Show किशोरावस्था विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण सीढ़ी है। किशोरावस्था का महत्व कई दृष्टियों से दिखाई देता है प्रथम यह युवावस्था की ड्योढी है जिसके ऊपर जीवन का समस्त भविष्य पाया जाता है। द्वितीय यह विकास की चरमावस्था है। तृतीय यह संवेगात्मक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। किशोरावस्था का अर्थकिशोरावस्था के लिए अंग्रेजी का शब्द Adolescence है यह लैटिन भाषा को Adolecere शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है- “परिपक्वता की ओर बढ़ना अत: स्पष्ट है कि किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति बाल्यावस्था के बाद पदार्पण करता है, किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक विकास से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित है। किशोरावस्था में शारीरिक विकासकिशोरावस्था में शारीरिक विकास किशोरावस्था में शारीरिक विकास का वर्णन है- 1. लम्बाई तथा भार- किशोरावस्था मे बालक तथा बालिकाओ की लम्बाई बहुत तीव्र गति से बढ़ती है। बालिकाएं प्राय: 16 वर्ष की आयु तक तथा बालक लगभग 18 वर्ष की आयु तक अपनी अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर लेते है। किशोरावस्था में बालक- बालिकाओं की औसत लम्बाई (सेमी0) निम्नांकित तालिका में दर्शाई गयी है। किशोरावस्था में बालक तथा बालिकाओं की औसत लम्बाई (सेमी0)
किशोरावस्था में भार में काफी वृद्धि होती है। बालको का भार बालिकाओं के भार से अधिक बढ़ता है। इस अवस्था के अंत में बालकों का भार बालिकाओं के भार से अधिक बढ़ता है। किशोरावस्था के विभिन्न वर्षो में बालक तथा बालिकाओं का औसत भार (किग्रा0) निम्नांकित तालिका में दर्शाया गया है। किशोरेरावस्था मेंं बालक तथा बालिकाओंं की औैसत भार (कि.ग्रा.)
2. सिर तथा मस्तिष्क- किशोरावस्था मे सिर तथा मस्तिष्क का विकास जारी रहता है, परन्तु इसकी गति काफी मंद हो जाती है। लगभग 16 वर्ष की आयु तक सिर तथा मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है। 3. हड्डि्डयाँ- किशोरावस्था में हडिड्यो के दृढीकरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप अस्थियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है तथा वे दृढ़ हो जाती है किशोरावस्था में हडिडयों की संख्या कम होने लगी है। प्रौढ व्यक्ति में केवल
206 हड्डियाँ होती है। 4. दाँत- किशोरावस्था मे प्रवेश करने से पूर्ण बालक तथा बालिकाओं के लगभग 28-32 स्थायी दाँत निकल जाते है। 5. मॉॅसपेशियाँ- किशोरावस्था मे मॉसपेि शयो का विकास तीव्र गति से होता है। किशोरावस्था की समाप्ति पर मॉसपेशियों का भार शरीर के कुल भार का लगभग 45 प्रतिशत हो जाता है। 6. अंगो की वृद्धि- आन्तरिक अंगो की वृद्धि होती है पाचन प्रणाली, रक्त संचार प्रणाली, ग्रन्थिप्रणाली, श्वांस तन्त्र आदि में विकास चरमोत्कर्ष पर होता है।
7. गले की ग्रन्थि का विकास - गले के थायराइड-ग्रन्थि बढ़ने से किशोर-किशोरियों की वाणी में अन्तर आ जाता है। किशोरों की वाणी कर्कश होने लगती है जबकि किशोरियों की वाणी में कोमलता और क्षीणता आने लगती है। 8. काम ग्रन्थि का विकास- काम ग्रन्थि के विकास स्वरूप किशारे तथा किशोरियों में लिंगीय परिवर्तन होने लगते है। किशोरियों में मासिक रक्त स्त्राव आरभ होता है तथा किशोरों में रात्रि-दोष के लक्षण पाये जाते है।
9. विशेष अंगो का विकास - कुछ अन्य शारीरिक अंगो मे भी परिवतर्न होते है। किशोरियों में वक्षस्थल तथा स्तनों की वृद्धि होती है। किशोरो के कन्धों की चौड़ाई बढ़ जाती है। किशोरावस्था में शारीरिक विकास निम्न प्रकार से होता है भार किशोरावस्था में बालक का भार 43 से प्रारंभ होकर अधिकतम तक पहुँच जाता है ज्यादातर बालकों का भार 50 के आस पास होता है पूर्व किशोरावस्था में किशोरियों का भार अधिक होता है पर उत्तर किशोरावस्था में किशोरों का भार अधिक हो जाता है इस अवस्था में मांशपेशियों का भार शरीर के भार का आधा होता है लम्बाई लड़कों
की लम्बाई 18 वर्ष तक और लड़कियों की लम्बाई 16 वर्ष तक बढती है पूर्व किशोरावस्था में किशोरियां तीव्र गति से बढती है जबकि उत्तर किशोरावस्था मे किशोर इस अवस्था के अंत तक लम्बाई का पूर्ण विकास हो जाता है प्रजनन अंग इस अवस्था में प्रजनन अंगों का भी विकास हो जाता है हड्डियां किशोरावस्था में हड्डियों की संख्या 206 हो जाता है अस्थिकरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है दांत किशोरावस्था में दांतों की संख्या 28 होती है किशोरावस्था के अंत तक प्रज्ञादन्त भी आने लगते हैं लड़कियों में लडकों की अपेक्षा प्रज्ञा दन्त पहले आ जाते हैं सिर व मस्तिष्क सिर व मस्तिष्क का पूर्ण विकास हो जाता है मस्तिष्क का भार 1350 से 1400 ग्राम होता है आवाज किशोरावस्था में लड़कियों की आवाज मधुर और लड़कों की आवाज भारी हो जाती है हृदय लड़कों का हृदय 72 बार जबकि लड़कियों का हृदय लगभग 68- 70 बार धड़कता है मुख इस अवस्था में नाक लम्बी ललाट और मुख चौड़ा होने लगता है आपको इस पोस्ट को पढ़कर कैसा लगा हमे कमेंट करके बतायें शेयर जरूर करें और भी इसी तरह की परीक्षा उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिये हमसे जुड़े रहे हमारे यूट्यूब चैनल पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें मै साधारण और सरल स्वभाव का व्यक्ति हूँ मेरी लेखन के क्षेत्र में बचपन से रुचि है वर्तमान में मै कांम्पटीसन कोचिंग सेंटर चलाता हूँ ramkrishna garg द्वारा सभी पोस्ट देखें पोस्ट नेविगेशनविकास से आप क्या समझते हैं किशोरावस्था में शारीरिक विकास का वर्णन करें?5 से 6 वर्ष की अवधि तक मांसपेशियों का विकास तीव्र गति से बढ़ता है। किशोरावस्था में मांसपेशियों का विकास जन्म से बीस गुणा हो जाता है। किशोरावस्था में पहुँचते-पहुँचते बालक का सिर उसके शरीर की लम्बाई के दसवें भाग बराबर हो जाता है। हाथ-पैरों की वृद्धि भी इस काल में अन्त तक तीव्र गति से पूरी हो जाती है।
किशोरावस्था में शारीरिक विकास कब होता है?1. लम्बाई तथा भार- किशोरावस्था मे बालक तथा बालिकाओ की लम्बाई बहुत तीव्र गति से बढ़ती है। बालिकाएं प्राय: 16 वर्ष की आयु तक तथा बालक लगभग 18 वर्ष की आयु तक अपनी अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर लेते है।
किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन क्या है?किशोरावस्था में होने वाले सामान्य शारीरिक परिवर्तन
आपके चेहरे और शरीर पर मुंहासे हो सकते हैं। पसीना अधिक आने लगता है और शरीर से पसीने की दुर्गंध भी आ सकती है। आर्मपिट में बाल उगने लगते हैं। जननांगों के आसपास बाल उगने लगते हैं – इसे प्यूबिक हेयर भी कहा जाता है।
किशोरावस्था के मुख्य संवेग कौन कौन होते हैं वर्णन करें?किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास. भाव प्रधान जीवन. विरोधी मनोदशायें. संवेगों में विभिन्नतायें. काम भावना. वीर पूजा. स्वाभिमान की भावना. अपराध प्रवृत्ति. चिन्तायुक्त व्यवहार. |