Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 गिल्लू Textbook Exercise Questions and Answers. Show
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 14 गिल्लू (2nd Language)Hindi Guide for Class 8 PSEB गिल्लू Textbook Questions and Answers गिल्लू अभ्यास 1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें : उत्तर : विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें। 2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें : उत्तर : विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें। 3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें : (क) गिल्लू कौन था? (ख) लेखिका ने उसे स्वस्थ करने के लिए क्या उपचार किया? (ग) गिल्लू का घर कैसा था? (घ) लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ? (ङ) लेखिका ने गिल्लू को बाहर झाँकते देखकर क्या किया? (च) गिल्लू लेखिका को चौंकाने के लिए क्या करता था? (छ) लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या-क्या किया? (ज) गिल्लू के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ? 4. इन वाक्यों के भाव स्पष्ट करें : (क) ‘जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया।’ (ख) ‘उसका हटना परिचारिका के हटने के समान लगता।’ (ग) “किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया।’ 5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :
उत्तर :
6. विपरीत शब्द लिखें :
उत्तर :
7. विशेषण बनायें :
उत्तर :
8. ‘इत’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :
उत्तर :
9. निम्नलिखित मुहावरों को इस तरह वाक्य में प्रयोग करें ताकि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाये।
उत्तर :
10. यदि आपको कुत्ते का पिल्ला या बिल्ली का बच्चा मिल जाये तो आप उसकी देखभाल कैसे करेंगे? प्रयोगात्मक व्याकरण
उपयुक्त वाक्यों में ‘और’, ‘या’, ‘परन्तु’, ‘मानो’, ‘क्योंकि’, ‘अतः’, तथा इसलिए’ शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं। अतएव दो शब्दों, वाक्य के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं। अन्य योजक शब्द : एवं, तथा, किंतु, चाहे, पर, इस कारण, यानि, कि यद्यपि—-तथापि, चाहे—- फिर भी आदि। महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मेरा परिवार’ से उनके पालतू पशु-पक्षी के शब्द चित्रों की जानकारी प्राप्त करें। प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। कविता, कहानी, लेख की भाँति यह भी साहित्य की एक विधा है। इसका अर्थ है-स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति विषय या पशु-पक्षी के संबंध में लिखित लेख। यह पाठ श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है। इनकी कुछ रचनाएँ अपने पुस्तकालय से लेकर पढ़ें। इनके द्वारा लिखित अन्य संस्मरण हैं: घीसा, गौरा, नीलकंठ मोर, सोनाहिरणी, नीलू आदि। इन्हें पढ़ें और लेखिका के पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम तथा संवेदनशीलता को अनुभव करें। गिल्लू Summary in Hindiगिल्लू पाठ का सार ‘गिल्लू’ श्रीमती महादेवी वर्मा का जीव – मनोविज्ञान पर आधारित एक मार्मिक संस्मरण है। लेखिका सोन जही में लगी पीली कली को देख कर उस लघ प्राण गिल्ल की स्मतियों में डूब जाती है। वह कभी इसी लता की हरियाली में छिप कर बैठता था। गिल्लू अचानक लेखिका के कन्धे पर कूद कर उसे चौंका देता था। लेखिका पहले सोन जूही में कली की तलाश में रहती थी, परन्तु अब उसे गिल्लू की तलाश है, क्योंकि वह मिट्टी में मिल गया है। लेखिका ने एक दिन देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ छुओवल जैसा खेल – खेल रहे हैं। अचानक लेखिका का ध्यान गमले के साथ सटे एक लघु प्राण गिलहरी के बच्चे की ओर गया। कौवे उसे अपना आहार बनाना चाहते थे। उन्होंने उसे अपनी चोंचों से घायल कर दिया था, जिस कारण वह मृतप्राय था। लेखिका ने उसे उठाया और उसका उपचार किया। उसे मरहम लगाई गई। मुँह में पानी की बूंद टपकाई, तीन दिन बाद वह लेखिका की उंगली पर बैठ कर इधर – उधर देखने लगा। तीन – चार मास बीत जाने पर गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोयें, झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आँखें सब को आकृष्ट करने लगीं। उसका नामकरण कर दिया गया। उसे ‘गिल्लू’ कह कर पुकारा जाने लगा। उसे फूलों की टोकरी में रूई बिछा कर खिड़की पर लटका दिया जाता। वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा। वह कांच के मनकों – सी आँखों से अन्दर और बाहर सब कुछ देखता रहता। उसकी समझदारी पर सब हैरान होते। लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू उसके पैरों तक आ कर तेज़ी से खिड़की के परदे पर जा चढ़ता। कभी – कभी लेखिका उसे पकड़ कर एक लम्बे लिफाफे में रख देती। ऐसी स्थिति में वह घण्टों लेखिका की सारी गतिविधियां देखता रहता। गिल्लू के जीवन का पहला बसन्त आया। नीम – चमेली की गन्ध कमरे में