हिंसा का मतलब क्या होता है - hinsa ka matalab kya hota hai

हिंसा का मतलब क्या होता है - hinsa ka matalab kya hota hai

शारीरिक हिंसा से विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों के आकलन, प्रति १००,००० निवासी (२००४ में)।[1]

██ no data ██ <200 ██ 200-400 ██ 400-600 ██ 600-800 ██ 800-1000 ██ 1000–1200 ██ 1200–1400 ██ 1400–1600 ██ 1600–1800 ██ 1800–2000 ██ 2000-3000 ██ >3000

विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार, हिंसा "स्वयं के विरुद्ध, किसी अन्य व्यक्ति या किसी समूह या समुदाय के विरुद्ध शारीरिक बल या शक्ति का साभिप्राय उपयोग है, चाहे धमकीस्वरूप या वास्तविक, जिसका परिणाम या उच्च संभावना है कि जिसका परिणाम चोट, मृत्यु, मनोवैज्ञानिक नुकसान, दुर्बलता, या कुविकास के रूप में होता हैं", हालांकि संगठन यह स्वीकार करता है कि इसकी परिभाषा में "शक्ति का उपयोग" शामिल करना शब्द की पारंपरिक समझ को बढ़ाता है।[2] इस परिभाषा में क्रिया को ही करने की साभिप्रायता शामिल है, चाहे उससे कुछ भी परिणाम उत्पन्न हो। हालांकि, आम तौर पर, जो कुछ भी हानिकारक या क्षतिकारक तरीके से उत्तेजित किया जाता है, वह हिंसा के रूप में वर्णित किया जा सकता है, भले ही वह हिंसा के मतलब से नहीं हो (किसी व्यक्ति द्वारा और किसी व्यक्ति के विरुद्ध)।

प्रकार[संपादित करें]

हिंसा का मतलब क्या होता है - hinsa ka matalab kya hota hai

हिंसा का प्रकारविज्ञान[2]

हिंसा को तीन व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैं:[2]

  • स्व-निर्देशित हिंसा
  • अन्तरव्यक्तिगत हिंसा
  • सामूहिक हिंसा

हिंसक क्रियाएँ निम्न हो सकती हैं:

  • शारीरिक
  • यौन
  • मनोवैज्ञानिक
  • भावनात्मक

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • हिंसा का सौन्दर्यीकरण (Aestheticization of violence)
  • आक्रामकता
  • शारीरिक दण्ड
  • लड़ो-या-भागो अनुक्रिया
  • शिकार
  • विधायी हिंसा
  • युद्ध कलाएँ
  • परजीविता
  • क्रव्यादन (Predation)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Mortality and Burden of Disease Estimates for WHO Member States in 2002" (xls). World Health Organization. 2004. मूल से 16 जनवरी 2013 को पुरालेखित.
  2. ↑ अ आ इ Krug et al., "World report on violence and health" Archived 2015-08-22 at the Wayback Machine, विश्व स्वास्थ्य संगठन, २००२.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

हिंसा का अर्थ

सामान्य अर्थ में जिस किसी भी बात से दूसरों को पीड़ा पहुँचे वह हिंसा है। किसी किसी प्राणी पर शासन करना, दास बनाना, किसी भी प्रकार की पीड़ा देना, सताना या अशांत करना हिंसा है।

हिंसा की परिभाषा

हिन्दू धर्म के अनुसार - प्रिय वचन नहीं बोलना, अप्रिय या कड़वे वचन का प्रयोग करना, दूसरे को हिंसा करने की अनुमति देना या प्रोत्साहित करना, दूसरों को डराना धमकाना भी हिंसा ही है।

हिंसा के रूप

हिंसा के दो रूप हो सकते है - स्थूल एवं सूक्ष्म। 

  1. स्थूल हिंसा से तात्पर्य ऐसी सभी बातों से है जो प्रत्यक्ष रूप से दूसरों की पीड़ा का कारण बनती है। गाली-गलौच से लेकर मारपीट, हत्या, बलात्कार आदि की घटनाएँ स्थूल हिंसा है। 
  2. सूक्ष्म हिंसा दूसरों पर अपने विचार, मान्यताएँ थोपना, किसी का अनुचित फायदा उठाना आदि सूक्ष्म हिंसा है। इस तरह की चेष्टा दूसरों पर अपनी श्रेष्ठता जताने का ही प्रयास है।

