एक बेहतर जल प्रबंधन की आवश्यकता और महत्त्व
संदर्भ Show कहा गया है कि जल ही जीवन है। जल प्रकृति के सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। कहने को तो पृथ्वी चारों ओर से पानी से ही घिरी है लेकिन मात्र 2.5% पानी ही प्राकृतिक स्रोतों- नदी, तालाब, कुओं और बावड़ियों से मिलता है, जबकि आधा प्रतिशत भूजल भंडारण है। सर्वाधिक चिंतित करने वाली बात यह है कि भारत जल संकट वाले देशों की कतार में आगे खड़ा है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रह रहे करोड़ों लोग ज़बरदस्त जल संकट का सामना कर रहे हैं और दूषित जल का उपयोग करने को अभिशप्त हैं। ऐसे में बेहतर जल प्रबंधन से ही जल संकट से बचाव और संरक्षण किया जा सकता है। भारत में प्रभावी जल प्रबंधन की ज़रूरत क्यों?
जल नीतियों का महत्त्व
आगे की राह
निष्कर्ष
विश्व जलसामान्य तथ्य: पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई हिस्से पर विश्र्व के महासागरों का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के
अनुमानों के अनुसार पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा लगミग 1400 मिलियन घन किलोमीटर है जो कि पृथ्वी पर 3000 मीटर गहरी परत बिछा देने के लिए काफी है। तथापि जल की इस विशाल मात्रा में स्वच्छ जल का अनुपात बहुत कम है। पृथ्वी पर उपलब्ध समग्र जल में से लगभग 2.7 प्रतिशत जल स्वच्छ है जिसमें से लगभग 75.2 प्रतिशत जल ध्रुवीय क्षेत्रों में जमा रहता है और 22.6 प्रतिशत भूजल के रूप में विद्यमान है। शेष जल झीलों, नदियों, वायुमण्डल, नमी, मृदा और वनस्पति में मौजूद है। जल की जो मात्रा उपभोग और अन्य प्रयोगों के लिए वस्तुतः
उपलब्ध है, वह नदियों, झीलों और भूजल में उपलब्ध मात्रा का छोटा-सा हिस्सा है। इसलिए जल संसाधन विकास और प्रबन्ध की बाबत संकट इसलिए उत्पन्न होता है क्योंकि अधिकांश जल उपभोग के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता और दूसरे इसका विषमतापूर्ण स्थानिक वितरण इसकी एक अन्य विशिष्टता है। फलतः जल का महत्व स्वीकार किया गया है और इसके किफायती प्रयोग तथा प्रबन्ध पर अधिक बल दिया गया है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल जल-वैज्ञानिक चक्र के माध्यम से चलायमान है। अधिकांश उपभोक्ताओं जैसे कि मनुष्यों, पशुओं अथवा पौधों के लिए जल के
संचलन की जरूरत होती है। जल संसाधनों की गतिशील और नवीकरणीय प्रकृति और इसके प्रयोग की बारम्बार जरूरत को दृष्टिगत रखते हुए यह जरूरी है कि जल संसाधनों को उनकी प्रवाह दरों के अनुसार मापा जाए। इस प्रकार जल संसाधनों के दो पहलू हैं। अधिकांश विकासात्मक जरूरतों के लिए प्रवाह के रूप में मापित गतिशील संसाधन अधिक प्रासंगिक हैं। आरक्षित भण्डार की स्थिर अथवा नियत प्रकृति और साथ ही जल की मात्रा तथा जल निकायों के क्षेत्र की लम्बाई व मत्स्यपालन, नौ संचालन आदि जैसे कुछेक क्रियाकलापों के लिए भी प्रासंगिक है। इन
दोनों पक्षों पर नीचे चर्चा की गई है। सिंचाई का संसार विश्र्व में देश-वार भौगोलिक क्षेत्र, कृषि-योग्य भूमि और सिंचित क्षेत्र का विश्र्लेषण करने पर ऐसा पता चलता है कि महाद्वीपों के बीच सर्वाधिक विशाल भौगोलिक क्षेत्र अफ्रीका में स्थित है जो कि विश्र्व के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 23 प्रतिशत बैठता है। तथापि मात्र 21% भौगोलिक क्षेत्र वाले एशिया (यूएसएसआर के भूतपूर्व देशों को छोड़कर) में विश्र्व की लगभग 32 प्रतिशत कृषि-योग्य भूमि है जिसके बाद उत्तर केन्द्रीय अमरीका का स्थान आता है
जिसमें लगभग 20 प्रतिशत कृषि-योग्य भूमि है। अफ्रीका में विश्र्व की केवल 12% कृषि-योग्य भूमि है। यह देखा गया है कि विश्र्व में सिंचित क्षेत्र 1994 में कृषि-योगय भूमि का लगミग 18.5 प्रतिशत है। 1989 में विश्र्व का 63% सिंचित क्षेत्र एशिया में था जबकि 1994 में इस आशय का प्रतिशत बढ़कर 64 प्रतिशत तक पहुंच गया। साथ ही 1994 में एशिया की 37 प्रतिशत कृषि-योग्य भूमि की सर्वाधिक विशाल मात्रा है जो कि एशिया की कृषि-भूमि का लगभग 39 प्रतिशत बैठती है। केवल संयुक्त राज्य अमरीका ऐसा देश है जहां भारत की तुलना में
अधिक कृषि-योग्य भूमि है। राष्ट्रीय जल संसाधन--एक दृष्टि मे तालिका क्रम संख्या मदें मात्रा (घन किलोमीटर) 1. वार्षिक वर्षा (हिमपात सहित) 4000 2. औसत वार्षिक उपलब्धता 1869 3. प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता (2001) घनमीटर में 1820 4. अनुमानित उपभोज्य जल संसाधन 1122 (i) सतही जल संसाधन 690 घन किलोमीटर (ii) भू-जल संसाधन 432 घन किलोमीटर जल संसाधन सबसे महत्वपूर्ण क्यों माना गया है?अधिकांशतः लोगों को ताजे जल की आवश्यकता होती है। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। जल एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन है। एक अक्षय संसाधन वह संसाधन होता है जिसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से प्रतिस्थापित हो जाता है।
जल संसाधन से क्या अभिप्राय है भारत के लिए इसका क्या महत्व है?जल ही ऐसा संसाधन है जिसकी हमें नियमित आपूर्ति आवश्यक है जो हम नदियों, झीलों, तालाबों, भू-जल, महासागर तथा अन्य पारस्परिक जल संग्रह क्षेत्रों से प्राप्त करते है। विश्व का 70.87 प्रतिशत भाग जलीय है जबकि 29.13 प्रतिशत भाग ही भू-भाग है। कुल जल का केवल मात्र 2.1 प्रतिशत भाग ही उपयोग योग्य है जबकि 37.39 प्रतिशत भाग लवणीय है।
जल संसाधन से आप क्या समझते हैं वर्णन कीजिए?जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मनुष्य के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की सम्भावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से अधिकतर में ताजे जल की आवश्यकता होती है।
जल संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?जल संसाधन के प्रकार. सतही जल संसाधन (नदियाँ, तालाब, नाले). भूमिगत जल संसाधन. |