ज्यादा बारिश कौन से महीने में होती है? - jyaada baarish kaun se maheene mein hotee hai?

बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai), हम इंसान आज तक पृथ्वी और भ्रमण के कई रहस्य को समझाते सुलझाते आए हैं और आगे बहुत से रहस्य सुलझाने बाकी है। इनमें कुछ प्रक्रिया ऐसी है लेकिन वास्तविक में वह ब्रह्मांड की सबसे कठिन और जटिल प्रक्रिया में से एक है जिनके बिना शायद जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी पर बारिश कैसे होती है, बादल से बरसात कैसे होती है, रात में बारिश क्यों होती है, बारिश कहां से होती है, आसमान से बारिश कैसे होती है, बारिश कौन करवाता है, बारिश कब होती है, बारिश कौन से महीने में होती है।

बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)?

ज्यादा बारिश कौन से महीने में होती है? - jyaada baarish kaun se maheene mein hotee hai?
Barish Kyu Hoti Hai

बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)

ऐसे ही कुछ रहस्य में से एक प्रक्रिया बारिश है। बारिश मनुष्य जीव जंतु पेड़ पौधे हमारे वातावरण के लिए बहुत ही अनिवार्य है। जब कभी नमी वाली गर्म हवा किसी ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आ जाती है तब बारिश होती है।

गर्म हवा में ठंडी हवा से ज्यादा पानी इकट्ठा करती है और जब यह हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मैं मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है। जिसे बारिश या वर्षा कहते हैं।

यह तो हम सभी ने पढा है और जानते भी हैं पृथ्वी पर बारिश पानी के रूप में होती है। धरती से पानी वाष्पित होकर पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उठने लगता है और ठंडा होकर पानी के रूप में दुबारा धरती पर गिरता है।

आसमान में पानी कैसे पहुंचता है

लेकिन आसमान में यह पानी कैसे पहुंचता है? जब सूरज की किरने धरती पर पड़ती है तो उसे धीरे-धीरे गर्म करने लगती है जिस वजह से पानी के कण एक दूसरे से दूर होने लगते हैं और फिर यह कण‌ वास्पी विकृत होकर भाप में बदल जाती है। यह भाप बहुत हल्की होती है जिस वजह से धीरे-धीरे आसमान की ओर बहने लगती है।

ज्यादा बारिश कौन से महीने में होती है? - jyaada baarish kaun se maheene mein hotee hai?

हर 1000 फीट पर तापमान साडे 5 डिग्री कम होने लगता है जिसके कारण ऊपर उठने वाली भाप ठंडी होने लगती है। और दोबारा तरल रूप ले लेती है। जब पानी के छोटे कारण एक दूसरे में मिलने लगते हैं तो उन्हें हम बादल कहते हैं

यह कण बहुत ही हल्के होते हैं जिससे यह हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं। पानी के इन कणों को जमीन पर गिरने के लिए लाखों बूंदों को मिलकर एक क्रिस्टल बनाना पड़ता है। बर्फ का क्रिस्टल बनाने के लिए इन्हें किसी ठोस चीज की आवश्यकता होती है।

क्रिस्टल का आधार का काम करता है। बारिश करवाने के लिए पृथ्वी के जंगलों में से आग से निकलने वाले धुंए से छोटे पार्टिकल्स, रेत के छोटे कण सूक्ष्मजीव और साथ ही अंतरिक्ष से आने वाले Micro Meteorites सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

बर्फ कैसे बनती है

ब्रह्मांड से आने वाले यह छोटे-छोटे कण बारिश करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यानी Micro Meteorites करते हैं हर रोज भ्रमण से लगभग 2000 किलो Micro Meteorites पृथ्वी के वातावरण से टकराते हैं। इनका आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण इन्हें बहुत कम ही फ्रिक्शन का सामना करना पड़ता है।

जिस वजह से Micro Meteorites धीरे-धीरे बादलों में चला जाता है और पानी की बूंदों को क्रिस्टल बनने में मदद करता है। पानी के बूंदों से मिलने पर पानी इन कणो के आसपास क्रिस्टल आइस हो जाती है। यह प्रक्रिया दिन भर में कई बार होता है एक क्रिस्टल दूसरे पानी की बूंदों के लिए एक तरह से आधार का काम करता है छोटे-छोटे क्रिस्टल जब आपस में मिलते हैं तो बर्फ बनते हैं

