एक बच्चे ने भगवान से पूछा कि क्या सब कुछ पहले से ही किस्मत में लिखा होता है? - ek bachche ne bhagavaan se poochha ki kya sab kuchh pahale se hee kismat mein likha hota hai?

विषयसूची

  • 1 क्या सबकुछ पहले से तय है?
  • 2 एक बच्चे ने भगवान से पूछा कि क्या सब कुछ पहले से ही किस्मत में लिखा होता है?
  • 3 प्रारब्ध क्या है भगवत गीता?
  • 4 सब के भाग्य में क्या लिखा है?
  • 5 भाग्य क्या है गीता के अनुसार?
  • 6 प्रारब्ध कितने प्रकार का होता है?

क्या सबकुछ पहले से तय है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थात मनुष्य के सभी कर्म, योग, सुख, दु:ख आदि से पहले से ही निर्धारित होते हैं। मनुष्य की आत्मा पूर्व निर्धारित दिशा मे ही मनुष्य को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस पूर्व निर्धारित शक्ति से ही मनुष्य का लक्ष्य तय होता है। मनुष्य इस अदृश्य शक्ति के सामने खिलौना मात्र है।

क्या भाग्य में जो लिखा होता है वही होता है?

इसे सुनेंरोकेंअक्सर हमने लोगों को कहते सुना है कि जो भाग्य में लिखा होता है वही होता है. लेकिन आज मैं भाग्य हूं में एक कहानी के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि हमारे जीवन में जो भी घटना घटित होती है, वो हमारे कर्म की वजह से होती है. हम जो कर्म करते हैं, उसी का फल हमें मिलता है.

एक बच्चे ने भगवान से पूछा कि क्या सब कुछ पहले से ही किस्मत में लिखा होता है?

इसे सुनेंरोकेंनमस्कार जी सभी को । सब कुछ नहीं पहले लिखा गया होता है हाँ मगर बहुत कुछ जैसे कि :- जन्म-मरण , विवाह-सन्तान , स्वास्थ्य के साथ-साथ बस कुछ ही और पहले लिख दिया जाता है बाकी तो सब हम ही करते हैं जो लिख दिया जाता है ।

अगर सब कुछ पहले से ही भाग्य में लिखा है तो मैं हिंदी में अर्थ क्यों चाहते हैं चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंयदि हमारे भाग्य में सब कुछ पहले से लिखा जा चुका है तो हम कर्म ही क्यों करें? वो जीव के ही पूर्व मेँ किये गये कर्म ही हैँ जिन्होँने वर्तमान का भाग्य निर्धारित किया है। अब जो कर्म आप अब से बाद करेँगे वे आप के भविष्य का भाग्य लिखेँगे। इसलिये अच्छे निष्काम कर्म करिये और अपने भविष्य का भाग्य अच्छा करिये।

प्रारब्ध क्या है भगवत गीता?

इसे सुनेंरोकेंप्रारब्ध : यही कारण है कि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार जीवन मिलता है और वह अपने कर्मों का फल भोगता रहता है। यही कर्मफल का सिद्धांत है। ‘प्रारब्ध’ का अर्थ ही है कि पूर्व जन्म अथवा पूर्वकाल में किए हुए अच्छे और बुरे कर्म जिसका वर्तमान में फल भोगा जा रहा हो।

हमारे किस्मत में क्या लिखा है?

इसे सुनेंरोकेंमेरी किस्मत में लिखा था (Meri kismat me likha tha) जन्मकुंडली से जीवनशैली के सुखमय या दुखमय होने या जीवनी शक्ति का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से जीवन जीने के स्तर या जातक की उम्र का। जन्मकुंडली से भाग्य या धर्म के प्रति सोंच या नजरिए का पता चलता है , जबकि कर्मकुंडली से किसी धर्म को अपनाने का ।

सब के भाग्य में क्या लिखा है?

इसे सुनेंरोकेंयदि सब कुछ भाग्य में ही लिखा है तो मैं परिश्रम क्यों करूँ? क्योंकि, भाग्य में परिश्रम करना भी लिखा है, सिर्फ फल पाना ही नहीं। परिश्रम बीज है और परिणाम फल है। बिना बीज बोए फल नहीं आते, ऐसा जीवन का नियम है।

भाग्य कौन लिखता है?

इसे सुनेंरोकेंकिस्मत अल्लाह लिखता है। यह अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ” पूर्वलिखित । इस्लाम मे मान्यता है कि जो कुछ होता है अल्लाह की मर्जी से होता है चाहे बाबरी मस्जिद टूटे, या NRC, CAB लागू हो सब अल्लाह की मर्जी से होता हे। इसलिये जो लोग किस्मत पर विश्वास करते है वो अंशत: इस्लामी नियमो पर चल रहे है।

भाग्य क्या है गीता के अनुसार?

इसे सुनेंरोकेंतब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता के कर्म ज्ञान का उपदेश दिया। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कहा कि राज्य तुम्हारे भाग्य में है या नहीं यह तो बाद में, पहले तुम्हें युद्ध तो लड़ना पड़ेगा। तुम्हें अपना कर्म तो करना पड़ेगा अर्थात स्वजनों के खिलाफ युद्ध तो लड़ना पड़ेगा।

क्या प्रारब्ध बदला जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंहाँ प्रारब्ध को बदला जा सकता है पर मात्र भविष्य वाला प्रारब्ध न कि वर्तमान वाला प्रारब्ध। आप के भूतकाल के कर्मोँ से जिन संस्कारोँ का निर्माण हुआ उन्हीँ मेँ कुछ संस्कार प्रारब्ध के रूप मेँ आप के भोगने के लिये वर्तमान के जन्म मेँ उपस्थित हुए हैँ।

प्रारब्ध कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रारब्ध तीन तरह के होते हैं। कोई भी अपने प्रारब्ध से बच नहीं सकता। जी हाँ, अगर आपके प्रारब्ध में आपके कर्म शेष रह गए हों,तो निश्चित तौर पर उस कर्म के हिसाब के लिए जन्म लेना पड़ता है,फिर चाहे वह कर्म अच्छे हों या फिर बुरे।