हजारीबाग : किसी बच्चे को गणित का प्रमाणिक ज्ञान रसोईघर में मिलता है, जहां वृत्ताकार रोटी व त्रिभुजाकार पराठे पकते रहते है। यह बातें बीआइटी, मेसरा के डॉ. बीके मिश्रा ने विभावि स्नातकोत्तर गणित विभाग में शुक्रवार को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में संबोधन क्रम में कही। संगोष्ठी का विषय था रिसर्च ट्रैंडस इन मैथ्स एंड देयर एप्लिकेशंस। Show इस मौके पर वक्ताओं ने डंके की चोट पर कहा कि गणित का जनक भारत देश है। जहां वैदिक गणित एक समृद्ध विषय था। रामानुजम,आर्यभट्ट व वशिष्ठ नारायण सिंह सरीखे गणितज्ञ इसी देश की धरोहर हैं। दिल्ली विद्यालय के प्रो. सीके जग्गी ने गणित के व्यावसायिक महत्व को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया। साउथ एशिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ. नवनीत झा ने गणित विषयक शोध के नये आयोगों पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने स्थापित किया कि अनपढ़ भी गणित का माहिर हो सकता है। भारत के पारंपरिक राज मिस्त्री व बढ़ाई आदि इसके नायाब उदाहरण हैं। संगोष्ठी का उद्घाटन कुलपति डॉ. रवींद्र नाथ भगत ने किया। जहां बतौर अध्यक्ष विभागध्यक्ष डॉ. एबी कुमार, आयोजन सचिव डॉ. पीके मांझी, मार्खम कॉलेज के विभागाध्यक्ष प्रो. रामजी सिंह, डॉ. डीएस लाल, एमसीए के प्रो. संतोष सिंह, प्रो. संतोष श्रीवास्तव, जेएम कॉलेज के प्रो. अंजनी कुमार सिंह, प्रो. नंद किशोर सिंह, प्रो. विजय सिंह, अन्नदा कॉलेज के डॉ. अनिल कुमार सिन्हा, डॉ. प्रवीण सिंह व डॉ. नौशाद सहित दर्जनों शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे। मंच संचालन डॉ. विमल कुमार मिश्रा ने किया। संगोष्ठी का समापन आज होगा। --------------- संत कोलंबा के कार्यरत शिक्षक रह गए वेतन निर्धारण से वंचित छठे वेतन के तहत संत कोलंबा कॉलेज के शिक्षकों के निर्धारित वेतनमान की सूची ने इस प्रक्रिया की पोल खोल दी है। इस कॉलेज के कुल 82 में से मात्र 72 शिक्षकों का वेतन निर्धारित हुआ है। इसकी वजह कॉलेज के शिक्षक रोष में है। वैसे शिक्षक निर्धारण से वंचित रह गये है जो कॉलेज के सृजित पद पर काबिज है और सेवारत हैं। इसके विपरीत कुछ वैसे शिक्षकों का भी वेतन निर्धारण यहां हुआ है। जो यहां अभी कार्यरत नहीं है और कुछ कभी भी यहां कार्यरत नहीं थे। ये रह गए वेतन निर्धारण से वंचित उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. जमाल अहमद, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. पार्वती कच्छप, प्रो. भुनेश्वर महतो, अर्थशास्त्र के प्रो. सोमक विश्वास व जंतु विज्ञान के डॉ. राजेंद्र मिस्त्री सरीखे कार्यरत शिक्षक इस वेतन निर्धारण से वंचित हैं। वही अर्थशास्त्र विभाग में डॉ. अमलेंदू शेखर मित्र, डॉ. केके सिन्हा, डॉ. किरण राणा, उर्दू के डॉ. आमिर मुस्तफा सिद्दीकी, 2011 में आये डॉ. कृष्णा कुमारी व डॉ. प्रमिला गुप्ता सरीखे शिक्षकों का निर्धारण यहीं से हुआ है। शिक्षकों का इस संदर्भ में कहना है कि इस प्रकरण में दोषी है संत कोलंबा व विभावि प्रशासन। पीजी में 81 शिक्षकों के विरुद्ध मात्र 23 पद सृजित हैं। शेष शिक्षकों की पदस्थापना संत कोलंबा सरीखे कॉलेज में दिखाया गया है। नतीजतन वरीय शिक्षकों ने सृजित पदों पर कब्जा जमा लिया, जबकि कनीय कार्यरत शिक्षकों को पदविहीन दिखाया गया। इस आधार पर मानव संसाधन विभाग ने वेतन निर्धारण कर दिया। जिसका खामियाजा कार्यरत शिक्षक भुगत रहे हैं। हालांकि बगैर वेतन निर्धारण के ही विभावि ने छठा वेतनमान संत कोलंबा के शिक्षकों को देना शुरू कर दिया है। -------------------- प्राचार्य पर भेद-भाव का आरोप हजारीबाग : संत कोलंबा कॉलेज के प्राचार्य सुशील टोप्पो पर विद्यार्थियों ने क्रिसमस गैदरिंग