क्या मैं बाएं हाथ में हीरे की अंगूठी पहन सकता हूं? - kya main baen haath mein heere kee angoothee pahan sakata hoon?

>रत्‍न : कब, कौनसा और कैसे पहनें—मोती और पुखराज तो किसी को भी पहना दो… चलेगा…सबल ग्रह का रत्‍न धारण करें या निर्बल ग्रह का?
रत्‍न : कब, कौनसा और कैसे पहनें—–
आमतौर पर ज्‍योतिष और ज्‍योतिष से जुड़ी किसी भी विधा को विज्ञान का दर्जा दे दिया जाता है। लेकिन रत्‍न विज्ञान को इस तर्ज पर विज्ञान का दर्जा नहीं मिला है। जैमोलॉजी वास्‍तव में एक विज्ञान है और इस पर अच्‍छा खासा काम हो रहा है। यह बात अलग है कि कीमती पत्‍थरों ने अपना यह स्‍थान खुद बनाया है। ठीक सोने, चांदी और प्‍लेटिनम की तरह। इसमें ज्‍योतिष का कोई रोल नहीं है।
पर यकीन मानिए भाग्‍य के साथ रत्‍नों का जुड़ाव मोहनजोदड़ो सभ्‍यता के दौरान भी रहा है। उस जमाने में भी भारी संख्‍या में गोमेद रत्‍न प्राप्‍त हुए हैं। यह सामान्‍य अवस्‍था में पाया जाने वाला रत्‍न नहीं है, इसके बावजूद इसकी उत्‍तरी पश्चिमी भारत में उपस्थिति पुरातत्‍ववेत्‍ताओं के लिए भी आश्‍चर्य का विषय रही। पता नहीं उस दौर में इतने अधिक लोगों ने गोमेद धारण करने में रुचि क्‍यों दिखाई, या गोमेद का रत्‍न के रूप में धारण करने के अतिरिक्‍त भी कोई उपयोग होता था, यह स्‍पष्‍ट नहीं है, लेकिन वर्तमान में राहू की दशा भोग रहे जातक को राहत दिलाने के लिए गोमेद पहनाया जाता है।
इंटरनेट और किताबों में रत्‍नों के बारे में विशद जानकारी देने वालों की कमी नहीं है। इसके इतर मेरी पोस्‍ट इसकी वास्‍तविक आवश्‍यकता के बारे में है। मैं एक ज्‍योतिष विद्यार्थी होने के नाते रत्‍नों को पहनने का महत्‍व बताने नहीं बल्कि इनकी वास्‍तविक आवश्‍यकता बताने का प्रयास करूंगा।
दो विधाओं में उलझा रत्‍न विज्ञान
वर्तमान दौर में हस्‍तरेखा और परम्‍परागत ज्‍योतिष एक-दूसरे में इस तरह घुलमिल गए हैं कि कई बार एक विषय दूसरे में घुसपैठ करता नजर आता है। रत्‍नों के बारे में तो यह बात और भी अधिक शिद्दत से महसूस होती है। हस्‍तरेखा पद्धति ने हाथ की सभी अंगुलियों के हथेली से जुड़े भागों पर ग्रहों का स्‍वामित्‍व दर्शाया है। ऐसे में कुण्‍डली देखकर रत्‍न पहनने की सलाह देने वाले लोग भी हस्‍तरेखा की इन बातों को फॉलो करते दिखाई देते हैं। जैसे बुध के लिए बताया गया पन्‍ना हाथ की सबसे छोटी अंगुली में पहनने, गुरु के लिए पुखराज तर्जनी में पहनने और शनि मुद्रिका सबसे बड़ी अंगुली में पहनने की सलाहें दी जाती हैं। बाकी ग्रहों के लिए अनामिका तो है ही, क्‍योंकि यह सबसे शुद्ध है। मुझे इस शुद्धि का स्‍पष्‍ट आधार नहीं पता लेकिन शुक्र का हीरा, मंगल का मूंगा, चंद्रमा का मोती जैसे रत्‍न इसी अंगुली में पहनने की सलाह दी जाती है।
शरीर से टच तो हुआ ही नहीं
