लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 गिल्लू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 14 गिल्लू (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB गिल्लू Textbook Questions and Answers

गिल्लू अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गिल्लू कौन था?
उत्तर :
गिल्लू गिलहरी जाति का एक छोटा – सा जीव था।

(ख) लेखिका ने उसे स्वस्थ करने के लिए क्या उपचार किया?
उत्तर :
लेखिका ने गिल्लू को ठीक करने के लिए रूई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके नन्हें मुँह में लगाई। तीसरे दिन वह पूर्णत: स्वस्थ हो गया।

(ग) गिल्लू का घर कैसा था?
उत्तर :
गिल्लू का घर एक हल्की डलिया में बिछा रूई का बिछौना था जो तार से खिड़की पर लटका था।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

(घ) लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर :
जब लेखिका लिखने बैठती थी तो गिल्लू उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पर्दे पर चढ़ जाता था और फिर तेजी से उतर जाता था।

(ङ) लेखिका ने गिल्लू को बाहर झाँकते देखकर क्या किया?
उत्तर :
गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर लेखिका को लगा कि इसे मुक्त कर देना चाहिए।

(च) गिल्लू लेखिका को चौंकाने के लिए क्या करता था?
उत्तर :
लेखिका को चौंकाने के लिए गिल्लू कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदों की चुन्नर में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।

(छ) लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या-क्या किया?
उत्तर :
लेखिका की अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें पंजों से लेखिका का सिर दबाता था। उसने अपना प्रिय खाद्य काजू खाना भी छोड़ दिया था।

(ज) गिल्लू के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर :
गिलहरी का जीवन दो वर्ष का होता है। अतः अपनी जीवन अवधि पूरी कर रात में अन्त की यातना में वह लेखिका की उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया जिसे उसने मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।

4. इन वाक्यों के भाव स्पष्ट करें :

(क) ‘जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया।’
उत्तर :
गिल्लू अब जातिवाचक संज्ञा नहीं रहा, क्योंकि गिल्लू गिलहरी के हर बच्चे को गिल्लू कहा जाता है परन्तु अब वह गिल्लू एक था।

(ख) ‘उसका हटना परिचारिका के हटने के समान लगता।’
उत्तर :
गिल्लू लेखिका के निकट से हटा तो ऐसा लगा मानो कोई सेवा करने वाली लेखिका से दूर हट गई है।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

(ग) “किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया।’
उत्तर :
गिल्लू का मरना एक प्रकार से किसी और जीवन में परिवर्तन था। वह सो गया किसी और जीवन में जागने के लिए।

5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. निश्चेष्ट __________ _______________________________
  2. कार्यकलाप __________ _______________________________
  3. विस्मित __________ _______________________________
  4. आश्वस्त __________ _______________________________
  5. स्निग्ध __________ _______________________________
  6. मरणासन्न __________ _______________________________

उत्तर :

  1. निश्चेष्ट = बिना हिले – जुले।
    वाक्य – कौवों की चोंचों के घाव से गिलहरी का बच्चा निश्चेष्ट – सा गमले से चिपका पड़ा था।
  2. कार्यकलाप = क्रियाएँ।
    वाक्य – गिल्लू के कार्यकलाप पर सभी को आश्चर्य होता था।
  3. विस्मित = चकित।
    वाक्य – सुबह उठने पर जब पता चला भारत मैच जीत गया तो मैं विस्मित रह गया।
  4. आश्वस्त = तसल्ली पाया हुआ।
    वाक्य – रमेश ने मुझे आश्वस्त किया है कि वो बुरे समय में मेरी सहायता करेगा।
  5. स्निग्ध = चिकने।
    वाक्य – मोहन के घर में लगा पत्थर बहुत ही स्निग्ध है।
  6. मरणासन्न = मरने के निकट।
    वाक्य – आग में बुरी तरह झुलस जाने कारण रोहित की स्थिति मरणासन्न की है।

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6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. लघु = …………………….
  2. चंचल = …………………….
  3. सुलभ = …………………….
  4. मुक्ति = …………………….
  5. उष्णता = …………………….
  6. तीव्र = …………………….

