चन्दौसी। श्रीमद भागवत कथा के माध्यम से एक-दूसरे मानव में प्रेम, प्यार, सामंजस्य और भाईचारा स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। मनुष्य के प्रगति के रास्ते में पांच शत्रु काम, क्रोध, मद, मोह और लोभ घात लगाये बैठे हैं। भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही ये पांचों दुश्मन भाग लेते हैं फिर हमारी अन्र्तात्मा विकार रहित होकर निर्मल हो जाती है। तब मानव महामानव बन जाता है। Show यह विचार श्रीराम कृष्ण सेवा समिति द्वारा सीता रोड स्थित श्री रघुनाथ ब्रह्मचर्य आश्रम संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में चौथे दिन प्रवचन करते हुए कथा व्यास आचार्य सुशील महाराज ने व्यक्त किए। कहा जहां अराजकता व आतंकवाद चरम सीमा पर पहुंच चुका हो, अनुशासन और मर्यादा भंग हो चुकी हो, घर की देहरी से बाहर निकाले गए बूढ़े मां-बाप ठोकर खाने को मजबूर हो गए हों। ऐसे में अमृतमयी श्रीमदभागवत कथा संजीवनी बूटी का कार्य करती है। जहां बेबसी का आंसू बह रहा हो, जिसका दुनियां में कोई सहारा न हो उसे भागवत कथा के श्रवण से सहारा के साथ-साथ सब कुछ प्राप्त हो जाता है। कहा भक्त प्रहलाद ने नरसिंह भगवान के बहुत आग्रह करने पर तीन वरदान मांगे। हमारे पिता हिरण्यकश्यप की दुर्गति न हो। भक्त प्रहलाद के वंश के राजा बलि की यज्ञ में वामन वन कर देवताओं के स्वर्ग के साथ तीन पदों में ब्रह्म लोक तक नाप लिया। इसके उपरांत राम कथा का आद्योपांत संक्षेप में वर्णन कर कृष्ण के अवतार के साथ देवकी के सात पुत्रों का वर्णन किया। प्रसाद की व्यवस्था शंकर लाल, सतीश नारायण शंखधार, जगदीश ने की। हरद्वारी लाल मिश्र, अजय शर्मा, भूरा पंडित ने संगीत पर सहयोग किया। आरती में कवि माधव मिश्र, अखिलेश खिलाड़ी, जय शंकर दुबे, अनिरुद्ध शंखधार, हरिओम शर्मा, डॉ. टीएस पाल, श्याम भारद्वाज, हरिओम अग्रवाल, डॉ. योगेन्द्र मोहन शास्त्री, केजी गुप्ता, कृष्ण गोपाल मंगलम, सुरेन्द्र पाल शर्मा, आदि मौजूद रहे। शत्रु नंबर 1, अगले पन्ने पर इन्होंने कहा कि जहां-जहां पर आत्मा है, वहां-वहां ज्ञान विराजमान है। जहां पर ज्ञान है वहां पर मान के परमाणु भी विराजमान है। आज ज्ञान पिछड़ रहा है तथा मान हावी होता जा रहा है। आई अर्थात मैं, माई अर्थात मेरा। आई और माई में सिमटा व्यक्ति अपने ज्ञान की ओर जा ही नहीं सकता। जब तक आपके अंदर मान है तब तक समझना आप अपने अज्ञान रूपी अंधकार को दूर नहीं कर सकते। हम इंसान के रूप में मान का मिथ्या भ्रम पाले हुए हैं। शास्त्री जी ने कहा कि मेरे कारण ही मेरा परिवार चल रहा है। यह घर पल रहा है। अरे आप कौन हैω क्या आप नहीं रहेंगे तो आपका परिवार समाप्त हो जाएगा। जीव का पालन उसका कर्म करता है तुम नहीं करते। बाहर की व्यवस्थाओं में तुम लोग इतना उलझ जाते हो कि अंदर की व्यवस्था बिगाड़ लेते हो। मैं और मेरा के कारण ही परिवार संकुचित विचारधारा में बंटता चला जाता है एवं सारा परिवार आई एवं माई के चक्कर में बर्बाद हो जाता है। अपने कृतित्व का अहंकार ही सर्वनाश का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि जितने उत्साह और उमंग के साथ आप पाप की क्रियाओं में संलग्र हो जाते हो उतने ही उत्साह और उमंग के साथ यदि भगवान की भक्ति और जाप करो तो भव के ताप से बच सकते हो। श्रीमद भागवत कथा सुनती महिलाएं। धर्म मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?अहंकार मानव जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन है। सबसे खतरनाक है फिर भी आप उसकी पुष्टि में लगे हो। मान की पुष्टि तुम जितनी ज्यादा करोगे उतने कमजोर होते चले जाओगे। मान इंसान के अंदर की सबसे बड़ी कमजोरी मानी जाती है।
इंसान के कितने दुश्मन होते हैं?काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह- ये पांच चीजें इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। भक्ति इन पांचों शत्रुओं से बचाव करती है। ऐसी स्थिति में इंसान के लिए पूरा ब्रह्मांड अपना होता है, कोई पराया नहीं रहता। व्यक्ति का मन प्रेममय हो जाता है, वह सभी से प्रेम करने लगता है।
भारत के सबसे बड़ा दुश्मन कौन है?वर्तमान परिस्थितियों में तो पाकिस्तान को ही भारत का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जा सकता है। भारत का सबसे बड़ा ठग कौन है?
दुश्मन परेशान कर रहा हो तो क्या करें?जब आप शत्रु और विरोधी से ज्यादा परेशान हो गए हों तो रोजाना प्रतिदिन प्रातःकाल जल में रोली मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें तथा सुबह और शाम नृसिंह भगवान की उपासना करें. ... . आपका दुश्मन यदि आपको बेवजह अधिक परेशान कर रहा है तो 21 दिन तक रोजाना भोजपत्र पर लाल चंदन से उस व्यक्ति का नाम लिखकर उसे शहद की डिब्बी में भिगोकर रखें.. |