”मेरे जेहन से वो सुनहरे पल कोई नहीं हटा सकता है, जिन्हें मैंने तुम्हारे साथ जिया। वो मेरी जिंदगी के खुशनुमा पल थे, मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल।” ये लाइनें एक लव लेटर का हिस्सा हैं, जो कि सारा केरी फेयरफैक्स के लिए लिखा गया था। सारा का निकनेम सैली था। सैली उस वक्त 18 साल की थी, जब उसकी शादी हुई और शादी के कुछ समय बाद ही सैली को 16 साल के लड़के से प्यार हो गया। ऊपर जो लाइनें आपने पढ़ी हैं, वो इसी 16 साल के लड़के ने सैली को लिखी थीं। ये लेटर दस्तावेज के तौर पर अमेरिका में आज भी मौजूद है, क्योंकि 16 साल वो लड़का जो 18 साल की शादीशुदा लड़की सैली के प्यार में पड़ गया था उसका नाम है- जॉर्ज वॉशिंगटन, जो आगे चलकर अमेरिका का पहला राष्ट्रपति बना, जिनकी तस्वीर आज भी उस डॉलर पर छपती है, जिसे कमाने के लिए पूरी दुनिया चकरघिन्नी बनी हुई है। Show चलिए अब कहानी को थोड़ा विस्तार देते हैं। 22 फरवरी 1732, यही वो साल था जब वर्जिनिया में जॉर्ज वॉशिंगटन का जन्म हुआ। इनसे दो साल पहले यानी 1730 में सारा केरी फेयरफैक्स यानी सैली का जन्म हुआ था। ये भी वर्जिनिया में ही पैदा हुई थीं। सैली का ब्याह वर्जिनिया के ही एक जमींदार के साथ हुआ। सैली के पति की बहन की शादी जॉर्ज के भाई के साथ हुई थी। इस नाते दोनों के बीच रिश्तेदारी भी थी। जॉर्ज वॉशिंगटन जब सैली से पहली बार मिले तब उनकी शादी हो चुकी थी। दोनों के बीच मिलना-जुलना होने लगा। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। 1758 में जॉर्ज बीमार हो गए। उस वक्त सैली के पति विदेश गए हुए थे। इस दौरान सैली ने जॉर्ज की देखाभाल की। द अटलांटिक में छपे लेख के मुताबिक, इसी दौरान जॉर्ज और सैली के बीच संबंध बने। बीमारी से ठीक होने के बाद जॉर्ज वॉशिंगटन की एक विधवा महिला से मुलाकात हो गई। उसका नाम था- मारथा डेंडड्रिज कस्टिस। मारथा 26 साल की थीं, जब उनके पति का देहांत हो गया। मारथा के पति ने चूंकि कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी इसलिए उनकी सारी संपत्ति मारथा के पास आ गई थी। मारथा और जॉर्ज वॉशिंगटन के बीच कई मुलाकातें हुईं और 1758 में वॉशिंगटन ने मिलिट्री कमीशन से इस्तीफा देने के बाद 1759 में मारथा से शादी कर ली। शादी के बाद जॉर्ज वॉशिंगटन ने मारथा को सैली और उनके पति से मिलवाया और दोनों कपल्स के बीच बरसों तक दोस्ती बनी रही। लोकप्रिय खबरें Yearly Horoscope 2023: सभी 12 राशि वालों के लिए साल 2023 कैसा रहेगा? पढ़ें यहां वार्षिक राशिफल Delhi Mayor Election : इस तरह चुना जाता है MCD का मेयर, समझिए उलटफेर की कितनी संभावना Diabetes: उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए आपका Blood Sugar? देखें ये सिंपल चार्ट Vikas Divyakirti on Reservation: ‘तीन हजार साल तक सीट घेरने वाले ब्राह्मणों को 70 साल के आरक्षण से हो रही दिक्कत..’, विकास दिव्यकीर्ति का वीडियो वायरल अमेरिका के पहले राष्ट्रपति की कहानी में अब तक आपने इन दोनों महिलाओं के बारे में जाना। अब आगे बढ़ते हैं। 