उत्तर :

  1. लघु = गुरु
  2. मुक्ति = बंधन
  3. चंचल = शांत
  4. उष्णता = शीतलता
  5. सुलभ = दुर्लभ
  6. तीव्र = मंद

7. विशेषण बनायें :

  1. चमक = …………………….
  2. कठिनाई = …………………….
  3. स्वर्ण = …………………….
  4. ठंडक = …………………….
  5. चंचलता = …………………….
  6. उष्णता = …………………….
  7. बसंत = …………………….
  8. विश्वास = …………………….

उत्तर :

  1. चमक = चमकीला
  2. कठिनाई = कठिन
  3. स्वर्ण = स्वर्णिम
  4. ठण्डक = ठंडा
  5. चंचलता = चंचल
  6. उष्णता = उष्ण
  7. बसन्त = बासन्ती/बसन्ती
  8. विश्वास = विश्वसनीय

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8. ‘इत’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = …………………….
  3. आकर्षण + इत = …………………….
  4. परिचय + इत = …………………….
  5. प्रकाश + इत = …………………….
  6. फल + इत = …………………….

उत्तर :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = सम्मानित
  3. आकर्षण + इत = आकर्षित
  4. परिचय + इत = परिचित
  5. प्रकाश + इत = प्रकाशित
  6. फल + इत = फलित

9. निम्नलिखित मुहावरों को इस तरह वाक्य में प्रयोग करें ताकि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाये।

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना ____________________
  2. जीवन यात्रा का अंत होना ____________________

उत्तर :

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना = खूब भाग – दौड़ करना।
    वाक्य – मुकेश ने नौकरी पाने के लिए सिर से पैर तक दौड़ लगा दी थी।
  2. जीवन यात्रा का अन्त होना = मृत्यु होना।
    वाक्य – बीमारी से लम्बे संघर्ष के बाद रोहन के दादा जी की जीवन यात्रा का अन्तः हो गया।

10. यदि आपको कुत्ते का पिल्ला या बिल्ली का बच्चा मिल जाये तो आप उसकी देखभाल कैसे करेंगे?
उत्तर :
यदि कभी मुझे कुत्ते का पिल्ला मिल गया तो मैं उसकी खुब देखभाल करूँगा। उसे अपने साथ घर पर ले आऊँगा। उसके खाने के लिए अलग से बर्तन का प्रबन्ध करूँगा। उसके गले में एक सुन्दर – सा पट्टा बाँधूंगा। उसे प्रतिदिन स्नान कराऊँगा। उसके रहने, खाने – पीने का उचित ध्यान रखूगा। उसके साथ अनेक खेल खेलूँगा। उसे अपने साथ घुमाने भी ले जाऊँगा। सर्दियों में उसके लिए गर्म स्थान का प्रबंध करूँगा। उसकी भूख प्यास का उचित ध्यान रखूगा।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • गिल्लू परदे पर चढ़ा और नीचे उतर गया।
  • गिल्लू अन्य खाने की चीजें लेना बन्द कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
  • उनका मुझसे लगाव कम नहीं है परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई।
  • भूख लगने पर गिल्लू का चिक-चिक करना ऐसा लगा मानो मुझे अपने भूखे होने की सूचना देता हो।
  • सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी, क्योंकि उसे वह लता सबसे प्रिय थी।
  • गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया।
  • गिल्लू को कौवे की चोंच से घाव हो गया था, इसलिए वह निश्चेष्ट-सा गमले से चिपका पड़ा था।

उपयुक्त वाक्यों में ‘और’, ‘या’, ‘परन्तु’, ‘मानो’, ‘क्योंकि’, ‘अतः’, तथा इसलिए’ शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं।

अतएव दो शब्दों, वाक्य के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं।

अन्य योजक शब्द : एवं, तथा, किंतु, चाहे, पर, इस कारण, यानि, कि यद्यपि—-तथापि, चाहे—- फिर भी आदि।

महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मेरा परिवार’ से उनके पालतू पशु-पक्षी के शब्द चित्रों की जानकारी प्राप्त करें।

