Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. Show Bihar Board Class 9 Science जीवों में विविधता InText Questions and Answersप्रश्न श्रृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 91) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न श्रृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 92) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 93) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 96) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न श्रृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 99) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न श्रृंखला # 06 (पृष्ठ संख्या 105) प्रश्न 1. प्रश्न 2. (2) एनीलिडा के जन्तुओं में रक्त परिसंचरण तन्त्र बन्द प्रकार का होता है। अर्थात् रक्त बन्द नलियों में बहता है जबकि आर्थोपोडा के जन्तुओं में रक्त परिसंचरण तन्त्र खुला प्रकार का होता है अर्थात् रक्त देहगुहा में भरा रहता है। प्रश्न 3. प्रश्न 4.
क्रियाकलाप 7.1 (पृष्ठ संख्या 90) प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. क्रियाकलाप 7.2 (पृष्ठ संख्या 99) प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. क्रियाकलाप 7.4 (पृष्ठ संख्या 106) प्रश्न 8.
पौधे
वैज्ञानिक नामों और सामान्य नामों में कोई समानता नहीं है। Bihar Board Class 9 Science जीवों में विविधता Textbook Questions and Answersप्रश्न 1.
प्रश्न 2. ऐसा इस कारण है कि पौधों में गमन के अभाव में अनेक संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं, जैसे सुरक्षा हेतु कोशिका भित्ति की उपस्थिति तथा भोजन निर्माण हेतु क्लोरोप्लास्ट की उपस्थिति। अतः ये सभी लक्षण गमन की पूर्ति के लिए ही बने हैं। इसलिए गमन ही आधारभूत लक्षण है। अतः इसका चयन पदानुक्रम निर्धारण के लिए उचित है। प्रश्न 3. (1) सबसे पहले उन्होंने संगठित केन्द्रक तथा झिल्लीयुक्त कोशिकांगों के आधार पर जीवों को दो भागों में बाँटा-प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोट्स। यह विभाजन जगत् मोनेरा का आधार बना जिसके अन्तर्गत सभी प्रोकैरियोटस को रखा गया है। (2) इसके बाद यूकैरियोट्स को एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय के आधार पर बाँटा गया। एककोशिकीय यूकैरियोट्स को प्रोटिस्टा के अन्तर्गत रखा गया तथा बहुकोशिकीय यूकैरियोट्स के अन्तर्गत फंजाई, प्लांटी तथा एनीमेलिया को सम्मिलित किया। (3) अब इनमें से एनीमेलिया को कोशिका भित्ति की अनुपस्थति के कारण पृथक् कर लिया गया। (4) शेष बचे फँजाई एवं प्लांटी को पोषण विधि के आधार पर अलग कर दिया गया। फंजाई में विषमपोषी पोषण पाया जाता है जबकि प्लांटी में स्वपोषी पोषण इस प्रकार पाँच जगत् वर्गीकरण की आधारशिला रखी गई। प्रश्न 4. प्रश्न 5.
जन्तुओं के वर्गीकरण के निम्न आधार हैं सर्वप्रथम जगत् एनीमेलिया को नोटोकॉर्ड की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर दो भागों-कॉर्डेटा तथा नॉन-कॉर्डेटा में बाँटा गया है। नॉन-कार्डेटा में नोटोकार्ड अनुपस्थित होती है। इनको निम्न लक्षणों के आधार पर पुनः उपवर्गों में बाँटा गया है
उपर्युक्त लक्षणों के आधार पर नॉन-कॉर्डेटा को संघों- पोरीफेरा, सीलेण्ट्रेटा, प्लेटीहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थोपोडा, मोलस्का तथा इकाइनोडर्मेटा में बाँटा गया है। कॉर्डेटा के सभी सदस्यों में नोटोकॉर्ड पायी जाती है। कुछ जन्तुओं जैसे बैलेनोग्लोसस, एम्फिऑक्सस एवं हर्डमानिया में नोटोकार्ड या तो अनुपस्थित होती है या पूरी लम्बाई में नहीं होती, इस कारण इन जन्तुओं को एक पृथक् उपसंघ-प्रोटोकॉर्डेटा में रखा गया है तथा शेष सभी जन्तु जिनमें पूर्ण विकसित नोटोकार्ड होती है, उप-संघ-कशेरुकी के अन्तर्गत रखे गये हैं। उपवर्ग कशेरुकी को पाँच वर्गों-मत्स्य, जल-स्थलचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी में विभाजित किया गया है। प्रश्न 6. वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए। उत्तर: वर्टीब्रेटा को पाँच वर्गों-मत्स्य, जल-स्थल चर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी में बाँटा गया है। (1) वर्ग-मत्स्य-इस वर्ग में जीवों का शरीर धारारेखीय होता है। श्वसन क्लोम द्वारा होता है। ये असमतापी जीव हैं जिनका हृदय द्विकक्षीय होता है। जैसे-विभिन्न प्रकार की मछलियाँ। (2) वर्ग-जल-स्थलचर-ये जीव जल एवं स्थल दोनों में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं। त्वचा चिकनी होती है जिस पर श्लेष्म ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं। इनका हृदय कक्षीय होता है। अण्डे देने के लिए जल आवश्यक होता है। (3) वर्ग-सरीसृप-इनका शरीर शल्कों द्वारा ढका होता है। इनका हृदय,सामान्यतः त्रिकक्षीय (मगरमच्छ का चार कक्षीय) होता है। सामान्यतः स्थल पर रहते हैं लेकिन जल में भी रह । सकते हैं। किन्तु अण्डे स्थल पर ही देते हैं। उदा.-छिपकली, सर्प, कछुए आदि। (4) वर्ग-पक्षी-इनका शरीर परों से ढका होता है। अग्रपाद पंखों में रूपान्तरित होते हैं। हृदय चार कक्षीय होता है। उदा.-विभिन्न पक्षी; जैसे-कबूतर, मैना आदि। (5) वर्ग-स्तनी-शरीर पर बाल पाये जाते हैं। शिशुओं को जन्म देते हैं। इकिड्ना तथा प्लेटिपस अण्डे देते हैं। बाह्य कर्ण होते हैं। नवजात के पोषण हेतु स्तन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं। हृदय चार कक्षीय होता है। उदा.- गाय, बकरी, मनुष्य आदि। जीव जंतु के अध्ययन को क्या कहते हैं?(Ii) वनस्पति विज्ञान ( Botany )
अर्थात् Zoology शब्द का अर्थ है- 'जन्तु जगत का अध्ययन'।
जंतुओं में प्रचलन गमन क्यों आवश्यक है?Answer: जंतुओं के द्वारा छोड़ी गई `CO_(2)` पर्यावरण के उचित तापमान के लिए आवश्यक है। पौधे जंतुओं को भोजन, आश्रय व प्राणवायु (ऑक्सीजन) प्रदान करते हैं, जबकि जंतु पौधों क भोजन बनाने के लिए `CO_(2)` प्रदान करते हैं।
जीव विज्ञान में प्रचलन क्या है?Solution : जीवधारिओ में प्रचलन तथा गति आधारभूत लक्षण है जिसके द्वारा जीवधारी पोषण,श्वासोच्छवास,सुरक्षा एवं स्थान परिवर्तन आदि क्रियाए करता है ।
प्रचलन और गति में क्या अंतर है?सजीवों में गति और प्रचलन
जब कोई वस्तु हिलती-डुलती है तो इसे उस वस्तु का गति करना कहते हैं. जब कोई वस्तु एक स्थान से हटकर दूसरे स्थान तक जाती है तो इसे प्रचलन कहा जाता है.
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