कमोडिटी मनी सबसे सरल और सबसे अधिक संभावना है, सबसे पुराना प्रकार का पैसा। यह दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों का निर्माण करता है जो विनिमय, मूल्य के भंडार और खाते की इकाई के माध्यम के रूप में कार्य करते हैं। वस्तु विनिमय, वस्तु और सेवाओं से निकटता से संबंधित है, जहां वस्तुओं और सेवाओं का अन्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए सीधे आदान-प्रदान किया जाता है। कमोडिटी मनी इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाती है क्योंकि यह
विनिमय के आम तौर पर स्वीकृत माध्यम के रूप में कार्य करता है। कमोडिटी मनी के बारे में ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसका मूल्य कमोडिटी के आंतरिक मूल्य से ही परिभाषित होता है। दूसरे शब्दों में, कमोडिटी ही पैसा बन जाती है। कमोडिटी मनी के उदाहरणों में सोने के सिक्के, मोती, गोले, मसाले आदि शामिल हैं। फिएट मनी को सरकारी आदेश (यानी, एफआईटी) से इसका मूल्य मिलता है। इसका मतलब है कि, सरकार फिएट मनी को कानूनी
निविदा घोषित करती है, जिसे देश के सभी लोगों और फर्मों को भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता होती है। यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या जेल में भी डाला जा सकता है। कमोडिटी मनी के विपरीत, फिएट मनी किसी भी भौतिक कमोडिटी द्वारा समर्थित नहीं है। परिभाषा के अनुसार, इसका आंतरिक मूल्य इसके अंकित मूल्य से काफी कम है। इसलिए, आपूर्ति और मांग के बीच संबंध से फिएट मनी का मूल्य प्राप्त होता है। अधिकांश आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं फिएट मनी सिस्टम पर आधारित हैं।
फिएट मनी के उदाहरणों में सिक्के और बिल शामिल हैं। फिड्युसरी मनी इस विश्वास पर अपने मूल्य के लिए निर्भर करती है कि इसे आम तौर पर विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाएगा। फिएट मनी के विपरीत, यह सरकार द्वारा कानूनी निविदा घोषित नहीं की जाती है, जिसका अर्थ है कि लोगों को कानून द्वारा भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, जारीकर्ता
द्वारा जारी धनराशि के जारीकर्ता द्वारा अनुरोध किए जाने पर वस्तु या एफआईएआई धन के बदले उसे वापस करने का वादा किया जाता है। जब तक लोगों को भरोसा है कि यह वादा नहीं तोड़ा जाएगा, तब तक वे नियमित रूप से फाइट या कमोडिटी मनी की तरह फिडुशरी मनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। फ़िड्युशरी मनी के उदाहरणों में चेक, बैंकनोट्स या ड्राफ्ट शामिल हैं। वाणिज्यिक बैंक धन को वित्तीय संस्थानों के खिलाफ दावों के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिनका उपयोग वस्तुओं या सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकता है। यह एक मुद्रा के हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है जो वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उत्पन्न ऋण से बना है। अधिक विशेष रूप से, वाणिज्यिक बैंक धन का निर्माण उस चीज के माध्यम से किया जाता है जिसे हम आंशिक रिजर्व बैंकिंग कहते हैं। आंशिक रिजर्व बैंकिंग एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करता है, जहां
वाणिज्यिक बैंक अपने द्वारा धारण की गई वास्तविक मुद्रा के मूल्य से अधिक ऋण देते हैं। इस बिंदु पर केवल ध्यान दें कि संक्षेप में, वाणिज्यिक बैंक धन वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उत्पन्न ऋण है जिसे "वास्तविक" धन के लिए या माल और सेवाओं को खरीदने के लिए विनिमय किया जा सकता है। पैसे के चार सबसे प्रासंगिक प्रकार कमोडिटी मनी, फिएट मनी, फिड्यूसरी मनी और कमर्शियल बैंक मनी हैं। कमोडिटी मनी आंतरिक रूप से मूल्यवान वस्तुओं पर निर्भर
