कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष कौन है? - kaibinet mishan ke adhyaksh kaun hai?

वर्ष 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्य- लार्ड पैथिक लारेंस (भारत सचिव), सर स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा ए.वी. अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) थे। इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिये गये थे तथा इसका कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिये, उपायों एवं संभावनाओं को तलाशना था।


कैबिनेट मिशन दिल्ली आया 24 मार्च 1946 कैबिनेट मिशन अपने प्रस्ताव को प्रस्तुत किया 16 मई 1946 कैबिनेट मिशन 1946 का उद्देश्य - 1. संविधान सभा का गठन करना यह- मुख्य उद्देश्य था 2. भारत का विभाजन यह- गौण उद्देश्य 3. संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होगा 4. संविधान सभा का एक सदस्य 10 लाख जनसंख्या पर चुना जाएगा 5. संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे इनमें से 296 सदस्य निर्वाचित होंगे और 93 में सदस्य मनोनीत होंगे जिसमें 14 सदस्य राजस्थान से सम्मिलित थे|

करना
  • देश के मुख्य दलों की मदद से कार्यकारी परिषद का गठन

मिशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों के बातचीत की। मिशन ने सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए हिंदु-मुस्लिम के बीच सत्ता साझेदारी की योजना बनाई। उधर, कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजों के चले जाने पर मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम जनता से स्वयं बातचीत कर उन्हें निर्णय लेने के लिए राजी करना चाहते थे। अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना भारत के साथ रहना चाहते थे लेकिन वह संविधान में मुसलमानों को विशेष राजनीतिक संरक्षण की गारंटी भी चाहते थे। मुस्लिम लीग ने तर्क दिया की अंग्रेजों के चले जाने के बाद भारत हिंदू राष्ट्र में बदल जाएगा। मुस्लिम लीग के इस तर्क का अंग्रेजों ने समर्थन किया। आरंभिक बातचीत के बाद मिशन ने 16 मई 1946 को नई सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा।संविधान सभा में 389 सीटें रखी गई। जिसमें से 292 ब्रिटिश प्रांत के प्रतिनिधि, 4 कमिश्नर एवं 93 देशी रियायतें थी।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

Four chief commissionerate state

1- Delhi

2- ajmer-marwad

3-kurg

4-british Baluchistan

Cabinet Mission Ke Adhyaksh Kaun The

GkExams on 12-05-2019

फरवरी 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्य- लार्ड पैथिक लारेंस (भारत सचिव), सर स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा ए.वी. अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) थे। इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिये गये थे तथा इसका कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिये, उपायों एवं संभावनाओं को तलाशना था।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Anita dangi on 23-09-2022

Kabina mishan kon ta

Krips on 03-09-2022

Kaibinet misan ke adhyaksh koun the

Ram on 27-06-2022

पैथिक लॉरेन्स

Md Raja on 22-04-2022

कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष कोन थे

Shweta Ganesh ghurde on 02-08-2021

केबिनेट मिशनचे अध्यक्ष कोण होते

ISTEFAR ANSARI on 10-09-2020

Kabinet misson k adhyakch kon the

आफताब आलम on 17-03-2020

कौबिनेट मिसन योजना के अध्यक्ष कौन थे

Md Sajjad on 22-01-2020

Cabinet mission yowzna ke adyagch kon the

Manoj kumar on 19-01-2020

कैबिनेट मिशन की अध्यक्षता किसने की थी

Ram on 22-11-2019

कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष पैथिक लॉरेंस

Rajeev Kumar on 16-11-2019

Cabinet Mission ke Adhyaksh kaun hai

रमेश कुमार on 25-10-2019

कैबिनेट मिशन योजना के अद्यक्ष कौन थे

Ravi on 05-10-2019

Kabinet mission yojna ke adhyaksh Kaun the

Priya on 12-05-2019

Bharat ke uch nyayadheesh kaon hai

Muskan on 05-02-2019

Cabinet mission yojna ke adhaykash kaun the? Plz give answer in one word... Please

Cabinet mission ke adhyapak kaun thae on 31-01-2019

Cabinet mission ke adhyapak kaun the

Prity on 25-12-2018

Kay tha cabinatemesion

Ratan Kumar on 12-12-2018

Kabinet mission yewojna ke adhyaksh kaun the

Nasreen jahan on 02-11-2018

Kaibinet mishan yewojna ke adheyaskh kaun the

Deepak Choudhury on 24-10-2018

Vartaman Mein Lok Sabha upadhyaksh kaun hai

Rahul sharma on 07-10-2018

Kabinet mission ka sadasya nhi h

Ravindra kumar on 24-09-2018

Sarvoch nyayalay ka adhyaksh kaun



दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में क्लीमेंट एटली के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ था। लेबर पार्टी की इस सरकार ने भारत की समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय संसदीय समिति का गठन किया था और इसे भारत भेजा था। इस समिति के तीन सदस्यों में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष सर स्टेफोर्ड क्रिप्स, सैन्य सदस्य ए. वी. अलेक्जेंडर और भारत सचिव लॉर्ड पैथिक लोरेंस शामिल थे। पैथिक लोरेंस को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। भारत आने वाली तीन सदस्यों की इस समिति को ही इतिहास में ‘कैबिनेट मिशन’ के नाम से जाना जाता है। यह मिशन मार्च 1946 में भारत पहुँचा था।