1780 फिलाडेल्फिया, यहां एनिस स्टॉकटन और एलिजाबेथ पॉवेल से वॉशिंगटन की मुलाकात हुई। इन साथ भी उनके संबंध रहे। इनमें से स्टॉकटन के बारे में थोड़ी जानकारी है। अटलांटिक टाइम्स के मुताबिक, स्टॉकटन एक विधवा थीं और उन्होंने रेवॉल्यूशनरी वॉर ऑफिसर्स के लिए डिनर आयोजित किया था। जॉर्ज वॉशिंगटन ने स्टॉकटन को कई लेटर भी लिखे थे। एलिजाबेथ को जॉर्ज के साथ स्टॉकटन ने ही मिलवाया था। बाद में एलिजाबेथ वॉशिंगटन के काफी करीब आ गई थीं। Also Read कराची के जोग माया मंदिर में तोड़फोड़ पर भड़का पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्ज वॉशिंगटन के अपनी नौकरानी के साथ भी संबंध थे, जो कि उनके परिवार के साथ ही रहा करती थी। अमेरिकी राजनीति में कई बार ऐसे दावे किए जाते हैं कि वो नौकरानी वॉशिंगटन के बच्चे की मां भी बनी। जॉर्ज वॉशिंगटन की रंगीन-मिजाजी के ये किस्से यूं तो बहुत पुराने हैं, लेकिन 28 दिसंबर 2018 को ये ट्विटर ट्रेंड कर गए थे। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन की रंगीन-मिजाजी को ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया था। ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट नॉमिनी ब्रेट केवनॉ पर लगे यौनशोषण के आरोपों को डिफेंड करते हुए ट्रंप ने कहा, ”जॉर्ज वॉशिंगटन…. उनका भी बैड पास्ट था। कौन जाने, क्या आप जानते हैं? क्या उनके कई रिश्ते नहीं थे। सच तो ये है कि हम जानते है कि वॉशिंगटन का महिलाओं के साथ जो पास्ट रहा। उनका शादीशुदा महिलाओं के साथ रिलेशन रहा।” देश के पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. जॉज फर्नांडिस ने साल 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते और इस दौरान उन्होंने कई बड़े मंत्रालय भी संभाले, जिसमें रक्षामंत्री, कम्यूनिकेशन, इंडस्ट्री और रेलवे मंत्रालय का नाम शामिल है. जॉर्ज फर्नांडिस की शादी लैला कबीर से हुई थी. लीला के पिता हुंमायू कबीर नेहरू कैबिनेट में मंत्री थे. मुंबई में 1967 के लोकसभा चुनाव में एसके पाटिल जैसे कद्दावर नेता को हराकर जॉर्ज फर्नांडिस राष्ट्रीय राजनीति में उभर कर आ गए थे. उन्हें जॉर्ज दे ज्वाइंट किलर के नाम से जाना गया. उस समय 37 साल के जॉर्ज को देश के मोस्ट एलिजिबल बैचलर्स में गिना जाता था., पर जिंदगी भर बैचलर रहने की कसम खाने वाला ‘बैचलर्स इलेवन’ ग्रुप जब नाराज हो गया जब जॉर्ज फर्नांडिस ने लैला कबीर से अपनी इंगेजमेंट का ऐलान किया. (फोटो साभार: georgefernandes.org) ‘बैचलर्स इलेवन’ को डर था शादी के बाद जॉर्ज भी घरेलू किस्म के इंसान बन जाएंगे और उनमें समाज, दुनिया को बदलने की वो आग खत्म हो जाएगी लेकिन शादी के बाद भी जॉर्ज में कुछ नहीं बदला. 1974 की रेलवे हड़ताल और 1977 में आपातकाल में जॉर्ज फर्नांडिस देश भर में हीरो बनकर उभरे. जॉर्ज और लैला बहुत ही अलग तरह के बैकग्राउंड से आते थे. लैला के पिता पंडित नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे जबकि फर्नांडिस गरीब मजदूरों के बीच रहने वाले इंसान. दोनों में एक चीज समान थी, वो थी गरीबों का दुख दर्द समझना. लीला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ी हुई थीं लेकिन सेवा के लिए उन्होंने 150 रुपये महीने की नर्स की नौकरी की. सुरेश वैद्य और उनकी पत्नी ने 1968 में लैला और जॉर्ज के बीच मैचमैकिंग की कोशिश की लेकिन सारी कोशिशें फेल हो गईं. अगले चार साल तक डॉ. राम मनोहर लोहिया के घर पर ही दोनों की कभी-कभी मुलाकात