कौन सा दर्पण सदैव सीधा प्रतिबिंब बनता है? - kaun sa darpan sadaiv seedha pratibimb banata hai?

हेलो दोस्त हमारे पास अभी जो प्रश्न भैया कहता कि सदैव आप आधी हकीकत आधा आकार में वस्तु से छोटा प्रतिबंध प्राप्त करने के लिए कौन सा दर्पण प्रयोग मेरा करना चाहिए आप पर्सनल के दूसरा भाग यह कह रहा है दोस्तों की एक दर्पण वस्तु के साथ सीधा आकार में छोटा प्रतिदिन बनाता है यह किस प्रकार का दर्पण है प्रतिदिन वास्तविक और आभासी यह बताना दोस्तों दर्पण दो प्रकार के होते हैं उत्तर का परावर्तक पृष्ठ बाहर क्यों उतरा हुआ होता है अब तो दूसरा होता है अवतल अवतल दर्पण में परिवर्तन अंदर की ओर अंदर क्यों धोखा होता है बस तू उसके पीछे है तो उसे कहीं भी है तो उसका जो प्रतिदिन बनेगा वह आवाज वास्तविक बनेगा

तथा उल्टा बनेगा जब मुझे वस्तु के सापेक्ष सीधा प्रतिनिधि बनाना होगा तो वस्तु को दर्पण की फोकस तथा प्रकाशिक केंद्र से के बीच में रखना पड़ेगा किधर से पृथ्वी बनेगा तो वह बड़ा बनेगा सबसे बड़ा बनेगा अब प्रश्न लिखा है कि तुझे आभासी की दशा आकार वस्तु वस्तुनिष्ठ प्रश्न बनाने के लिए कौन सा दर्पण प्रयोग नहीं चाहिए तो हम दूसरे दर्पण उत्तल दर्पण द्वारा जो वस्तु का प्रतिबिंब बनता दोस्तों को सदैव आभासी सीधा सा वस्तु से छोटा बनता है तो पोस्ट में लिखा सदैव

आभासी सीधा तथा कार को सबसे छोटा पति बात करने के कौन तर्पण उपयोग करना चाहिए उत्तल दर्पण का उपयोग करना चाहिए तो पहले बात होता है हर प्रश्न दूसरा क्या-क्या एक दर्पण वस्तु के साथ ही सीधा आकार में छोटा प्रतिबिंब बनाता है तो वह दर्पण उत्तल दर्पण क्योंकि यही सीधा तथा आकार में छोटा दर्पण का प्रतिबिंब बनाता है यह किस प्रकार का दर्पण उत्तल दर्पण इस कबूतर उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब वास्तव की आबादी तो प्रतिदिन जो बनेगा दोस्तों वह आभासी बनेगा इसका आकार में छोटे प्रतिनिधि को प्राप्त करने के लिए सदैव उत्तल दर्पण का उपयोग करना चाहिए अगर 153 वस्तु के साथ ही सीधा व आकार में छोटा प्रतिदिन बनाता है उत्तर प्रकार का दर्पण है तथा प्रतिदिन भी होता है धन्यवाद

इनमें से कौन सा दर्पण वस्तु से छोटा वह आभासी प्रतिबिंब बनाता है अथवा किस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव वस्तु से छोटा सीधा व काल्पनिक बनता है ठीक है यहां पर हमको दो प्रश्न दिया वह विकल्प देखते हैं कौन-कौन सत्य है तो विकल्प हमको दिया पहला की समतल दर्पण और हमको दूसरा दिया उत्तल दर्पण तीसरा विकल्पों को दिया अवतल दर्पण चौथा विकल्प हमको दिया हुआ है इनमें से कोई भी नहीं तो प्रश्न अनुसार हमने हर पर दो प्रकार के गोली दर्पण का निर्माण कर लिया तो उसको किरण आरेख बनाने के लिए और किरण आरेख बनाकर हम जांच करेंगे कि किस में वस्तु आभासी उल्टा सीधा छोटा जो भी है प्रश्न में कहा गया है वह बनता है ठीक है तू जैसे कि ऊपर वाला देख सकते हैं उसे परावर्तक सतह क्या उभरा हुआ है तो वह उत्तल दर्पण है और नीचे वाला क्या है अवतल दर्पण क्योंकि इसमें जो परावर्तक सतह आप देख रहे हैं मतलब जिस में प्रकाश की ने आती है तथा आने के पश्चात क्या हो जाती है परावर्तित हो जाती है वह उभरा हुआ नहीं है वह क्या है अंदर दबा हुआ है ठीक है तो इसको बोलते हैं हम अवतल दर्पण

