Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 15 घर की याद Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 11 Hindi Solutions Aroh Chapter 15 घर की यादRBSE Class 11 Hindi घर की याद Textbook Questions and Answersकविता के साथ - प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. स्वस्थ एवं साहसी - कवि के पिता वृद्ध हैं परन्तु उनके तन-मन पर वृद्धावस्था का प्रभाव नहीं है। वह दौड़कर. चलते हैं, खिल-खिलाकर हँसते हैं, मौत से डरते नहीं, शेर से बिचकते नहीं। उनकी वाणी बादल के समान गर्जना भरी तथा कार्य आँधी-तूफान जैसे वेग वाले होते हैं। बोल में बादल गरजता काम में झंझा लरजता। संयमित जीवन - कवि के पिता का जीवन संयम भरा है। वह प्रात: उठकर गीता का पाठ करते हैं तथा नियमित रूप से दंड-बैठक और मुगदर वाला व्यायाम करते हैं। उससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा मन शान्त रहता है। भावुक व्यक्ति - पिताजी अत्यन्त भावुक हैं। अपने सबसे छोटे पाँचवें बेटे के जेल में होने के कारण वे व्याकुल हो उठते हैं, उनके नेत्र आँसुओं से भर जाते हैं। वे अपने पाँचवें बेटे को सोने में सुहागा कहकर उसकी तारीफ करते हैं और उससे अत्यन्त स्नेह करते हैं। उनको रोते देखकर कवि की माँ उनको समझाती हैं - आँख में किसलिए पानी वहाँ अच्छा है भवानी। प्रश्न 4. 2. तीसरी पंक्ति में इस शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। पहली बार इसका अर्थ वही है जो द्वितीय पंक्ति में है-केवल घर पर न होना, दूसरी बार इस शब्द का अर्थ है-बड़ा दुःख या कष्ट। अर्थात् केवल यह कि कवि घर पर नहीं है जेल में है, कवि के लिए बड़ा दुःखदायी है। उसे घर की याद निरन्तर सताती है। 3. चौथी पंक्ति में 'बस' शब्द का एक बार ही प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ वही है, जो तीसरी पंक्ति के दूसरी बार प्रयुक्त हुए बस का है-बड़ा दुःख या कष्ट। आशय है कि इस बड़े दुःख ने कवि के जीवन में सब कुछ रसहीन या नीरस बना दिया है। प्रश्न 5. वह उनसे दूर ही रहना चाहता है। वह एकान्त में रहकर अपने परिवार की यादों में खोया रहना चाहता है। वह चुपचाप रहता है, किसी से बात नहीं करता। इस वियोग-व्यथा के कारण उसकी दशा पागलों जैसी हो गई है। वह स्वयं की, भी सुध-बुध खो देता है। अपनी इस दशा को वह घरवालों को बताना नहीं चाहता। कवि का अपने पिता एवं परिवारीजनों के प्रति इतना गहरा स्नेह है कि वह नहीं चाहता कि उसकी वास्तविकता जानकर उसके पिता एवं परिवारीजन रोयें अथवा दुःखी हों - कविता के आस-पास - प्रश्न 1. प्रश्न 2. RBSE Class 11 Hindi घर की याद Important Questions and Answersअतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. लघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. मैं मजे में हूँ सही है, घर नहीं हूँ बस यही है, प्रश्न 6. वह जो काम कर रहा है उससे माता-पिता और मातृ-भूमि का सिर गर्व से ऊँचा होता है। उन्हें बताना कि वे मेरे लिए दुःखी न हों। उनसे यह भी कहना कि भवानी जेल में चरखे पर सूत कातने में व्यस्त है और मस्ती से रह रहा है। उसके शरीर का भार सत्तर सेर हो गया है। उसे खूब