प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। कविता, कहानी, लेख की भाँति यह भी साहित्य की एक विधा है। इसका अर्थ है-स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति विषय या पशु-पक्षी के संबंध में लिखित लेख। यह पाठ श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है। इनकी कुछ रचनाएँ अपने पुस्तकालय से लेकर पढ़ें। इनके द्वारा लिखित अन्य संस्मरण हैं: घीसा, गौरा, नीलकंठ मोर, सोनाहिरणी, नीलू आदि। इन्हें पढ़ें और लेखिका के पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम तथा संवेदनशीलता को अनुभव करें।

गिल्लू Summary in Hindi

गिल्लू पाठ का सार

‘गिल्लू’ श्रीमती महादेवी वर्मा का जीव – मनोविज्ञान पर आधारित एक मार्मिक संस्मरण है। लेखिका सोन जही में लगी पीली कली को देख कर उस लघ प्राण गिल्ल की स्मतियों में डूब जाती है। वह कभी इसी लता की हरियाली में छिप कर बैठता था। गिल्लू अचानक लेखिका के कन्धे पर कूद कर उसे चौंका देता था। लेखिका पहले सोन जूही में कली की तलाश में रहती थी, परन्तु अब उसे गिल्लू की तलाश है, क्योंकि वह मिट्टी में मिल गया है।

लेखिका ने एक दिन देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ छुओवल जैसा खेल – खेल रहे हैं। अचानक लेखिका का ध्यान गमले के साथ सटे एक लघु प्राण गिलहरी के बच्चे की ओर गया। कौवे उसे अपना आहार बनाना चाहते थे। उन्होंने उसे अपनी चोंचों से घायल कर दिया था, जिस कारण वह मृतप्राय था।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

लेखिका ने उसे उठाया और उसका उपचार किया। उसे मरहम लगाई गई। मुँह में पानी की बूंद टपकाई, तीन दिन बाद वह लेखिका की उंगली पर बैठ कर इधर – उधर देखने लगा।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

तीन – चार मास बीत जाने पर गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोयें, झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आँखें सब को आकृष्ट करने लगीं। उसका नामकरण कर दिया गया। उसे ‘गिल्लू’ कह कर पुकारा जाने लगा। उसे फूलों की टोकरी में रूई बिछा कर खिड़की पर लटका दिया जाता। वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा। वह कांच के मनकों – सी आँखों से अन्दर और बाहर सब कुछ देखता रहता। उसकी समझदारी पर सब हैरान होते।

लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू उसके पैरों तक आ कर तेज़ी से खिड़की के परदे पर जा चढ़ता। कभी – कभी लेखिका उसे पकड़ कर एक लम्बे लिफाफे में रख देती। ऐसी स्थिति में वह घण्टों लेखिका की सारी गतिविधियां देखता रहता।

गिल्लू के जीवन का पहला बसन्त आया। नीम – चमेली की गन्ध कमरे में आने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली में से उसे देखतीं। गिल्लू भी बाहर झांकता। लेखिका ने उसे मुक्त करना आवश्यक समझा। जाली का एक कोना खोल दिया। गिल्लू ने बाहर निकल कर सुख की सांस ली। इतने छोटे जीव को कुत्ते – बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या थी। लेखिका के कॉलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खुलता गिल्लू जाली के द्वार से अन्दर जाकर दौड़ लगाने लगता।

लेखिका के पास अनेक पशु – पक्षी थे, परन्तु किसी को उसकी थाली में खाने का साहस न होता था परन्तु गिल्लू इनमें अपवाद था। लेखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती गिल्लू तुरन्त बरामदा पार करके मेज़ पर पहुँच जाता। लेखिका ने उसे बड़ी कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया। वह एक – एक चावल उठा कर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता। काजू उसका प्रिय खाद्य था।

एक बार लेखिका मोटर – दुर्घटना में घायल हो गई। उसे अस्पताल में रहना पड़ा। जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खुलता तो गिल्लू अपने झूले से उतर कर दौड़ता लेकिन फिर किसी दूसरे को देख कर झूले में जा छिपता। सब उसे काजू दे जाते। परन्तु वह उन्हें न खाता। यह लेखिका को तब पता चला जब वह अस्पताल से घर लौटी और झूले की सफ़ाई की।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

