मार्टिन लूथर कौन से धर्म के सुधारक थे? - maartin loothar kaun se dharm ke sudhaarak the?

इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि मार्टिन लूथर कौन था?

मार्टिन लूथर कौन था

मार्टिन लूथर (Martin Luther) का जन्म 1483 में हुआ था, इन्हें प्रसिद्धि इनके प्रोटेस्टवाद नामक सुधारात्मक आन्दोलन को प्रारम्भ करने के बाद मिली थी। यह जर्मनी के निवासी थे जहा यह धर्मशास्त्री, पादरी, धर्म सुधारक के रूप में जाने जाते थे। इनके द्वारा जिस प्रोटेस्टिज्म सुधारान्दोलन की शुरुवात हुई थी इस आन्दोलन ने पश्चिमी यूरोप को विकास की राह दिखाई थी।

सेक्सनी राज्य के इस्लीडेन नामक गांव में जन्मे इस इंसान ने पश्चिमी यूरोप की छवि ही बदल कर रख दी थी। इनके पिता हैंस लूथर एक खान के मजदूर थे जो आठ बच्चो के पिता थे। एरफुर्ट के विश्वविद्यालय से मार्टिन ने एम॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की थी। इनके पिताजी चाहते थे कि यह कानून की शाखा में अध्यन करें पर वहा का मौसम इतना खराब रहता था कि वहां तूफ़ान आते रहते थे तो इस बात को मार्टिन ने गंभीर ले लिया तथा सन्यास लेने का विचार किया और 1505 में ही संत अगस्तिन के संन्यासियों के धर्मसंघ के सदस्य बन गये, लूथर बहुत ही समझदार थे उनके संघ ने उन्हें विट्टेनबर्ग विश्वविद्यालय भेज दिया जहा वो धर्मविज्ञान में डाक्टरेटर बने और अपने सन्यासी संघ के प्रांतीय अधिकारी भी बन गये।

इन्होने बाइबिल की व्याख्या भी कि था उनका कहना था कि बपतिस्मा संस्कार के बाद भी मनुष्य पापी ही रह जाता है तथा धार्मिक कार्यों द्वारा कोई भी पुण्य नहीं अर्जित कर सकता अत: उसे ईसा पर भरोसा रखना चाहिए।

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मार्टिन लूथर कौन से धर्म के सुधारक थे? - maartin loothar kaun se dharm ke sudhaarak the?