आने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली में से उसे देखतीं। गिल्लू भी बाहर झांकता। लेखिका ने उसे मुक्त करना आवश्यक समझा। जाली का एक कोना खोल दिया। गिल्लू ने बाहर निकल कर सुख की सांस ली। इतने छोटे जीव को कुत्ते – बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या थी। लेखिका के कॉलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खुलता गिल्लू जाली के द्वार से अन्दर जाकर दौड़ लगाने लगता। लेखिका के पास अनेक पशु – पक्षी थे, परन्तु किसी को उसकी थाली में खाने का साहस न होता था परन्तु गिल्लू इनमें अपवाद था। लेखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती गिल्लू तुरन्त बरामदा पार करके मेज़ पर पहुँच जाता। लेखिका ने उसे बड़ी कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया। वह एक – एक चावल उठा कर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता। काजू उसका प्रिय खाद्य था। एक बार लेखिका मोटर – दुर्घटना में घायल हो गई। उसे अस्पताल में रहना पड़ा। जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खुलता तो गिल्लू अपने झूले से उतर कर दौड़ता लेकिन फिर किसी दूसरे को देख कर झूले में जा छिपता। सब उसे काजू दे जाते। परन्तु वह उन्हें न खाता। यह लेखिका को तब पता चला जब वह अस्पताल से घर लौटी और झूले की सफ़ाई की। गिलहरी के जीवन की अवधि प्राय: दो साल से अधिक नहीं होती। गिल्लू के जीवन का अन्त निकट आ गया। उसने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर ही गया। रात में वह झले से उतर कर लेखिका के बिस्तर पर आया और उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में मरणासन्न हालत में पकड़ा था। उसे बचाने का उपचार किया गया। परन्तु सुबह होते ही उसके जीवन का अन्त हो गया। गिल्लू कठिन शब्दों के अर्थ
गिल्लू गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या 1. अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दौ कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा है, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं। प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक शीर्षक से लिया गया है जो महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर किया है। व्याख्या – लेखिका कहती है कि एक दिन जब वह अपने कमरे से बरामदे में आई तो अचानक उसने देखा कि दो कौए एक गमले के चारों ओर अपनी चोंचों से कुछ छूने का खेल खेल रहे हैं। तभी लेखिका की दृष्टि गमले और दीवार के बीच खाली पड़ी जगह पर गई। जब उसने पास जाकर देखा तो वहाँ गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा था जिसे देख लगता था कि वह अपने घोंसले से गिर गया होगा। अब कौए उसे अपना भोजन बनाने के लिए ढूँढ़ रहे थे। विशेष –
2. वह मेरे पैर तक आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता, जब तक मैं उसे पकड़ने के लिए न उठती। – कभी मैं गिल्लू को पकड़कर एक लम्बे लिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघु गात लिफ़ाफ़े के भीतर बन्द रहता। इस अद्भुत स्थिति में कभी – कभी घण्टों मेज़ पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से मेरा कार्यकलाप देखा करता। प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ गिल्लू की उछल – कूद का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिल्लू को सोनजुही की बेल के नीचे समाधि दी गई उसे सोनजुही की बेल अत्यधिक प्यारी थी। इसलिए गिल्लू को उसी के नीचे समाधि र्द गई। लेखिका कहती है कि उसे सोनजुही बेल के नीचे समाधि देने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उसे पूर्ण विश्वास है कि किसी बसन्त ऋतु के दिन सोनजूही के छोटे खिले फूलों में उसके नन्हें शरीर वाले गिल्लू का फिर से जन्म होगा। भाव यह है कि गिल सोनजुही के खिले हुए फूलों के रूप में फिर से लौट कर आएगा। लेखिका ने गिल्लू को किस अवस्था में पाया उसका उपचार कैसे किया गया?लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बड़े धैर्य के साथ के साथ रात-दिन उसकी सेवा की।
लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या किया था?Answer: एक बार लेखिका बीमार हो गई तो गिल्लू उनके सिराहने बैठ जाता और नन्हें पंजों से उनके बालों को सहलाता रहता। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।
लेखिका के उपचार से गिल्लू कितने दिनों में स्वस्थ हो गया?लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया। 4. गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए सर्र से परदे के ऊपर चढ़ जाता और तेजी से नीचे उतर आता था।
अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता इस कार्य से गिल्लू की कौन सी विशेषता का?लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति किसी परिचारिका की उपस्थिति की तरह महसूस होती थी, क्योंकि उसने लेखिका का ध्यान किसी सेविका की ही तरह रखा था।
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