एक तो यह उत्तर है यह होटल यह तो साफ है ठीक है क्योंकि परावर्तक सतह बुरा हुआ है तो यह उत्तल है ठीक अब किरण आरेख समझने के लिए हमको यहां पर एक वस्तु बनानी पड़ेगी जिसके लिए हम प्रतिबिंब का निर्माण करेंगे तो यहां पर एक वस्तु हम रख देते ठीक है यहां पर रख दिया बस तू ठीक है दोस्तों अब वस्तु पर रख दिया उसके पश्चात किरण आरेख बनाएंगे तो यहां से प्रकाश कितने जो निकलेगी हम चाहते दो प्रकार की प्रकाश के निकलती है एक जाती है समांतर और समांतर किसके दोस्तों इस दर्पण के तल के ध्रुव दल के ठीक है रूतर मैंने काले रंग से या पर दर्शाया हुआ देख सकते हैं इसके समांतर जाते हैं और समांतर जाने के पश्चात यहां पर जिस तरह पर्यटक राती है उस सतह से परावर्तित हो जाती है ठीक है तो उससे तो से परावर्तित हो जाएगी कुछ इस तरीके से देख सकते हो उसको ठीक है दोस्तों अब उसके पश्चात क्या करेंगे एक प्रकाश किरण और निकालेंगे हम जानते हैं यह प्रकाश किरण कहां जाती है यह सीधे जाती है वक्रता त्रिज्या करो

कृतकृत्य क्या होता है जो दर्पण है ठीक है दर्पण पर ध्यान दीजिए यह दर्पण को अगर मैं गोल बनाऊं पूरी तरीके से तो जिस तरह पर त्रिज्या होगा उसको बोलते हैं वक्रता त्रिज्या तो कुछ वहां पर जाती है लेकिन पूरी तरीके से जा नहीं पाते दोस्तों क्यों क्योंकि यहां पर परावर्तक सतह आ जाता है और परावर्तक सतह आने के पश्चात क्यों जाते हैं प्रकाश सिंह ने यहीं पर जाती है और यहीं से परावर्तित होकर जहां से आई थी मतलब जिस जगह से प्रकाश कितने निकली थी वहीं पर वापस परिवर्तित हो जाती ठीक है अब यह दोनों आपस में तो मिलेगी नहीं क्योंकि इसको हम आगे बढ़ाएं तू यह कुछ इस तरीके से जा रही है और इसको हम जितना भी आगे बढ़ा लें इस तरीके से जारी तो यह दोनों एक दूसरे से दूर जा रही है और दूर जाती कितने आपस में कभी नहीं टकराती टकरा सकती है कब जब हम तीनों को पीछे की ओर खींचें लेकिन दोस्तों वास्तविकता में दूर जा रही है हम इसको पीछे खींच रहे तो यह आभासी प्रतिबिंब बनाएगी ठीक है अगर टकराई दो क्योंकि यह वास्तव में नहीं मिल रही यह सिर को पीछे खींचने पर मेरे तो अगर हम

