Home » Class 10 Hindi » NCERT Solutions for Class X Chhitij Part 2 Hindi Chapter 10 – Swayam Prakash Show छितिज भाग -2 स्वयं प्रकाश प्रश्न 1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग
कैप्टन क्यों कहते थे? प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा – प्रश्न 3: आशय स्पष्ट कीजिए – प्रश्न 4: पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए। प्रश्न 5:”वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया प्रश्न 6:निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं – प्रश्न 7: जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा प्रश्न 8: कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है – प्रश्न 9: सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यो में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न
पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए। प्रश्न 10: निम्नलिखित पंक्तियों में
स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए – प्रश्न 11: ‘भई खूब!
क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से प्रश्न 12: निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए – प्रश्न 13: निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए – प्रश्न 14:नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए – हालदार साहब को कौन सी बात कौतुक भरी लग रही थी *?Solution : हालदार साहब ने जब पहली बार चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी देखी तो उन्हें वह बड़ी ही कौतूहल भरी चीज लगी। नेताजी के नाम पर संगमरमर के चश्मे की जगह पर मानवीय चश्मा देखकर और भी कौतूहल वाला लगा। चश्मे को प्रायः बदलते देखकर भी उन्हें काफी कौतूहल हुआ।
हालदार साहब के चेहरे पर कौतुकभरी मुस्कान फैलने का क्या कारण था?चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य और सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब जब पहली बार इस कसबे से गुजरे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुक भरी मुस्कान फ़ैल गई।
हालदार साहब के मन में कौतुक और प्रफुल्लता के भाव क्यों उठते थे?Answer. Answer: हालदार साहब के लिए ये कौतुहल दुर्दमनीय हो उठा :- हालदार साहब जब भी नेताजी की मूर्ती को देखते उस पर अलग चश्मा लगा होता। एक बार हालदार साहब ने पानवाले से पूछ लिया, की नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है।
हालदार साहब क्या देख कर दुखी हुए थे?उत्तर- हालदार साहब को बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि कैप्टन के मर जाने के बाद नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा लगा सकता। वो इस बात से काफी दुखी थे लेकिन जैसे ही उन्होंने नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा देखा।
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