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उच्च और कम मृत्यु दर और उच्च प्रजनन क्षमता के साथ स्थिर आबादी की प्रजनन क्षमता की अस्थिर आबादी। No worries! We‘ve got your back. Try BYJU‘S free classes today! कम मृत्यु दर और कम प्रजनन क्षमता के साथ एक स्थिर आबादी के लिए उच्च मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता के साथ एक स्थिर आबादी। Right on! Give the BNAT exam to get a 100% scholarship for BYJUS courses उच्च प्रजनन क्षमता और कम मृत्यु दर के साथ एक स्थिर आबादी के लिए कम प्रजनन क्षमता और उच्च मृत्यु दर के साथ एक अस्थिर आबादी। No worries! We‘ve got your back. Try BYJU‘S free classes today! एक स्थिर आबादी और कम प्रजनन और उच्च मृत्यु दर के साथ एक स्थिर आबादी के लिए एक स्थिर आबादी। No worries! We‘ve got your back. Try BYJU‘S free classes today! Solution The correct option is B कम मृत्यु दर और कम प्रजनन क्षमता के साथ एक स्थिर आबादी के लिए उच्च मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता के साथ एक स्थिर आबादी।व्याख्या: (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी भी क्षेत्र की भविष्य की आबादी का वर्णन करने और भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। सिद्धांत हमें बताता है कि किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु से निम्न जन्म दर और कम मृत्यु दर से स्थिर जनसंख्या प्राप्त करने के लिए बदल जाती है क्योंकि समाज ग्रामीण कृषि और अनपढ़ से शहरी औद्योगिक और साक्षरता में प्रगति करता है। जनसंख्या का शहरीकरण होने से वह साक्षर होने के साथ उच्च तकनीकी ज्ञान भी हासिल करती है और अधिक बच्चे पैदा नहीं करती है जिससे जनसंख्या स्थिर होती है। ये परिवर्तन चरणों में होते हैं जिन्हें सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र के रूप में जाना जाता है।Solve Question Papers जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत एक जनसंख्या सिद्धांत है, जिसमे किसी क्षेत्र में लम्बे समय अवधि में जनसंख्या के जन्मदर और मृत्युदर के मध्य अंतर के कारण जनसंख्या में प्राकृतिक वृद्धि(परिवर्तन) की व्याख्या की जाती है। इसे जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत भी कहा जाता है। जनांकिकीय सक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जाता है। यह सिद्धांत हमे यह बताता है कि जैसे-जैसे कोई समाज अशिक्षित, ग्रामीण और खेतिहर अवस्था से ऊपर उठकर शिक्षित, नगरीय और औद्योगिक बनता है वैसी-वैसी जनसंख्या की विशेषताओं में परिवर्तन होते जाता है। जैसे:- उच्च जन्मदर और उच्च मृत्युदर परिवर्तित होकर निम्न जन्मदर और निम्न मृत्युदर हो जाता है, जीवन सम्भाव्यता और जीवन प्रत्यासा बढ़ जाता है, परिवार का आकर बड़ा से छोटा हो जाता है। यह सिद्धांत मूल रूप से डब्ल्यू० एस० थॉमसन ने 1929 ई० में प्रस्तुत किया था। जिसे फ्रेंक डब्ल्यू० नोटेस्टीन ने 1945 ई० में संशोधित करके वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया इसी कारण से नोटेस्टीन को जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का जनक कहा जाता है। इन दोनों ने यूरोप, अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया द्वारा अनुभाषित जन्मदर और मृत्युदर की प्रवृतियों को जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का आधार बनाया है। थॉमसन और नोटेस्टीन ने जन्मदर और मृत्युदर के परिवर्तनों के आधार पर जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत को तीन अवस्थावो में विभक्त किया है। बाद में जन्मदर और मृत्युदर के परिवर्तनों के आधार पर जनककिय संक्रमण सिद्धांत को तीन से पाँच अवस्थाओं में विभाजित किया जाता रहा है। इन अवस्थाओं को सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र भी कहा जाता है। सी० पी० ब्लेकर महोदय ने इन आस्थाओ को पाँच भागो में विभाजित किया है। समान्य तौर पर इस सिद्धांत को तीन अवस्थाओं के रूप में अपनाया गया है। इन्हें भी जानें :-
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत की अवस्थाएँ
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत को तीन से पाँच अवस्थाओं में विभाजित किया जाता है थॉमसन और नोटेस्टीन ने इसे तीन अवस्थाओं में विभाजित किया है, तो सी० पी० ब्लेकर ने इसे पाँच अवस्थाओं में विभाजित किया है समान्य रूप से इसे तीन अवस्थाओं वाले मॉडल के रूप में अपनाया गया है। प्रथम अवस्थाप्रथम अवस्था को पर्व आधुनिक, औद्योगिक से पूर्व की अवस्था और उच्च स्थाई अवस्था के रूप में भी जाना जाता है। इस अवस्था के निम्नलिखत कुछ जनांकिकीय विशेषताएँ है।
जननकीकीय संक्रमण सिद्धांत दूसरी अवस्थाइस अवस्था को विस्फोटक अवस्था, पश्चमिकरण की अंतिम अवस्था ,औद्योगीकरण की अवस्था इत्यादि के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था के निम्न जनांकिकीय विशेषताएँ है।
तृतीय अवस्थातृतीय अवस्था को पश्चिमीकरण की अंतिम अवस्था, निम्न स्थाई की अवस्था, औद्योगीकरण के बाद की अवस्था इत्यादि के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था के निम्नलिखित जननिकीय विशेषताएँ होती है।
इस तरह से हम देखते है कि कोई भी समाज प्रारम्भिक काल से लेकर वर्तमान समय तक जनांकिकी अवस्थाओं से गुजरते हुए आगे बढ़ता है। इस सिद्धांत से सभी देश अपने आप को आंकलित करते है। और भविष्य की जनसंख्या का पूर्वानुमान लगाकर भविष्य के लिए नीतियाँ निर्धारित करती है। और देश को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होते है।
जनांकिकीय संक्रमण का उपयोग कहाँ किया जाता है?जननंकिकीय संक्रमण सिद्धान्त का उपयोग किसी क्षेत्र कि जनसंख्या का वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या का पूर्वानुमान लगाने के लिये किया जा सकता है। यह सिद्धान्त हमे बताता है कि समाज ग्रामीण,खेतीघर तथा अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय,औद्योगिक और साक्षर समाज बनता है।
10 जननांकिकीय संक्रमण का उपयोग कहाँ किया जाता है?जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी भी क्षेत्र की भविष्य की आबादी का वर्णन करने और भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है।
जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत क्या है इस सिद्धांत के उपयोग के 3 उदाहरण लिखिए?जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती है या मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है तथा उसके पास तकनीकी ज्ञान होता है। ऐसी जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियंत्रित करती है । वर्तमान में विभिन्न देश जनांकिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं में हैं।
जनांकिकीय संक्रमण क्या होता है?थॉमसन और नोटेस्टीन ने जन्मदर और मृत्युदर के परिवर्तनों के आधार पर जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत को तीन अवस्थावो में विभक्त किया है। बाद में जन्मदर और मृत्युदर के परिवर्तनों के आधार पर जनककिय संक्रमण सिद्धांत को तीन से पाँच अवस्थाओं में विभाजित किया जाता रहा है। इन अवस्थाओं को सामूहिक रूप से जनांकिकीय चक्र भी कहा जाता है।
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