शुरूआती दौर में जब मुझे ज्‍योतिष की टांग-पूछ भी पता नहीं थी, तब मैं एक पंडितजी के पास जाया करता था। वहां एक जातक को लेकर गया, उन्‍होंने मोती पहनने की सलाह दी। मैंने जातक के साथ गया और मोती की अंगूठी बनवाकर पहना दी। कई सप्‍ताह गुजर गए। कोई फर्क महसूस नहीं हुआ तो जातक महोदय मेरे पास आए और मुझे लेकर फिर से पंडितजी के पास पहुंचे। पंडितजी ने कहा दिखाओ कहां है अंगूठी। दिखाई तो वे खिलखिलाकर हंस दिए। बोले यह तो शरीर के टच ही नहीं हो रही है तो इसका असर कैसे पड़ेगा। मैंने पूछा तो टच कैसे होगी। तो उन्‍होंने बताया कि बैठकी मोती खरीदो और फलां दुकान से बनवा लो। हम दौड़े-दौड़े गए और बैठकी मोती लेकर बताई गई दुकान पर पहुंच गए। हमने बताया कि टच होने वाली अंगूठी बनानी है। दुकानदार समझ गया कि पंडित जी ने भेजा है। उसने कहा कल ले जाना। और अगले दिन अंगूठी बना दी। वह इस तरह थी कि नीचे का हिस्‍सा खाली था। इससे मोती अंगुली को छूता था। कुछ ही दिनों में मोती पहनाने का असर भी हो गया। मेरे मन में भक्ति भाव जाग गया, और एक बात हमेशा के लिए सीख गया कि जो भी रत्‍न पहनाओ उसे शरीर के टच कराना जरूरी है।
टच से क्‍या होता है किरणें महत्‍वपूर्ण हैं
अंग्रेजी में इसे पैराडाइम शिफ्ट कहते हैं और हिन्‍दी में मैं कहूंगा दृष्टिकोणीय झटका। एक दूसरे हस्‍तरेखाविज्ञ कई साल बाद मुझसे मिले। मैं किसी को उपचार बता रहा था और साथ में शरीर से टच होने वाली नसीहत भी पेल रहा था, कि हस्‍तरेखाविज्ञ ने टोका कि टच होने से क्‍या होता है, यह कोई आयुर्वेदिक दवा थोड़े ही है। रत्‍नों के जरिए तो किरणों से उपचार होता है। मैंने स्‍पष्‍ट कह दिया समझा नहीं तो उन्‍होंने समझाया कि हम जो रत्‍न पहनते हैं वे ब्रह्माण्‍ड की निश्‍चित किरणों को खींचकर हमारे शरीर की कमी की पूर्ति करते हैं। इससे हमारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं। विज्ञान का ठोठा स्‍टूडेंट होने के बावजूद मुझे पता था कि हम जो रंग देखते हैं वास्‍तव में वह उस पदार्थ द्वारा रिफलेक्‍ट किया गया रंग होता है। यानि स्‍पेक्‍ट्रम के एक रंग को छोड़कर बाकी सभी रंग वह पदार्थ निगल लेता है, जो रंग बचता है वही हमें दिखाई देता है। ऐसा ही कुछ रत्‍नों के साथ भी होता होगा। यह सोचकर मुझे उनकी बात में दम लगा।
अब मैं तो कंफ्यूजन में हूं कि वास्‍तव में टच करने से असर होगा या किरणों से असर होगा। वास्‍तव में रत्‍नों की जरूरत है भी कि नहीं, रत्‍नों का विकल्‍प क्‍या हो सकता है, रत्‍न किसे पहनाना आवश्‍यक है, इन सब बातों को लेकर कालान्‍तर में मैंने कुछ तय नियम बना लिए… अब ये कितने सही है कितने गलत यह तो नहीं बता सकता, लेकिन इससे जातक को धोखे में रखने की स्थिति से बच जाता हूं।
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मोती और पुखराज तो किसी को भी पहना दो चलेगा, दोनों ही निर्मल और शुद्ध ग्रह हैं। नुकसान तो करेंगे नहीं। यह ज्ञान दिया मेरे एक साथी ज्‍योतिषी ने। वह मोती तो हर किसी को पहना देता है। कहता है मन का कारक है, मोती पहनेगा तो मानसिकता मजबूत होगी। नहीं भी होगी तो नुकसान नहीं करेगा। सामान्‍य बात है, समझ में भी आ गई।