भूख लगती है और वह ढेर सारा खाना खाता है। वह खूब खेलता-कूदता है और दुःखों को अपने पास भी नहीं फटकने देता है। प्रश्न 7. वह उनसे यह न कहे कि जेल में रहकर उसको नींद नहीं आती। वह लोगों से मिलना-जुलना पसन्द नहीं करता, वह किसी से बातें भी नहीं करता। वह दु:ख और घर की याद में डूबा रहता है। उसे यह भी याद नहीं रहता कि वह कौन है अर्थात् अपनी सुध-बुध खो बैठा है। सावन कुछ ऐसी बात न कहे कि पिताजी को व्यर्थ की शंका घेर ले। वह कहता है-हे सावन ! तुम बरसो अवश्य परन्तु ऐसा कुछ मत करना कि मेरे पिता की आँखें भी बरसने लगे। प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. कवि की माता अत्यन्त गम्भीर तथा धैर्य रखने वाली महिला हैं। विचलित होने पर वह अपने पति को भी धैर्य बँधाती हैं। परिवार में सभी मिलकर रहते हैं तथा एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखते हैं। कवि अपनी माता से प्रेम करता है तथा उनकी गोद में सिर रखते ही सारे दुःख भूल जाता है। वह ऐसा काम नहीं करता कि उसके परिवार की बदनामी हो। वह अपने पिता को चिन्तित और दुःखी देखना नहीं चाहता। इस प्रकार कवि का यह संयुक्त परिवार एक आदर्श-परिवार की श्रेणी में आता है। प्रश्न 12. कवि ने प्रेम की कविताओं में भी शृंगार के स्थान पर सहज जीवन तथा घरेलू सुख-दुःख का स्वाभाविक चित्रण किया है। गाँधीवाद पर आस्था होने के कारण अहिंसा तथा सहनशीलता को कविता में स्थान मिला है। कवि की भाषा सरल खड़ी बोली है। उसमें संस्कृतनिष्ठता होने पर भी दुरूहता नहीं है। बोलचाल के शब्दों तथा मुहावरों के प्रयोग ने भाषा को शक्ति प्रदान की है। भाषा भावानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। निबन्धात्मक प्रश्न - प्रश्न 13. कवि के चार भाई तथा चार बहिनें हैं। वे सभी परस्पर बड़े सहयोग तथा प्रेमभाव से रहते हैं। कवि की माँ पढ़ी-लिखी नहीं है परन्तु वह बड़ी स्नेहमयी है। कवि उसकी स्नेह-धारा का प्रवाह जेल तक अनुभव कर रहा है। उसके पिता अत्यन्त साहसी तथा जीवट व्यक्ति हैं। वे मृत्यु से भी नहीं डरते। उनकी वाणी में बादल.के समान गर्जना तथा कामों में तूफान की तेजी है। वे दौड़ते, हँसते, कसरत करते तथा गीता-पाठ करते हैं। छत से नीचे आने पर अपने पाँचवें पुत्र के जेल में होने की याद आने पर उनके नेत्रों में आँसू भर आते हैं। उनको भावुक होकर रोते देखकर कवि की माँ उनको सान्त्वना देती है। वह उन्हें बताती है कि देश-हित में जेल जाकर उनके पुत्र ने उनका मान बढ़ाया है और उनकी इच्छा पूरी की है। देश के लिए त्याग करना उनके परिवार की परम्परा है। यदि वह जेल न जाता तो वह अपनी माँ की कोख को लजाता। यह सुनकर उसके पिता ने अपने आँसू पोंछकर कहा होगा-मैं रो नहीं रहा हूँ। कवि सावन को अपना सन्देश-वाहक बनाकर अपने पिता के पास सन्देश भेजता है। वह सावन से कहता है कि वह उसके पिता को उसके बारे में बताये कि वह जेल में मजे में है। वह खेलता-कूदता, पढ़ता-लिखता तथा काम करता है। वह चरखे पर सूत कातता है। उसका वजम सत्तर सेर हो गया है। उसे खूब भूख लगती है तथा वह भरपेट खाता है। वह उनको धीरज बँधाये तथा दुःखी न होने के लिए कहे। कवि सावन को सावधान करता है