इस विधि से करेंगे हनुमान पूजन तो मिलेगा शुभ वरदान Show
19 अप्रैल शुक्रवार को हनुमान जयंती है। आइए जानते हैं इस दिन किस विधि से पूजन कर के शुभ वरदान पाए जा सकते हैं। अप्रैल शुक्रवार को चैत्र पूर्णिमा है। यह दिन बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दौरान कोई भी नया काम शुरू करना बहुत शुभ होता है। चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। इस बार हनुमान जयंती शुक्रवार को है। इस दौरान मंगल का चित्रा नक्षत्र
भी है। शुभ संयोग : इस वर्ष हनुमान जयंती पर दो खास ज्योतिष नक्षत्र बन रहे हैं। पहला है चित्रा और दूसरा है गजकेसरी योग। पंचांग के अनुसार 18 अप्रैल की रात 9 बजकर 23 मिनट पर चित्रा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। यह नक्षत्र अगले दिन दिन यानी 19 अप्रैल की शाम 7 बजकर 19 मिनट तक मान्य रहेगा। दूसरा नक्षत्र गजकेसरी सूर्योदय से ही प्रारंभ हो जाएगा। इन दोनों नक्षत्रों के बीच ही केसरी नंदन भगवान हनुमान का जन्म होगा। हनुमान पूजा कैसे करें- - शाम को लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो को दक्षिण मुंह करके स्थापित करें। - खुद लाल आसान पर लाल वस्त्र पहनकर बैठ जाएं। - घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती या धूप जलाएं। - चमेली तेल में घोलकर नारंगी सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाएं। - इसके बाद लाल फूल से पुष्पांजलि दें। - लड्डू या बूंदी के प्रसाद का भोग लगाएं। - केले का भोग भी लगा सकते हैं। - दीपक से 9 बार घुमाकर आरती करें। - मन्त्र
ॐ मंगलमूर्ति हनुमते नमः का जाप करें। विशेष उपाय - हनुमान जी पर जल चढ़ाने के बाद पंचामृत चढ़ाएं। - तिल के तेल में नारंगी सिंदूर घोलकर चढ़ाएं। - चमेली की खुश्बू या तेल चढ़ाएं। - हनुमान जी को लाल पुष्प ही चढ़ाएं। - हनुमान जी को गुड़, गेहूं के आटा की रोटी और चूरमा का भोग लगाएं। - मंत्र : श्री राम भक्ताय हनुमते नमः का जाप करें। - हनुमान जी को इमरती का भोग लगाएं। -
हनुमान जी को रसीला पान चढ़ाएं। - हनुमान जी को 11 पीपल के पत्तों पर नारंगी और सिंदूर से राम-राम लिखकर चढ़ा दें। - एक सूखे गोले को छेद करके उसमें शक्कर भरकर हनुमान जी को चढ़ाएं। - हनुमान जी को 11 लडडू चढ़ाएं। - 31 गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। शुभ मुहूर्त हनुमान जयंती तिथि – शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019 पूर्णिमा तिथि आरंभ – 18 अप्रैल 2019 को शाम 07:26 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त – 19 अप्रैल 2019 को शाम 04:41 बजे तक सिद्धार्थनगर। अनूप नगर स्थित हनुमानगढ़ी में रविवार को हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस दौरान भव्य कलश यात्रा निकली। जिसमें विभिन्न झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। कलश यात्रा हनुमान गढ़ी से निकलकर पूरे शहर में होते हुए जनपद की ख्यातिलब्ध शक्तिपीठ सिहेंश्वरी मंदिर में पहुंची। जहां श्रद्धालुओं ने गाजे-बाजे के साथ जयकारे लगाते हुए वैदिक मंत्रोच्चारों के साथ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। अनूप नगर के स्थित हनुमानगढ़ी से निकाली गई हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नगर के श्रद्धालुओं ने गाजे बाजे के साथ की। इस दौरान महिलाएं पीला वस्त्र धारण कर 201 भव्य कलश यात्रा भी निकाली जो आकर्षण का केंद्र रही। वहीं भक्ताें ने भगवान हुनमान, माता दुर्गा तथा राधा किशन की भव्य झांकी निकाली। झांकी हनुमानगढ़ी मंदिर से होते हुए सिद्धार्थ तिराहे से चलकर शाक्तिपीठ सिहेंश्वरी मंदिर पहुंची। बीच-बीच में भक्तों के जयकारे से पूरा नगर भक्तिमय हो उठा। सिंहेश्वरी मंदिर पहुंचाते ही भक्तों ने माता का जयकारा लगाकर मूर्ति को रखा। प्राणप्रतिष्ठा के तहत सोमवार को मूर्तियों