कार्यक्रम के दौरान भेद-भाव का आरोप लगाया है। एनएसयूआई के सदस्यों ने इसकी शिकायत कुलपति रविंद्र नाथ भगत से की है, जो स्वयं उस दौरान कार्यक्रम में मौजूद थे। विरोध करने वाले छात्रों में सन्नी सिंह, प्रकाश यादव, राजकुमार सोनी, गुड्डू, जैकी, पिंटू, टिंकू, रवि, सोनू, प्रवीण, चंदन सिंह आदि शामिल थे। Ganit ka pita kise kaha jata haiQ. गणित का पिता किसे कहते है ? A. कार्ल गॉस B. पाइथागोरस C. आर्किमिडीज D. विलियम जेम्स सिडिस Answer - आर्किमिडीज पाइथागोरस के साथ 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ, प्राचीन यूनानियों ने ग्रीक गणित के साथ अपने आप में एक विषय के रूप में गणित का एक व्यवस्थित अध्ययन शुरू किया। लगभग 300 ईसा पूर्व, यूक्लिड ने आज भी गणित (mathematics) में प्रयोग की जाने वाली स्वयंसिद्ध पद्धति की शुरुआत की, जिसमें परिभाषा, स्वयंसिद्ध, प्रमेय और प्रमाण शामिल हैं। गणित के पिता विश्व में आर्किमिडीज को माना जाता है, जबकि गणित (maths) के पिता भारत में आर्यभट को माना जाता है। आर्यभट्ट भारत के गणित के जनक हैं। आर्यभट्ट भारतीय गणित और भारतीय खगोल विज्ञान के शास्त्रीय युग के प्रमुख गणितज्ञ-खगोलविदों में से पहले थे। आर्यभट्ट, उनका पहला प्यार खगोल विज्ञान था। भगवान ब्रह्मा के भक्त आर्यभट्ट ने भी शुरू में एक धार्मिक कोण से विज्ञान का रुख किया। लेकिन उनका जुनून प्रकृति की सच्चाई की जांच करना और निर्माता के सिद्धांत को समझना था। ब्रह्मा स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी हिंदू खगोल विज्ञान का सबसे प्राचीन स्कूल था और आर्यभट्ट शायद इसके लिए आकर्षित थे क्योंकि कुसुमपुरा के खगोलविद जहां वे रहते थे, उस स्कूल के अनुयायी थे। आर्यभट्ट पृथ्वी की परिधि को सही ढंग से मापने का प्रयास करने वाले पहले खगोलविद थे। आर्यभट्ट की पृथ्वी की परिधि की गणना 24,835 मील है, जो कि 24,902 मील के वास्तविक मूल्य से केवल 0.2% कम है। उन्होंने उदाहरण दिया कि पृथ्वी गोल है और दिन और रातें होती हैं क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।ग्रीक गणितज्ञ आर्किमिडीज विश्व में गणित के जनक है।
आर्किमिडीज़ एक महान इंजीनियर और एक महान आविष्कारक दोनों थे, उनकी मशीनों ने बाद के लेखकों को मोहित किया, और उन्होंने मानद उपाधि "प्रयोगात्मक विज्ञान के पिता" अर्जित की। आर्किमिडीज ने सरल मशीनों के डिजाइन और उनके कार्यों के अध्ययन को व्यवस्थित किया और लीवर के एक कठोर सिद्धांत और पेंच के कीनेमेटीक्स का विकास किया। उनके कार्यों में ठोस सिद्धांतों का एक सेट है, जिस पर यांत्रिकी और इंजीनियरिंग को गणित और कारण का उपयोग करके विज्ञान के रूप में विकसित किया जा सकता है। पोस्ट को पढ़कर गणित का पिता किसे कहा जाता है, आप जान गए होंगे। अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को शेयर करें। मैथ के जन्मदाता कौन थे?आर्किमिडीज़ को गणित का जनक माना जाता है। आर्यभट्ट को भारतीय गणित के जनक के रूप में जाना जाता है।
विश्व का प्रथम गणितज्ञ कौन था?मिलेटस निवासी थेल्स को ही सबसे पहला गणितज्ञ माना जाता है। थेल्स यूनान का महान दार्शनिक थे।
गणित कितने प्रकार के होते हैं?गणित की कई शाखाएँ हैं : अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि।
भारत में प्रथम गणित का क्या नाम है?भारत में सबसे पहला गणितज्ञ आर्यभट को माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि 5वीं सदी में उन्होंने ही ये सिद्धांत दिया था कि धरती गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और ऐसा करने में उसे 365 दिन का वक्त लगता है. उनके नाम पर ही भारत के पहले उपग्रह का भी नाम रखा गया था.
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