वास्‍तव में जैम स्‍टोन से किस ग्रह का उपचार कैसे किया जाए इस बारे में कई तरह के मत हैं। कोई ग्रह के कमजोर होने पर रत्‍न पहनाने की सलाह देता है तो कोई केवल कारक ग्रह अथवा लग्‍नेश संबंधी ग्रह का रत्‍न पहनने की सलाह देता है। ऐसे में किसे क्‍या पहनाया जाए, यह बताना टेढ़ी खीर है। यहां के.एस. कृष्‍णामूर्ति को कोट करूं तो स्‍पष्‍ट है कि लग्‍नेश या नवमेश अथवा इनसे जुड़े ग्रहों का ही उपचार किया जा सकता है। ऐसे में कई दूसरे ग्रह जो फौरी तौर पर कुण्‍डली में बहुत स्‍ट्रांग पोजिशन में दिखाई भी दें तो उनसे संबंधित उपचार नहीं कराए जा सकते।
मैं उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूं। तुला लग्‍न के जातक की कुण्‍डली में लग्‍न का अधिपति हुआ शुक्र, कारक ग्रह हुआ शनि और नवमेश हुआ बुध। अब कृष्‍णामूर्ति के अनुसार जब तक शनि का संबंध शुक्र या बुध से न हो तो उससे संबंधित उपचार नहीं किए जा सकते, यानि उपचार प्रभावी नहीं होगा, लेकिन परम्‍परागत ज्‍योतिष के अनुसार तुला लग्‍न के जातक को शनि संबंधी रत्‍न प्रमुखता से पहनाया जा सकता है। यहां गाड़ी अटक जाती है।
बिना ठोस वजह के मूंगा और नीलम पहनाने से हुए नुकसानों के हजारों उदाहरण हैं। नीलम के संबंध में कई कहानियां आपने भी सुनी होगी, लेकिन मूंगे और हीरे को लेकर मेरे पास भी दो कहानियां हैं। दोनों ही मेरे अपने अनुभव हैं। हमारे एक जानकार का तबादला बीकानेर से बाहर हो गया। उन्‍होंने सालभर तक कोशिश की और तकरीबन हर ज्‍योतिषी को दिखा दिया। कई ज्‍योतिषियों ने लग्‍नेश होने के कारण उन सज्‍जन को मूंगा पहनने की सलाह दे डाली। जातक ने सोने की अंगूठी में सवा छह रत्‍ती का मूंगा बनवाकर पहन भी लिया। कुछ ही दिनों में उनका गुस्‍सा परवान चढ़ने लगा। जब वे मेरे पास आए तब उनकी कुण्‍डली में राहू में मंगल का ही अंतर चल रहा था। चंद्रमा इतना कमजोर था कि मैंने कार्ड खेल दिया, मैंने पूछा आप आत्‍महत्‍या का प्रयास तो नहीं कर चुके हैं। जातक ढेर हो गया, उसने कहा दो बार पंखे में रस्‍सी डाल चुका हूं लेकिन परिवार का चेहरा सामने आ गया सो, इरादा टाल दिया। मैंने कहा यह मूंगे के कारण हो रहा है। आप इसे अभी खोल दीजिए। उन्‍होंने मेरी बात मान ली और मूंगा तुरंत उतार दिया। फिर मैंने उन्‍हें राहू के उपचार बताए और तबादला वापस बीकानेर होने की तिथि बता दी। करीब तीन महीने बाद उनका तबादला वापस बीकानेर हो गया। रास्‍ते में मुझे मिले तो बड़े खुश नजर आ रहे थे। उनकी पत्‍नी साथ थीं, उनकी पत्‍नी ने मुझे देखते ही धन्‍यवाद दिया और बताया कि जिन दिनों में मूंगा पहन रखा था, उन दिनों छोटी-छोटी बात पर जोरदार तैश में आ जाते। अपने बच्‍चों को टीन एजर होने से पहले तक भी हाथ नहीं लगाया उनकी भी पिटाई कर देते थे। अब सहज हो गए हैं।
