क्या कीट नियंत्रण के लिए केवल रसायनों का प्रयोग सही है ? December 30, 2020December 30, 2020 5 min read fertilizer Show Share क्या कीट नियंत्रण के लिए केवल रसायनों का प्रयोग सही है ? – कृषि में कीट व रोग हमेशा ही किसानों व वैज्ञानिकों को लिए बड़ी चुनौती रहे हैं। कीटों के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए, फसलों पर कीटनाशक की एक बड़ी मात्रा का प्रयोग किया जाता है। दुनिया भर में कीट व रोग नियंत्रण के रसायनिक तरीके बुरी तरह नाकामयाब साबित हो चुके हैं। महंगे कीटनाशकों का खर्च उठाना किसानों के बस की बात नहीं रही। आज यह साबित हो चुका है कि रसायनों का प्रयोग खेती में जमीन, भूमिगत जल, मानव स्वास्थ्य, फसल की गुणवत्ता व पर्यावरण हेतु बहुत नुकसानदायक है। रसायनों पर अत्यधिक निर्भरता से हानिकारक कीड़ों में प्रतिरोध व पुनरुत्थान की समस्या भी जनित हुई है। इस दुष्चक्र से किसानों को बाहर निकालने के लिए जरुरी है कि खेती में समन्वित कीट प्रबंधन को अपनाएँ। समन्वित कीट प्रबंधन ( आईपीएम) एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचाने के लिए, किसानों को एक से अधिक तरीकों को जैसे व्यवहारिक, यांत्रिक, जैविक तथा रसायनिक नियंत्रण इस तरह से क्रमानुसार प्रयोग में लाना चाहिए कि फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीड़ों की संख्या आर्थिक हानिस्तर से नीचे रहे और रासायनिक दवाईयों का प्रयोग तभी किया जाए जब अन्य अपनाए गये तरीके से सफल न हों। किसानों के द्वारा प्रयोग किया कुछ सरल एवं जांचें परखें तरीकों का प्रयोग कर खेती में रोगों व कीटों से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कीट व रोग नियंत्रण एवं प्रबंधन हेतु आवश्यक है कि-द्य उत्तम गुणवत्ता वाले देसी बीजों व कम्पोस्ट खादों का प्रयोग करें। भूमि में जैविक तत्वों को बढ़ाकर केंचुए व सूक्ष्म जीवों के अनुकूल वातावरण बनायें। आईपीएम कैसे ?सांस्कृतिक तरीके: कीट प्रबंधन के सांस्कृतिक नियंत्रण से तात्पर्य है परम्परागत अपनाए जाने वाले कृषि क्रियाओं में ऐसा क्या परिवर्तन लाया जाए, जिससे कीड़ों तथा बीमारियों से होने वाले आक्रमण को या तो रोका जाए या कम किया जाए। ह विधियां हमारे पूर्वजों से चली आ रही हैं लेकिन आधुनिक रासायनों के आने से इनका प्रयोग कम होता जा रहा है। इसके अंतर्गत निम्रलिखित तरीके अपनाएं जाते हैं-
यांत्रिक नियंत्रण:
जैवीक कीटों और रोग का नियंत्रण जैविक तरीको (बायोकंट्रोल) से करने का अर्थ है आईपीएम का सबसे महत्वपूर्ण अवयव। व्यापक अर्थ में, बायोकंट्रोल का अर्थ है जीवित जीवों को प्रयोग कर फसलों को कीटों से नुकसान होने से बचाना। इस विधि में नाशीजीवी व उसके प्राकृतिक शत्रुओं के जीवनचक्र, भोजन, मानव सहित अन्य जीवों पर प्रभाव आदि का गहन अध्ययन करके प्रबंधन का निर्णय लिया जाता है। कुछ बायोकंट्रोल एंजेट्स इस प्रकार हैं- ट्राइकोगर्मा, अपेंटल्स, सूडोगॉनोटोपस, मकडिय़ों, ड्रेगन मक्खी, डेमसेल मक्खी, लेडी बर्ड, ब्यूवेरिया, नोम्यूरेन, न्यूक्लियर पॉलिहेड्रोसिस वायरस (एनपीवी) आदि। बायोकंट्रोल के तरीके: कीटों में बीमारी पैदा करने वाले एजेंट को प्रयोगशाला में कम लागत पर द्रव्य या पाउडर फॉर्मुलेशन में बढ़ाया जा सकता है। इन घोलों को बायोपेसस्टिसाइड्स कहा जाता है। इन्हें किसी भी सामान्य रसायन कीटनाशक की तरह छिड़का जा सकता है।
सब्जियों और फलों में आईपीएम का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि फल और सब्जी इंसानों द्वारा खाई जाती है। किसान ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कीटनाशकों के असर को खत्म होने को समय नहीं देते और जल्द ही फसल को बाजार में बेच देते हैं। इस वजह से कीटनाशकों का ज़हर उनमें बाकी रह जाता है, कभी कभी इस वजह से मौत तक हो जाती है। इसलिए फसलों में कीटनाशकों का प्रयोग करते हुए हमें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। कीटों का जैविक नियंत्रण क्या है?कीटों का जैविक नियंत्रण
जैव-एजेंट जैसे जीवाणु-कवक, वायरस (NPV), आदि का व्यापक रूप से कृषि में विभिन्न कीटों के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है। बैक्टीरियल और फंगल बायो-एजेंट को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए।
जैविक नियंत्रण क्या है in Hindi?जैविक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसमे पौधो मे रोग/ रोग कारको के नियंत्रण के लिये दूसरे जीवों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक से अधिक सूक्ष्मजीवियों का उपयोग भी रोग कम करने या रोकने के लिये किया जा सकता है। अतः वे सूक्ष्मजीव जो विभिन्न रोगों के नियंत्रण के लिये प्रयुक्त होते हैं, जैविक रोगनाशक कहलाते हैं।
कीट नियंत्रण क्या महत्वपूर्ण है?जैविक कीट नियंत्रण, या अन्य किसी भी प्राकृतिक कीट नियंत्रण का उद्देश्य, पर्यावरण के मौजूदा स्वरूप के पारिस्थितिक संतुलन को कम से कम हानि पहुंचाते हुए कीटों को समाप्त करना होता है।
जैविक नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य क्या है?जैविक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसमें एक से अधिक सूक्ष्मजीवियों का उपयोग रोग कम करने या रोकने के लिये किया जाता है। वे सूक्ष्म जीव जो कारकों के नियंत्रण के लिये प्रयुक्त होते हैं, जैविक रोगनाशक कहलाते हैं।
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