लेखक ने वायु की लहरें और पोशाक में क्या समानता बताई है? - lekhak ne vaayu kee laharen aur poshaak mein kya samaanata bataee hai?

Extra Questions of पाठ - 2 दुःख का अधिकार Class 9th Hindi Sparsh Important Questions Answer Included

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर -

1. मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

प्रश्न –

1. पोशाकें किस प्रकार समाज को श्रेणियों में बाँट देती हैं ? 

2. पोशाक हमारे लिए कब बन्धन और अड़चन बन जाती है?

3. लेखक ने वायु की लहरें और पोशाक में क्या समानता बताई है?

4. पोशाक समाज में मनुष्य का क्या निश्चित करती है?

उत्तर -

1. पोशाकें समाज को विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं।

2. जब हम नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभवों को समझना चाहते हैं।

3. वायु की लहरें पतंग को सहसा भूमि पर गिरने से रोकती हैं और और पोशाक व्यक्ति को ख़ास परिस्थितयों में झुकने से रोकती हैं|

4. पोशाक समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है।

2. बाज़ार में, फुटपाथ पर कुछ खरबूज़ डलिया में और कुछ ज़मीन पर बिक्री के लिए रखे जान पड़ते थे।खरबूजों के समीप एक अधेड़ उम्र की औरत बैठी रो रही थी। खरबूजे बिक्री के लिए थे, परंतु उन्हें खरीदने के लिए कोई कैसे आगे बढ़ता? खरबूजों को बेचनेवाली तो कपड़े से मुँह छिपाए सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफककर रो रही थी। 

पड़ोस की दुकानों के तख्तों पर बैठे या बाजार में खड़े लोग घृणा से उसी स्त्री के संबंध में बात कर रहे थे। उस स्त्री का रोना देखकर मन में एक व्यथा-सी उठीं, पर उसके रोने का कारण जानने का उपाय क्या था? फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई।

प्रश्न -

1. कोई खरबूजों को खरीदने के लिए आगे क्यों नहीं बढ़ रहा था? 

2. रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

3. लेखक स्त्री के रोने का कारण क्यों न जान सका? 

उत्तर -

1. खरबूजे बेचनेवाली कपड़े में मुँह छिपाए, सिर को घुटनों पर रखे फफक-फफक्कर रो रही थी।

2. रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा और वे उसके रोने का करण जानने को व्याकुल हो उठे|

3. लेखक की सभ्य पोशाक उन्हें फूटपाथ पर स्त्री के समीप बैठने से रोक रही थी इस कारण वे उसके रोने का कारण नहीं जान सके|

लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर -

1. समाज में पोशाक से व्यक्ति का दर्जा क्यों तय किया जाता है? 

उत्तर

समाज में पोशाक से व्यक्ति का दर्जा इसलिए तय किया जाता है क्योंकि हर व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार अपनी पोशाक का चयन करता है। जिन लोगों की आय कम है वे साधारण कपड़े पहनते हैं और जिनकी आय अधिक हैं वे महँगे कपड़े पहनते हैं।

2. सूतक क्या होता है? उसका दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर

किसी व्यक्ति के मृत्यु होने के बाद तेरह दिनों तक घर में सूतक होता है| इस अवधि में घर अशुद्ध माना जाता है। लोग धार्मिक कार्यों में हिस्सा नहीं लेते हैं और घर में रहकर मृत्यु का शोक मनाते हैं|

3. पड़ोस की दुकानों के लोग उस स्त्री की तरफ़ घृणा से क्यों देख रहे थे?

उत्तर

पड़ोस की दुकानों के लोग के अनुसार बुढ़िया को घर पर रहकर अपने बेटे के मृत्यु का शोक मानना चाहिए था| बाज़ार में आकर काम शुरू करना नहीं चाहिए था| उनकी नज़र में ऐसा कर बुढ़िया खुद का धर्म भ्रष्ट करने के साथ-साथ औरों का भी धर्म भ्रष्ट करने का काम कर रही थी इसलिए वे लोग उस स्त्री की तरफ़ घृणा से देख रहे थे|

4. बुढ़िया और संभ्रांत महिला का दुख समान होते हुए भी भिन्न कैसे था?

