प्रसव को आम तौर पर तीन चरणों में बांटा जाता है। पहला चरण लगभग सबके लिए सबसे लंबा होता है, लेकिन इसकी लंबाई बहुत ही परिवर्तनशील होती है। एक घंटे से लेकर 20 घंटों के बीच तक की कोई भी अवधि सामान्य मानी जाती है।प्रसव की शुरुआत शिशु से मिलने वाले हॉर्मोनल ट्रिगर्स की अनुक्रिया के रूप में होती है। शिशु की एड्रीनल ग्लैंड (अधिवृक्क ग्रंथि) विकसित होकर कॉर्टीसोन नामक हॉर्मोन का स्राव करना शुरु करती है। इसकी अनुक्रिया में मां के अंदर प्रोस्टाग्लैंडिंस नामक हॉर्मोनों का स्राव होता है - और यही वे हॉर्मोन होते हैं जो गर्भाशय के संकुचन की प्रक्रिया आरंभ कराते हैं। Show चरण 1 प्रत्येक संकुचन के साथ:
इसके बढ़ने के साथ-साथ प्रसव प्रक्रिया की गति बढ़ती जाती है। पुनः पांच centimeter फैलने के लिए सर्विक्स को पहले पांच centimeter की तुलना में सामान्य रूप से बहुत ही कम समय लगता है। अधिकतर महिलाएं प्रसव के इस चरण का बहुत अच्छी तरह से सामना करती हैं यदि वे निःसंकोच रूप से उस पोज़ीशन को अपनाएं जिसमें उन्हें सबसे बेहतर महसूस होता है। इनमें शामिल हैं:
आपके शिशु के दिल की निगरानी
चरण 2 प्रसव का दूसरा चरण तब शुरू होता है जब सर्विक्स पूरी तरह फैल जाता है और इसका समापन आपके शिशु के जन्म के साथ होता है। यह चरण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहता है। आप दूसरे चरण में हैं यह बात आप तब जानेंगी जब आपको नीचे की ओर पुश करने की तीव्र आवश्यकता का अनुभव होगा। यदि आपको एपिड्यूरल दिया गया हो, तो हो सकता है आप इसका इतनी तीव्रता से या बिल्कुल भी अनुभव न कर पाएं। यह पुशिंग ‘बेयरिंग डाउन’ कहलाती है। नर्स या आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि यदि आप इसे अनुभव नहीं कर पाती हैं तो आपको क्या करना चाहिए। बेयर डाउन के लिए आपको अपनी सांस रोककर रखने की आवश्यकता महसूस हो सकती है; लेकिन इसे देर तक न रोकें। आपकी नर्स/डॉक्टर बेहतर जानते हैं। वे आपको यह भी कह सकते हैं कि पुश न करें - शायद इसलिए कि सर्विक्सका एक छोटा सा ‘लिप’ अभी भी फंसा हुआ हो। जब लिप फैल जाता है, तब आप पुश करने के लिए तैयार होती हैं। वे आपको यह भी कह सकते हैं कि पुश न करें - शायद इसलिए कि सर्विक्स का एक छोटा सा ‘लिप’ अभी भी फंसा हुआ हो। जब लिप फैल जाता है, तब आप पुश करने के लिए तैयार होती हैं। आपसे कहा जा सकता है कि आप हल्की, धीमी सांसों के साथ ‘जोर लगाकर शिशु को बाहर निकालें’। कुछ महिलाएं बेयर डाउन करने की आवश्यकता महसूस नहीं करतीं हैं, यहां तक कि तब भी नहीं जब उनको एपिड्यूरल न दिया गया हो। शिशु आसानी से बाहर निकल आता है। ऐसा होने की संभावना केवल तभी होती है जब आपके कुछ बच्चे हो चुके हों। अपने शिशु को पहली बार देखना जब योनिमुख पर शिशु का सिर पूरी तरह दिखाई पड़ने लगता है, तो इसे ‘क्राउनिंग’ कहा जाता है। यदि आप चाहें तो आप स्वयं या आपके साथी आपको आइने की मदद से इसे दिखा सकते हैं, इस तरह आप इस क्षण को देख सकती हैं। अगले एक या दो संकुचन के साथ आपके शिशु का सिर सबसे पहले बाहर आता है और फिर इसके बाद उसका बाकी का हिस्सा निकलता है। आपके संबंधित डॉक्टर या नर्स आपके शिशु को हौले से उठाकर आपकी बांहों में अथवाआपके पेट पर रखेंगे ताकि आप इस खूबसूरत नन्हें चमत्कार को देख पाएं। आपके लिए सबसे बढ़िया पोज़ीशन (शारीरिक अवस्थिति) कोई भी पोज़ीशन जिसमें आप संकुचनों के बीच यथासंभव अधिक आराम महसूस करें, और जिसमें आपका शिशु सुरक्षित बाहर निकले।