का जलाभिषेक, अन्न अधिभाष व दिन में 11 बजे पूजन आयोजित किया जाएगा। साथ ही मंगलवार को नौ बजे प्राण प्रतिष्ठा समारोह तथा दो बजे पूर्णाहुति व हवन का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। हवन के बाद पांच बजे के करीब विशाल भंडारा तथा छह बजे जागरण का कार्यक्रम रखा गया है। बतातें चलें कि हनुमानगढ़ी मंदिर प्राचीन पौराणिक स्थल है। यहां पर सबके सहयोग से हनुमानजी की मूर्ति, माता दुर्गा जी मूर्ति तथा राधा कृष्णा की मूर्ति स्थापित की जा चुकी है। यह मूर्तिया राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई है। इस दौरान प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देवनरायन चौबे, बाबा बालमुुकुंद त्रिपाठी, दुर्गाप्रसाद वर्मा, मुरलीधर मिश्रा, शेषराम गौड़ समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। Please follow and like us: Pran Pratishtha Vidhi – कई बार आप लोगों ने सुना होगा कि नवनिर्मित मंदिरों में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और ये कैसे की जाती है, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि किसी भी मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और इसका क्या विधि- विधान होता है। भगवान की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा क्यों की जाती है? – Pran pratishtha vidhi – murti sthapana mantra
Must Read – गुरु ग्रह को ऐसे करें मजबूत, मिलेगी धन, संतान, वैवाहिक जीवन में सफलता प्राण प्रतिष्ठा पूजा विधि और मंत्र – pran pratishtha kaise kare – pran pratishtha vidhi
‘अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वराः ऋषय: ऋग्यजु सामानि छन्दांसि क्रियामय वपु: प्राणाख्या देवता. आं बीजं ह्रीं शक्तिः क्रौं कीलकम् अस्मिन ( जिन भगवान की मूर्ती स्थापित करनी है उनका नाम) यंत्रे प्राण प्रतिष्ठापने विनियोग।
Must Read – दुख और विपत्तियों से छुटकारा पाने के लिए करें ये वैदिक नियम प्राण प्रतिष्ठा मंत्र – pran pratishtha mantra pdf ॐ आं ह्रीं क्रौं यं रं लं वं शं षं सं हों।। Must Read – जानिए कुंडली में जब चार ग्रह एक साथ हों, तो जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है Read more articles like; Pran Pratishtha Vidhi, हमारे फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हमें फ़ॉलो करें और हमारे वीडियो के बेस्ट कलेक्शन को देखने के लिए, YouTube पर हमें फॉलो करें। हनुमान जी की मूर्ति स्थापना कैसे करें?वास्तुशास्त्र के मुताबिक हनुमानजी की प्रतिमा दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए। लेकिन इस दिशा में जो भी प्रतिमा या फोटो लगाएं उसमें हनुमानजी बैठी हुई मुद्रा में होने चाहिए। कहा जाता है कि इस दिशा में हनुमान जी का प्रभाव अधिक होना चाहिए।
मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कैसे करते हैं?कैसे करें देवप्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा
विविध पुष्पों से शृंगार, चंदन का लेप आदि करके प्रतिमा को इत्र अर्पित करें। बाद में इनके सम्मुख धुप दीप प्रज्जवलित करें तथा स्तुति, आरती और नैवेद्य अर्पित करकें जिस देवता या देवी की मूर्ति हो, उनके बीज मंत्र का जप विधि से करें।
हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाती है?सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।
हनुमान जी की मूर्ति का मुंह किधर होना चाहिए?वास्तुशास्त्र के अनुसार हनुमान जी का चित्र उत्तर की दीवार पर दक्षिण की ओर देखते हुए लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा में मुख किए हुए हनुमान जी का चित्र इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिशा में हनुमान जी ने अपना सर्वाधिक प्रभाव दिखाया है।
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