हिंसा के प्रकार

  1. नस्लीय हिंसा
  2. लैंगिक हिंसा
  3. धार्मिक हिंसा
  4. घरेलू हिंसा

1. नस्लीय हिंसा-

नस्लवाद में मानवता को विभिन्न नस्लों के आधार पर विभाजित कर कुछ नस्लों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है जो कि अमानवीय है। प्राचीनकाल से अमेरिका में अश्वेत लोगों को गुलाम बनाने की प्रथा थी।
दक्षिण अफ्रीका में भी रंगभेद की नीति अपनायी जाती थी। हिटलर के समय में यहूदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। पश्चिमी देशों में तो आज तक नस्लीय भेदभाव जारी है, जिसका शिकार एशिया, अफ्रीका और लेटिन अमेरिका के विभिन्न देशों के अप्रवासी लोग है। 

2. लैंगिक हिंसा -

विश्व के कई देशों में पितृसत्तात्मक व्यवस्था है। भारत इसका उदाहरण है जहाँ पुरुषों को अधिक महत्व प्रदान किया जाता है तथा स्त्रियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे उनके अधीन रहे। यह लैंगिक हिंसा अनेक रूपों में देखने को मिलती है। जैसे- कन्या भ्रूण हत्या, लड़का-लड़की के लालन-पालन में भेदभाव, बाल विवाह, उत्पीड़न, दहेज, यौन शोषण, बलात्कार आदि। भारत में गिरता लिंगानुपात इसका सूचक है। 

 4. धार्मिक हिंसा -

धर्म के आधार पर होने वाली हिंसा के कारण विश्व में अनगिनत लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। कहीं पोप ने अपने हित लाभ के लिये लाखों निर्दोष अबलाओं को चुड़ैल घोषित कर जिंदा जलवा दिया, कही हिटलर ने यहूदी धर्म से अपनी कुण्ठा निकालने के लिए लोगों को यातनाघरों एवं गैस चेम्बरों में तपा-तपा कर मार दिया, भारत-पाकिस्तान में धर्म के नाम पर दंगों में लाखों लोग मार दिये।

6. घरेलू हिंसा -

घरेलू हिंसा की जड़े हमारे समाज तथा परिवार में गहराई तक जम गई है। इसे व्यवस्थागत समर्थन भी मिलता है। घरेलू हिंसा के खिलाफ यदि कोई महिला आवाज मुखर करती है तो इसका तात्पर्य होता है अपने समाज और परिवार में आमूलचूल परिवर्तन की बात करना। प्राय: देखा जा रहा है कि घरेलू हिंसा के मामले दिनो-दिन बढ़ते जा रहे है। परिवार तथा समाज के संबंधों में व्याप्त ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, अपमान तथा विद्रोह घरेलू हिंसा के मुख्य कारण है। परिवार में हिंसा की शिकार केवल महिलाएँ ही नहीं बल्कि वृद्ध और बच्चे भी बन जाते है। प्रकृति ने महिला और पुरुष की शारीरिक संरचनाएँ जिस तरह की है, उनमें महिला हमेशा नाजुक और कमजोर रही है।

हिंसा का शाब्दिक अर्थ क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार, हिंसा "स्वयं के विरुद्ध, किसी अन्य व्यक्ति या किसी समूह या समुदाय के विरुद्ध शारीरिक बल या शक्ति का साभिप्राय उपयोग है, चाहे धमकीस्वरूप या वास्तविक, जिसका परिणाम या उच्च संभावना है कि जिसका परिणाम चोट, मृत्यु, मनोवैज्ञानिक नुकसान, दुर्बलता, या कुविकास के रूप में होता हैं", ...

हिंसा कितने प्रकार के होते हैं?

हिंसा के प्रकार.
नस्लीय हिंसा.
लैंगिक हिंसा.
धार्मिक हिंसा.
घरेलू हिंसा.

हिंसा के कारण क्या है?

इसमें महिलाओं का शोषण करना, उसके साथ मारपीट करना, यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उसके साथ दुर्व्यवहार करना, महिला को अश्लील साहित्य व अश्लील तस्वीरों को देखने के लिए विवश करना, बलात्कार करना, महिला को अपमानित करना, उसकी पारिवारिक व सामाजिक स्थिति को आघात पहुँचाना, महिला को आत्महत्या की धमकी देना, मौखिक दुर्व्यवहार करना ...

हिंसा करने वाला का क्या अर्थ होता है?

हिंसा करने वाला; दूसरों की बुराई चाहने और करने वाला; कष्ट पहुँचाने वाला; पीड़ित करने वाला; घातक।