एक दूसरी घटना शुक्र से जुड़ी है। लाल किताब बताती है कि हम किसी ग्रह से संबंधित वस्‍तु हाथ में धारण करते हैं तो वह ग्रह कुण्‍डली के तीसरे भाव का फल देने लगता है। इसे मैंने चैक किया मेरे एक मित्र पर। मैंने उसे बता दिया था कि यह एक प्रयोग ही है, क्‍योंकि इस बारे में मैं अधिक नहीं जानता। उसे शुक्र के हीरे के रूप में अमरीकन डायमंड की अंगूठी पहनाई। उसका गुरु पहले से ही नौंवे भाव में था। अब अंगूठी पहनाने के बाद लाल किताब के अनुसार शुक्र और गुरू आमने-सामने हो गए थे। यानि एक दूसरे पर पूर्ण दृष्टि देने वाले। मेरा कुंवारा दोस्‍त पड़ोसन के चक्‍कर में पड़ गया। जो लड़का कभी लड़कियों की तरफ आंख उठाकर नहीं देखता था, वह इतनी लंपटता करने लगा कि एक दिन जब मैं उसके घर गया तो उसने पड़ोसन को दिखाकर उससे अपने संबंध बताए। मैंने उसे हीरा खोल देने की सलाह दी, लेकिन वह अपनी नई स्थिति से खुश था, सो हीरा नहीं खोला। मेरा ख्‍याल है बाद में उसी रत्‍न के चलते उसने सरकारी नौकरी की आस छोड़कर प्राइवेट कंपनी में एप्‍लाई किया और नौकरी लग गया। बाद में कुछ साल बाहर भी रहा। इन दिनों निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर पहुंच चुका है। मैला-कुचैला रहने वाला मेरा दोस्‍त अब टिप-टॉप रहता है और शुक्र के जातक की तरह व्‍यवहार करता है। अब उसे देखता हूं तो लगता है कि उसकी स्थिति तो ठीक हो गई लेकिन वह अपने मूल स्‍वरूप में नहीं रहा।
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एक उदाहरण की कुण्‍डली लेते हैं। मान लीजिए एक तुला लग्‍न की कुण्‍डली है। उसमें शुक्र लग्‍न का अधिपति हुआ। एक केन्‍द्र और एक त्रिकोण का अधिपति होने के कारण शनि इस कुण्‍डली में कारक ग्रह है। नवम भाव का अधिपति होने के कारण बुध का उपचार भी किया जा सकता है। अब कृष्‍णामूर्ति की माने तो इस कुण्‍डली के शुक्र, शनि और बुध ग्रह का ही इलाज किया जा सकता है। अब इस कुण्‍डली में अगर गुरू, सूर्य या मंगल खराब स्थिति में है तो उनके इलाज की जरूरत ही नहीं है। एक व्‍यक्ति राजमहल में रह रहा हो तो उसे ज्ञान, आधिपत्‍य, और ताकत स्‍वत: मिलती है, और अगर न भी मिले तो उसके लिए प्रयास करने की जरूरत भी नहीं है। ऐसा जातक अगर ज्‍योतिषी से यह मांग करे कि उसे अपने आधिपत्‍य, ताकत और ज्ञान में बढ़ोतरी की जरूरत है तो मान लीजिए कि वह केवल किसी लालसा की वजह से कुछ समय के लिए भटककर यह सवाल कर रहा है। वास्‍तव में उसे जो चाहिए वह ऐश्‍वर्य, विरासत, कंफर्ट, कम्‍युनिकेशन स्किल और अपनी चाही गई चीजों के लिए ईज ऑफ एक्‍सस की जरूरत है। यानि वह अपनी जरूरतों के लिए लम्‍बी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार नहीं है। अगर वह जातक किसी साधन या व्‍यवस्‍था को पाने का प्रयास कर रहा है या रही है तो यह कुछ समय की बात हो सकती है दीर्घकालीन जरूरत नहीं। ऐसे में तुला लग्‍न में बैठे नीच के सूर्य को ताकतवर बनाने के लिए माणिक्‍य भी पहना दिया तो फायदा करने के बजाय नुकसान अधिक करेगा।