कि वह कोई ऐसी-वैसी बात न कह दे जिससे उसके पिता दुःखी हों। वह यह सच बात उनको न बताये कि कवि जेल में उदास, दुःखी तथा निराश है और किसी से बोलता-चालता नहीं है, किसी के साथ उठता-बैठता नहीं है। घर की याद Summary in Hindiकवि-परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र सहज व्यक्तित्व और लेखन के लिए विख्यात हैं। साहित्य-साधना करने के साथ ही आपने राष्ट्रीय-आंदोलन में भी सक्रिय रहकर भाग लिया है। गाँधी एवं गाँधीवाद पर मिश्रजी की गहन आस्था है। जीवन-परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गाँव में सन् 1913 में हुआ था। 'बी. एड. तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त मिश्रजी ने 'कल्पना' नामक पत्रिका का सम्पादन किया तथा साहित्य-साधना में रत हो गये। इसके पश्चात् आप 'आकाशवाणी' में सेवारत रहे। आप हिन्दी के प्रयोगवादी कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं। हिन्दी साहित्य के इस साधक को साहित्य के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। आपको 'साहित्य अकादमी', मध्य प्रदेश शासन का 'शिखर सम्मान' तथा दिल्ली शासन का 'गालिब पुरस्कार' प्राप्त हो चुके हैं। भारत सरकार ने आपको 'पद्मश्री' से अलंकृत किया है। ... हिन्दी साहित्य की सेवा करते हुए माँ भारती के इस सपूत की सन् 1985 में मृत्यु हो गई। साहित्यिक परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र प्रयोगवादी काव्यधारा के कवि हैं। आपकी कविता सहज भाव की कविता है। इसकी सहज लय गाँधीजी के चरखे की लय से भी जुड़ती है। अत: मिश्रजी को ‘कविता का गाँधी' भी कहा जाता है। मिश्रजी ने गाँधी साहित्य के हिन्दी खण्डों का सम्पादन करके कविता और गाँधीजी के बीच सेतु का काम किया है। मिश्रजी सहज अभिव्यक्ति के कवि हैं। आप बोलचाल के गद्य जैसे वाक्य-विन्यास को सरलता से कविता के रूप में बदल देते हैं। आप जिस विषय पर काव्य रचना करते हैं, उसे घरेलू बना देते हैं। इसी कारण उनकी कविता सहज और लोक के निकट है। मिश्रजी ने प्रौढ़-प्रेम की जो कविताएँ लिखी हैं, उनमें शृंगारिकता के स्थान पर सहजीवन के सुख-दुःख और प्रेम का वर्णन मिलता है। मिश्रजी के काव्य में जो व्यंग्य और क्षोभ है, वह भी प्रतिक्रियापरक न होकर सृजनात्मक है। आपके काव्य में गाँधीजी की अहिंसा और सहनशीलता की सरल व्यंजना हुई है। मिश्रजी की भाषा साहित्यिक होते हुए भी सरल है और भावाभिव्यक्ति में सहायक है। प्रयोगवादी धारा का कवि होने के नाते आपने छन्द से मुक्ति का प्रयास किया है। अलंकारों पर उनका अधिक जोर नहीं है। सरल एवं उपयुक्त अलंकारों का प्रयोग ही स्वाभाविक रीति से हुआ है। रचनाएँमिश्रजी की प्रमुख रचनाएँ हैं -
सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण तथा सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर - 1. आज
