गजनवी वंश (977-1186 ईसवी) खुरासान अफगानिस्तान और उत्तर भारत के शासन करने वाला एक तुर्क वंश था। इस वंश की स्थापना अल्पगीन ने की थी,अल्पगिन भूतपूर्व तुर्क गुलाम था। उसे सामानी गजना का सूबेदार मानते थे। Show गजनी के उत्तर में लगभग 200 मील की दूरी पर गोर नामक एक स्थान था जहां इरानी लोग राज्य करते थे ईजुद्दीन के 6 पुत्र थे 1- सैफुद्दीन ईजुद्दीन की मृत्यु के बाद उसके पुत्र सैफुद्दीन ने अपने पिता के साम्राज्य को सभी भाइयों में बांट दिया किंतु कुतुबुद्दीन मोहम्मद इस बंटवारे से संतुष्ट नहीं था अंत में अलाउद्दीन हुसैन ने अपने सभी भाइयों का बदला लेने का प्रण किया और उसने गजनी पर आक्रमण किया और बहरामशाह को पराजित किया ग़ज़नवीयों का पतन हो चुका था और संजर को गुज्ज जाति ने बंदी बना लिया था वरिष्ठ शाखा फिरोजशाह से गोर प्रशासन करती थी रही और पश्चिम में खुरासान की ओर साम्राज्य प्रसार के लिए नजर दौड़ाई अलाउद्दीन हुसैन के बाद उसके पुत्र सैफुद्दीन उसका उत्तराधिकारी बना लेकिन जल्द ही उसकी मृत्यु हो गई विष्णु शर्मा द्वारा रचित ग्रंथ पंचतंत्र का अरबी अनुवाद कलिलाह-व-दिमना नाम से किया गया था जिसका फारसी भाषा में अनुवाद बहराम शाह ने करवाया था गजनवी वंश की स्थापना कब हुई थी?ग़ज़नवी राजवंश (फ़ारसी: غزنویان) एक तुर्क मुसलमान राजवंश था जिसने ९७५ ईसवी से ११८६ ईसवी काल में अधिकाँश ईरान, आमू पार क्षेत्रों और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। इसकी स्थापना सबुक तिगिन ने तब की थी जब उसे अपने ससुर अल्प तिगिन की मृत्यु पर ग़ज़ना (वर्तमान ग़ज़नी प्रांत) का राज मिला था।
गजनवी वंश का अंतिम शासक कौन था?गजनी वंश का अंत और गोर वंश की शुरुआत
जिस समय कुतुबुद्दीन हसन एक विद्रोह का दमन कर रहा था उसकी हत्या कर दी गई इसके बाद उसका पुत्र ईजुद्दीन हुसैन(1110-46ई.) उस का शासक बना।
महमूद गजनवी कौन से वंश का था?महमूद ग़ज़नवी मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है।
महमूद गजनवी का दूसरा नाम क्या था?महमूद गजनवी को भारतीय सूत्रों में गर्जनेश और गर्जनकाधिराज कहा गया है।
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