जन्म का क्षण आपके शिशु का सिर आम तौर पर आपकी पीठ की तरफ मुंह करके निकलता है। दाई, शिशु के गर्भनाल की जांच कर सकती है यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह गरदन के चारों ओर लिपटी न हो। फिर कंधे घुमाए जाते हैं जिससे शरीर बगल की तरफ रहे और सिर, अब आपके बाहर होता है, वह भी बगल की ओर मुड़ता है। कभी-कभी बच्चे को बाहर निकालने के लिए फोरसेप्स का इस्तेमाल किया जाता है। फोरसेप्स जुड़े हुए चम्मचों का एक सेट होता है जो शिशु के सिर को पकड़कर उसे निकालने में मदद करता है। वेंटोस में एक वैक्युम पंप होता है जिसका सहारा शिशु को बाहर निकालने के लिए लिया जाता है। शिशु को और जल्दी बाहर निकालने में इनकी मदद ली जा सकती है, उदाहरण के लिए इन स्थितियों में:
कभी-कभी शिशु के सिर को खींचने के क्रम में पेरिनियम फट जाती है। अथवा, नर्स/डॉक्टर पूछ सकते हैं कि क्या वे पेरिनियम को काट सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह बुरी तरह से फटने वाला है या शिशु को तुरंत बाहर निकालना जरूरी है। यदि फोरसेप्स का इस्तेमाल होना है, तो इसे काटा जाएगा। इस चीरे को एपिज़ियोटोमी के रूप में जाना जाता है। बड़े चीरे और एपिज़ियोटोमी को बाद में सिलना पड़ता है। जब यह किया जाएगा तो उस दौरान आपको लोकल एनेस्थेटिक दिया जाएगा। टांके अपने-आप घुल जाएंगे; आमतौर पर आपको उन्हें निकलवाने की जरूरत नहीं होती है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए कौन सी पोजीशन सही है?एक तरफ पीठ के बल लेटना
अपने लेबर पोजीशन को बदलने के लिए और खुद को आराम देने के लिए, आप करवट लेकर लेट सकते हैं। यह पोजीशन डिलीवरी के दौरान होनेवाले संकुचन (contraction) को कम करता है। एक तरफ लेटने से आपके शरीर की प्रमुख नसों में संपीड़न (compression) नहीं होगा, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह आसानी से बना रहेगा।
पेट में बच्चे की क्या पोजीशन होती है?नॉर्मल प्रेगनेंसी में डिलीवरी से पहले अपने आप ही शिशु का सिर नीचे की ओर आ जाता है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए इस स्थिति को सबसे सही माना जाता है। वहीं जब शिशु का सिर ऊपर और पैर नीचे आते हैं तो इस स्थिति को 'ब्रीच बर्थ' कहा जाता है।
बेबी पोजीशन कितने प्रकार के होते हैं?प्रसव को आम तौर पर तीन चरणों में बांटा जाता है। पहला चरण लगभग सबके लिए सबसे लंबा होता है, लेकिन इसकी लंबाई बहुत ही परिवर्तनशील होती है। एक घंटे से लेकर 20 घंटों के बीच तक की कोई भी अवधि सामान्य मानी जाती है। प्रसव की शुरुआत शिशु से मिलने वाले हॉर्मोनल ट्रिगर्स की अनुक्रिया के रूप में होती है।
बच्चे का सिर कौन से महीने में नीचे आता है?बच्चा कब खिसकता है
बच्चा अमूमन गर्भावस्था के 34वे और 36वे सप्ताह में खिसकता है। लेकिन कुछ महिलाओं में ऐसा प्रसव पीड़ा के कुछ क्षण पहले भी हो सकता है। खासकर उन महिलाओं में यह ज्यादा होता है, जो पहली बार गर्भवती हुई हैं। जो महिलाएं एक से ज्यादा बार गर्भवती हो चुकी हैं, उनके गर्भ में बच्चे नीचे की ओर नहीं खिसकते।
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