गीता में सबसे बड़ा पाप क्या है? - geeta mein sabase bada paap kya hai?

शास्त्रों पुराणों में बताया गया है कि मनुष्य धरती पर रहकर जो भी अच्छे या बुरे कर्म करते हैं उन सभी कर्मों का लेखा-जोखा मृत्यु के बाद होता है और उसके अनुसार सजा और पुनर्जन्म मिलता है। ईश्वर की दृष्टि में जो अच्छे कार्म यानी आपके काम होते हैं उसे पुण्य कहा जाता है और जो बुरे कर्म होते हैं उन्हें पाप कहा जाता है।

पुराणों में कई अच्छे और बुरे कार्मों के बारे में बताया गया है। गरूड़ पुराण और कठोपनिषद् में तो यह भी बताय गया है कि मनुष्य को अपने पाप कर्मों के कारण मृत्यु के बाद अलग-अलग तरह के पापों के लिए कौन-कौन सी अलग सजाएं दी जाती हैं।

गरुड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि मनुष्य धरती पर जो कुछ भी पाप करता है उन सभी पापों की अलग-अलग सजा बारी-बारी से मिलती है। यम के न्याय में किसी भी पाप की सजा से बचा नहीं जा सकता है।

 संसार का सबसे बड़ा पाप क्या है ? । गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है

दोस्तो आज के इस पोस्ट में हमलोग जानेगे । की गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है। क्या करने से मानुष को पाप लगता है। क्या पाप है । मानुष अपने जिंदगी में दुखी क्यो रहता है। क्या है इसके पीछे का रहस्य क्या बोलता है। भगवान श्री कृष्ण तो चलिए दोस्तो हम सभी जानते है। 

   

गीता में सबसे बड़ा पाप क्या है? - geeta mein sabase bada paap kya hai?

संसार का सबसे बड़ा पाप क्या है ? । गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है

संसार का सबसे बड़ा दुख है । गरीबी वो दुःख है। जिसकी चोट बड़े से बड़े वीर को घुटने टेकने पर विवश कर देता है। गरीबी बड़े से बड़े ज्ञानी को ओर बड़े से बड़े धर्माताओ को धीरज ओर धन चकनाचूर कर देती है। 

ओर उन्हें धर्म के मार्ग से हटा कर अधर्म के मार्ग पर चलने को विवश कर देता है। मेरा ये भक्त । गरीबी की उसी चरण सीमा तक पहोच गया है। जहाँ पर बड़े से बड़े वीर ओर धीर पुरूष अपने घुटने टेक देती है। 

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इस संसार मे सबसे बड़ा पाप क्या है ? 

कोई कहेगा असत्य 

कोई कहेगा छल

तो कोई कहेगा लालच

,,,, नही ,,,

संसार मे सबसे बड़ा पाप है नारी का असामान्य , नारी का मान भंग करना क्योकि ये अपराध केवल नारी के शरीर को ही उसके मन उसके आत्मा पर भी प्रहार करती है। 

फिर प्रांस ये उठते है कि जिसने भी ये अपराध किया है उसे दंड क्या दिया जाए । फिर कोई कहता है। कोई कहता है शारीरक पीड़ा तो कोई कहता है मृत्यु दंड , किंतु इस अपराध का दंड निश्चित करने से पूर्व ये जानना महत्वपूर्ण नही है। कि अपराधी है।

कोंन अब आप कहेंगे कि सरल सी बात है । वही पुरूष , जिसने एस्त्री का मान भंग किया । किंतु क्या ये पुरुष कह सकते है। क्या स्वयं के अपमान के लिए स्वाम के समान को खोने के लिए कभी - कभी नारी स्वांम उत्तर दायिक नही होता है। 

सोच कर देखिए सामान खोने से मछली के लिए पहले समान की सीमा पर दृष्टि रखना आवश्कता है। रावण सीता का हरण इस लिए कर पाया क्योकि सीता ने भोलेपन के कारण रावण का उस सीमा को लांघना सरल कर दिया । किंतु अशोक वाटिका में उसी सीता को रावण ने छू तक नही कर पाया । 

क्योकि उसने रावण ओर उसके मध्य तिनके की एक छोटी सी दीवार बना दी। जीवन मे ना कहना सीखे ।

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किस उम्र तक मनुष्य के पाप को भगवान माफ कर देता है ? 