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मार्टिन लूथर का परिचय धर्म-सुधार का प्रयास चौदहवीं सदी से प्रारम्भ हो गा था, लेकिन अनुकूल परिस्थितियाँ न होने के ” कारण वह विफल रहा। सोलहवीं दी में जर्मनी में अनुकूल परिस्थितियों के बीच इसने सफलता प्राप्त की। सोलहवीं सदी में जर्मनी में धर्म-सुधार आन्दोलन की सफलता के अनेक कारण थे। जर्मनी में शक्तिशाली केन्द्रीय सत्ता का अभाव था। जर्मनी में अनेक स्वतन्त्र रियासतें थीं। इन रियासतों की सुदीर्घ अभिलाषा यह थी कि पोप की राजनीतिक सत्ता समाप्त हो जाए और उन्हें पोप के बन्धनों से मुक्ति मिले। उस समय दो बड़ी कैथोलिक शक्तियाँ-फ्रांस और पवित्र रोमन साम्राज्य-एक-दूसरे के विरुद्ध भीषण युद्धों में लगी हुई थीं। ये दोनों शक्तियाँ संगठित होकर धर्म-सुधार आन्दोलन को दबाने में असमर्थ थीं। पोप के हस्तक्षेप और पोप को दिए जाने वाले करों के कारण अन्य देशों की अपेक्षा जर्मनी को अधिक भार उठाना पड़ रहा था। इन परिस्थितियों के कारण यूरोप में धर्म-सुधार की लहर सबसे पहले जर्मनी में उठी। इस आन्दोलन का मुख्य संचालक मार्टिन लूथर था। मार्टिन लूथर यूरिन्जिया नामक स्थान पर 1483 ई० में हुआ था। उसने एरफ के विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। कानून तथा धर्म के विषय में उसका ज्ञान प्रशंसनीय था। 1505 ई० में वह पारी (missionary) बन गया। गिरजाघर में अपने को कड़े अनुशासन में रखने के बावजूद लूथर को आन्तरिक शान्ति न मिली। लूथर ने गिरजाघर छोड़ दिया और विटनबर्ग के विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र (Theology) का प्रोफेसर हो गया। धर्मशास्त्र के अध्ययन और अध्यापन के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के कई मन्तव्यों के बारे में लूथर के मन में अनेक शंकाएँ पैदा हो गईं। इसी कारण 1510 ई० में अपनी जिज्ञासा शान्त करने के लिए उसने रोम का भ्रमण किया। रोम में उसने अपनी आँखों से पोप तथा पादरियों का भ्रष्ट जीवन देखा। उस समय पोप अपने धार्मिक कर्तव्ये भूलकर भोग-विलास में लिप्त रहते थे। यह देखकर लूथर पोप के विरुद्ध हो गया तथा उसे धर्म से ग्लानि हो गई। वह एक नया धर्म चलाने का विचार करने लगा, जिसमें पोप के समान भ्रष्ट चरित्र वाले व्यक्ति का कोई नेतृत्व न हो। पोप के विरुद्ध भ्रष्टाचार खत्म करने का अवसर भी आ गया। उस समय पोप न ईसाई लोगों में यह विश्वास प्रचलित कर दिया था कि मनुष्य को मृत्यु के बाद पापों का दण्ड भुगतना पड़ता है, लेकिन पुण्य कार्यों में धन देने से उस दण्ड की मात्रा काम हो जाती है। दण्ड की मात्रा कम करने के लिए पोप पापमोचन-पत्र (Indulgences) जारी किया करते थे। ईसाई लोग अपने पापों से छुटकारा के लिए इन्हें खरीद लिया करते थे। इस प्रकार पापमोचन-पत्र धन एकत्रित करने का साधन बन गए। 1517 ई० में लूथर को पापमोचन-पत्रों के बारे में ता चला तो उसके हृदय में जो आग पहले से जल रही थी वह और भड़क उठी। लूथर ने, जो इस समय विटनबर्ग में प्रोफेसर था, पोप का कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया। उसने 95 सिद्धान्तों की एक सूची प्रस्तुत की, जिसमें पोप के सिद्धान्तों का विरोध किया गया था। यह सूची उसने गिरजाघर के मुख्य द्वार पर टाँग दी। इसमें तर्क के द्वारा पोप के धर्म का विरोध किया गया था तथा लूथर का यह कथन था कि इस विषय में कोई भी व्यक्ति उससे तर्क कर सकता है। पोप के धर्म का विरोध करने के कारण लूथर द्वारा प्रचलित यह धर्म प्रोटेस्टैण्ट धर्म (Protestant Religion) के नाम से सम्बोधित किया गया। जर्मनी में इस धर्म का प्रचार तीव्र-गति से हुआ। जर्मनी में प्रोटेस्टैण्ट चर्च की स्थापना की गई तथा उत्तरी जर्मनी की अधिकांश जनता लूथर के नवीन धर्म की अनुयायी बन गई। मार्टिन लूथर के इस विरोध के कारण पोप उसका शत्रु बन गया तथा एक घोषणा के द्वारा उसने लूथर तथा उसके अनुयायियों को धर्म से बहिष्कृत कर दिया। तथापि लूथर का उत्साह कम नहीं हुआ और उसने सम्पूर्ण जर्मनी में क्रान्ति की लहर फैला दी। उसने घूम-घूमकर पोप तथा उसके धर्म के विरुद्ध प्रचार आरम्भ कर दिया। यद्यपि इस समय अनेक व्यक्ति लूथर के अनुयायी बन गए तथापि उसके विरोधियों का भी अभाव नहीं था। जो अभी तक रोमन कैथोलिक धर्म के अनुयायी थे, लूथर से घृणा करते थे तथा उसके मार्ग में अवरोध उपस्थित कर रहे थे। स्पेन, ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस जैसे शक्तिशाली देशों के सम्राटों की सहायता पोप को ही प्राप्त थी। स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम ने लूथर को बुलाकर धर्म-सुधार आन्दोलन बन्द करने की आज्ञा दी तथा उसके मना करने पर लूथर को नास्तिक घोषित कर, दिया। वह लूथर को दण्ड भी देना चाहता था, परन्तु कुछ आन्तरिक समस्याओं से घिरे रहने के कारण वह उसको दण्ड न दे सका। लूथर ने सैक्सनी के राजा के यहाँ शरण ली। अन्त में जर्मनी के विभिन्न राज्यों ने लूथर के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया तथा लूथर की रक्षा करने का वचन दिया। इस प्रकार जर्मनी  में लूथर का धार्मिक आन्दोलन एक प्रकार से राष्ट्रीय आन्दोलन के रूप में परिणत हो गया।

मार्टिन लूथर कौन से धर्म सुधारक थे?

मार्टिन लूथर (Martin Luther) (१४८३ - १५४६) इसाई धर्म में प्रोटेस्टवाद नामक सुधारात्मक आन्दोलन चलाने के लिये विख्यात हैं। वे जर्मन भिक्षु, धर्मशास्त्री, विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, पादरी एवं चर्च-सुधारक थे जिनके विचारों के द्वारा प्रोटेस्टिज्म सुधारान्दोलन आरम्भ हुआ जिसने पश्चिमी यूरोप के विकास की दिशा बदल दी।

मार्टिन लूथर कौन था जर्मनी में धर्म सुधार की सफलता के कारण लिखिए?

मार्टिन लूथर 1483-1546 लूथर का जन्म 10 नवंबर, 1483 ई. को जर्मनी के एक निर्धन किसान परिवार में हुआ। लूथर प्रारम्भ में पोप का विरोधी नही था परन्तु 1517 ई. में टेटजेल को सेन्ट पीटर गिरजाघर के निर्माण हेतु, क्षमा-पत्र बेचकर धन इकट्ठा करने की पोप की आज्ञा ने, लूथर को चर्च विरोधी बना दिया।

मार्टिन लूथर कौन थे a दार्शनिक B राजनीति C धर्म सुधारक D समाज सुधारक?

(D) मार्टिन लुथर एक समाज सुधारक थे |

धर्म सुधार आंदोलन का जन्मदाता कौन था?

(34) धर्म-सुधार आन्दोलन की शुरुआत 16वीं सदी में हुई. (35) धर्म-सुधार आन्दोलन का प्रवर्तक मार्टिन लूथर था.