इसको पीछे खींचे ठीक तो कुछ इस तरीके से देख सकते हैं पीछे खींचने पर और इस तरीके से देखेंगे अगर तू यह दोनों एक दूसरे को किसी बिंदु पर काटे गी तो वह बिंदु कौन सा होगा वहीं कटान बिंदु होगा जहां पर प्रतिबिंब का निर्माण होगा ठीक है दोस्तों वह कटान भी तो हम को प्राप्त हो गया है आइए देखते हैं कहां पर है वह कटान में तू यहां पर ठीक तो यहां पर प्रतिबिंब का निर्माण होगा कुछ इस तरीके से वस्तु के प्रतिबिंब का निर्माण ठीक है तुझे हो गया प्रतिबिंब यह वस्तु और यह उसका प्रतिबिंब ठीक हम देख रहे हैं कि इसमें क्या पर प्रतिदिन बढ़ रहा है यहां पर सीधा ठीक सदैव सीधा बनेगा तो उल्टा कभी नहीं बनेगा उत्तल दर्पण की बात करें तो क्यों क्योंकि उल्टा बनने के लिए हम को क्या चाहिए कि जो दोनों कितने हैं वह आपस में एक दूसरे को स्थल के नीचे काटे जोकि संभव नहीं है बल्कि ऊपर ही काटेगा ठीक है कितना भी दूर है कितना भी पास रख ले आप चित्र में आकर देख सकते मेरे ही तरीके से ठीक हमेशा सदैव सीधा बनेगा ठीक है तो इस तरीके से हम बता सकते कि उत्तल दर्पण में सदैव सीधा बनेगा

विकल्प में देखते हैं यहां पर बोला है कि सीधा व काल्पनिक बनता है ठीक तो कॉल पर ही तो यह भी भरना है क्यों क्योंकि यह आभासी है आभासी को हम बोलते हैं काल्पनिक क्योंकि वास्तव में प्रकाश कितने नहीं काट रही प्रकाश कितने अंदर में वास्तव में नहीं काटे क्योंकि प्रकाश की ने एक दूसरे को टच ही नहीं कर रही है चेक कि एक दूसरे से दूर जा रही है अगर पीछे की तरफ मिलाए तो काट ले तो पीछे की तरफ क्या है काल्पनिक है ठीक है तो काल्पनिक है छोटा है और सीधा भी है ठीक है आकार में सदैव छोटा बनेगा ठीक है दोस्त उत्तल दर्पण से तो यह हमारा दूसरा वाला प्रश्न का उत्तर लग रहा है किस दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव वस्तु से छोटा-छोटा भर रहा है सीधा बिल्कुल सीधा भर रहा है और काल्पनिक हां बिल्कुल आभासी है ठीक तो इसके लिए उत्तर क्या हो जाएगा हमारा उत्तल दर्पण ठीक है अब पहले प्रश्न की ओर चल पड़ते पहले प्रश्न में क्या खुला है वस्तु से छोटा छोटा तो भर रहा है वह आभासी प्रतिबिंब आभासी भी बढ़ रहा है यह इसका भी उत्तर हो सकता है ठीक है दोस्तों उत्तल दर्पण

हमारा उत्तर है ठीक है क्योंकि यह प्रश्न दोनों क्या था या तो यह अथवा यह ठीक तो दोनों प्रश्नों का उत्तर हमारा है उत्तल दर्पण ठीक अब चलिए हम अवतल दर्पण के लिए भी देख लेते हैं तो जैसे हमने उत्तल दर्पण में एक वस्तु बनाई थी अवतल दर्पण में भी बना लेते निर्माण कर लेते ठीक है और जैसा हमने उत्तल दर्पण में दो प्रकार की प्रकाश की ने निकाली थी यहां पर भी निकालेंगे लेकिन यहां पर क्या था उत्तल दर्पण की ओर देखे तो यहां कहीं पर था हमारा वक्रता केंद्र और अवतल दर्पण पर देखे तो वक्रता केंद्र कहां पर है कि दोस्तों करीब यहां पर ठीक है तुझे वक्रता केंद्र हो गई अब यहां से जैसे कि पहले भी बताया था कि दो प्रकार की प्रकाश के निकलती है तो कल के दिन के समांतर रहती थी कि तू पहले वही प्रकाश किरण बना देते यह समांतर हो गई अब वह उभरा हुआ था सता तो ऊपर जा रहा था लेकिन यह बुरा हुआ नहीं है तो प्रकाश की ने कहा पर जाएगी दोस्तों यह फोकस पर आएगी ठीक और फोकस बिंदु कहां पर होता है हम जाते हैं कि एक