यही बात अन्‍य लग्‍नों के लिए भी लागू होती है। तो जातक का इलाज करते समय यह ध्‍यान रखने वाली बात है कि वास्‍तव में जातक का मूल स्‍वभाव क्‍या है। उसे अपनी मूल स्थिति में लौटाने से अधिक सुविधाजनक कुछ भी नहीं है। भाग्‍य को धोखा नहीं दिया जा सकता, लेकिन मानसिक स्थिति में सुधार कर खराब समय की पीड़ा को दूर किया जा सकता है। ऐसे में किसी एक जातक की लालसा का पोषण करने के बजाय उसे सही रास्‍ते की ओर भेजना मेरी समझ में सबसे सही उपाय है। ऐसे में मेष से लेकर मीन राशि और लग्‍न वाले जातकों के लिए अलग-अलग उपचार होंगे। आप गौर करेंगे कि कुछ ग्रहों को कारक तो कुछ को अकारक भी बताया गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी कुण्‍डली में कारक ग्रहों का प्रभाव होता है और अकारक का नहीं होता। प्रभाव तो सभी ग्रहों का होगा, लेकिन मूल स्‍वभाव कारक ग्रह के अनुसार ही होगा। ऐसे में उपचार के समय भी कारक ग्रहों का ही ध्‍यान रखा जाए।
रही बात उच्‍च और नीच की… यह तो रश्मियों का प्रभाव है। नीच ग्रह की कम रश्मियां जातक तक पहुंचती है और उच्‍च ग्रह की अधिक रश्मियां। ऐसे में अगर कारक ग्रह अच्‍छी स्थिति यानि अच्‍छे भाव में बैठकर कम रश्मियां दे रहा है तो उसके लिए उपचार करना चाहिए। और अकारक ग्रह खराब स्थिति में या नीच का भी है तो उसे छेड़ने की जरूरत नहीं है।
यह मेरा अब तक के अध्‍ययन से उपजा विश्‍लेषण है.. जरूरी नहीं है कि सही ही हो, लेकिन अब तक जितने जातकों का इलाज इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखकर किया है, मुझे बेहतर परिणाम मिले हैं। एक उदाहरण भी देना चाहूंगा। एक जातक तुला लग्‍न का ही था और अपने संगठन में टॉप लेवल पर पहुंचने के लिए प्रयासरत था, मुझे लगा कि वह अपनी ताकत और प्रबंधन गुण की वजह से तो टॉप लेवल पर नहीं पहुंच पाएगा, लेकिन शनि का नेगेटिव प्रभाव बढ़ाने से बात बन सकती है। पांचवे भाव में स्‍व राशि का होने के बावजूद मैंने जातक को लोहे की अंगूठी गले में पहना दी, और गले में पहना रक्‍त चंदन का सूर्य उतरवा दिया। शनि का असर तेजी से बढ़ा, लग्‍न में बैठे सूर्य और गुरू भी इतना असर नहीं कर पाए जितना शनि ने किया। अब वह अपने संगठन के बहुत महत्‍वपूर्ण ऊंचे पद पर आसीन है।

Worked at Professional astrologer & vastu Adviser at self employe. I am an Vedic Astrologer,Vastu Expert and Palmist. कैसा होगा आपका जीवन साथी? घर कब तक बनेगा? नौकरी कब लगेगी? संतान प्राप्ति कब तक?, प्रेम विवाह होगा या नहीं? अपने बारे में ज्योतिषीय जानकारी चाहने वाले सभी जातक/जातिका ...मुझे अपनी जन्म तिथि,..जन्म स्थान, जन्म समय.ओर गोत्र आदि के साथ साथ अभी तक/ पूर्व में किये गए उपाय..जेसे--पूजा पाठ,.कोनसा रत्न/जेम्स पहना..इत्यादि की पूर्ण जानकारी देते हुए समस या ईमेल कर देवे.. समय मिलने पर में स्वयं उन्हें उत्तेर देने का प्रयास करूँगा... यह सुविधा सशुल्क हें... आप चाहे तो मुझसे फेसबुक./ऑरकुट पर भी संपर्क/ बातचीत कर सकते हे.. ----पंडित "विशाल" दयानन्द शास्त्री मेरा कोंटेक्ट नंबर हे---- MOB.