करती है जो विनिमय के माध्यम के रूप में कार्य करती है। दूसरी ओर, फिएट मनी को सरकारी आदेश से इसका मूल्य मिलता है। इस बीच, फिडुशियरी मनी इस विश्वास पर अपने मूल्य के लिए निर्भर करती है कि इसे आम तौर पर विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाएगा। और वाणिज्यिक बैंक धन को वित्तीय संस्थानों के खिलाफ दावों के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिनका उपयोग सामान या सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकता है। मुद्रा क्या है अर्थ, कार्य परिभाषा What Is Money Meaning Functions Importance In Hindi: नमस्कार मित्रो आज हम करेंसी अर्थात मुद्रा के बारे में जानेंगे। इस निबंध में यह समझने की कोशिश करेंगे कि मुद्रा का अर्थ परिभाषा क्या है इसके कार्य महत्व इतिहास तथा अर्थव्यवस्था में महत्व को जानेंगे। मुद्रा का आविष्कार मानवीय आविष्कारों में सबसे महत्वपूर्ण है, ज्ञान की प्रत्येक शाखा में एक महत्वपूर्ण आविष्कार हुआ है। जैसे यन्त्र कला में पहिये का, विज्ञान में आग का, राजनीति शास्त्र में वोट का, उसी प्रकार अर्थशास्त्र तथा मनुष्य के सामाजिक जीवन के व्यापारिक पक्ष में मुद्रा एक महत्वपूर्ण आविष्कार हैं। आदिकाल में मनुष्य अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए प्रकृति पर निर्भर था। मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ उसने समूह में रहना सीखा। समूहों में रहते हुए मनुष्यो ने अपनी रुचि, कौशल एवं क्षमता के आधार पर अलग अलग व्यवसायों का चयन किया, जिनसे उनकी विभिन्न आवश्यकताए पूरी होने लगी। प्रारम्भिक काल मे समूह छोटे होने के कारण मनुष्य अपनी आवश्यकता की वस्तुओं का लेन देन सहज और सरल रूप में करने लगे। वस्तु के बदले वस्तु खरीदने या बेचने की इस व्यवस्था को वस्तु विनिमय कहा जाता हैं। Telegram Group Join Nowवस्तु विनिमय प्रणालीवस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत दो व्यक्तियों द्वारा परस्पर स्वयं द्वारा उत्पादित अतिरिक्त वस्तु अथवा सेवा का लेन देन किया जाता था। प्राचीन काल मे मनुष्य केवल प्राथमिक व्यवसाय में ही संलग्न था. जैसे कृषि, पशुपालन, मछली पालन व आखेट इत्यादि। अतः सामान्यतः अनाज के बदले वस्त्र, वस्त्र के बदले दूध, दूध के बदले अनाज तथा पालतू पशुओं का भी क्रय विक्रय इस प्रणाली के माध्यम से किया जाता था। यह व्यवस्था पूर्णतः आपसी समझ और विश्वास पर आधारित थी। वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयांमानव सभ्यताओं के विकास के साथ मनुष्यों के आर्थिक क्रियाकलाप बढ़ते चले गए और वस्तु विनिमय प्रणाली में अनेक कठिनाइयां उत्पन्न होने लगी, जिसके कारण इसका लोप हो गया। फलस्वरूप इसका स्थान मुद्रा व्यवस्था ने ले लिया। आइये कुछ प्रमुख कठिनाइयों को समझने का प्रयास करते हैं।
वस्तु विनिमय प्रणाली के अंतर्गत उपरोक्त कठिनाइयों के कारण कालांतर में इस व्यवस्था का लोप हो गया और मुद्रा का प्रादुर्भाव विनिमय के माध्यम के रूप में हुआ। मुद्रा का प्रादुर्भाव जन्म शुरुआत इतिहास – करेंसी /मनी हिस्ट्री इन हिंदीप्राचीन भारतीय इतिहास राजा महाराजाओं का इतिहास रहा है। ऐसी राजव्यवस्था में समस्त आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के अंतिम निर्णयकर्ता राजा हुआ करते थे। यहां तक कि वे अपनी मोहर जिस वस्तु या धातु पर टंकित कर देते थे वह राजकीय मुद्रा का रूप धारण कर लेती थी। सिक्कों का चलन इसी प्रणाली के विकास को दर्शाता है। देशकाल और परिस्थिति के अनुसार सोने, चांदी, ताँबे व कांसे के सिक्के चलाये गए। इस प्रकार जारी मुद्रा सर्वग्राह्यता एवं वैधानिकता के गुणों के साथ विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार की जाने लगी। मुद्रा का अर्थ व परिभाषा Meaning And Defination Of Money In Hindiमुद्रा को अंग्रेजी में मनी (money) कहते है। इस मनी शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के मोनेटा शब्द से हुई है। मोनेटा देवी जूनो का दूसरा नाम है। प्राचीन रोम में देवी जूनो को स्वर्ग की रानी कहकर संबोधित किया जाता था। उनका विचार था कि देवी जूनो स्वर्ग का आनन्द देने वाली देवी है, ठीक उसी प्रकार देवी जूनो के मन्दिर में बनाई गई मुद्रा भी स्वर्गीय सुखों को देने वाली हैं। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की भिन्न भिन्न परिभाषा दी हैं। अतः एक सर्वमान्य परिभाषा को जानना कठिन है, फिर भी अपने अध्ययन को व्यापक बनाने की दृष्टि से हम कुछ विद्वानों द्वारा दी गईं परिभाषाओं को समझने का प्रयास करेंगे।
उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात हम मुद्रा के दो महत्वपूर्ण गुणों को मान सकते हैं, पहला सामान्य स्वीकृति और दूसरा वैधानिकता। इस प्रकार मुद्रा की सर्वमान्य परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती हैं। मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जो विनिमय के माध्यम, मूल्य के मापक, स्थापित भुगतानों के मान तथा मूल्यों के संचय के साधन के रूप में स्वतंत्र , विस्तृत तथा सामान्य रूप से लोगों द्वारा स्वीकार की जा सकती हैं। मुद्रा के कार्य Functions Of Money In Hindiमोटे तौर पर मुद्रा के प्रमुख या प्राथमिक कार्य इस प्रकार हैं। विनिमय का माध्यम यह एक ऐसा महत्वपूर्ण कार्य है जो इसकी प्रमुख पहचान भी है समस्त प्रकार के लेन देन मुद्रा के माध्यम से ही सम्पन्न होते है क्योंकि मुद्रा में सर्वग्राह्यता का गुण विद्यमान होता है। बाजार में संव्यवहार प्रयोजन हेतु मुद्रा एक उपयुक्त माध्यम है। मूल्य का मापक यह दूसरा महत्वपूर्ण कार्य है मुद्रा के माध्यम से ही वस्तु का निर्धारण सम्भव होता है। वस्तु और सेवा के मूल्य मुद्रा के रूप में मापने से विनिमय आसान हो जाता है। राष्ट्रीय आय की गणना भी आसान हो जाती है। व्यय विधि उत्पादन विधि और आय विधि द्वारा देश की राष्ट्रीय आय मुद्रा के रूप में सरलता से की जा सकती हैं। सहायक कार्य- मुद्रा के सहायक कार्य, गौण कार्य अथवा द्वितीयक कार्य ऐसे कार्य है जो आर्थिक सुगमता के लिए होने लगे है यदपि मुद्रा का आविष्कार इन कार्यों के लिए नहीं हुआ । ये सहायक कार्य इस प्रकार है। भावी भुगतानों का आधार ऐसे आर्थिक सौदे जिनका भुगतान भविष्य में किया जाना है तो मुद्रा ऐसे भावी भुगतानों के लिए आधार प्रदान करती है, अर्थात भविष्य में उस वस्तु की कीमत का अनुमान लगा लिया जाता है। अतः मुद्रा स्थगित भुगतान के आधार के रूप में भी कार्य करती है। जनता के विभिन्न प्रकार के ऋण जैसे गृह ऋण, शिक्षा ऋण, उद्यम ऋण आदि का लेनदेन आसान हो जाता है। इसी प्रकार शेयर, डिबेंचर और प्रतिभूतियों को खरीदना व बेचना भी मुद्रा के माध्यम से आसान हो जाता है। मुद्रा एवं पूंजी बाजार का विकास सम्भव हो पाता है, जो एक अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए आवश्यक होता हैं। मुद्रा मूल्य संचय का आधार मुद्रा के माध्यम से किसी ऐसी वस्तु जिसका टिकाऊपन कम है बेचकर उसके मूल्य को भविष्य के लिए संचित रखा जा सकता है। मूल्य संचय तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन सम्भव हो पाता है। मुद्रा द्वारा क्रय की गई जमीन, मकान, सोना, चांदी बॉण्ड इत्यादि के रूप में मुद्रा का संचय किया जा सकता है। यदपि कभी कभी मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन होने पर लाभ व हानि की आशंका बनी रहती है। क्रय शक्ति हस्तांतरण मुद्रा के द्वारा एक व्यक्ति द्वारा संचित क्रय शक्ति को आसानी से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरीत किया जा सकता है। इस प्रकार मुद्रा क्रय शक्ति हस्तांतरण के साधन के रूप में भी कार्य करती है। एक व्यक्ति नकद के रूप में मुद्रा दूसरे व्यक्ति को सौपकर क्रय शक्ति का हस्तांतरण भी कर सकता है। आज के समय मे नकदी विहीन अर्थव्यवस्था में कोई भी व्यक्ति डेबिट, क्रेडिट एटीएम अथवा चेक इत्यादि के माध्यम से भी अपनी क्रय शक्ति अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है। इसके अतिरिक्त एक व्यक्ति स्वयं की खरीदी गई परिसम्पत्तियों को दूसरे व्यक्ति को बेचकर भी क्रय शक्ति का हस्तांतरण कर सकता है। इस प्रकार मुद्रा की सहायता से व्यक्तियों के मध्य एवं विभिन्न स्थानों के मध्य परिसम्पत्तियों