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यदि किसी वृत्त का व्यास १ हो तो उसकी परिधि पाई के बराबर होगी. पाई (π) एक गणितीय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। इस अनुपात के लिये π संकेत का प्रयोग सर्वप्रथम सन् १७०६ में आया। इसका मान लगभग 3.14159 के बराबर होता है। यह एक अपरिमेय राशि है। पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांकों में से एक है। गणित, विज्ञान एवं इंजीनियरी के बहुत से सूत्रों में π आता है।[1] इतिहास[संपादित करें]पुरातन[संपादित करें]2589–2566 ई. पूर्व बने गीजा की महान पिरामिड का परिमाप 1760 क्यूबिट और ऊंचाई 270 क्यूबिट थी; जिसका अनुपात 1760/270 ≈ 6.2757 पाई के मान के लगभग 2 गुणा है। इस अनुपात के आधार पर, कुछ मिस्रविद्य मानते हैं कि पिरामिड बनाने वाले π का ज्ञान रखते थे और वृत के गुणधर्मों को निगमित करने वाले पिरामिड जान - बूझकर बनाए।[2] अन्य मतों के अनुसार π से सम्बंधित उपरोक्त सुझाव केवल संयोग है, क्योंकि इसका कोई प्रमाण उपलब्द्ध नहीं है कि पिरामिड बनाने वालों को π के बारे में जानकारी थी और चूंकि पिरामिड की विमाएं अन्य कारकों पर भी निर्भर करती हैं।[3] π के शीघ्रातिशीघ्र लिखित सन्निकट मिस्र और बाबिल में मिले हैं, ये दोनों माप १ प्रतिशत की शुद्धता के साथ हैं। बाबिल में ई. पूर्व 1900-1600 दिनांक वाली क्ले गोली पर ज्यामितीय कथन है कि π का निहित अर्थ 25/7=3.12409 है।[4] मिस्र में ई. पूर्व 1650 दिनांकित, en:Rhind Papyrus, परन्तु यह ई. पूर्व 1850 दिनांकित एक लेखपत्र की प्रतिलिपी है जिसमें वृत के क्षेत्रफल का सूत्र दिया गया है जो π को (16/9)2 ≈ 3.1605 के रूप में उपयोग करता है।[4] भारतीय गणित में पाई[संपादित करें]भारत में ई. पूर्व 600 में शुल्ब सूत्रों π को (1785/5568)2 ≈ 3.088 लिखा गया है।[5] ई. पूर्व 259 अथवा शायद इससे भी पहले में भारतीय स्रोत π को ≈ 3.1622 लिखते थे।[6] आर्यभट ने निम्नलिखित श्लोक में पाई का मान दिया है- चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥100 में चार जोड़ें, आठ से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास ज्ञात किया जा सकता है। ( (100+4)*8+62000/20000=3.1416 )इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात ((4 + 100) × 8 + 62000) / 20000 = 3.1416 है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल टीक है। ** इसके अनुसार Circumference और Diameter का अनुपात ((4 + 100) × 8 + 62000) / 20000 = 3.1416 है, जो दशमलव के पाँच अंकों तक बिलकुल ठीक है।[7] शंकर वर्मन ने सद्रत्नमाला में पाई का मान निम्नलिखित श्लोक में दिया है, जो कटपयादि प्रणाली का उपयोग करके लिखा गया है- कुछ प्रमुख भारतीय गणित ग्रन्थों में पाई के मान निम्नलिखित हैं-[8]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
पाई कितना डिग्री होता है?त्रिकोणमिति में पाई का मान 180 डिग्री नहीं होता है। पाई का मान हमेशा 3.1415926…… होता है जो कि एक अनंत दशमलव संख्या (Infinite Decimal Number ) है -जिसे अपरिमेय संख्या ( Irrational Number) भी कहते हैं । जिस PI को आप 180 डिग्री समझ रहे हैं वह हकीकत में पाई रेडियन का मान है।
त्रिकोणमिति में पाई का मान कितना होता है?त्रिकोणमितीय अनुपात और बौधायन प्रमेय
बौधायन प्रमेय से यह भी स्पष्ट है कि किसी भी कोण के लिये ज्या और कोज्या का धनात्मक मान ० और १ के बीच ही हो सकता है।
पाई का मान 22 7 क्यों होता है?π का मान तथा 22/7 का मान दशमलव के कुछ स्थान तक समान आता है । इसलिए गणित में πको 22/7 के समतुल्य रखते है ,तथा इसी कारण πको अपरिमेय संख्या तथा 22/7को परिमेय संख्या कहा जाता है।
पाई के मान का आखिरी अंक क्या है?किसी वृत्त यानी गाेलाकार की परिधि का मान बताने वाले पाई का निश्चित मान सामान्य ताैर पर 3.14 माना गया है। लेकिन अब जापान की एम्मा हारुका इवाओ ने पाई का मान दशमलव के बाद 314 खरब अंक निकालकर नया वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया है। इससे पहले यह रिकाॅर्ड दशमलव के बाद 22 अरब अंक तक था।
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