---- ----0091-09669290067(MADHYAPRADESH), -----0091-09039390067(MADHYAPRADESH), --------------------------------------------------- मेरा ईमेल एड्रेस हे..---- - , ; --------------------------------------------------- Consultation Fee--- सलाह/परामर्श शुल्क--- For Kundali-2100/- for 1 Person........ For Kundali-5100/- for a Family..... For Vastu 11000/-(1000 squre feet) + extra-travling,boarding/food..etc... For Palm Reading/ Hastrekha--2500/- ------------------------------------------ (A )MY BANK a/c. No. FOR- PUNJAB NATIONAL BANK- 4190000100154180 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE---PUNB0419000;;; MIRC CODE---325024002 ====================================== (B )MY BANK a/c. No. FOR- BANK OF BARODA- a/c. NO. IS- 29960100003683 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE---BARBOJHALRA;;; MIRC CODE---326012101 ------------------------------------------------------------- Aacharya Pt. DAYANAND SHASTRI, LIG- 2/217, INDRA NAGAR ( NEAR TEMPO STAND), AGAR ROAD, UJJAIN --M.P.--456006 -------------------------------------------------------------- My Blogs ---- ----1.- http://vinayakvaastutimes.blogspot.in/?m=1/;;;; --- 2.- https://vinayakvaastutimes.wordpress.com/?m=1//;;; --- 3.- http://vaastupragya.blogspot.in/?m=1...;;; View all posts by vastushastri08

क्या बाएं हाथ में हीरा पहना जा सकता है?

इनके धारण करने के समय की बात करें तो मोती 3 दिन में, माणिक्य 30 दिन, मूंगा 21 दिन, पन्ना 7 दिन, पुखराज 15 दिन, नीलम 2 दिन, हीरा 22 दिन, गोमेद 30 दिन, लहसुनिया 30 दिन में असर दिखाने लगता है. ध्‍यान रखें कि महिलाओं को बाएं और पुरुषों को दाएं हाथ में रत्‍न धारण करना चाहिए.

हीरा कौन से हाथ में पहनना चाहिए?

हीरे को अंगूठे या तर्जनी उंगली में पहनने से शु्क्र हर तरह से लाभकारी होता है। अनामिका उंगली में हीरा पहनने से प्रेम और रिश्‍तों में लाभ होता है।

हीरा कौन कौन पहन सकता है?

वृष, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न में जन्में जातकों के लिए हीरा पहनना शुभ माना जाता है. वहीं, वृषभ और तुला लग्न के जातकों के लिए ये सबसे ज्यादा लाभकारी होता है क्योंकि तुला और वृष लग्न के स्वामी खुद शुक्र ग्रह हैं. वहीं मेष, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न वालों के लिए हीरा शुभ नहीं होता.

हीरा कौन सी राशि को पहनना चाहिए?

शुक्र ग्रह का रत्न है हीरा ज्योतिष के अनुसार, वृषभ, मिथुन, तुला, कन्या और मकर राशि वाले जातक हीरा धारण कर सकते हैं. इस राशि वाले अगर हीरा धारण करते हैं, तो इनके स्वास्थ्य, व्यापार और वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं.