कृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे किया? - krshn ne sudaama ka svaagat kaise kiya?

सुदामा ने कृष्ण का स्वागत कैसे किया?

  • खूब पकवान खिलाकर
  • फूलों की वर्षा करके
  • बड़ा सा समारोह करके
  • बड़ा सा समारोह करके

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कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।


इस दोहे में रहीम जी का कहना है कि जब मनुष्य के पास धन-संपत्ति होती है ता बहुत से लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं।
सुदामा चरित के अनुरूप यह दोहा पूर्णतया सही है क्योंकि कृष्ण व सुदामा बचपन के मित्र तो। थे लेकिन बड़ होकर कृष्ण द्वारिकाधीश बने और सुदामा गरीब के गरीब ही रहे। एक बार पत्नी के आग्रह करने पर कि आप अपने मित्र कृष्ण के पास जाओ वे अवश्य हमारी सहायता करेंगे। सुदामा जब कृष्ण के पास जाते हैं तो वे उसे सर- आँखों पर बिठाते हैं। उनका आदर सत्कार कर उनकी दीन दशा हेतु व्यथित हो उठते हैं। जब सुदामा वापिस घर जाते हैं तो मार्ग मैं सोचते हैं कि कृष्ण के पास आना व्यर्थ रहा। उन्होंने कुछ भी सहायता नहीं की। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचते हैं ताे देखकर हैरान हो जाते हैं कि उनके राजसी ठाठ-बाट बन चुके हैं। मन-ही-मन कृष्ण के प्रति कृतज्ञ हो जाते हैं कि प्रत्यक्ष रूप से कुछ देकर उन्होंने मित्रता को छोटा नहीं किया।

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उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।


यह सत्य है कि आजकल उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता, भाई-बंधुओं से नजर फेर लेता है। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित ऐसी चुनौती खड़ी करता है कि उन्हें अपनी सभ्यता व संस्कृति से सीख लेनी चाहिए कि युगों पूर्व ईश्वरीय स्वरूप कृष्ण ने भी अपने मित्र का साथ न छोड़ा जिस मित्र ने बचपन में उनके हिस्से के चने खाकर उन्हें धोखा भी दिया। लेकिन जब वह दीन अवस्था में कृष्ण के समक्ष आया तो उन्होंने गरीबी अमीरी का भेदभाव भुलाकर उसे अपने हदय से लगा लिया। लेकिन हम थोड़ा-सा संपन्न होते हैं तो अपनें माता-पिता जो कि हमें जन्म देने वाले व हमारे मार्ग दर्शक हैं, उन्हें कैसे भूल जाते हैं? भाई-बंधु जो पल-पल के दुख-सुख में हमारा साथ देते हैं उन्हें भुलाना या उनसे नजरें फेरना क्या उचित है? हमें चाहिए कि दुख के क्षण है या सुख की घड़ियाँ सभी के साथ मिल-जुल कर रहें। सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूर्णरूप से निभाएँ।

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द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।


श्रीकृष्ण सुदामा की प्रत्यक्ष रूप में सहायता नहीं करना चाहते थे क्योंकि देने का भाव आते ही मित्रता बड़े-छोटे की भावना में बदल जाती है जबकि कृष्ण ऐसा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सुदामा की सहायता प्रत्यक्ष रूप में न करके अप्रत्यक्ष रूप में की।
द्रुपद और द्रोणाचार्य भी मित्र थे एक साथ आश्रम में पढ़ते थे। द्रुपद बहुत अमीर व द्रोणाचार्य बहुत गरीब थे। द्रुपद ने द्रोणाचार्य से कहा कि जब मैं शासन-सत्ता की संभाल करूँगा तो आधा राज्य तुम्हें सौंप दूँगा ताकि तुम्हारी गरीबी समाप्त हो जाए। इस प्रकार मित्रता का वचन निभाउँगा। समय आता है, द्रुपद राजा बनता है लेकिन अपना वायदा भूल जाता है। द्रोणाचार्य ने अपने जीवन में अत्यधिक कठिनाइयाँ झेली थीं। एक दिन सहायता हेतु द्रुपद के पास जाते हैं तो वह उस गरीब ब्राह्मण मित्र का अपमान कर उन्हें दरबार से बाहर निकलवा देता है।
इन दोनों वक्तव्यों में अंतर यह है कि कृष्ण ने अप्रत्यक्ष रूप में मित्र की सहायता कर मित्रता का मान बढ़ाया और द्रुपद ने मित्र को अपमानित करके मित्रता को कलंकित किया।

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“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।


जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हे देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एड़ियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।

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सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। 


सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण व्यथित हो गए और दूसरीं पर करुणा करने वाले दीनदयाल स्वयं रो पड़े।

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वसंत सुदामा चरित - Worksheets

CBSE Worksheet 01
सुदामा चरित


  1. श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर किससे धोये? (सुदामा चरित)

  2. द्वारिका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा स्वयं से किसे और क्या समझाने की बात करते हैं? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।

  3. कृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे किया?

