जयंती और जन्मोत्सव में क्या fark है? - jayantee aur janmotsav mein kya fark hai?

जन्मदिन, जयंती और जन्मोत्सव में अंतर: आज का हमारी इस पोस्ट का विषय है की जन्मदिन, जन्मोत्सव और जयंती का अर्थ (Jayanti Meaning In Hindi) क्या है, जयंती किसे कहते हैं एवं जयंती और जन्मदिन में अंतर, साथ ही जयंती और जन्मोत्सव में क्या अंतर है, आज की पोस्ट में हम आपको इसके बारे में विस्तार से उदाहरण सहित समझाएंगे, इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

इसके अलावा हम आपको यह भी बताएँगे कि जयंती क्या होती है, कब मनाते हैं और जयंती क्यों मनाई जाती है, इसी तरह जन्मोत्सव का अर्थ क्या होता है और कब मनाया जाता है, तो इस पोस्ट में को आगे ध्यान से पढ़े, इस पोस्ट में आपको अपने सभी प्रश्नो का जवाब मिल जायेगा।

जयंती और जन्मोत्सव में क्या fark है? - jayantee aur janmotsav mein kya fark hai?

जयंती और जन्मदिन में अंतर (जयंती और जन्मोत्सव में अंतर)

  • जन्मदिन: जब किसी का जन्म होता है तो उस दिन को हम साधारण भाषा में जन्मदिन कहते है। किन्तु जन्मदिन उन लोगो का ही मनाया जाता है जो हमारे बिच मौजूद है यानी इस धरती पर जीवित है।
  • जयंती: यह भी जन्मदिन के रूप में ही मनाया जाता है किन्तु जन्मदिन और जयंती में बहुत अंतर है, जन्मदिन जीवित लोगों के लिए मनाया जाता है और जयंती उन लोगो के जन्मदिवस को कहते है जो आज हमारे बिच नहीं है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है।
  • जन्मोत्सव: जन्मोत्सव भगवान या भगवान किसी अवतार के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। जन्मोत्सव शब्द का प्रयोग सामान्य मनुष्य के जन्मदिवस को व्यक्त करने के लिए नहीं किया जाता है यही केवल ईश्वर के अवतारों के जन्मदिवस को सम्बोधित करने लिए ही किया जाता है।

आइये जन्मदिन, जयंती और जन्मोत्सव में अंतर को हम उदाहरण से समझते है:

  • जन्मदिन का उत्सव आप अपने भाई, मित्र, माता, पिता आदि के लिए जन्मदिवस के रूप में मनाते है जो कि आप हमारे बिच मौजूद है यानी कि जो अभी जीवित है। जन्मदिन शब्द का प्रयोग किसी भी सामान्य मनुष्य के जन्मदिवस को सम्बोधित करने के लिए जाता है।
  • इसके अतिरिक्त अगर किसी ऐसे व्यक्ति का जन्मदिवस मनाया जाता है जो आज हमारे बिच में नहीं है यानी जो इस धरती या इस लोक से चले गए है तो उसे हम जयंती के रूप में मनाते है और उनके जन्मदिवस को हम जयंती कहते है। जैसे कि महात्मा गाँधी जी का जन्मदिवस को हम गाँधी जयंती के रूप में मनाते है। और दूसरे उदाहरण के लिए महाराणा प्रताप जी के जन्मदिवस को हम महाराणा प्रताप जयंती के रूप में मनाते है।
  • साथ ही जन्मोत्सव किसी भी ईश्वरीय अवतार जैसे कि भगवान श्री राम, कृष्ण या हनुमान जी के जन्मदिवस को सम्बोधित करने के लिए जन्मोत्सव शब्द का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इनके जन्म को हमारे देश में उत्सव के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे जन्मोत्सव कहा जाता है। इनके जन्मदिवस को जन्मदिन या जयंती जैसे शब्दों से सम्बोधित नहीं किया जाता है।

लेकिन कुछ लोग जयंती शब्द का उपयोग ईश्वर के अवतारों के जन्मदिवस को सम्बोधित करने के लिए करते है जैसे की बहुत से लोग हनुमान जी के जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहकर सम्बोधित करते है जो कि बिलकुल गलत है, हनुमान जी ईश्वर का अवतार है और वो इस धरती मौजूद है और जीवित भी है। इसलिए उनके जन्मदिवस को हनुमान जन्मोत्सव कहकर सम्बोधित करना चाहिए जैसे की हम भगवान कृष्ण के जन्मदिवस को कृष्ण जन्मोत्सव कहकर सम्बोधित करते है और मनाते है, ठीक उसी तरह भगवान हनुमान जी के जन्मदिवस को हनुमान जन्मोत्सव कहना ही उचित होगा।