का क्रय शक्ति हस्तांतरण सरलता से सम्भव हो जाता है। मुद्रा के आकस्मिक कार्यमुद्रा के द्वारा कुछ ऐसे आकस्मिक कार्य भी सम्पादित किये जाते है जो मुद्रा को और भी उपयोगी एवं सुविधाजनक माध्यम के रूप में सिद्ध करते है, ये इस प्रकार है। राष्ट्रीय आय का वितरण वर्तमान युग मे बड़े पैमाने पर उत्पादन और उपभोग किया जाता है, जो कि मुद्रा के माध्यम से ही सम्भव है। राष्ट्रीय आय का अनुमान भी मुद्रा के मूल्य से लगाया जाता है तथा कुल उत्पादन से प्राप्त मूल्य का समाज के विभिन्न वर्गों को भुगतान भी मुद्रा के माध्यम से ही सम्भव है। साख का आधार बाजारीकरण के इस दौर में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा अनेक प्रकार के ऋण उपलब्ध करवाए जाते है तथा जमाओ को भी स्वीकार किया जाता है। ये सभी कार्य मुद्रा के माध्यम से ही सम्पन्न हो सकते है। सम्पति की तरलता प्रो जे एम किन्स के अनुसार मुद्रा का एक महत्वपूर्ण कार्य पूंजी अथवा धन को तरल रूप प्रदान करना है। तरल रूप में किसी मुद्रा को किसी भी रूप में उपयोग लिया जा सकता है। मुद्रा एक ऐसी वस्तु या माध्यम है जो मनुष्य को अपनी इच्छानुसार आर्थिक निर्णय लेने में सहायता प्रदान करती है, मुद्रा की सहायता से व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है. उपभोक्ता जिस वस्तु के लिए सबसे अधिक कीमत देने को तत्पर होता है। उन्ही वस्तुओं का उत्पादन बाजार में अधिक किया जाता है। इसलिए पूंजीवाद में बाजार की एक प्रसिद्ध कहावत भी है उपभोक्ता बाजार का राजा होता है। मुद्रा का महत्व Importance Of Money In Hindiवर्तमान समय मे मुद्रा आर्थिक परिक्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटक बन चुकी है। अतः मुद्रा के महत्व को हम निम्न बिंदुओं के आधार पर समझ सकते हैं।
उपरोक्त बिंदुओं से स्पष्ट है कि मुद्रा आर्थिक क्षेत्र में अत्यधिक महत्व है, किन्तु फिर भी कुछ अर्थशास्त्री मुद्रा के प्रचलन को नियंत्रण में रखने की सलाह देते है. क्योंकि अनियंत्रित होने पर यह मुद्रा स्फीति का कारण बनती है जिसके अर्थव्यवस्था को गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ते है, इसलिए किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि मुद्रा एक अच्छी सेविका किन्तु बुरी स्वामिनी है। यह भी पढ़े
उम्मीद करता हु दोस्तो मुद्रा क्या है अर्थ, कार्य एवं परिभाषा । What Is Money Meaning Functions And Importance In Hindi का यह निबंध एस्से भाषण स्पीच आर्टिकल पसन्द आया हो तो अपने फ्रेंड्स के साथ जरूर शेयर करें। मुद्रा क्या है इसके प्रकारों सहित समझाइए?दूसरे शब्दों में, इसे कह सकते हैं कि यह पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिससे दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है । इसमें सिक्के और कागज के नोट सम्मिलित होते हैं । आमतौर पर किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था के अंतर्गत बनाई जाती है । जैसे कि भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।
मुद्रा कितने प्रकार के होते हैं वर्णन करें?अनुक्रम. 5.1 अभय मुद्रा. 5.2 भूमिस्पर्श मुद्रा. 5.3 धर्मचक्र मुद्रा. 5.4 ध्यान मुद्रा. 5.5 वरद मुद्रा. 5.6 वज्र मुद्रा. 5.7 वितर्क मुद्रा. 5.8 ज्ञान मुद्रा. भारत में मुद्रा कितने प्रकार के होते हैं?(१ रुपया), Rs. और Rp. का प्रयोग किया जाता था। है और ₹१, ₹२, ₹५ और ₹१० रुपये भी। बैंकनोट ₹५, ₹१०, ₹२०, ₹५०, ₹१००, ₹२००, ₹५००, ₹१००० और ₹२००० के मूल्य पर हैं।
मुद्रा क्या है इसके कार्य का वर्णन कीजिए?मुद्रा एक ऐसा मूल्यवान रिकॉर्ड है या आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार किया जाने वाला तथ्य है. यह सामाजिक-आर्थिक संदर्भ के अनुसार ऋण के पुनर्भुगतान के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. मुद्रा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है लेनदेन को सुविधाजनक बनाना.
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