पानी गिर रहा है, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि कारागार में बंद है। वर्षा हो रही है और कवि को अपने घर की याद सता रही है। व्याख्या - कवि सन् 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जेल में बन्द कवि अपने घर की याद करते हुए कहता है कि बाहर वर्षा हो रही है। वारिश अत्यन्त तेज हो रही है। बादलों से पूरी रात पानी बरसता रहा है। इधर कवि के मन में घर के लोगों की यादों के बादल घिर आए हैं। बाहर बहुत तेज वर्षा हो रही है। कवि की दृष्टि में उसका घर तैर रहा है अर्थात् वर्षा के मौसम में कवि को घरवालों की बहुत आद आ रही है। कवि का घर उससे बहुत दूर है। किन्तु वर्षा के इस जलपूर (जल समूह) में घर में छिपे प्रसन्नता के भंडार की याद आ रही है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 2. घर कि
घर में चार भाई, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना ‘घर की याद' से . लिया गया है। इस अंश में लेखक को अपने भाइयों और बहिनों की याद सता रही है। व्याख्या - कवि कहता है कि उसके घर में उसके चार भाई हैं। उसकी विवाहिता बहिनें भी अपनी माँ के घर आई होंगी। उसकी बहिनें अपने पिता के घर आई होंगी, परन्तु वहाँ आकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई होगी। कवि को वहाँ न पाकर उनको लगा होगा कि वह पिता के घर नहीं कष्टों के घर में आई हैं। कवि का घर आदर्श घर है। उसके चार भाई हैं। वे सब परस्पर प्रेम एवं सहयोग की भावना से मिलकर रहते हैं। सभी लोग इतने प्रेम-भाव से मिलकर रहते हुए कम ही देखे गये हैं। उसके चार भाई हैं और चार बहनें भी हैं। उसके भाई एक-दूसरे की भुजा के समान हैं। जैसे बाँहें मनुष्य का काम करती हैं, सहयोग-सहायता करती हैं, इसी प्रकार उसके भाई एक-दूसरे की सहायता करते हैं। उसकी बहनें यदि भ्रातृ प्रेम का आदर्श हैं तो भाई भी बहिनों की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहते हैं। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 3. और माँ बिन-पढ़ी मेरी, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में लेखक बता रहा है कि उसकी माँ अनपढ़ है लेकिन उसके हृदय में पूरे परिवार के लिए बहुत ममता है। व्याख्या - कवि कहता है कि यद्यपि उसकी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है, निरक्षर है, परन्तु वह स्नेह से भरी हुई है। जब भी कवि किसी कारण दुःखी होता है तो उसकी माँ की गोद एक 'गढ़ी' (दुर्ग) के समान उसकी रक्षा और देखभाल करती है। जब कवि अपनी माँ की गोद में सिर रख लेता है तो फिर दुःख का लेशमात्र भी उसके जीवन में शेष नहीं रहता। माँ की गोद में सिर रखते ही उसका सब कष्ट दूर हो जाता है। माँ के प्रेम की नदी दूर तक बहती है। कवि घर से दूर जेल में बन्द है, किन्तु यहाँ भी वह अपनी माँ के स्नेह का अनुभव कर रहा है। माँ को लिखना नहीं आता है, इसलिए वह पत्र लिखकर कवि को नहीं भेज पाती, परन्तु इसके कारण उसके स्नेह के प्रवाह को कवि तक पहुँचने में कोई बाधा नहीं आती है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 4. पिता जी जिनको बुढ़ापा, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने वृद्ध पिता के गुणों का वर्णन कर रहा है। व्याख्या - कवि कहता है कि उसके पिताजी अब बूढ़े हो गए हैं, परन्तु उन्होंने बुढ़ापे को कभी अनुभव ही नहीं किया। वृद्धों जैसी विवशता और असमर्थता उनके सामने कभी नहीं आयी। वृद्ध होने के कारण उन्होंने थोड़ी देर के लिए भी