शब्दों की चित्रमयी भाषा से चाक्षुक बिंब या दृश्य बिंब साकार हो उठता है। इससे सारा दृश्य हमारी आँखों के सामन घूम जाता है। Show (ग) कविता की संगीतात्मकता पर
कविता में तुकांतयुक्त पदावली और संगीतात्मकता होने से गेयता का गुण आ जाता है। प्रश्न 3.
योग्यता विस्तार
परियोजना कार्य प्रश्न 2. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
पर्वतीय प्रदेश में अचानक हुए इन परिवर्तनों को देखकर शाल के पेड़ भयाकुल हो उठे। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. अचानक बादल उमड़ते हैं। बादलों में पर्वत और झरने अदृश्य हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे पर्वत विशालकाय पक्षी की भाँति पंख फड़फड़ाकर उड़ जाते हैं। मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। शाल के पेड़ भयभीत होकर धरती में धंसने से लगते हैं। तालाब से धुआँ उठने लगता है। ऐसा लगता है जैसे इंद्र अपनी जादूगरी दिखा रहा है। प्रश्न 2मेखलाकार का अर्थ है गोल, जैसे - कमरबंध। यहाँ इस शब्द का प्रयोग पर्वतों की श्रृंखला के लिए किया गया है। ये पावस ऋतु में दूर-दूर तक गोल आकृति में फैले हुए हैं।
मातृभूमि कविता में मेखलाकार से क्या आशय है?Solution : मेखलाकर शब्द का अर्थ है-करधनी। कवि ने कविता में मेखलाकार शब्द का प्रयोग वर्षा ऋतु में पर्वतों की टेढ़ी-मेढ़ी लगने वाली श्रृंखला के लिए किया है। इसने भी धरती को करधनी के समान घेर रखा है। मेखलाकार शब्द का प्रयोग कवि ने पर्वत की विशालता दर्शाने के लिए किया है।
फड़का अपार बादल के पर से क्या आशय है?फड़का अपार पारद के पर। है टूट पड़ा भू पर अंबर। अचानक मौसम बदल जाता है और लगता है जैसे पर्वत अचानक अपने पारे जैसे चमकीले पंख फड़फड़ाकर कहीं उड़ गया है। अब केवल झरने की आवाज निशानी के तौर पर रह गई है; क्योंकि धरती पर आसमान टूट पड़ा है।
झर झर नस नस उठ उठ में कौन सा अलंकार है?3. 'झर-झर', 'नस-नस', 'उठ - उठ' में' पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है । 4. 'झरते झाग', 'नीरव नभ', 'अनिमेष अटल' में अनुप्रास अलंकार है।
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