जब इन बफ का वजन ज्यादा होने लगता है तो यह धरती पर गिरने लगता है जैसे-जैसे यह बर्फ नीचे गिरने लगते हैं तापमान बढ़ता है और यह बर्फ पिघल कर छोटी-छोटी पानी की बूंदों का रूप ले लेती है जिसे हम बारिश कहते हैं।

वर्षा के रूप :- बारिश कई रूप में धरती पर गिरती है

  • जब यह पानी तरल रूप में गिरता है तो इसे बारिश कहते हैं।
  • जब पानी तरल रूप के बदले ठोस रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहते हैं।
  • बारिश के साथ जब बर्फ के टुकड़े गिरने लगते हैं तो उसे (Hailstones ) ओले का गिरना कहते हैं ।
  • साथ ही कई जगह पर सर्दियों में पानी की बहुत ही छोटे बूंदे भी गिरती है इसे हम ओस‌ (Dew) कहते हैं।

अलग-अलग कारणों से होती है बारिश

बारिश कभी भी एक साथ हर जगह नहीं होती और एक समान नहीं होती। धरती पर बहुत सी प्रक्रियाएं हैं जिसके कारण कई स्थानों पर बारिश होती है। इन प्रक्रियाओं में से सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानसून की प्रक्रिया को माना जाता है।

जिस वजह से एक ही इलाके में कुछ महीनों तक लगातार या फिर रुक-रुक कर बारिश होती है। कई बार बिना मौसम के भी बारिश हो जाती है जिसे स्थानीय वर्षा कहते हैं। कई बार समुद्री इलाकों में उठे चक्रवात के कारण भी आसपास के इलाकों में बारिश होती है।

किस जगह पर कब कैसे और कितनी बारिश होगी यह कई कारणों पर निर्भर करता है-समुद्र तल से दूरी, किसी इलाके में पेड़ पौधे की मात्रा, हवा के बहने का तरीका, पहाड़ों से दूरी ऐसे ही कई अन्य कारण और तत्व मिलकर यह तय करते हैं कि कौन से इलाके में कितनी बारिश होगी और कब होगी।

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सबसे ज्यादा बारिश कौन से महीने में होगी?

भारत में मानसून की अवधि चार महीने यानी 1जून से 30 सितम्बर मानी जाती है। यहां जुलाई व अगस्त महीने में सबसे ज्यादा वर्षा होती है। बारिश के दिनों में सिर में खुजली क्यों होती है?

बारिश के 4 महीने कौन कौन से हैं?

वर्षा का कारक वरुण नामक मेघ इस वर्ष आषाढ़ से आश्विन (जून से सितंबर) तक चार माह में 62 दिन बारिश होगी। इसकी वजह इस वर्ष 22 जून को सूर्य का जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश होगा, तब वरूण नाम का मेघ सक्रिय रहेगा, सूर्य चार माह में क्रमश: मिथुन, कर्क, सिंह व कन्या राशि में और रोहिणी का वास समुद्र में रहेगा।

भारत में सबसे अधिक वर्षा कौन से मानसून से होती है?

भारत में सर्वाधिक वर्षा किस कारण होती है? Notes: दक्षिण-पश्चिमी मानसून द्वारा भारत में काफी जुलाई-अगस्त-सितम्बर में काफी वर्षा होती है। इस दौरान थल पर तापमान अधिक होने के कारण दाब कम होता, और इसलिए हवाएं जल से थल के ओर चलती हैं, यह नाम वायु भारत में मानसून का कारण है।

सबसे ज्यादा वर्षा कहाँ होती है?

- भले ही सबसे ज्यादा बारिश के लिए चेरापूंजी का नाम लिया जाता हो, पर हकीकत में भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह है मेघालय का मासिनराम। - यहां चेरापूंजी से भी 100 मिलीमीटर ज्यादा बारिश होती है। इसी वजह से मासिनराम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है।