निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए : Show
विषयसूची इसे सुनेंरोकेंAnswer. लिखना क्रिया का प्रथम प्रेरणार्थक रूप होगा, लिखाना। प्रेरणार्थक क्रिया से तात्पर्य क्रिया के उस रूप से होता है, जिससे यह बोध होता है कि कर्ता स्वयं कार्य नहीं कर रहा है, बल्कि वह किसी अन्य को वह कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। खेलने में कौन सी क्रिया है?इसे सुनेंरोकेंक्रिया के साधारण रूपों के अंत में ना लगा रहता है जैसे-आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आदि। साधारण रूपों के अंत का ना निकाल देने से जो बाकी बचे उसे क्रिया की धातु कहते हैं। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं। क्रिया के कितने रूप होते हैं? इसे सुनेंरोकेंक्रिया के मुख्य दो भेद- सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया। लिखना शब्द का द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप शब्द क्या है? राम लजाता है। वह राम को लजवाता है। प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं।…प्रेरणार्थक क्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण
लिखना शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक रूप क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंप्रेरणार्थक क्रिया वह क्रिया होती है, जहाँ पर कर्ता कोई काम स्वयं ना करके उसे दूसरे से करवाने के लिए प्रेरित करें। ऐसी स्थिति में अकर्मक क्रिया सकर्मक क्रिया बन जाती है। क्रिया कैसे पहचाने?सकर्मक एवं अकर्मक क्रिया पहचाने-आसान Tricks
अकर्मक क्रिया का उदाहरण कौन है? इसे सुनेंरोकेंअकर्मक क्रिया की परिभाषा (Akarmak Kriya Ki Paribhasha) हिंदी व्याकरण के अनुसार कुछ क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो प्रयोग की दृष्टि से सकर्मक एवं अकर्मक दोनों होती हैं। जैसे:- खुजलाना, भरना, लजाना, भूलना, बदलना, ललचाना, घबराना इत्यादि। क्रिया के कितने प्रकार होते हैं Class 12? इसे सुनेंरोकेंप्रथम प्रेरणार्थक – जब कर्ता स्वयं प्रेरक बनकर अन्य किसी को कार्य करने की प्रेरणा देता है उसे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे – मैं आपको कहानी सुनाऊंगी। 2. द्वितीय प्रेरणार्थक – जब कर्ता स्वयं कार्य में सम्मिलित न होकर अन्य किसी से कार्य करवाता है उसे द्वितीय प्रेरणार्थक कहते हैं। (3)प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb)-जब कर्ता किसी कार्य को स्वयं न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे तो उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- उपर्युक्त वाक्यों में मालिक तथा अध्यापिका प्रेरणा देने वाले कर्ता हैं। नौकर तथा छात्र को प्रेरित किया जा रहा है। अतः उपर्युक्त वाक्यों में करवाता तथा पढ़वाती प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं। (1) प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला; जैसे- मालिक, अध्यापिका आदि। प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं : माँ परिवार के लिए भोजन बनाती है। माँ पुत्री से भोजन बनवाती है। इन वाक्यों में कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है और दूसरे से कार्य करवा रहा है। अतः यहाँ द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया है। याद रखने वाली बात यह है कि अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है। जैसे- प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती हैं। जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैंने उससे किताब लिखवायी। पहले में कर्ता अन्य (कर्म) को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है। इस प्रकार हिन्दी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते हैं। प्रथम में 'ना' का और द्वितीय में 'वाना' का प्रयोग होता है- हँसाना- हँसवाना। (4) पूर्वकालिक क्रिया (Absolutive Verb)- जिस वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले यदि कोई क्रिया हो जाए, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं। जैसे- पुजारी ने नहाकर पूजा की पूर्वकालिक क्रिया मूल धातु में 'कर' अथवा 'करके' लगाकर बनाई जाती हैं; जैसे- चोर सामान चुराकर भाग गया। (5) मूल क्रिया- जो क्रिया एक ही धातु से बनी हो, न तो किसी अन्य धातु से व्युत्पन्न हुई हो तथा न ही एकाधिक धातुओं के योग से बनी हो, उसे मूल क्रिया कहते हैं। जैसे- चलना, पढ़ना, लिखना, आना, बैठना, रोना आदि ऐसी ही क्रियाएँ हैं। (6) नामिक क्रिया - संज्ञा, विशेषण आदि शब्दों के आगे क्रियाकर (Verbalizer) लगाने से बनी क्रिया को नामिक क्रिया कहते हैं। जैसे- दिखाई देना, दाखिल होना, सुनाई पड़ना आदि क्रिया-रूपों में देना, होना, पड़ना आदि क्रियाकर हैं। इसे मिश्र क्रिया भी कहा जाता है। (7) समस्त क्रिया - जो क्रिया दो धातुओं के योग से सम्पन्न हो तथा जिसमें दोनों धातुओं का अर्थ बना रहे, उसे समस्त क्रिया कहते हैं। (8) सामान्य क्रिया- जब किसी वाक्य में एक की क्रिया का प्रयोग हुआ हो, उसे सामान्य क्रिया कहते हैं। (9) सहायक क्रिया- मूल क्रिया के साथ प्रयुक्त होने वाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते हैं। जैसे- वह फिसला। हिन्दी में चल, पड़, रुक, आ, जा, उठ, दे, बैठ, बन आदि धातुओं का प्रयोग सहायक क्रिया के रूप में भी होता है। (10) सजातीय क्रिया- जब कुछ अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं के साथ उनके धातु की बनी भाववाचक संज्ञा के प्रयोग को ही सजातीय क्रिया कहते हैं। जैसे- भारत ने लड़ाई लड़ी। (11) विधि क्रिया- जिस क्रिया से किसी प्रकार की आज्ञा का पता चले उसे विधि क्रिया कहते हैं। समापिका तथा असमापिका क्रियासमापिका क्रिया- हिन्दी में क्रिया सामान्यतः वाक्य के अंत में लगती है। वाक्य क्रिया से समाप्त होता है, इसी कारण ऐसी क्रिया को समापिका क्रिया कहा जाता है। उदाहरण- राम विद्यालय गया।