गिलहरी के जीवन की अवधि प्राय: दो साल से अधिक नहीं होती। गिल्लू के जीवन का अन्त निकट आ गया। उसने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर ही गया। रात में वह झले से उतर कर लेखिका के बिस्तर पर आया और उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में मरणासन्न हालत में पकड़ा था। उसे बचाने का उपचार किया गया। परन्तु सुबह होते ही उसके जीवन का अन्त हो गया।

गिल्लू कठिन शब्दों के अर्थ

  • अनायास = अचानक।
  • स्मरण = याद।
  • हरीतिमा = हरियाली।
  • स्निग्ध = चिकने।
  • विस्मित = हैरान।
  • डलिया = टोकरी।
  • कार्यकलाप = गतिविधियों।
  • आकर्षित = आकृष्ट।
  • अतिरिक्त = अलावा।
  • अदभुत स्थिति = अनोखी हालत।
  • प्रथम = पहला।
  • अपवाद = निर्विवाद।
  • आहत = घायल।
  • खाद्य = खाने योग्य पदार्थ।
  • अस्वस्थता = बीमारी।
  • परिचारिका = सेवा करने वाली।
  • सर्वथा = बिल्कुल।
  • मरणासन्न = मौत के समीप।
  • उष्णता = गर्मी।
  • स्पर्श = छूना।
  • लता = बेल।
  • समाधि = ध्यानस्थ होना, चिर – निन्द्रा।
  • लघुगात = छोटे शरीर वाला।
  • पीताभ = पीली चमक।
  • लघुप्राण = छोटे प्राणों वाला।

गिल्लू गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दौ कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा है, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक शीर्षक से लिया गया है जो महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि एक दिन जब वह अपने कमरे से बरामदे में आई तो अचानक उसने देखा कि दो कौए एक गमले के चारों ओर अपनी चोंचों से कुछ छूने का खेल खेल रहे हैं। तभी लेखिका की दृष्टि गमले और दीवार के बीच खाली पड़ी जगह पर गई। जब उसने पास जाकर देखा तो वहाँ गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा था जिसे देख लगता था कि वह अपने घोंसले से गिर गया होगा। अब कौए उसे अपना भोजन बनाने के लिए ढूँढ़ रहे थे।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने उसकी सेवा कैसे की? - lekhika ke asvasth hone par gilloo ne usakee seva kaise kee?

विशेष –

  • लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे की करुण दशा का चित्रण किया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. वह मेरे पैर तक आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता, जब तक मैं उसे पकड़ने के लिए न उठती। – कभी मैं गिल्लू को पकड़कर एक लम्बे लिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघु गात लिफ़ाफ़े के भीतर बन्द रहता। इस अद्भुत स्थिति में कभी – कभी घण्टों मेज़ पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से मेरा कार्यकलाप देखा करता।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ गिल्लू की उछल – कूद का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिल्लू को सोनजुही की बेल के नीचे समाधि दी गई उसे सोनजुही की बेल अत्यधिक प्यारी थी। इसलिए गिल्लू को उसी के नीचे समाधि र्द गई। लेखिका कहती है कि उसे सोनजुही बेल के नीचे समाधि देने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उसे पूर्ण विश्वास है कि किसी बसन्त ऋतु के दिन सोनजूही के छोटे खिले फूलों में उसके नन्हें शरीर वाले गिल्लू का फिर से जन्म होगा। भाव यह है कि गिल सोनजुही के खिले हुए फूलों के रूप में फिर से लौट कर आएगा।

लेखिका ने गिल्लू को किस अवस्था में पाया उसका उपचार कैसे किया गया?

लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बड़े धैर्य के साथ के साथ रात-दिन उसकी सेवा की।

लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या किया था?

Answer: एक बार लेखिका बीमार हो गई तो गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था

लेखिका के उपचार से गिल्लू कितने दिनों में स्वस्थ हो गया?

लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया। 4. गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए सर्र से परदे के ऊपर चढ़ जाता और तेजी से नीचे उतर आता था।

अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता इस कार्य से गिल्लू की कौन सी विशेषता का?

लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति किसी परिचारिका की उपस्थिति की तरह महसूस होती थी, क्योंकि उसने लेखिका का ध्यान किसी सेविका की ही तरह रखा था।