बना लेते अच्छे से यह फोकस जो होता है वह वक्रता केंद्र की आधी दूरी पर होता है किसी भी लेंस के लिए ठीक है दर्पण के लिए तो दोस्तों यह हमारा दूरी अगर देखे यहां से दर्पण के मुख्य दल से दर्पण के ध्रुव से बोलना चाहिए ध्रुव है तो दुरु से दूरी देखे तो यह है दूरी सी ठीक और यह फोकस बिंदु ऐप ऐप की दूरी क्या होती है वक्रता केंद्र के आधी होती ठीक है तो इसके दूरी की आधी मतलब अगर यहां कहीं पर बनाओ तो यहां पर बनेगा मेरा एक कमान मतलब फोकस दूरी तो बस वही पर आएगी टकराकर क्योंकि हम जानते हैं कि किसी गोली दर्पण पर अगर प्रकाश कितने आओ प्रतीत होती है तो वह सीधे फोकस बिंदु पर जाकर टकराती है ठीक है अब उसके पश्चात क्या करेंगे दोस्तों इस पर जो एक प्रकाश किरण निकलेगी वह प्रकाश किरण कहां से जाएगी इस वक्रता केंद्र से होते हुए जाएगी ठीक है जैसे कि यहां पर भी बनाता है वक्रता केंद्र की ओर चल पड़ी थी बिल्कुल उसी तरीके से ठीक तो बना देते

वक्रता केंद्र पड़ जाएगी तो बीच में तो घर पर नहीं आ रहे वहां तो आया था तो दर्पण नहीं आ रहा है आगे तो आएगा तो चलिए आगे बढ़ा देते आगे कुछ इस जगह पर दर्पण आएगा दोस्तों जहां से यह टकराकर वापस अपने जहां से आई थी वहां चली जाएगी ठीक है मतलब वस्तु के पास चली जाएगी ठीक अब दोस्तों यह दोनों एक दूसरे को तो अभी तक काटे नहीं तो कब काटेंगे चलिए देखते इसको भी हम बढ़ाएंगे जैसे बढ़ाए थे यह प्रकाश किरण मैंने बढ़ाया नहीं था चलिए बढ़ा देते इसको आगे तो कुछ इस तरीके से बढ़ेगा कहां यहां से कुछ इस तरीके से ठीक है दोस्तों अब बड़ा तो दिया देखते कहां पर काट रहा है यहां हिंदू पर काट रहे ठीक उस बिंदु को मैं घेरा लगा देता हूं तू इस बिंदु पर काट रहे हैं और इस बिंदु पर मैं कल से एक रेखा का निर्माण करो तो कुछ इस तरीके से बना सकते हैं रेखा चलिए बना देते कुछ इस तरीके से रेखा यहां पर निर्माण कर देते हैं ठीक है और यह हो जाएगा प्रतिबिंब वस्तु का तो वस्तु का प्रतिबिंब कैसा है देख सकते कि छोटा है और क्या है यह उल्टा है ठीक है

तो छोटा तो है लेकिन उल्टा है तो सीधा बनता है नहीं यहां पर जो है हमारा अवतल दर्पण वह गलत हो गया तो अवतल दर्पण गलत हो गया उत्तल दर्पण अभी सही है और इनमें से कोई भी नहीं गलत हो जाएगा क्योंकि अवतल दर्पण हमारा हो चुका है अब बचा है समतल दर्पण तो समतल दर्पण की बात करें तो उसको भी बना कर देख लेते हैं यहां पर मैंने बना लिया है तो उसको समतल दर्पण और बना देते हैं समतल दर्पण की इस जगह पर एक वस्तु ठीक है यह वस्तु मैंने बना दिया लाल पेन से अब उसके पश्चात वस्तु से दो प्रकार की प्रकाश कितने निकलती है हर बार ठीक एक जाएगी सीधे समांतर स्थल के मतलब किस दर्पण के युद्ध स्थल है उसके समांतर ठीक अब समांतर जाने के पश्चात यह परावर्तित होगी लेकिन यह तो समतल दर्पण है तो समतल दर्पण में क्या होगा जिस कौन पर अपडेट होगी उसी को ऑन पर परावर्तित होगी और यह समांतर आई है इस दल के हड़ताल के लंबवत है यह दर्पण तो यह किरण आरेख बोतल के सामान ताकि वह भी दर्पण के लंबवत होगी तो