पाप पुण्य स्वर्ग नरक जन्म मृत्यु यह सवालों के सही जवाब आज तक कोई नहीं जान पाया है। लेकिन अलग - अलग पुराणों की सहायता से हम आपके ये सवालों का जबाब देने के प्रयास करते रहंगे ।

जय श्री कृष्णा यह तो आप जानते हैं कि गरुड़ पुराण में हर पाप की अपनी सजा बताई गई है और उसे चाहे जो भी करे चाहे वो अपने माता-पिता की सेवा ना करना हो या किसी निर्बल मनुष्य को सताना हो। किसी स्त्री के साथ गलत करना हो । चाहे किसी पुरुष के साथ गलत करना हो। 

उसे उसकी सजा नरक में भोगनी ही पड़ती है। साथ ही गरुड़ पुराण यह भी कहता है नर्क में मनुष्य  को सजा भोगने के बाद एक बार फिर से पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ता है। उसे पृथ्वी पर भी दुखो के रूप में पीड़ा  और यातनाएं दी जाती है। लेकिन हम आपको बता दें।

कि महाभारत के अनुसार 14 वर्ष तक किया गया कोई भी पाप  माननीय नहीं होता। जी हाँ 14 वर्ष कर दिया गया कोई पाप ।  माने नहीं होता क्योंकि 14 वर्ष का बालक किशोर अवस्था में होता है। किंतु महाभारत के अनुसार 14 वर्ष के बाद उसके द्वारा किया गया छोटा से छोटा और बड़े से बड़ा  कर्म फल सिद्धांत के अनुसार मानव को नर्क में ढकेल देता है। 

इसलिए मृत्यु तक चाहे वह किशोरावस्था हो चाहे वो और युवावस्था हो या बुढापा हो यह सोचिए कि आपको क्या कर रहा है लेकिन यह मत सोचिए कि आप को पूरे कर्म करने हैं क्योंकि पूरा सोचना भी एक बाप है क्योंकि कहते भी है बुरा रंग का बुरा नतीजा

दोस्तो उम्मीद करता हूं । कि ये जानकरी आपको काफी अच्छा लगा होगा । तो comment box में जय श्री कृष्ण जरूर लिखे । ओर हमेशा ऐसे ही amezing fects को लागातार पढ़ने के लिए हमारे blogg को subscribe जरूर करे। 

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पाप किसे कहते है

सबसे बड़ा पुण्य क्या है

पाप क्या है गीता के अनुसार

सबसे बड़ा धर्म क्या है

बाइबल के अनुसार पाप क्या है

पुण्य कैसे कमाया जाता है

गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है

पाप का मुख्य कारण क्या है

सबसे बड़ा पुण्य क्या है

बाइबल के अनुसार पाप क्या है

पाप का अर्थ क्या है

पाप और पुण्य क्या है

मनुष्य के अच्छे कर्म क्या है

भगवद्गीता के अनुसार वास्तविक क्या है

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गीता के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है?

"जीव हत्या" सबसे बड़ा पाप हैं , अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं।

औरत का सबसे बड़ा पाप क्या है?

श्रीकृष्‍ण ने इसे बताया है महापाप मुरलीधर ने कहा था कि संसार का सबसे बड़ा महापाप किसी औरत की इज्जत से खेलना है। जो व्यक्ति किसी औरत की इज्जत के साथ खेलता है। वह इस दुनिया का सबसे बड़ा पाप करता है। नारी शक्ति ऐसी शक्ति है जिसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है।

श्री कृष्ण के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है?

भगवान श्री कृष्ण ने दृष्टि में जो सबसे बड़ा पाप है वह है भ्रूण हत्या।

10 पाप कौन कौन से हैं?

दस पाप कर्म-.
दूसरों का धन हड़पने की इच्छा।.
निषिद्ध कर्म (मन जिन्हें करने से मना करें) करने का प्रयास।.
देह को ही सब कुछ मानना।.
कठोर वचन बोलना।.
झूठ बोलना।.
निंदा करना।.
बकवास (बिना कारण बोलते रहना)।.
चोरी करना।.