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परम्पराओं का क्या अर्थ है?इसे सुनेंरोकेंपरम्परा की परिभाषा – श्री जिन्सबर्ग के शब्दों में,”परम्परा का अर्थ उन सभी विचारों आदतों और प्रथाओं का योग है, जो व्यक्तियों के एक समुदाय का होता है, और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता रहता है। सामाजिक महत्व क्या है?इसे सुनेंरोकेंसामाजिक विज्ञान का महत्व इस विषय का अध्ययन कर आत्मसात करने से व्यक्ति को समाज में रहने की समझ विकसित होती है. एक मानव का दूसरे मानव के प्रति, मानव का पशु-पक्षियों तथा मानव का पर्यावरण के प्रति सामाजिक कार्यों और दायित्वों की समझ विकसित होती है. इससे विकसित समाज का निर्माण होता है. इसे सुनेंरोकें’परम्परा’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘बिना व्यवधान के शृंखला रूप में जारी रहना’। परम्परा-प्रणाली में किसी विषय या उपविषय का ज्ञान बिना किसी परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ियों में संचारित होता रहता है। उदाहरणार्थ, भागवत पुराण में वेदों का वर्गीकरण और परम्परा द्वारा इसके हस्तान्तरण का वर्णन है। प्राचीन भारतीय परंपरा क्या है? इसे सुनेंरोकेंप्राचीन भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा प्राचीन समाजों, जैसे कि महाकाव्य समाज और वैदिक युग से जुड़ी हुई है। आज के युग में जिन प्रथाओं, रीति-रिवाजों और मान्यताओं का पालन किया जाता है, वे प्राचीन भारतीय संस्कृतियों का परिणाम हैं। कई मान्यताओं के अस्तित्व के बावजूद, भारतीय लोकाचार का आधार आधार अप्रभावित रहा। परंपरा को इंग्लिश में क्या बोलेंगे?इसे सुनेंरोकेंUsage : Our traditions are time-honoured. परंपरा और आधुनिकता क्या है?इसे सुनेंरोकें’ परंपरा के अर्थ को भी संकुचित करके ‘प्राचीन भारत’ या ‘संस्कृत’ तक सीमित कर दिया जा रहा है. ‘आधुनिकता’ शब्द के अर्थ का विस्तार कर दसवीं-बारहवीं शताब्दी या उस से भी पीछे ले जा कर उस समय के रचनाकारों, विचारकों और प्रवृत्तियों को आधुनिक कहा जा रहा है. संस्कृति को इंग्लिश में क्या कहते हैं? इसे सुनेंरोकेंअंग्रेजी ‘कल्चर’ शब्द के अनुवाद रूप में प्रयुक्त शब्द । एकरूपता की परंपरा से क्या आशा है?इसे सुनेंरोकेंपरम्परा हस्तान्तरित होती है; पर, यह नहीं होता है कि व्यक्ति को एक परम्परा के रूप में मिले तो दूसरे को वही किसी दूसरे रूप में। परम्परा का रूप सबके लिए समान होता है; और जब परम्परा के अनुसार समाज के सदस्य समान रूप में व्यवहार करते हैं तो सामाजिक जीवन वा व्यवहार में एकरूपता उत्पन्न हो जाती है। लघु परंपरा क्या है?इसे सुनेंरोकेंसामान्य शब्दों में कहा जा सकता है कि सस्कितिक अथवा धार्मिक जीवन से सम्बन्धित यदि किसी परम्परा का मूल धर्म – ग्रन्थों से कोई सम्बन्ध न हो , वह परम्परा एक छोटे से क्षेत्र में प्रचलित हो तथा अधिकाँश व्यक्ति उसके वास्तविक अर्थ को न समझते हों , तब ऐसी परम्परा को हम लघु परम्परा कहते हैं । प्राचीन ज्ञान परंपरा से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंभारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति में हमें अनौपचारिक तथा औपचारिक दोनों प्रकार के शैक्षणिक केन्द्रों का उल्लेख प्राप्त होता है। औपचारिक शिक्षा मन्दिर, आश्रमों और गुरुकुलों के माध्यम से दी जाती थी। ये ही उच्च शिक्षा के केन्द्र भी थे। प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में शिक्षा के क्या उद्देश्य थे उनका वर्णन कीजिए?इसे सुनेंरोकेंप्राचीन भारतीय शिक्षा के उद्देश्य: ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए मानव जीवन का सर्वांगीण विकास करना, ताकि भावी जीवन में उसका पूर्ण सदुपयोग कर सकें । विद्यार्थियों को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश के बाद अनेक प्रकार के कर्तव्य एवं लोककल्याण के उद्देश्य को पूर्ण करना तथा अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति शिक्षा का उद्देश्य था । परंपराएं क्या है उनकी विशेषताएं बताइए?इसे सुनेंरोकेंपरम्परा सामाजिक विरासत का वह अभौतिक अंग है जो हमारे व्यवहार के स्वीकृत तरीकों का द्योतक है, और जिसकी निरन्तरता पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरण की प्रक्रिया द्वारा बनी रहती है। परंपरा को सामान्यत: अतीत की विरासत के अर्थ में समझा जाता है। कुछ विद्वान ‘सामाजिक विरासत’ को ही परम्परा कहते हैं। परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों?`? इसे सुनेंरोकेंपरम्परा का ज्ञान उन लोगों-लेखकों-चिंतकों के लिए ज्यादा आवश्यक है जो – साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं। जो लोग लकीर के फकीर नहीं हैं, जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं। उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है। परम्परा में नवीन परिवर्तन को क्या कहते हैं?इसे सुनेंरोकेंपरिवर्तन की प्रक्रिया द्वारा किसी परंपरा के आधुनिक रूप लेने में निरंतरता रूपी कड़ी का विशेष महत्त्व है। तभी ‘परंपरा से हमें समूचा अतीत नहीं प्राप्त होता, बल्कि उसका निरंतर बिखरता छंटता बदलता रूप प्राप्त होता है, जिसके आधार पर हम आगे की जीवन पद्धति को रूप देते हैं। परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर⇒ लेखक के अनुसार परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का ज्ञान महत्वपूर्ण है। इसका मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं जो शोषक वर्गों के विरुद्ध जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है। इसके साथ हम उस साहित्य पर ध्यान देते हैं जिसकी रचना का आधार शोषित जनता का श्रम है। परंपरा का मूल्यांकन शीर्षक निबंध किसकी रचना है? इसे सुनेंरोकेंपरम्परा का मूल्यांकन – रामविलास शर्मा Paramapra ka Mulyankan – Hindi book by – Ramvilas Sharma. भारतीय परम्परा क्या है?इसे सुनेंरोकेंपरम्परा आध्यात्मिक शक्तियों में निहित होती है जो कि मानव शक्तियों से परे होती हैं, इसलिए उसका विकास भी दैवी शक्ति पर निर्भर है । भिन्न-भिन्न परम्पराएँ परस्पर समन्वित नहीं होती बल्कि अपने-अपने भाग्य के अनुसार आगे बढ़ती, विकसित होती या पतन की ओर अग्रसर होती हैं । परम्परा का ऐतिहासिक अर्थ ऐतिहासिक दर्शन पर आधारित है । सावधानी परंपरा का क्या अर्थ है?इसे सुनेंरोकेंसवाल: संवैधानिक परंपराओं का क्या अर्थ है? संवैधानिक परंपराएं राजनीतिक व्यवहार के नियम हैं, जिन्हें उन लोगों द्वारा बाध्यकारी माना जाता है जिन पर वे लागू होते हैं। हालांकि, वे कानून नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अदालतों या संसद के सदनों द्वारा लागू नहीं किया जाता है। संसार के लिए भारत की कौन सी व्यवस्था अनोखी है? इसे सुनेंरोकेंजब भारत आजाद हुआ था तो दुनिया के मन में शक था कि भारत लोकतांत्रिक ढांचे पर कायम रह पाएगा या नहीं, लेकिन भारत में सफलतापूर्वक लोकतांत्रिक सरकार चलाकर दुनिया के सामने एक अनोखी मिसाल पेश की है। भारत में जिस विशाल स्तर पर चुनावों का आयोजन किया जाता है और सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता है ऐसी व्यवस्था संसार के लिए अनोखी है। परंपरा और प्रथा से आप क्या समझते हैं?इसे सुनेंरोकेंप्रथा का अर्थ क्रिया करने के एक तरीके का हस्तान्तरण है; परम्परा का अर्थ सोचने या विश्वास करने के एक तरीके का हस्तान्तरण है। परंपरा का ज्ञान किसके लिए आवश्यक है और क्यों?परम्परा का ज्ञान उन लोगों-लेखकों-चिंतकों के लिए ज्यादा आवश्यक है जो – साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं। जो लोग लकीर के फकीर नहीं हैं, जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं। उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है।
परंपरा का मूल्यांकन पाठ के लेखक कौन है?प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
यह पुस्तक परंपरा के इसी उपयोगी और सार्थक की तलाश का प्रतिफलन है। सुविख्यात समालोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने जहाँ इसमें हिन्दी जाति के सांस्कृतिक इतिहास की रूपरेखा प्रस्तुत की है, वहीं अपने-अपने युग में विशिष्ट भवभूति और तुलसी की लोकाभिमुख काव्य-चेतना का विस्तृत मूल्यांकन किया है।
परंपरा का मूल्यांकन शीर्षक पाठ साहित्य की कौन विद्या है?“परंपरा का मूल्यांकन(Parampara ka mulyankan)” से कुछ महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न-उत्तर लिया गया है जो कि कक्षा-10 तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी होंगे। 1. परंपरा का मूल्यांकन पाठ साहित्य की कौन सी विधा है? उत्तर- निबंध।
3 साहित्य का कौन सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें?3. साहित्य का कौन-सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है ? इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें। उत्तर ⇒ साहित्य का वह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है, जिसमें मनुष्य का इन्द्रिय बोध और भावनाएँ भी व्यंजित होती हैं।
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