  4. सुदामा को द्वारिका किसने भेजा था और क्यों? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।

  5. द्वारिका जाने के दौरान सुदामा ने कैसे वस्त्र पहने थे? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए।

  6. पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

  7. निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण सुदामा चरित कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

  8. नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
    ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
    हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दिन खोए।।
    देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
    पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।।

    1. प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
    2. सुदामा की दशा देखकर कृष्णा की क्या प्रतिक्रिया हुई?
    3. कृष्णा ने सुदामा के चरण कैसे धोए?
    4. कृष्ण ने सुदामा से क्या कहा?
    5. इस पद्यांश में श्रीकृष्ण को किसकी संज्ञा दी गई है।

CBSE Worksheet 01
सुदामा चरित


Solution

  1. श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर अपने अश्रु-जल से धोये।
  2. द्वारिका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा स्वयं से अपनी पत्नी को व्यंग्यवश यह समझाने की बात करते हैं कि अब वह कृष्ण के द्वारा दिए गए अपार धन को सँभाल कर रखे।
  3. कृष्ण ने सुदामा को आसन पर बिठाया। उनके चरण धोने के लिए जल मँगवाया लेकिन वे इतने द्रवित हुए कि उन्होंने अपनी आँसुओं के जल से ही उनके चरण धो डाले व उनका राजसी स्वागत किया।
  4. सुदामा को द्वारिका उनकी पत्नी ने भेजा था क्योंकि उन्हें विश्वास था कि द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण अपने बाल-सखा अर्थात् सुदामा की गरीबी अवश्य दूर करेंगे।
  5. द्वारिका जाने के दौरान गरीब सुदामा के तन पर वस्त्र के नाम पर सिर्फ एक फटी-सी धोती और एक गमछा था।
  6. जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुंचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एडियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।
  7. सुदामा अपनी आर्थिक परेशानियों से तंग आकर कृष्ण के पास सहायता हेतु गया था। कृष्ण ने जब प्रत्यक्ष रूप से उसे कुछ न दिया तो वह मन ही मन निराश था। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचता है तो पाता है कि सब कुछ बदल गया। कृष्ण ने उसे सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया। उसकी टूटी झोंपड़ी के स्थान पर सोने का महल बन जाता है। पहले पाँवों में पहनने हेतु जूते तक नहीं थे और अब महावत हाथी लिए दरवाज़े पर खड़े थे। कभी रातें सख्त ज़मीन पर कटती थीं लेकिन अब रेशमी सेज है। कभी उसे खाने को मोटा अनाज भी नहीं मिलता था अब तो ईश्वर की कृपा से अंगूर भी अच्छे नहीं लगते अर्थात् कृष्ण की कृपा से सब कुछ परिवर्तित हो गया था।
    1. श्रीकृष्ण ने जब सुदामा को देखा तो वे भाव विह्वल हो उठे क्योंकि उनकी एड़ियाँ फटी हुईं अर्थात् पैदल चल कर बुरे हाल में थीं। पैरों में काँटे चुभे हुए थे वे उन्हें बार-बार देखते हैं। कृष्ण कहते हैं कि हे सखा! तुमने बहुत दुख पाए हैं। इतने दिन क्यों व्यर्थ किए, पहले मेरे पास क्यों न आए। अपने प्रिय मित्र सुदामा की दीन अवस्था को देखकर सब पर करुणा करने वाले श्रीकृष्ण स्वयं रोने लगे। सुदामा के पाँव धोने हेतु परात में लाया हुआ जल उन्होंने छुआ तक नहीं और अपने आँसुओं से ही सुदामा के पाँव धो डाले।
    2. सुदामा की फटी एड़ियाँ व पैरों में चुभे काँटे देखकर कृष्ण ने सुदामा से कहा कि हे मित्र इतना दुख तुमने पाया, तुम पहले यहाँ क्यों नहीं आए? सब पर करुणा करने वाले कृष्ण सुदामा की दशा देखकर रो पड़े। 
    3. सुदामा के पैर धोने हेतु सेवक द्वारा परात में लाए जल को कृष्ण ने छुआ तक नहीं, अपने आँसुओं के जल से ही उन्होंने सुदामा के पाँव धो डाले।
    4. सुदामा की दीन-हीन दशा देखकर कृष्ण रो पड़े।
    5. हे मित्र! तुम पहले यहाँ क्यों नहीं आए।

कृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे?

रामानंद सागर कृत श्री कृष्ण भाग 106 - श्री कृष्ण सदमा मिलन | श्री कृष्ण ने सुदामा का किया स्वागत - YouTube.

घ कृष्ण ने सुदामा को कैसे लौटाया?

सुदामा की दीनदशा को देखकर श्रीकृष्ण को अत्यन्त दुख हुआ। दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए।

कृष्ण और सुदामा की दोस्ती कैसे हुई?

कृष्ण सुदामा और सुदामा की दोस्ती एक मिसाल है। जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है।

श्री कृष्ण ने सुदामा को क्या दिया?

जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका के राजा हुए एक दिन सुदामा की पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि आप बताते हैं कि कृष्ण हमारे मित्र हैं तो उनसे जाकर मिलो। सुदामा की पत्नी सुशीला पड़ोसी के यहां से ले जाने के लिए चावल मांग लाईं। जब सुदामा कन्हैया से मिले तो कृष्ण ने उन्हें दो मुठ्ठी चावल खाकर दो लोक का स्वामी बना दिया