उत्तर 

दोनों का सुख समान होते हुए भी भिन्न इस तरह था क्योंकि बुढ़िया गरीब थी| वह चाहकर भी अपना दुःख दिखा नहीं सकती थी| दूसरी ओर संभ्रांत महिला पैसे वाली थी। उसके साथ कई लोग थे जो दुःख के समय में उसका देखभाल कर सकते थे| 

दीर्घस्तरीय प्रश्न –

1. ‘शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दुखी होने का भी एक अधिकार होता है। लेखक ने ये शब्द किस आधार पर कहे हैं? समझाइए।

उत्तर 

लेखक ने जब देखा कि संभ्रांत महिला के दुख में लोग शामिल हो रहे थे वहीं दूसरी ओर गरीब बूढी औरत के दुख में शामिल होने के बजाय उसे बुरा-भला कह रहे थे तो लेखक ने यह लिखा है कि दुखी होने का भी एक अधिकार होता है। दुख प्रकट करने के लिए और शोक मनाने के लिए भी मनुष्य के पास सुविधा होनी चाहिए अन्यथा वह शोक भी नहीं मना सकता| गरीब होने कि वजह से समाज उसे घृणा की दृष्टि से देखता है|

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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?

Answer:

किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर समाज में उसके अधिकार और दर्जे को निश्चित किया जाता है।

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Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था?

Answer:

खरबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूज़े इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि उसका जवान बेटा कल ही मृत्यु का ग्रास बना था। किसी की मृत्यु के समय उस घर में सूतक का प्रावधान होता है। उसके परिवारवालों के हाथ का लोग न खाते हैं और न ही पानी पीते हैं। ऐसे में वह स्त्री खरबूज़ें बेचने बाज़ार चली आई । लोगों को यह बहुत घृणास्पद बात लगी। उनके अनुसार वह जान बूझकर लोगों का धर्म नष्ट कर रही थी इसलिए कोई उसके खरबूज़े नहीं खरीद रहा था।

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Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

Answer:

उस स्त्री को देखकर लेखक को उससे सहानुभूति हुई और दु:ख भी हुआ। वह उसके दुख को दूर करना भी चाहता था पर उसकी पोशाक अड़चन बन रही थी।

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Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

Answer:

उस स्त्री के लड़के की मृत्यु एक साँप के काटने से हुई। जब वह मुँह-अँधेरे खेत से पके खरबूज़े चुन रहा था।

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Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?

Answer:

बुढ़िया बहुत गरीब थी। अब बेटा भी नहीं रहा तो लोगों को अपने पैसे लौटने की संभावना नहीं दिखाई दी। इसलिए कोई भी उसे उधार नहीं दे रहा था।

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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

Answer:

पोशाक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। पोशाक मात्र शरीर को ढकने के लिए नहीं होती है बल्कि यह मौसम की मार से बचाती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी लोग उतने अधिक लोग प्रभावित होगें।

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Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

Answer:

पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।

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Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

Answer:

लेखक के पास उस बुढ़िया के रोने का कारण जान सकने का कोई उपाय नहीं था। लेखक की पोशाक उसके इस कष्ट को जान सकने में अड़चन पैदा कर रही थी क्योंकि फुटपाथ पर उस बुढ़िया के साथ बैठकर लेखक उससे उसके दु:ख का कारण नहीं पूछ सकता था। इससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती, उसे झुकना पड़ता।

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Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

Answer:

भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में खरबूज़ों को बोकर परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डालियाँ बाज़ार में पहुँचाकर लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता था।

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Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?

Answer:

लड़के की मृत्यु पर सब कुछ खर्च हो गया। बुढ़िया बहुत गरीब थी। उसके पास न तो कुछ खाने को था और न पैसा था। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से पैसे पाने की कोशिश में वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।

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Question 6:

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

Answer:

लेखक के पड़ोस में एक संभ्रांत महिला रहती थी। उसके पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी और बुढ़िया के पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी परन्तु दोनों के शोक मनाने का ढंग अलग-अलग था। बुढ़िया को आर्थिक तंगी, भूख, बीमारी, मुँह खोले खड़ी थी। वह घर बैठ कर रो नहीं सकती थी। मानों उसे इस दुख को मनाने का अधिकार ही न था। जबकि संभ्रांत महिला को असीमित समय था। अढ़ाई मास से पलंग पर थी, डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था। लेखक दोनों की तुलना करना चाहता था इसलिए उसे संभ्रांत महिला की याद आई।

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Question 2:

निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए

ईमान

बदन

अंदाज़ा

बेचैनी

गम

दर्ज़ा

ज़मीन

ज़माना

बरकत

Answer:

ईमान

ज़मीर, विवेक

बदन

शरीर, तन, देह

अंदाज़ा

अनुमान

बेचैनी

व्याकुलता, अधीरता

गम

दुख, कष्ट, तकलीफ

दर्ज़ा

स्तर, कक्षा

ज़मीन

धरती, भूमि, धरा

ज़माना

संसार, जग, दुनिया

बरकत

वृद्धि, बढ़ना

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Question 1:

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए

जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

Answer:

लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है जिस प्रकार हवा कटी पतंग को अचानक नीचे नहीं गिरने देती है। इसी प्रकार अच्छी पोशाक हमें नीचे नहीं झुकने देती है।

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Question 2:

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए

इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

Answer:

यह गरीबों पर एक बड़ा व्यंग्य है। अपनी भूख के लिए उन्हें पैसा कमाने रोज़ ही जाना पड़ता है परन्तु कहने वाले उनसे सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है, रिश्ता-नाता इनके लिए कुछ भी नहीं है।

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Question 3:

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए

शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दु:खी होने का भी एक अधिकार होता है।

Answer:

शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।

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Question 3:

निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए

उदाहरण : बेटा-बेटी

Answer:

फफक

फफककर

दुअन्नी

चवन्नी

ईमान

धर्म

आते

जाते

छन्नी

ककना

पास

पड़ोस

झाड़ना

फूँकना

पोता

पोती

दान

दक्षिणा

मुँह

अँधेरे

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Question 4:

पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए

बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।

Answer:

1. बंद दरवाज़े खोल देना प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।

2. निर्वाह करना परिवार का भरण-पोषण करना

3. भूख से बिलबिलाना बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)

4. कोई चारा न होना कोई और उपाय न होना

5. शोक से द्रवित हो जाना दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।

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Question 5:

निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

()

छन्नी-ककना

अढ़ाई-मास

पास-पड़ोस

दुअन्नी-चवन्नी

मुँह-अँधेरे

झाड़ना-फूँकना

()

फफक-फफककर

बिलख-बिलखकर

तड़प-तड़पकर

लिपट-लिपटकर

Answer:

()

1. छन्नी-ककना मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।

2. अढ़ाई-मास वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।

3. पास-पड़ोस पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।

4. दुअन्नी-चवन्नी आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।

5. मुँह-अँधेरे वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।

6. झाड़-फूँकना गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।

()

1. फफक-फफककर बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।

2. तड़प-तड़पकर आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।

3. बिलख-बिलखकर बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।

4. लिपट-लिपटकर बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।

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Question 6:

निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :

()

1

लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।

 

2

उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।

 

3

चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।

()

1

अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।

 

2

भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।

Answer:

()

1

लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।

बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थे।

2

उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।

बच्चों के लिए खिलौने लाने ही होंगे।

3

चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।

उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ ही क्यों न बिक जाए।

()

1

अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।

जैसा दूसरों के लिए करोगे वैसा ही फल पाओगे।

2

भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।

जो समय निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा।

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3 लेखक ने वायु की लहरें और पोशाक में क्या समानता बताई है?

जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

लेखक को कब पता चला कि उसकी पोशाक उसके लिए व्यवधान बन गई है?

उत्तरः लेखक वृद्धा की दशा देखकर व्यथित था। वह फुटपाथ पर बैठकर बुढ़िया के प्रति सहानुभूति प्रकट करना चाहता था। परन्तु ऐसा करने में उसकी पोशाक ही व्यवधान बन गई, क्योंकि लेखक ने आधुनिक ढंग के स्वच्छ वस्त्र पहने हुए थे, जो उसके कुलीन वर्ग से संबंधित होने का प्रमाण दे रहे थे। उसकी पोशाक ने उसमें बड़प्पन का अभिमान जगा दिया।

हमारी पोशाक कभी कभी हमें झुकने क्यों नहीं देती है?

पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है? उत्तर:- जब हमारे सामने कभी ऐसी परिस्थिति आती है कि हमें किसी दुखी व्यक्ति के साथ सहानुभूति प्रकट करनी होती है, परन्तु उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं। उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं। हमारी पोशाक उसके समीप जाने में तब बंधन और अड़चन बन जाती है।

मनुष्य की पोशाक क्या कार्य करती है?

प्रायः पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाजे खोल देती है, परंतु कभी ऐसी भी स्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है।