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कैबिनेट मिशन के कार्य

  • कैबिनेट मिशन भारत में संविधान निर्माण करने के तरीके पर विचार विमर्श करने के लिए आया था। यह ब्रिटिश भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और देशी रियासतों के साथ वार्तालाप करके एक ऐसी आम सहमति बनाना चाहता था, जिससे एक निर्विवाद संविधान सभा का गठन किया जा सके।
  • यह एक ऐसी कार्यकारिणी परिषद की स्थापना करना चाहता था जिसे भारत के लगभग सभी प्रमुख दलों का समर्थन प्राप्त हो।
  • समेकित रूप में कहा जाए तो कैबिनेट मिशन भारत को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरित करने के उपाय खोजना चाहता था तथा संविधान निर्माण करने की सर्वसम्मति निर्मित करना चाहता था।

शिमला में त्रिदलीय सम्मेलन

  • कैबिनेट मिशन में किसी समझौते का प्रयास करने के लिए वर्ष 1946 में शिमला में एक त्रिदलीय सम्मेलन बुलाया। इसमें तीन दल थे- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग और ब्रिटिश सरकार। इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल हुए थे, जबकि मुस्लिम लीग की तरफ से मोहम्मद अली जिन्ना, लियाकत अली खान और नवाब इस्माइल खान शामिल हुए थे। ब्रिटिश सरकार की ओर से भारत के वायसराय और मिशन के तीनों सदस्य शामिल हुए थे।
  • यह सम्मेलन 5 मई, 1946 से 11 मई, 1946 तक चला था। मुस्लिम लीग के अड़ियल रवैया के कारण इस सम्मेलन का कोई भी सर्व सम्मत समाधान नहीं निकल सका था। मुस्लिम लीग निरंतर पृथक पाकिस्तान की माँग पर अड़ी रही थी।
  • शिमला सम्मेलन में मुस्लिम लीग की अलग पाकिस्तान की माँग को न तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वीकार किया था और न ही सम्मेलन के ब्रिटिश सदस्यों ने स्वीकार किया था। इस सम्मेलन का कोई सर्व सम्मत समाधान न निकलने के बावजूद इस मिशन ने 16 मई, 1946 को अपने प्रस्तावों की घोषणा की थी।

कैबिनेट मिशन द्वारा घोषित प्रमुख प्रस्ताव

  • भारत एक संघ होगा और इसमें ब्रिटिश भारत के प्रांत तथा देशी राज्य, दोनों ही शामिल होंगे। इस संघ के अंतर्गत विदेशी मामले, रक्षा संबंधी मामले और संचार संबंधी मामले केंद्र सरकार के पास होंगे। संघीय विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषय तथा अवशिष्ट शक्तियाँ प्रांतों में निहित होंगी।
  • इसमें कहा गया कि प्रत्येक प्रांत की अपनी अलग कार्यपालिका और विधायिका होगी तथा उसे अपने संबंध में निर्णय करने का अधिकार होगा। इसके अलावा, केंद्रीय विधायिका में यदि सांप्रदायिक प्रश्नों पर निर्णय करने की बात आएगी, तो उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के सामान्य बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाएगा।
  • प्रत्येक प्रांत को यह अधिकार होगा कि वह संविधान लागू होने के 10 वर्षों के बाद अपनी विधानसभा में बहुमत के द्वारा प्रस्ताव पारित करके संविधान पर पुनर्विचार करवा सकेगा।
  • इसके अंतर्गत भारत में प्रांतों का विभाजन तीन समूहों में किया गया था, ये थे- समूह ‘क’; समूह ‘ख’; और समूह ‘ग’। समूह ‘क’ के अंतर्गत बिहार, संयुक्त प्रांत, मध्य प्रांत, उड़ीसा, बंबई और मद्रास जैसे हिंदू बहुसंख्यक प्रांत शामिल किए गए थे। समूह ‘ख’ के अंतर्गत पंजाब, सिंध और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत जैसे मुस्लिम बहुल प्रांत शामिल किए गए थे। समूह ‘ग’ के अंतर्गत बंगाल और असम नामक मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांत शामिल थे।
  • एक संविधान निर्मात्री सभा के गठन का प्रस्ताव भी कैबिनेट मिशन के अंतर्गत रखा गया था। यह सभा अंशतः अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदस्यों के द्वारा और अंशतः मनोनीत सदस्यों के द्वारा निर्मित की जानी थी। इसमें ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि प्रांतीय विधानसभाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित किए जाने तथा देशी रियासतों द्वारा अपने प्रतिनिधि मनोनीत किए जाने का प्रावधान किया गया था।
  • इसके अंतर्गत यह कहा गया था कि प्रत्येक प्रांत को उसकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधि भेजने होंगे। संविधान सभा में प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि भेजा जाएगा। यह निर्धारित किया गया किस संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे जिनमें से 292 सदस्य ब्रिटिश भारतीय प्रांतों से निर्वाचित होंगे, चार सदस्य मुख्य आयुक्तों के प्रांत से आएँगे और शेष 93 सदस्य देशी रियासतों द्वारा मनोनीत किये जाएँगे।
  • कैबिनेट मिशन के माध्यम से मुस्लिम लीग की पृथक पाकिस्तान की माँग को अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि इसके माध्यम से सांप्रदायिक अल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान करना संभव नहीं था। कैबिनेट मिशन के अनुसार, यदि भारत का विभाजन करके पाकिस्तान बना दिया जाता है, तो भी एक बड़ी गैर मुस्लिम जनसंख्या पाकिस्तान में रह जाएगी और एक बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में रह जाएगी। अतः समस्या जस की तस बनी रहेगी।