अपनी कर्मठता का परित्याग नहीं किया। वह इस उम्र में भी दौड़ लगा सकते हैं और खिलखिलाकर हँस सकते हैं। वह बुढ़ापे का रोना नहीं रोते, दौड़ते-भागते, मुस्कराते और हँसते हैं। उनमें भय तो लेशमात्र भी नहीं है। सामने मृत्यु आने पर भी वह डरते नहीं। अगर शेर भी उनके सामने आ खड़ा हो तो वह अपने कदम पीछे नहीं हटाते। उनकी बोली कड़कड़ी है। जब वह बोलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे बादल गरज रहा हो। वह अत्यन्त कर्मठ हैं। अब भी वह काम से पीछे नहीं हटते। उनकी कार्यक्षमता के सामने आँधी भी लज्जित होती है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 5. आज गीता पाठ करके, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'घर की याद' से लिया गया है। कारागार में बंद कवि को अपने पिता की दिनचर्या की याद आ रही है। व्याख्या - कवि को स्मरण आ रहा है कि उसके पिता धार्मिक ग्रन्थ गीता को पढ़ने के उपरान्त व्यायाम किया करते हैं। गीता-पाठ के बाद उन्होंने दो सौ साठ दंड किये होंगे। उन्होंने मुगदर को हाथों से उठाकर खूब घुमाया होगा। उन्होंने उसकी मूठ पकड़कर मिलाया होगा। व्यायाम करने के बाद वह छत से उतरकर नीचे आए होंगे। उस समय अपने सबसे छोटे बेटे (कवि) को याद करके उनके नेत्र आँसुओं में डूब गए होंगे। कवि को यह सोचकर दुःख हो रहा है। इधर जेल की बैरक के बाहर पानी बरस रहा है, उधर कवि की नजरों में उसके घर तथा परिजन की याद सता रही है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 6. चार भाई चार बहिनें, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि बार-बार अपने बहिन-भाइयों का स्मरण करते हुए अपने वात्सल्यमय पित दुःखी हो रहा है। व्याख्या - कवि कहता है कि घर पर उसके चार भाई हैं तथा चार ही बहिनें भी हैं। भाई एक-दूसरे की बाँह के समान सुरक्षा और सहयोग करने वाले हैं तथा बहिनें सभी भाई-बहिनों को प्यार और स्नेह देने वाली हैं। जब कवि के पिता छत से नीचे आये होंगे तो उनको अपने पुत्र-पुत्रियाँ दिखाई दिये होंगे। वे या तो खेल रहे होंगे अथवा घर में ही खड़े होंगे। पिताजी आयु से बूढे अवश्य हो चुके हैं, परन्तु बुढ़ापा उनको तनिक भी व्याप्त नहीं हुआ है। वह क्षणभर भी स्वयं को बुढ़ापे के कष्टों और दुर्बलता से प्रभावित नहीं पाते। अपने पाँचवें पुत्र को, जो इस समय जेल में बन्द है, स्मरण करके पुत्र प्रेम के कारण वे निरन्तर रोते रहे होंगे। उनका रुदन रुकने का नाम नहीं ले रहा होगा। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 7. पाँचवों
मैं हूँ अभागा, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने पिता की व्यथापूर्ण स्थिति की कल्पना करते हुए बहुत दुःखी हो रहा है। व्याख्या - कवि कहता है कि उसके चार भाई हैं। वे घर पर ही रह रहे हैं। वह अपने पिता का पाँचवाँ बेटा है और घर से दूर है। घर से दूर होने के कारण पिता के मन में उसके प्रति और अधिक प्रेम उमड़ रहा होगा। पिताजी उसे अपने अन्य पुत्रों से श्रेष्ठतर कहकर उसे सोने पर सुहागा बताते रहे हैं, यद्यपि वह भाग्यहीन उनके निकट नहीं है। उसको अन्य भाइयों से श्रेष्ठ बताने का कारण पिताजी का उसके प्रति प्रेम