NCERT Solutions for Class 12 Humanities Hindi Chapter 11 घनानंद are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for घनानंद are extremely popular among Class 12 Humanities students for Hindi घनानंद Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 12 Humanities Hindi Chapter 11 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 12 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate. Show Page No 67:Question 1:कवि ने 'चाहत चलन ये संदेसो ले सुजान को' क्यों कहा है? Answer:इस पंक्ति में कवि की अपनी प्रेमिका से मिलने की व्यग्रता दिखाई देती है। वह रह-रहकर अपनी प्रेमिका से मिलने की प्रार्थना कर रहा है। परन्तु उसकी प्रार्थना तथा संताप का प्रेमिका पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। वे इस कारण दुखी हो जाते हैं। बस वे उससे मिलना चाहते हैं। उन्हें प्रतीत हो रहा है कि उनका अंत समय आ गया है। अतः वे कह उठते हैं कि बहुत लंबे समय से मैं तुम्हारे आने की प्रतीक्षा कर रहा हूँ परन्तु तुम्हारा कुछ पता नहीं है। तुमसे मिलने की आस में मेरे प्राण अटक रखे हैं। यदि एक बार तुम्हारा संदेश आ जाए, तो मैं उन्हें लेकर ही मृत्यु को प्राप्त हो जाऊँ। कवि इन पंक्तियों में अपने जीवन का आधार प्रेमिका का संदेश बताते हैं, जिसे पाने के लिए वे व्यग्र हैं। यदि एक बार उन्हें संदेशा मिल जाए, तो वह आराम से प्राण त्याग दे। Page No 67:Question 2:कवि मौन होकर प्रेमिका के कौन से प्रण पालन को देखना चाहता है? Answer:कवि के अनुसार उसकी प्रेमिका उसकी ओर से कठोर बनी हुई है। वह न उससे मिलने आती है और न उसे कोई संदेशा भेजती है। कवि कहता है कि वह मौन होकर देखना चाहता है कि उसकी प्रेमिका कब तक उसकी ओर कठोर रहती है। वह बार-बार उसे पुकार रहा है। उसकी पुकार को कब उसकी प्रेमिका अनसुना करती है, कवि यही देखना चाहता है। Page No 67:Question 3:कवि ने किस प्रकार की पुकार से 'कान खोलि है' की बात कही है? Answer:कान खोलि से कवि ने अपनी प्रेमिका के कानों को खोलने की बात कही है। कवि कहता है कि वह कब तक कानों में रुई डाले रहेगी। कब तक यह दिखाएगी कि वह बहरी बनी बैठी है। एक दिन ऐसा अवश्य आएगा कि मेरे हृदय की पुकार उसके कानों तक अवश्य पहुँचेगी। भाव यह है कि कवि को विश्वास है कि एक दिन उसकी प्रेमिका अवश्य उसके प्रति बैरुखा रवैया छोड़कर उसे अपना लेगी। कवि की करुण पुकार उसे अवश्य पिघला देगी। Page No 67:Question 4:प्रथम सवैये के आधार पर बताइए कि प्राण पहले कैसे पल रहे थे और अब क्यों दुखी हैं? Answer:प्रथम सवैये के अनुसार संयोगावस्था में होने के कारण प्रेयसी कवि के पास ही थी। अतः उसे देखकर ही वह सुख पाता था और जीवित था। इसी कारण उसे बहुत संतोष था। उसकी प्रेमिका उसके साथ थी परन्तु अब स्थिति इसके विपरीत है। प्रेमिका ने उसका साथ नहीं दिया और उसे छोड़ दिया है। यह वियोगवस्था है। प्रेमिका की अनुपस्थिति उसे व्याकुल बना रही है। उसके प्राण उससे मिलने के लिए व्याकुल हुए जा रहे हैं। इस कारण वह दुख में है तथा कुछ भी सुहाता नहीं है। Page No 67:Question 5:घनानंद की रचनाओं की भाषिक विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए। Answer:घनानंद की रचनाओं की भाषिक विशेषताएँ हैं: Page No 68:Question 6:निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कीजिए। Answer:(क) प्रस्तुत
पंक्ति में 'कहि' 'कहि', 'गहि' 'गहि' तथा 'दैं' 'दैं' शब्दों की उसी रूप में दोबारा आवृत्ति पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की ओर संकेत करती है। इस पंक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की छटा बिखरी हुई है। Page No 68:Question 7:निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए- Answer:(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे/खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि तुम्हारे इंतज़ार में बहुत दिन का समय इसी आस में व्यतीत हो गया कि तुम आओगी। मेरे प्राण अब तो निकल जाने को व्यग्र हैं। अर्थात निकलने वाले हैं। भाव यह है कि कवि इस आस में था कि उसकी प्रेमिका अवश्य आएगी परन्तु वह नहीं आयी। अब उसके जीवन के कुछ ही दिन शेष बचे हैं और वह उसे अपने अंतिम दिनों में देखना चाहता है। (ख) मौन हू सौं देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू/कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।– कवि कहते हैं कि वह चुप है और देखना चाहता है कि कब तक उसकी प्रेमिका अपने प्रण का पालन करती है। कवि कहते है कि मेरी कूकभरी चुप्पी तुम्हें बोलने पर विवश कर देगी। भाव यह है कि कवि की प्रेमिका उससे बोल नहीं रही है। कवि कहता है कि वह भी चुप रहकर उसे स्वयं ही बोलने पर विवश कर देगा। (ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।