कैबिनेट मिशन योजना के परिणाम

  • जुलाई 1946 में संविधान सभा के गठन के लिए प्रांतीय विधान मंडलों में निर्वाचन हुआ। परिणाम स्वरूप कांग्रेस को ब्रिटिश भारत के प्रांतों में 296 में से 208 सीटें मिली। कांग्रेस की इस जीत को मुस्लिम लीग सहन नहीं कर सकी।
  • इसके बाद वायसराय ने अंतरिम सरकार के गठन का प्रस्ताव रखा। इसके अंतर्गत निर्धारित किया गया कि अंतरिम सरकार में कुल 14 सदस्य शामिल होंगे। इनमें से 6 सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से, 5 मुस्लिम लीग से और तीन सदस्य अन्य अल्पसंख्यकों की ओर से शामिल होंगे।
  • 12 अगस्त, 1946 को वायसराय ने जवाहर लाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इसके विरोध में मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त, 1946 को ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ की शुरुआत की। इसके आधार पर संपूर्ण भारत में भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए और बड़ी संख्या में लोग मारे गए। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 16 अगस्त को ‘भारतीय इतिहास का काला दिवस’ बताया था।

इस प्रकार, कैबिनेट मिशन योजना भी भारत की संवैधानिक समस्या का पूर्ण समाधान करने तथा भारत के सभी वर्गों में संतुलन साधने में सफल नहीं हो सकी थी।

सम्बंधित लिंक्स:

Indus Valley Civilization in Hindi

Quit India Movement in Hindi

Ayushman Bharat Diwas in Hindi

Calling Attention Motion in Hindi

IAS Interview Questions with Answers in Hindi

CSAT Book for UPSC in Hindi

भारत में कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष कौन थे?

अलेक्जेंडर और भारत सचिव लॉर्ड पैथिक लोरेंस शामिल थे। पैथिक लोरेंस को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। भारत आने वाली तीन सदस्यों की इस समिति को ही इतिहास में 'कैबिनेट मिशन' के नाम से जाना जाता है। यह मिशन मार्च 1946 में भारत पहुँचा था।

कैबिनेट मिशन क्या है इन हिंदी?

इस मिशन को विशिष्ट अधिकार दिये गये थे तथा इसका कार्य भारत को शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिये, उपायों एवं संभावनाओं को तलाशना था। मिशन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों के बातचीत की। मिशन ने सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए हिंदु-मुस्लिम के बीच सत्ता साझेदारी की योजना बनाई।

क्रिप्स मिशन भारत कब आया इस मिशन के अध्यक्ष कौन थे?

द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसी स्थिति में भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए मार्च 1942 में सर स्टैफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक मिशन भारत भेजा गया था। यह मिशन भारतीय राजव्यवस्था में कुछ संविधानिक सुधार करने के प्रस्ताव लेकर भारत आया था।

कैबिनेट मिशन भारत में कब आया था?

कैबिनेट मिशन एटली सरकार (ब्रिटिश प्रधान मंत्री) द्वारा भारत भेजा गया एक उच्चस्तरीय मिशन था जो मार्च 1946 में भारत आया था।