हवन करने की विधि एवं मंत्र - havan karane kee vidhi evan mantr

Navratri hawan mantra : कई घरों में नवरात्रि पर सप्तमी, अष्टमी या नवमी की पूजा होती है। पूजा के बाद हवन भी किया जाता है। हवन तो विधिवत रूप से पंडितजी ही करवाते हैं, लेकिन यदि आप खुद ही सरल विधि से घर में हवन करना चाहते हैं तो यहां प्रस्तुत है सरल विधि। घर पर कैसे करें हवन? नवरात्रि में घर पर ही किस तरह किया जा सकता है यज्ञ, जानिए सरल विधि।

- पहले हवन सामग्री एकत्रित कर लें। जैसे, काष्ठ, नवग्रह की नौ समिधा, घी, चौ, चावल, तिल, बूरा, फल, शहद, आदि।

- उचित स्थान पर 8 ईंट जमाकर हवन कुंड बना लें या बाजार से बने बनाए हवन कुंड ले आएं।

- हवन कुंड के पास धूप-दीप प्रज्वलित करके कुंड पर स्वास्तिक बनाकर नाड़ा बांधें और फिर उसकी पूजा करें।

- अब हवन कुंड में आम की आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें।

- अब हवन कुंड की पवित्र अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की मंत्रों के साथ आहुति दें।

- सबसे पहले ॐ आग्नेय नम: स्वाहा बोलकर आहुति दें। ॐ गणेशाय नम: स्वाहा। नाम से आहुति दें।

- अब इसके बाद सभी नवग्रहों के देवाताओं के नाम की आहुति दें। फिर कुल देवता और स्थान देवता की आहुति दें।

- इसके बाद माता दुर्गा के सभी नामों से आहुति दें। जैसे ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा। ॐ गौरियाय नम: स्वाहा। आदि।

हवन करने की विधि एवं मंत्र - havan karane kee vidhi evan mantr

- इसके बाद सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करते हुए आहुति दें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें।

- हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें।

- सप्तशती प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें तथा पांच बार घी की आहुति दें।

- फिर पूर्ण आहूति में नारियल में छेद कर उसमें पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति दें।

- पूर्ण आहुति में ये मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'

- पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें। और माता से क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें।

हवन करने की विधि एवं मंत्र - havan karane kee vidhi evan mantr

ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।

ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा

ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा।

ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा।

Perform Havan without a Pandit using the brief Havan method : संक्षिप्त हवन विधि से बिना पंडित के खुद करें हवन। हवन दैनिक जीवन का अनिर्वाय अंग है। वैज्ञानिक शोधों में भी इसकी उपयोगिता साबित हो चुकी है। पूजा-पाठ में भी यह महत्वपूर्ण है। इससे मंत्र जाग्रत हो जाते हैं। उनकी शक्ति बढ़ जाती है। अत: साधना के पथ पर चलने वालों को बीच-बीच में हवन करते रहना चाहिए। प्रकृति की असीमित शक्ति के दोहन आसान और प्रभावी विधि है। इसके लिए योग्य पंडित का मिलना कठिन होता है। मिल भी जाए तो भागदौड़ की जिंदगी में हवन के लिए समय निकालना कठिन होता है। ऐसे लोगों के लिए ही शास्त्र में संक्षिप्त हवन विधि का प्रावधान है। इससे बिना ज्यादा तामझाम के करीब आधे घंटे में खुद हवन करना संभव है। मैंने इसे अत्यंत कारगर पाया है।  

इस तरह करें तैयारी

घर में पहले किसी स्थान को धो-पोंछकर साफ कर लें। फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। भौतिक कार्य के लिए पूर्व और आध्यात्मिक लक्ष्य के लिए उत्तर दिशा श्रेष्ठ होता है। अपने सामने हवन कुंड रखें। वैसे भिन्न मंत्रों के लिए खास लकड़ी और हवन सामग्री का प्रावधान है। उसके न मिलने पर आपातकाल में किसी भी लकड़ी से काम चला सकते हैं। आम की लकड़ी मिले तो सब में काम चल जाएगा।

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बाजार में उपलब्ध हवन सामग्री में अपनी सामग्री मिलाएं

बाजार में तैयार हवन सामग्री उपलब्ध है। न मिलने पर खुद भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए काला तिल, चावल, चीनी, जौ एवं घी को मिला लें और साफ पात्र में रख लें। इसमें आवश्यकतानुसार और प्रयोग भी किया जा सकता है। इस पर विद्वानों को आपत्ति हो सकती है लेकिन मुझे यह काफी फायदा पहुंचाने वाला लगा है। इसके साथ ही एक साफ पात्र में घी, दूसरे साफ पात्र में जल एवं घी देने के लिए सुरुप (न मिले तो साफ बड़े चम्मच से भी काम चला सकते हैं) लेकर बैठें। इसके बाद निम्न कार्य करें।

संक्षिप्त हवन विधि का तरीका

हवन करने की विधि एवं मंत्र - havan karane kee vidhi evan mantr

हवन कुंड में तीन छोटी लकड़ी से अपनी ओर नोंक वाला त्रिकोण बनाएं। उसे-–“अस्त्रायफट”– कहते हुए तर्जनी व मध्यमा से घेरें।

