिका द्वारा लाया गया अग्न्याशयी रस मुक्त होता है । इसके बाद ग्रहणी में यकृत – अग्न्याशयी तुम्बिका ( hepatopancreatic ampulla ) से पित्त एवं अग्न्याशयी रस साथ – साथ मुक्त होते हैं । जल्द ही आन्त्रीय ग्रन्थियों द्वारा स्रावित आन्त्रीय रस भी आँत की गुहा में मुक्त होने लगता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — छोटी आँत के कार्य? , यान्त्रिक कार्य , जैव-रासायनिक कार्य आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद् ]

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हेलो फ्रेंड्स हमारा क्वेश्चन है छोटी आंत एवं बड़ी आंत के जोड़ पर अवस्थी नाली को क्या कहते हैं दोस्तों आइए देखते हैं कि जो हमारी छोटी आंत और बड़ी आंत के जोड़ पर यहां पर लिखेंगे छोटी आहट और क्या बड़ी आत बड़ी आर्ट्स के जोड़ पर यानी कि इसके बीच में क्या पाई जाती है एक नली पाई जाती है या नाल पाई जाती है ठीक है उसे क्या कहते हैं तो उस नाल को कहते हैं दोस्तों इलिओसिकल लिखेंगे इलिओसिकल वाल्व से कहा जाता है या फिर इसका एक और नाम होता है जिसे कहते हैं शेष आंत्र श्रीशांत बुंडू की

श्रीशांत उंडू की या वाल्व अभी से कहा जाता है ठीक है अब इसका कार्य क्या होता है कि यह कहां पर स्थित होता है छोटी आंत और बड़ी आंत के बीच में तो यह क्या करता है कि जो बड़ी आज से विपरीत प्रभाव होता है बड़ी आज से जो जो पदार्थ क्या करते हैं विपरित आते हैं छोटी आत में तो इस विपरीत प्रवाह को यह क्या कार्य करता है विपरीत प्रभाव को रोकने का इसका कार्य होता है ठीक है तो आशा करते हैं आप कुछ प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

छोटी आंत का मुख्य कार्य क्या होता है?

क्षुद्रांत्र या छोटी आंत (स्माल इन्टेस्टिन) मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बृहदांत्र (बड़ी आंत) पर पूर्ण होती है। क्षुदान्त्र में ही भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है।

छोटी आंत और बड़ी आंत का कार्य क्या है?

हम जो भी खाते-पीते हैं, उसका पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से छोटी और बड़ी आंत में ही होता है। यहीं सबसे अधिक पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। बड़ी आंत में पानी अवशोषित होता है और छोटी आंत में मिनरल, विटामिन और दूसरे तत्व। आंतों के बीमार होने से न केवल भोजन का पाचन, बल्कि पोषक तत्वों का अवशोषण भी प्रभावित होता है।

बड़ी आंत का काम क्या होता है?

Solution : बड़ी आंत की कुल लंबाई 1.5 मीटर होती है परंतु यह छोटी आंत से मोटाई में अधिक होने के कारण ही बड़ी आंत कहलाती है। इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना हैबड़ी आंत का अंतिम भाग मलाशय कहलाता है जहाँ अपचित पदार्थ मल के रूप में एकत्रित हो जाता है और गुदा इसे निष्कासित कर देती है

आंत कितने प्रकार के होते हैं?

मानव शरीर रचना विज्ञान में, आंत (या अंतड़ी) आहार नली का हिस्सा होती है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, तथा मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में, छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में होती है।