हो जाती थी. साल 1971 के अप्रैल महीने में कोलकाता से दिल्ली आ रही फ्लाइट में दोनों ने शादी का फैसला किया और जुलाई 1971 में दोनों की शादी हुई. जनवरी 1974 में दोनों की जिंदगी में बेटा शॉन आया. georgefernandes.org में लैला कबीर लिखती हैं कि जॉर्ज अपने छोटे से बेटे को बहुत प्यार करते थे. रेलवे हड़ताल से दो दिन पहले ही जॉर्ज को अरेस्ट कर लिया गया. जॉर्ज को तिहाड़ जेल में रखा गया था. बेटे को गोदी में लिए ही लैला कबीर जॉर्ज से मिलने तिहाड़ जाती थीं और वकीलों के चक्कर काटती थीं. 26 जून 1975 को देश में आपातकाल थोपे जाने के बाद फर्नांडिस फिर अपने 17 महीने के बेटे से अगले 22 महीनों के लिए दूर हो गए. (फोटो साभार: georgefernandes.org) एक लेख में उनकी पत्नी लिखती हैं कि फर्नांडिस 95 फीसदी सारा वक्त लोगों के लिए ही था. 1977 में फर्नांडिस जनता सरकार में इंडस्ट्री मिनिस्टर बने. पत्नी के साथ उनका समय बिताना कम होता गया. जॉर्ज के दिलो-दिमाग में सोते-जागते सिर्फ गरीब और मजदूरों के लिए लड़ने का जज्बा रहता था. मंत्री बनने के बाद जॉर्ज की भारी व्यस्तता के चलते लैला से मिलना नाम-मात्र का ही रह गया था. आखिरकार एक दिन लीला कबीर ने खुद ही उनसे कहा कि क्यों न वो अलग ही रहें ताकि जॉर्ज को पूरी फ्रीडम मिल सके. शुरुआत में जॉर्ज इसके लिए राजी नहीं थे लेकिन बाद में वो तैयार हो गए. ये फैसला दोनों के लिए दुखद था. पर जॉर्ज कहीं भी हों, अपने बेटे के जन्मदिन में शामिल होने हमेशा पहुंचते थे. बेटे की एमबीए ग्रेजुएशन सेरेमनी के लिए वो शिकागो भी गए थे. वर्ष 2002 में जापान में हुई बेटे की शादी में भी शरीक हुए. वर्ष 2009 में अपने पोते को देखकर भी वो काफी खुश हुए थे. इसके बाद उनकी याददाश्त जाती रही. 2010 में लैला करीब 25 साल दूर रहने के बाद जॉर्ज की जिंदगी में दोबारा लौट आईं और उन्होंने कोर्ट के आदेश के जरिए जया के मिलने को केवल 15 दिन में एक बार सीमित कर दिया. जार्ज प्रथम कहाँ का ड्यूक था?जॉर्ज़ I (जॉर्ज लुइस; जर्मन: जोर्ज लुडविग, 28 मई 1660 - 11 जून 1727) 1 अगस्त 1714 से अपनी मृत्यु तक ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का महाराजा था।
जॉर्ज पंचम की पत्नी का नाम क्या था?अगले वर्ष 1911 में महाराजा जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी ने भारत की यात्रा की। यहां उनके तिलक हेतु दिल्ली दरबार सजा, जहां उन दोनों को भारत के सम्राट व सम्राज्ञी घोषित किया गया। जॉर्ज ने नव-निर्मित भारत का इम्पीरियल मुकुट पहना। तब इस युगल ने पूरे भारत की यात्रा की।
जॉर्ज पंचम कौन है?जॉर्ज पंचम प्रथम ब्रिटिश शासक थे जो विंडसर राजघराने से संबंधित थे। यूनाइटेड किंगडम एवं अन्य राष्ट्रमंडल समूह के महाराजा होने के साथ साथ, जॉर्ज भारत के सम्राट एवं स्वतन्त्र आयरिश राज्य के राजा भी थे। जॉर्ज ने सन 1910 से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान और बाद में 1936 में अपनी मृत्यु पर्यन्त राज्य किया।
जॉर्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का कल क्या था?राजा जॉर्ज तृतीय, ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का राजा था। उनका राज्य-काल १७६० से १८०१ तक था।
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