लंबवत लंबवत वापस परिवर्तित हो जाएगी ठीक है और उसके पश्चात अगर हम देखे यहां पर एक होती जो वक्रता केंद्र से होकर जाती है तो दोस्तों उस प्रकाश किरण को हम किस तरीके से बना सकते अगर हम वक्रता केंद्र की ओर देखे तो यहां पर कहीं भी वक्रता केंद्र नहीं मिलेगा क्योंकि समतल दर्पण का कोई वक्रता केंद्र नहीं होता तो वह भी प्रकाश किरण यहां पर सीधे ही जाएगी ठीक है और दोनों प्रकाश की ने एक दूसरे को देखे तो वक्रता केंद्र की खोज में निकल पड़े हैं यह वक्रता केंद्र इसका है ही नहीं या फिर कहना चाहिए अनंत पर रहता है वक्रता केंद्र ठीक है तो प्रकाश कितने अनंत पर कटेगी को कितने समांतर हो जाएगी ठीक अगर आगे मिलाकर देखे उसको तो वह समांतर की ने अनंत पर कांटे की थी तो दोस्तों इस तरीके से हम क्या बता सकते हैं इस तरीके से अगर हम प्रतिबिंब का निर्माण करना चाहे तो कुछ इस तरीके से निर्माण कर सकते कि एक प्रकाश किरण जाएगी सीधे ध्रुव पर और गुरु से परावर्तित हो जाएगी ठीक है अब दूर से परावर्तित होगी तो एक दूसरे को काटेगा

लेकिन अगर हम पीछे इसको मिला है तो कुछ इस तरीके से मिला सकते हैं ध्यान रखिए यहां पर मैंने वक्रता केंद्र से नहीं दुर्ग से बात की है ठीक है तो हम इसको सिर्फ प्रतिबिंब बनाने के नाम से कर रहे हैं ऐसा ठीक है दोस्तों तू जहां पर कटेगी प्रतिदिन वहीं पर बनेगा और देख रहे कि प्रतिदिन जो है वह वस्तु के समांतर भर रहे हैं मतलब वस्तु के सामान भर रहती है आकार भी सामान है सीधा है जैसा वस्तु है उसी तरीके से है ठीक है दोस्तों इस तरीके से हम वस्तु क्या देख रहे कि सीधा बोल रहा है अब वस्तु आकार में भी सामान भर रहा है तो इनमें से समतल दर्पण भी क्या हो जाएगा हमारा गलत विकल्प हो जाएगा सही विकल्प हो जाएगा हमारा उत्तल दर्पण ठीक है दिया क्या प्रश्न के लिए विकल्प नंबर भी सही विकल्प है धन्यवाद

सीधा प्रतिबिंब कौन सा दर्पण बनाता है?

Solution : उत्तल दर्पण (आभासी प्रतिबिम्य)।

कौन कौन से दर्पण में आपका सीधा प्रतिबिंब बना सकता है नाम लिखिए?

Question
Chapter Name
प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन
Subject
Biology (more Questions)
Class
10th
Type of Answer
Video & Image
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।www.doubtnut.com › qa-hindinull

अवतल दर्पण में प्रतिबिंब कैसे बनता है?

यह प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार के बराबर उल्टा तथा वास्तविक होता है तथा यह वक्रता केंद्र पर ही बनता है। यदि वस्तु को वक्रता केंद्र तथा फोकस के मध्य रखा जाता है तब वस्तु AB के B बिंदु से चलने वाली प्रथम प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर होती है अत: यह परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से गुजरती है।

छोटा प्रतिबिंब कौन सा लेंस बनाता है?

उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब आभासी तथा सीधे हैं। अतः, इसकी फ़ोकस दूरी सीधे ही ज्ञात नहीं की जा सकती । तथापि, बिंब तथा उत्तल दर्पण के बीच एक उत्तल लेंस रखकर इसे ज्ञात किया जा सकता है [चित्र E 11.2]।