फिर मुठ्ठी बंद कर तर्जनी उंगली निकाल कर — “हूं फट”—मंत्र पढ़ें।

इसके बाद लकड़ी डालकर कर्पूर व धूप देकर—“ह्रीं सांग सांग सायुध सवाहन सपरिवार” –जिस मंत्र से हवन करना हो उसे पढ़कर– “नम:”– कहें।

आग जलाकर-ह्रीं क्रव्यादेभ्यो: हूं फट”– कहते हुए तीली या उससे लकड़ी का टुकड़ा जलाकर हवन कुंड से किनारे नैऋत्य कोण में फेंकें।

तदंतर –रं अग्नि अग्नेयै वह्नि चैतन्याय स्वाहा– मंत्र से आग में घी डालें।

फिर हवन कुंड को स्पर्श करें। –ह्रीं अग्नेयै स्वेष्ट देवता नामापि– मंत्र पढ़ें।

इसके बाद-ह्रीं सपरिवार स्वेष्ट रूपाग्नेयै नम:-पढ़ें। संक्षिप्त हवन विधि से आप पूरा फल हासिल कर सकते हैं।

तब घी से चार आहुतियां दें और जल में बचे घी को देते हुए निम्न चार मंत्र पढ़ें। 

1-ह्रीं भू स्वाहा (अग्नि में)। इदं भू (पानी में)।

2-ह्रीं भुव: स्वाहा (अग्नि में)। इदं भुव: (पानी में)।

3-ह्रीं स्व: स्वाहा(अग्नि में)। इदं स्व:(पानी में)।

4-ह्रीं भूर्भुव:स्व: स्वाहा (अग्नि में)। इदंभूर्भुव: स्व: (पानी में)।

मूल मंत्र से दें अपेक्षित संख्या में आहुतियां 

निश्चित आहुतियां पूर्ण होने के बाद सुरुप को घी में डूबाएं। उससे पहले अग्नि और फिर पानी से भरे पात्र में घी दें। मंत्र नीचे दिए जा रहे हैं। 

1-ह्रीं भू स्वाहा(अग्नि में)। इदं भू (पानी में)।

2-ह्रीं भुव: स्वाहा(अग्नि में)। इदं भुव: (पानी में)।

3-ह्रीं स्व: स्वाहा(अग्नि में)। इदं स्व: (पानी में)।

4-ह्रीं भूर्भुव:स्व: स्वाहा (अग्नि में)। इदंभूर्भुव: स्व: (पानी में)।

 

ऐसे करें पूर्णाहुति

हवन पूर्ण होने के बाद पूर्णाहुति में सुपारी या गोला से नीचे दिए मंत्र को पढ़ें।

ह्रीं यज्ञपतये पूर्णो भवतु यज्ञो मे ह्रीस्यंतु यज्ञ देवता फलानि सम्यग्यच्छंतु सिद्धिं दत्वा प्रसीद मे स्वाहा क्रौं वौषट।

मंत्र पूरे होने के बाद ज्ञ करने वाले सुरुप (चम्मच) में यज्ञ की राख लगा लें और फिर

ह्रीं क्रीं सर्व स्वस्ति करो भव– मंत्र से तिलक करें। बाद में दूसरों को भी तिलक लगाएं।

अंत में निम्न मंत्र पढ़ें।

ह्रीं यज्ञ यज्ञपतिम् गच्छ यज्ञं गच्छ हुताशन स्वांग योनिं गच्छ यज्ञेत पूरयास्मान मनोरथान अग्नेयै क्षमस्व। इसके बाद जल वाले पात्र को उलट कर रख दें।

 

नोट-संक्षिप्त हवन विधि से भी पूरा फल मिलता है। विधि भी काफी मिलती-जुलती है। हवन कुंड की अग्नि के पूरी तरह शांत होने दें। बाद में बची सामग्री को समेट कर किसी नदी जलाशय में प्रवाहित करें। आज के परिप्रेक्ष्य में भूमि में गड्ढा खोदकर डालकर ढंक देना उचित होगा। यदि इसकी राख को खेतों में डालें तो निश्चय ही उसकी उर्वरा शक्ति में भारी बढ़ोतरी होगी

हवन करते समय क्या मंत्र बोला जाता है?

हवन के मंत्र नीचे दिए गए हैं। स्वधा नमस्तुति स्वाहा। ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

घर पर स्वयं हवन कैसे करें?

हवन विधि... किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करेंहवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करेंहवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए।

बिना पंडित के हवन कैसे करें?

अपने सामने हवन कुंड रखें। वैसे भिन्न मंत्रों के लिए खास लकड़ी और हवन सामग्री का प्रावधान है।.
ह्रीं भू स्वाहा(अग्नि में)। ... .
ह्रीं भुव: स्वाहा(अग्नि में)। ... .
ह्रीं स्व: स्वाहा(अग्नि में)। ... .
ह्रीं भूर्भुव:स्व: स्वाहा (अग्नि में)।.

हवन करना कैसे सीखे?

हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं। पंडित वैभव जोशी कहते हैं कि हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद इन मंत्रों से हवन शुरू करें।