ही है। प्रेम के वशीभूत होकर ही वह ऐसा कह रहे होंगे। घर से दूर होने के कारण कवि को अपने पिता का बढ़ा हुआ प्रेम अनायास ही प्राप्त हो गया होगा। अपने पाँचवें पुत्र के प्रति अतिशय प्रेम के कारण ही पिताजी को घर पर उपस्थित चारों पुत्र छोटे और घटिया प्रतीत हुए होंगे क्योंकि वे स्वर्ण है तो कवि उन पर सहागे के समान है अर्थात् उनकी तुलना में श्रेष्ठ है। प्रेमवश उसके प्रति पिताजी का यह मत संभव है, परन्तु कवि मानता है कि वह भाग्यहीन है, तभी तो वह पिता से दूर कारागार में बंद होने के कारण अपने पिता को डाढ़स बंधाने में असमर्थ है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 8. और माँ ने कहा होगा, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने पिता की व्यथापूर्ण स्थिति की कल्पना करते हुए बहुत दुःखी हो रहा है। व्याख्या - कवि सोचता है कि घर पर रोते हुए देखकर माँ भी बहुत दुःखी हुई होगी और उन्होंने पिताजी को सांत्वना देते हुए कहा होगा कि आपकी आँखों में आँसू क्यों भर आए हैं ? आप अपने पुत्र भवानी की कुशलता के प्रति चिन्तित हैं। व्यर्थ संशय न करें। हमारा पुत्र भवानी वहाँ कुशल तथा सानन्द होगा। कवि सोचता है कि न जाने कितना दुःख आँसुओं के रूप में पिताजी की आँखों से बह गया होगा। माँ ने पिताजी को बताया. होगा कि आपका पुत्र तो आपकी इच्छा समझकर ही देश की स्वतन्त्रता के लिए जेल गया है। वह जानता है कि आप उससे कितना अपनत्व रखते हैं। आपकी भावना और अपनत्व के कारण ही वह जेल गया है। तो इसमें कोई दोष नहीं है। देश की स्वतन्त्रता के लिए त्याग करना और कष्ट उठाना तो आपके परिवार की परम्परा है। आपके बेटे ने भी इसी का निर्वाह किया है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2.
9. पाँव जो पीछे हटाता, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि की माँ उसके व्याकुल पिता को धीरज बँधा रही है। व्याख्या - कवि कल्पना कर रहा है कि उसके पिता को दु:खी देखकर उसकी माता ने कहा होगा-आपका दुःखी होना उचित नहीं है। यदि आपका पुत्र भवानी देश की स्वाधीनता के संघर्ष में भाग.न लेता और जेल न जाता तो वह अपनी माता के अपमान का कारण.बनता। मुझे लोगों को यह कहते हुए सुनकर लज्जा आती है कि वह कायर किस माता का बेटा है ? आपके पुत्र ने अपना कर्तव्य पूरा किया है। अतः इस प्रकार मन छोटा करना आपके लिए ठीक नहीं है। उसने तो आपके परिवार की परिपाटी को ही आगे बढ़ाया है। आपके परिवार में देश-हित के लिए त्याग-बलिदान की परम्परा रही है, आपके पुत्र ने उसी का पालन किया है। जब कवि के पिता ने कवि के कारावास पर दुःखी होते हुए कहा होगा कि बेचारा भवानी कारागार में क्या-क्या न सह रहा होगा, तो कवि कहता है कि वह कहाँ रो रहा है ? कारा के जीवन में वह धीरज नहीं खो रहा था अतः उसके पिता को उसके लिए दु:खी नहीं होना चाहिए। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बधी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 10. हे सजीले हरे सावन, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि सावन की ऋतु से अनुरोध कर रहा है कि वह उसके गाँव में इतना न बरसे कि कहीं उसके पिता और अधिक दुःखी न हो जाएँ। व्याख्या - कवि सावन से कहता है-हे सुन्दर सावन! हे हरियाली से सुसज्जित सावना तुम अत्यन्त पवित्र हो। तुम जो पानी बरसाते हो, वह लोगों को नव-जीवन देता है। तुम यहाँ पर जी-भर कर वर्षा करो। तुम चाहे जितना पानी बरसाओ परन्तु तुम मेरे पिता को कष्ट न देना। तुम्हें पानी बरसाता देखकर कहीं उनकी आँखों में भी आँसू न बरसने लगें। यह ध्यान अवश्य रखना कि उनको अपने पाँचवें पुत्र की याद न आ जाये और उसके लिए वे व्याकुल न हो उठे। तुम उनको बताना कि मैं जेल में अत्यन्त प्रसन्न हूँ। मुझे यहाँ कोई कष्ट नहीं है। केवल इतनी-सी बात है कि मैं घर पर नहीं हूँ और पिताजी से दूर जेल में हूँ। किन्तु केवल इतनी-सी बात कि मैं घर पर नहीं हूँ, मेरे लिए भले साधारण सी बात हो पर मेरे परिवार को इसे सहना आसान बात नहीं। मेरे कारावास ने मेरे पारिवारिक जीवन को रसहीन कर दिया है। यही बात मुझे उदास कर देती है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 11. किन्तु उनसे यह न
कहना, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि सावन (बादलों) से अनुरोध कर रहा है कि वे उसे घर पर छाकर यह संदेश पहुँचा दे कि वह (कवि) बहुत सुख से कारागार का जीवन बिता रहा है। व्याख्या - कवि सावन को निर्देश देता है कि वह उसके पिता को यह न बताये कि घर से दूर रहना उसको दुःख देता है और वह घर की बहुत याद करता है। इससे तो उसके पिता की चिन्ता और बेचैनी और बढ़ जायेगी। वह तो उनको धैर्य बँधाता रहे। वह उनसे कहे कि भवानी जेल में खूब आराम से है। वह वहाँ पढ़-लिख रहा है काम कर रहा है तथा अपने परिवार का नाम रोशन कर रहा है और प्रसन्नतापूर्वक रह रहा है। उनसे कहना कि वह वहाँ खूब काम करता है। वह.ऐसे काम करता है कि जिससे उसके माता-पिता तथा देश का नाम ऊँचा होता है। उसके काम प्रशंसनीय हैं तथा सभी लोग उसको खूब चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अपने पुत्र भवानी के लिए दुःखी होने की . कोई आवश्यकता नहीं है। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 12. और कहना मस्त हूँ मैं, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि सावन से अनुरोध कर रहा है कि वह उसके गाँव में बरसते हुए उसके पूर्ण कुशल-मंगल की सूचना ही पहुँचाए। व्याख्या - कवि सावन से कहता है-हे सुन्दर पवित्र सावन। तुम मेरे पिता को बताना कि मैं जेल में रहकर आनन्द से हूँ तथा चिन्ता-मुक्त हूँ। मैं कपास से चरखे पर सूत कातता हूँ। मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ तथा मेरे शरीर का भार सत्तर सेर हो गया है। मुझे खूब भूख लगती है और मैं ढेर सारा भोजन करता हूँ। मैं जेल में रहकर खूब खेलता-कूदता हूँ। मैं साहसपूर्वक दुःखों को अपने से दूर धकेल देता हूँ। दुःख तो मेरे पास आते ही नहीं। तुम पिताजी से कहना कि मैं जेल में मस्ती भरा जीवन जी रहा हूँ। तुम भूलकर भी उनसे यह मत कह देना कि मैं यहाँ निराश होकर जी रहा हूँ, काम करने में मेरा मन नहीं लगता। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 13. हाय रे, ऐसा न कहना, शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि सावन को अपने गाँव में संदेश लेकर भेजते समय उसे सावधान कर रहा है कि वह उसके परिवार के सामने कारागार के जीवन की वास्तविकता को न कहे। व्याख्या - कवि सावन से कहता है कि तुम मेरे पिता से वही बातें कहना जिनसे वह चिन्ता-मुक्त रहें तथा व्यर्थ ही मेरी चिन्ता न करें। हाय, तुम उनसे कुछ ऐसी-वैसी बात मत कह देना। यहाँ जेल की जो वास्तविकता है, वह तुम भूलकर भी मेरे पिताजी से मत कहना। तुम सच्चाई को उनके सामने प्रकट नहीं करना। तुम उनसे यह मत कहना कि जेल में रहकर मुझे नींद नहीं आती। तुम यह भी मत बताना कि मुझे लोगों पर शंका होती है तथा मैं उनसे मिलने-जुलने में भी कतराता हूँ। तुम पिताजी से यह मत कहना कि मुझे किसी से बातचीत करना भी अच्छा नहीं लगता। मैं हर समय चिन्ता में रहता हूँ। मुझे घर की याद सताती है। मैं यह भी भूल,जाता हूँ कि मैं हूँ कौन? देखो, तुम ऐसी-वैसी कोई बात उनसे मत कहना, ऐसा कुछ मत कह देना कि जिससे उनके मन में व्यर्थ की आशंका उत्पन्न हो जाय। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 14. हे सजीले हरे' सावन शब्दार्थ :
संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद से लिया गया है। इस. अंश में कवि अपने दूत सावन की प्रशंसा करते हुए उसे अपने गाँव भेज रहा है। व्याख्या - कवि सावन से कहता है कि हे सुन्दर सावन! तुम अत्यन्त पवित्र हो। तुम जल की वर्षा करके लोगों का कल्याण करते हो। तुम आज पानी बरसा रहे हो तो खूब वर्षा करो परन्तु ध्यान रखना कि तुम्हें बरसता देखकर मेरे पिता को मेरी याद न आ जाये और उनके नेत्रों से आँसुओं की वर्षा न होने लगे। ऐसा न हो कि वर्षा होते देखकर वह अपने पाँचवें पुत्र (कवि), जो इस समय उनसे दूर जेल में है, से मिलने के लिए न तड़प उठे। अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. 2. सावन के महीने को पवित्र और पुण्यात्मा कहा गया है। सावन में वर्षा होती है। वर्षा धरती के जीव-जन्तुओं को नया जीवन देती है। भीषण ताप से उनकी रक्षा तो होती है, उनके खाने के लिए अन्न तथा पीने के लिए पानी भी वर्षा के कारण ही उपलब्ध हो पाता है। प्रश्न 3. प्रश्न 4. काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - प्रश्न 1. प्रश्न 2. पिताजी को क्या व्याप्त नहीं हुआ था?एक व्यक्ति के वेतन में 10% वृद्धि होती है।
II पिताजी को क्या व्याप्त नहीं हुआ था?बच्चे सारे दिन खेलते-कूदते रहते थे परन्तु घर के कामकाज में ज़रा सी भी मदद नहीं करते थे। उनके पिताजी ने फरमान जारी कर दिया की अब ये बच्चे काम करेंगे ना कि आराम। उनके अनुसार आराम के कारण ही सब मोटे होते जा रहे हैं।
उम्र बड़ी होने पर भी पिता को बुढ़ापा क्यों छू नही पाया था?आख़िर बुढ़ापा है क्या और ये क्यों होता है.
कवि अपनी वास्तविक स्थिति को पिता से क्यों छिपाना चाहता है घर की याद कविता के आधार पर उत्तर लिखिए?रातभर वर्षा होने से कवि का मन घर के लिए आतुर हो जाता है। उसके प्राण तथा मन में प्रेम की भावनाएँ उठने लगती हैं। वह अपनों से मिलना चाहता है। इन बूंदों से उसके प्राण तथा मन उल्लासित हो जाते हैं मगर न मिलने के कारण वह तड़प उठता है।
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