कुंई बनाने का काम क्या कहलाता है? - kunee banaane ka kaam kya kahalaata hai?

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओ की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?
  • 2 रेजाणी पानी की क्या विशेषता है?
  • 3 राजस्र्ान की कुं ई क्यों बनाई जाती हैं कुं ई सेजल लेनेकी प्रद्विया बताइए?
  • 4 राजस्थान में चेजारो कुंई का निर्माण करते हैं तो उसके निर्माण में राजस्थान के लोग किसका इस्तेमाल नहीं करते?
  • 5 कुंई से पानी कैसे निकाला जाता है?
  • 6 कुंई पानी कैसे निकाला जाता है?
  • 7 राजस्थान में जल प्राप्त करने के लिए कुंई का निर्माण सामाजिक सम्बन्ध बनाती है कैसे?
  • 8 दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपको कैसे मदद करता है?
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    राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओ की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

    इसे सुनेंरोकेंइस नमी को पानी के रूप में बदलने के लिए चार-पाँच हाथ के व्यास की जगह को तीस से साथ हाथ की गहराई तक खोदा जाता है। खुदाई के साथ चिनाई भी की जाती है। इस चिनाई के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस-रिस कर पानी एकत्र हो जाता है। इसी तंग गहरी जगह को कुंई कहा जाता है।

    रेजाणी पानी की क्या विशेषता है?

    इसे सुनेंरोकेंरेजाणीपानी- धरातल से नीचे उतरा, लेकिन पाताल में न मिलने वाला पानी रेजाणीपानी कहलाता है। वर्षा-जल को मापने के लिए ‘रेजा’ शब्द का उपयोग होता है और रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है। निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है।

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    राजस्र्ान की कुं ई क्यों बनाई जाती हैं कुं ई सेजल लेनेकी प्रद्विया बताइए?

    इसे सुनेंरोकें➲ कुईं का संबंध राजस्थान से है। कुईं का व्यास छोटा इसलिये रखा जाता है, ताकि कम मात्रा का पानी ज्यादा फैल नहीं और ऊपर आसानी से निकल जाए। राजस्थान में कुईं का प्रचलन बहुत अधिक रहा है। कुईं राजस्थान जैसे कुछ क्षेत्रों में ही प्रचलित है जहाँ पानी की कमी होती है। भूजल का स्तर भी बेहद कम होता है।

    मरुभूमि में कुंई के निर्माण का कार्य कौन करते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंउत्तर – मरुभूमि में कुंई के निर्माण का कार्य चेलवांजी यानी चेजार करते हैं। वे खुदाई व विशेष तरह की चिनाई करने में दक्ष होते हैं। कुंई बनाना एक विशिष्ट कला है। चार-पाँच हाथ के व्यास की कुंई को तीस से साठ-पैंसठ हाथ की गहराई तक उतारने वाले चेजारो कुशलता व सावधानी के साथ पूरी ऊँचाई नापते हैं।

    चेजारों के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तलना ु में आज क्या फर्क आया है पाठ केआधार पर बताइए?

    इसे सुनेंरोकेंपाठ के आधार पर बताइए। कुंई खोदने का काम करने वाले चेजारे कहलाते हैं। कुंई बन जाने पर चेजारों का भरपूर सम्मान किया जाता था। इस अवसर पर उत्सव मनाने की परंपरा गाँव-समाज में रही है।

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    राजस्थान में चेजारो कुंई का निर्माण करते हैं तो उसके निर्माण में राजस्थान के लोग किसका इस्तेमाल नहीं करते?

    इसे सुनेंरोकेंरेत के नीचे सब जगह खड़िया की पट्टी नहीं है। इसलिए कुंई भी सारे राजस्थान में नहीं मिलतीं। चुरू, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर के कई क्षेत्रों में यह पट्टी चलती है और इसी कारण वहाँ गाँव-गाँव में कुंइयाँ हैं।

    कुंई से पानी कैसे निकाला जाता है?