इसने भिखारी को खाना खिलाया। यहाँ 'गया' तथा 'खिलाया' समापिका क्रियाएँ हैं। असमापिका क्रिया- जो क्रिया अपने सामान्य स्थान, वाक्य के अंत में, न आकर कहीं अन्यत्र आए, वह असमापिका क्रिया कहलाती है। उदाहरण- उसने डूबते बच्चे को बचा लिया। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि क्रिया के साथ ते, ते हुए, कर, ए, ना आदि लगाकर असमापिका क्रिया-रूप बनते हैं। इनका प्रयोग संज्ञा, विशेषण अथवा क्रिया-विशेषण रूप में होता है। उदाहरण- उसे लिखना नहीं आता। ...................... संज्ञा कर्म के आधार पर क्रिया के भेदकर्म की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित दो भेद होते हैं : (1)सकर्मक क्रिया(Transitive Verb) (1)सकर्मक क्रिया :-वाक्य में जिस क्रिया के साथ कर्म भी हो, तो उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
दूसरे शब्दों में-वाक्य में क्रिया के होने के समय कर्ता का प्रभाव अथवा फल जिस व्यक्ति अथवा वस्तु पर पड़ता है, उसे कर्म कहते है। जैसे- अध्यापिका पुस्तक पढ़ा रही हैं। क्रिया के साथ क्या, किसे, किसको लगाकर प्रश्न करने पर यदि उचित उत्तर मिले, तो वह सकर्मक क्रिया होती है; जैसे- उपर्युक्त वाक्यों में पढ़ा रही है, सींचा क्रियाएँ हैं। इनमें क्या, किसे तथा किसको प्रश्नों के उत्तर मिल रहे हैं। अतः ये सकर्मक क्रियाएँ हैं। कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है। जैसे- वह गाता है; वह पढ़ता है। यहाँ 'गीत' और 'पुस्तक' जैसे कर्म छिपे हैं। सकर्मक क्रिया के भेद सकर्मक क्रिया के निम्नलिखित दो भेद होते हैं:- (i) एककर्मक क्रिया :- जिस सकर्मक
क्रियाओं में केवल एक ही कर्म होता है, वे एककर्मक क्रिया कहलाती हैं। जैसे- श्याम फ़िल्म देख रहा है। इन उदाहरणों में फ़िल्म और झाड़ू कर्म हैं। 'देख रहा है' तथा 'लगा रही है' क्रिया का फल सीधा कर्म पर पड़ रहा है, साथ ही दोनों वाक्यों में एक-एक ही कर्म है। अतः यहाँ एककर्मक क्रिया है। (ii) द्विकर्मक क्रिया :- द्विकर्मक अर्थात दो कर्मो से युक्त। जिन सकमर्क क्रियाओं में एक साथ दो-दो कर्म होते हैं, वे द्विकर्मक सकर्मक क्रिया कहलाते हैं। कभी कभी वाक्य में दो कर्म होते हैं एक गौण कर्म व दूसरा मुख्य कर्म। जैसे- श्याम अपने भाई के साथ फ़िल्म देख रहा है। इन उदाहरणों में क्या, किसके साथ
तथा किससे प्रश्नों के उत्तर मिल रहे हैं; जैसे- दूसरे वाक्य में नौकरानी किससे, क्या लगा रही है? बच्चे गुरुजन को प्रणाम करते हैं। (2)अकर्मक क्रिया :- वे क्रिया जिनको करने के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती है
अकर्मक क्रिया कहलाती है। अ + कर्मक अर्थात कर्म रहित/कर्म के बिना। जिन क्रियाओं के साथ कर्म न लगा हो तथा क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़े, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रियाओं का 'कर्म' नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पड़कर कर्ता पर पड़ता है।उदाहरण के लिए - श्याम सोता है। इसमें 'सोना' क्रिया अकर्मक है। 'श्याम' कर्ता है, 'सोने' की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पड़ता है। इसलिए 'सोना' क्रिया अकर्मक है। अन्य उदाहरण कुछ अकर्मक क्रियाएँ इस प्रकार हैं : सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान 'क्या', 'किसे' या 'किसको' आदि पश्र करने से होती है। यदि कुछ उत्तर मिले, तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी। (i) 'राम फल खाता हैै।' उदाहरणार्थ- मारना, पढ़ना,
खाना- इन क्रियाओं में 'क्या' 'किसे' लगाकर पश्र किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-
लिखना शब्द का द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप शब्द क्या है?प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती हैं।
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प्रेरणार्थक क्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण. लिखना शब्द का प्रेरणार्थक रूप क्या है?लिखना क्रिया का प्रथम प्रेरणार्थक रूप होगा, लिखाना।
चलना शब्द का द्वितीय प्रेरणार्थक रूप क्या है?4. चलना – चलाना. 5. ...
प्रेरणार्थक क्रिया के कितने रूप होते हैं?प्रेरणार्थक क्रिया के रूप
प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप होते हैं। 1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया :- जिस प्रेरणार्थक क्रिया में कर्ता प्रेरक बनकर प्रेरणा देता है उसे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। यह सभी क्रियाएँ सकर्मक होती हैं।
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