तो अब आपको समझ में आ गया होगा कि जयंती किसे कहते है या जयंती का अर्थ होता है, साथ ही जयंती और जन्मोत्सव में क्या अंतर है और इसके अलावा हमने आपको यह भी बताया है कि जन्मदिन और जयंती कब मनाना चाहिए और हनुमान जयंती से जुड़े भ्रम को भी दूर किया है जो कि अधिकांश लोगों में होता है वो हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहते है। हमें उम्मीद है आपको यह पोस्ट उपयोगी लगी होगी, इस पोस्ट को ऐसे लोगो में अवश्य शेयर करें, जिन्हें जन्मदिन और जयंती या जयंती और जन्मोसव में अंतर नहीं पता है, जिससे कि उन्हें भी सही जानकर प्राप्त हो सके।

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Updated: | Fri, 30 Mar 2018 03:39 PM (IST)

मल्टीमीडिया। 31 मार्च को रामभक्त भगवान हनुमान का जन्मोत्सव है और पूरे देश में इस दिन धूम रहती है। लोग तरह-तरह से भगवान हनुमान को खुश करने की कोशिश करते हैं ताकि उनकी कृपा बनी रहे। जहां एक तरफ देश में इस दिन के लिए तैयारियां जारी हैं वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया में एक अलग बहस जारी है।

दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया में हनुमान जन्मोत्सव को लेकर एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। इस मैसेज में कहा जा रहा है कि हनुमान जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस मैसेज में दावा किया गया है कि हनुमान जयंती उन लोगों की मनाई जाती है जो इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान है और वो आज भी धरती पर विद्यमान हैं।

वैसे हिंदू इतिहास और पुराण अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है।

मतलब, इन सात व्यक्तियों में परशुराम, राजा बलि, हनुमान, विभिषण, ऋषि व्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हिंदू पुराणों के अनुसार इस धर्म के सभी भगवानों में से एकमात्र हमेशा धरती पर रहने वाला भगवान माना गया है।

इसे लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि-

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।

कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।

जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।

पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान भगवान श्री राम और माता सीता से मिला था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।

उनके धरती पर होने को लेकर समय-समय पर कई तरह के दावे किए गए लेकिन कभी उनकी सत्यता साबित नहीं हो पाई। इसके बावजूद हिंदू धर्म में हनुमान जी को चिंरजीव माना जाता है जो धरती पर विचरण करते रहते हैं।

हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर करते हैं निवास

पुराणों में उल्लेख है कि कलयुग में हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर निवास करते हैं। एक कथा के अनुसार जब अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमवंत पार कर गंधमार्दन के पास पहुंचे थे। उस समय भीम सहस्त्रदल कमल लेने गंधमार्दन पर्वत के जंगलों में गए थे, यहां पर उन्होंने भगवान हनुमान को लेटे हुए देखा। इसी समय हनुमान ने भीम का घमंड भी चूर किया था।

यह कहना है पंडितों का

इस विषय पर जब ज्योतिष और धर्म के जानकार से बात हुई तो उनका कहना भी कुछ ऐसा ही था। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जयंती उन लोगों की होती है जो अब इस संसार में नहीं हैं वहीं जो उस धरती पर मौजूद हैं उनका जन्मदिन या जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान हनुमान का भी जन्मोत्सव ही मनाया जाना चाहिए जयंती नहीं। यह शास्त्र सम्मत भी है।

वहीं उज्जैन में स्थित सिद्धवट के पुजारी पं. उपेंद्र के अनुसार आज पाश्चात्य युग है और लोगों ने जन्मोत्सव को छोटा कर जयंती बना दिया है वैसे दोनों का शाब्दिक अर्थ एक ही है। भगवान चाहे राम हो, कृष्ण हो या हनुमान हो उनके जन्म दिवस को जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। जैसे कृष्ण जन्माष्टमी होती है और राम नवमी मनाई जाती है। इन सभी दिनों को देवताओं के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जयंती को भी जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया और पुकारा जाना चाहिए।

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जन्मोत्सव व जयंती में क्या अंतर है?

क्या आप जानते है जयंतीजन्मोत्सव में क्या अंतर है? जयंती उन लोगों की मनाई जाती है जिनका कभी जन्म हुआ किंतु अब वे परमधाम में वास करते हैं । इसके उलट जन्मोत्सव या जन्मदिवस उन लोगो का मनाया जाता है जो जन्म से अब तक हमारे बिच जीवित हैं एवं पृथ्वीलोक पर ही निवास करते हैं ।

जयंती का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?

जयंती शब्द का प्रयोग मुख्यत: किसी घटना के घटित होने के दिन की, आगे आने वाले वर्षों में पुनरावृत्ति को दर्शाने के लिये किया जाता है। इसे वर्षगाँठ भी कह सकते हैं।

जयंती किसकी मनाई जाती है?

जयंती ज़ स तारिक को इंसान का जन्म होता है, उस तारिक को हर साल उस इंसान के जन्म दिवस के रूप में मनाते है। जयंती जन्म की तारीख से संबंधित है और पुण्यतिथि मृत्यु की तारीख को कहते हैं। दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं। पुण्यतिथि किसी व्यक्ति के देहावसान या स्वर्गवासी होने की तिथि का द्योतक है।

हनुमान जयंती का मतलब क्या है?

हनुमान जयन्ती एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है।