– प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि संयोगावस्था में होने के कारण प्रेयसी कवि के पास ही थी। अतः उसे देखकर ही वह सुख पाता था और उसके रूप को देखकर आनंद से भर जाता था। यही उसके जीने का कारण भी था। परन्तु अब वियोग की अवस्था है। उसके नेत्र पुरानी स्थिति के बारे में सोच-सोचकर जलने लगते हैं। अर्थात कवि के नयनों में अब भी अपनी प्रेयसी से मिलन की आस बंधी हुई है। (घ) सो घनआनंद जान अजान लौं टूक कियौ पर वाँचि न देख्यौ।– प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि घनानंद ने अपने हृदय का दुख एक पत्र में लिखा था और सुजान के पास भेजा था। सुजान ने सब जानते हुए भी उस पत्र को बिना पढ़े ही टुकड़ों-टुकड़ों में फाड़ दिया। उसके इस तरह के व्यवहार ने कवि के हृदय को आहत किया। उसने एक बार भी उस पत्र को खोलकर नहीं देखा। कवि कहते हैं वह मेरी भावनाओं को समझती नहीं है। (ङ) तब हार पहार से लागत हे, अब बीच में आन पहार परे।– प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि जब कवि प्रेयसी के साथ रहता था, तो उसे प्रेमिका के बाहों का हार अपने शरीर पर पहाड़ के समान लगता था। परन्तु वह कहता है कि आज की स्थिति भिन्न है और हम दोनों अलग-अलग हैं तथा हम दोनों के मध्य में पहाड़ के रूप में वियोग विद्यमान है। भाव यह है कि वियोग के कारण दोनों एक-दूसरे से बहुत दूर हो गए हैं। Page No 68:Question 8:संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए- Answer:(क) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ अंतरा भाग-2 नामक पुस्तक में संकलित कवित्त से ली गई हैं। इसके रचयिता रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि घनानंद है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेमिका से वियोग के कारण अपनी दुःखद स्थिति का वर्णन करता है। वह प्रेमिका से मिलने की आस लगाए बैठा है परन्तु प्रेमिका उसकी ओर से विमुख बनी बैठी है। (ख) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ अंतरा भाग-2
नामक पुस्तक में संकलित कवित्त से ली गई हैं। इसके रचयिता रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि घनानंद है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेमिका के वियोग के कारण अपनी दुःखद स्थिति का वर्णन करता है। वह प्रेमिका के निष्ठुर व्यवहार से दुखी है और कहता है कि तुम इस प्रकार का व्यवहार मेरी ओर से कब तक रखोगी। मैं तुम्हें इसे छोड़ने पर विवश कर दूँगा। (ग) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ अंतरा भाग-2 नामक पुस्तक में संकलित कवित्त से ली गई हैं। इसके रचयिता रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि
घनानंद है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि संयोग तथा वियोग अवस्थाओं का आपस में तुलनात्मक अध्ययन कर रहा है। (घ) प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ अंतरा भाग-2 नामक पुस्तक में संकलित कवित्त से ली गई हैं। इसके रचयिता रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि घनानंद है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेयसी के निष्ठुर हृदय का वर्णन कर रहा है। वह कवि के प्रेम को जानते हुए भी निष्ठुर बन
गई है और उसे छोड़कर चली गई है। Page No 68:Question 1:निम्नलिखित कवियों के
तीन-तीन कवित्त और सवैया एकत्रित कर याद कीजिए- Answer:यह कार्य विद्यार्थी स्वयं कीजिए। Page No 68:Question 2:पठित अंश में से अनुप्रास अलंकार की पहचान कर एक सूची तैयार कीजिए। Answer:अनुप्रास अलंकार की सूची इस प्रकार है- View NCERT Solutions for all chapters of Class 16 और देने की चाहत कवि को क्यों है?उत्तर– कुछ और देने की चाहत कवि को इसलिए है क्योंकि कवि मातृभूमि के सामने स्वयं तो तुच्छ मानते हैं और भारत माता के चरणों में अपने प्राणों के अतिरिक्त कोई प्रिय चीज शेष रह गया हो तो उसको भी मातृभूमि पर न्यौछावर करना चाहता है। प्रश्न 4.
कभी स्वयं को अकिंचन क्यों कह रहे हैं?कवि - मन में हर पल राष्ट्र के लिए कुछ और भी अर्पित करने की उत्कट चाहत हैं। स्वयं को अकिंचन मानते हुए भी कवि अपने हर भाव, चाहत और अपनी हर चेष्टा को राष्ट्र माता के चरणों में समर्पित करने को कृत संकल्पित हैं और देशवासियों को भी प्रेरित करते हैं । आज सीधे हाथ में तलवार दे दो, और बायें हाथ में ध्वज को थमा दो।
कभी अपनी मातृभूमि को अपना सब कुछ समर्पित क्यों करना चाहता है?Explanation: उत्तर कविता में कवि अपनी मातृभूमि पर अपना तन - मन और जीवन न्योछावर करना चाहता है क्योंकि इस मातृभूमि का कवि पर बहुत कर्ज है वह इस कर्ज को उतारने के लिए मन, प्राण, रक्त की एक - एक बूंद समर्पित करना चाहता है ।
कवि देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर क्यों करना चाहते?कवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। ... कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है। इसलिए वह इन सभी से क्षमा याचना करता है।
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