    इसे सुनेंरोकेंअतः पेय जल आपूर्ति और भोजन बनाने के लिए कुंई के पानी का प्रयोग किया जाता है। इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए राजस्थान में कुंई बनाई जाती जब कुंई तैयार हो जाती है तो रेत में से रिस-रिसकर जल की बूंदें कुंई में टपकने लगती हैं और कुंई में जल इकट्ठा होने लगता है। इस जल को निकालने के लिए गुलेल की आकृति की लकड़ी लगाई जाती है।

    कुंई पानी कैसे निकाला जाता है?

    इसे सुनेंरोकेंछोटे व्यास की कुंई में पानी दो-चार हाथ की ऊँचाई ले लेता है। पानी निकालने के लिए छोटी चड़स का उपयोग किया जाता है। दूसरे, छोटे मुँह को ढकना सरल है। तीसरे, बड़े मुँह से पानी के भाप बनकर उड़ने की संभावना अधिक होती है।

    राजस्थान में कोई कैसे बनती है?

    इसे सुनेंरोकेंलेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि जब कुंई गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन पर बनती है तब उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष भर की नमी की तरह सुरक्षित रहता है और इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। नमी की मात्रा तो वहाँ हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है।

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    कुंई का निर्माण कौन करता है?

    इसे सुनेंरोकेंयह सब कार्य एक कुशल कारीगर चेलवांजी या चेजारो द्वारा किया जाता है। ये पीढ़ियों के अनुभव से अपने काम में माहिर होते हैं। समाज में इनका मान होता है। कुंई में खड़िया पट्टी पर रेत के नीचे इकट्ठा हुआ जल बूंद-बूंद करके रिस-रिसकर एकत्र होता जाता है।

    राजस्थान में जल प्राप्त करने के लिए कुंई का निर्माण सामाजिक सम्बन्ध बनाती है कैसे?

    इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में कुंई केवल जल आपूर्ति ही नहीं करतीं, सामाजिक संबंध भी बनाती हैं, कैसे? । उत्तर: कुंई जनसंपर्क स्थापित करने का काम करती हैं। कुंई की खुदाई करनेवाला चेलवांजी (चेजारो) तो जिस परिवार के लिए कुंई बनाता है उसका माननीय सदस्य बन जाता है, क्योंकि रेतीले मरुस्थल में जल सबसे कीमती अमृत माना जाता है।

    दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपको कैसे मदद करता है?

    इसे सुनेंरोकेंदिनोदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ हमारी बहुत प्रकार से सहायता कर सकता है। इससे हमें पता चलता है कि प्रकृति ने पानी की रक्षा के लिए बहुत से उपाय किए हुए हैं। हमें आवश्यकता उन्हें जाने और समझने की है। अतः हमें प्रकृति के संसाधनों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।

    कुंई की खुदाई करने वाले को क्या कहते है?

    Explanation: चेलवांजी अर्थात् चेजारो वह व्यक्ति है जो रेगिस्तानी इलाकों में कुंई खोदने के कार्य में कुशल होता है। इन क्षेत्रों में कुंई खोदना एक विशेष प्रक्रिया है। इसमें छोटे से व्यास की तीस से साठ हाथ तक खुदाई और उसके साथ-साथ चिनाई करनी पड़ती है।

    कुएं की खुदाई और चिनाई का काम क्या कहलाता है?

    चेलवांजी यानी चेजारो, कुंई की खुदाई और एक विशेष तरह की चिनाई करने वाले दक्षतम लोग। यह काम चेजा कहलाता है

    कुंई का निर्माण कैसे होता है?

    कुंई का निर्माण ग्राम-समाज की सार्वजनिक जमीन पर होता है, परंतु उसे बनाने और उससे पानी लेने का हक उसका अपना हक है। सार्वजनिक जमीन पर बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष-भर नमी की तरह सुरक्षित रहता है। इसी नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरता है। नमी की मात्रा वहाँ हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है

    राजस्थान में कुंई खोदने वाला क्या कहलाता है?

    कुंई खोदने का काम करने वाले चेजारे कहलाते हैं। कुंई बन जाने पर चेजारों का भरपूर सम्मान किया जाता था। इस अवसर पर उत्सव मनाने की परंपरा गाँव-समाज में रही है। तब एक विशेष उत्सव का आयोजन होता था।