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Latent Heat in Hindi किसी पदार्थ को दी गई ऊष्मा की वह मात्रा, जो पदार्थ के ताप को स्थिर रखते हुए उसकी अवस्था में परिवर्तन लाती है। उसे गुप्त ऊष्मा कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी बर्फ के टुकड़े को एक बर्तन में गर्म किया जाय तो धीरे-धीरे करके पिघलता है। पूरे ठोस के द्रव बन जाने तक उसका तापमान बढ़ता नहीं, स्थिर 0 डिग्री सेल्सियस ही रहता है। जब यह एक बार पूरा पिघल जाता है, तो फिर तापमान बढऩा शुरू होता है। यहां बर्फ का टुकड़ा शुरू से ही ऊष्मा ग्रहण कर रहा था, लेकिन पूरा पिघलने तक उसका तापमान नहीं बदला। इस स्थिति तक खर्च हुई ऊष्मा को ही गुप्त ऊष्मा कहते हैं। इस स्थिति तक ऊष्मा सिर्फ पदार्थ का रूप परिवर्तित करने का काम करती है, और पदार्थ का ताप नहीं बढ़ पाता। दरअसल यह गुप्त ऊष्मा पदार्थ के अंतर आणविक बलों को तोडऩे में प्रयुक्त होती है और आंतरिक ऊर्जा के रूप में संचित होती रहती है। जब सभी अंतर आणविक बल टूट जाते हैं, तो ऊष्मा उस पदार्थ के ताप को बढ़ाने लगती है। किसी ठोस पदार्थ को ऊष्मा देने पर, स्थिर ताप पर उसकी ठोस अवस्था में द्रव में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी ऊष्मा को गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। जैसे बर्फ के लिए गलन की गुप्त ऊष्मा 0 डिग्री सेल्सियस ताप पर 80 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम है। इसका तात्पर्य है कि 0 डिग्री स्थिर ताप पर एक किग्रा बर्फ को द्रव में बदलने के लिए 80 किलोकैलोरी ऊष्मा की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार द्रव के क्वथन में जब कोई द्रव गैसीय अवस्था में परिवर्तित होता है तो गुप्त ऊष्मा बिना उस पदार्थ का ताप बढ़ाए उसकी अवस्था बदलती है। इस दौरान गुप्त ऊष्मा द्रव के अंतर आणविक बल को तोडऩे का काम करती है। इस गुप्त ऊष्मा को वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। जल के लिए वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 5४0 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम है। अर्थात 100 डिग्री सेल्सियस ताप के एक किलोग्राम जल को इतने ही ताप पर एक स्थिर रखते हुए वाष्प में बदलने के लिए 5४0 किलो कैलोरी ऊष्मा की आवश्यकता होती है। जब कोई पदार्थ एक भौतिक अवस्था (जैसे ठोस) से दूसरी भौतिक अवस्था (जैसे द्रव) में परिवर्तित होता है तो एक नियत ताप पर उसे कुछ उष्मा प्रदान करनी पड़ती है या वह एक नियत ताप पर उष्मा प्रदान करता है। किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (latent heat), उष्मा की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् १७५० के आसपास जोसेफ ब्लैक ने किया था। आजकल इसके स्थान पर "इन्थाल्पी ऑफ ट्रान्सफार्मेशन" का प्रयोग किया जाता है। प्रकार[संपादित करें]चूंकि पदार्थ की मुख्य रूप से तीन भौतिक अवस्थाएँ हैं - ठोस, द्रव एवं गैस। अत: मुख्यत: दो गुप्त उष्माएँ होतीं हैं -
गुप्त उष्मा का सूत्र[संपादित करें]गुप्त उष्मा की मात्रा का समीकरण है - जहाँ : Qअवस्था परिवर्तन के समय अवशोषित की गयी या मुक्त की गयी उष्मा की कुल मात्रा है (जूल में),m पदार्थ का द्रव्यमान है, L उस पदार्थ की उपयुक्त गुप्त उष्मा है (J kg-1). मुख्य सूत्र = पानी का विशिष्ट गुप्त ऊष्मा= m×sLH गुप्त उष्माओं की सारणी[संपादित करें]सामान्यत: उपयोग में आने वाले द्रवों एवं गैसों की गुप्त उष्माएँ तथा अवस्था-परिवर्तन का तापमान
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
गुप्त ऊष्मा से आप क्या समझते है?किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (latent heat), उष्मा की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है।
गुप्त ऊष्मा क्या है गुप्त ऊष्मा के दो प्रकार क्या है?एक द्रव को गरम करने पर इसके क्वथनांक तक ताप बढ़ता है। क्वथनांक पर दी गयी ऊष्मा इसे गैसीय अवस्था में परिवर्तन करने में प्रयुक्त होती है। किसी द्रव के एकांक द्रव्यमान को एक नियत ताप पर गैसीय अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा उस द्रव के वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।
क गुप्त ऊष्मा कितने प्रकार की होती है स्पष्ट कीजिए?गुप्त ऊष्मा के प्रकार
इसे संगलन की गुप्त ऊष्मा भी कहते हैं। इसका मात्रक किलोकैलोरी/किग्रा या जूल/किग्रा होता है। बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 80 किलो किलोकैलोरी/किग्रा अथवा 3.33 × 105 जूल/किग्रा होती है।
पानी की गुप्त ऊष्मा कितनी होती है?1 g जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 536 cal है Joule/kg में होगा : UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW!
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