पत्र में अभिवादन कैसे लिखा जाता है? - patr mein abhivaadan kaise likha jaata hai?

पत्र लेखन अंग व पत्रों के प्रकार | Letter Writing In Hindi: पत्र लेखन- हर्ष, शोक, सूचना, समाचार, प्रार्थना और स्वीकृति आदि भावों को लेकर कागज पर लिखी किसी अधिकारी, स्वजन या सामान्य जन को सम्बोधित वाक्यावली को पत्र कहते है. आज के आर्टिकल में हम विभिन्न तरह के पत्रों के लेखन के तरीके के बारे में इस लेख में जानकारी देगे.

पत्र लेखन अंग व पत्रों के प्रकार | Letter Writing In Hindi

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1 पत्र लेखन अंग व पत्रों के प्रकार | Letter Writing In Hindi

1.1 पत्र का महत्व (importance of letter writing)

1.2 एक अच्छे पत्र की विशेषताएं (Letter Writing Features/characteristic in hindi)

1.3 पत्र के अंग (Parts of the letter)

1.4 पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य सावधानियाँ (Letter writing to keep in mind considerations)

1.5 Read More

पत्र में अभिवादन कैसे लिखा जाता है? - patr mein abhivaadan kaise likha jaata hai?
पत्र में अभिवादन कैसे लिखा जाता है? - patr mein abhivaadan kaise likha jaata hai?

एक कला के रूप में पत्र लेखन सदियों तक मानव विचारों, भावनाओं तथा संदेश का वाहक माध्यम रहा हैं, धीरे धीरे यह परम्परा लुप्त हो रही है आधुनिक माध्यमों में कागजी पत्र लेखन बेहद सिमित हो गया हैं.

पत्र का महत्व (importance of letter writing)

यदपि सूचना तथा दूरसंचार तकनीक के अधिक विकसित हो जाने के कारण अब पत्रों का लेखन और प्रेषण बहुत कम हो गया है. तथापि या फिर भी पत्र लेखन का महत्व अब भी यथावत् बना हुआ है. पत्र लेखन में कुछ विशेषताएं हैं जो संदेश भेजने के अन्य माध्यमों से संभव नही है.

पत्र लेखन में हम अपने विचारों को यथारूचि विस्तार दे सकते है. पत्र में अपने भाव सोच समझकर अच्छी भाषा में लिखने का पर्याप्त अवसर रहता है. पत्र में यदि कुछ गलत या अशोभनीय या गलत लिख जाए तो उसे निरस्त कर पुनः दूसरा पत्र लिखा जा सकता है. पत्र को प्रमाण के रूप में कभी तक रखा जा सकता है. कभी कभी तो लोग पत्र के माध्यम से सदा के लिए मित्र बन जाते है.

एक अच्छे पत्र की विशेषताएं (Letter Writing Features/characteristic in hindi)

पत्र लेखन एक कला है. एक सुगठित और संतुलित पत्र ही उतम पत्र माना जा सकता है. एक अच्छे पत्र में निम्न लिखित विशेषताएं होनी चाहिए.

  1. सक्षिप्तता– पत्र में विषय का वर्णन संक्षेप में करना चाहिए. एक ही बात को बार बार दोहराने की प्रवृति से बचना चाहिए.
  2. संतुलित भाषा का प्रयोग- पत्र में सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए. ऐसे शब्दों का प्रयोग नही करना चाहिए, जिन्हें पत्र पाने वाला नही समझता हो.
  3. तारतम्यता– पत्र में सभी बातें एक तारतम्य में रखी जानी चाहिए. ऐसा न हो कि आवश्यक बाते छुट जाए और कम महत्व की बातों का अधिकाँश भाग में प्रयुक्त हो जाए. पत्र में सभी बातें उचित क्रम में लिखी होनी चाहिए.
  4. शिष्टता- पत्र में संयमित, विनम्र और शिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए. कडवाहट भरे शब्द लिखना या अशिष्ट भाषा का प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है.
  5. सज्जा- पत्र को साफ़ सुथरे कागज पर सुलेख में लिखा जाए. तिथि, स्थान व संबोधन यथास्थान लिखने से पत्र में आकर्षण बढ़ जाता है.

पत्र के अंग (Parts of the letter)

जो बातें सामान्यत सभी प्रकार के पत्रों में होती है, उन्हें पत्र के आवश्यक अंग कहते है. पत्रों के छ अंग होते है जो ये है.

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  • संबोधन और अभिवादन- यह पत्र में बाई ओर लिखा जाता है. पारिवारिक पत्रों में संबोधन लिखा जाता है. जैसे पूज्य पिताजी, प्रिय भाई आदि. सरकारी और व्यावसायिक पत्रों में संबोधन की विधि निर्धारित होती है

, जैसे महोदय, प्रिय महोदय. अभिवादन भी व्यक्ति के पद या मर्यादा के अनुरूप लिखा जाता है. जैसे सादर प्रणाम, नमस्कार, आशीर्वाद लिखा जाता है.

पत्र भेजने की तिथि (Date of sending letters)

अनौपचारिक पत्रों में भेजने वाले के पते के नीचे, दिनाकं, महिना और सन लिखा जाता है. औपचारिक पत्रों में दिनाकं सबसे नीचे लिखा जाता है.

पत्र की विषय सामग्री (The content of the letter)

यह पत्र का मुख्य भाग है. इसी में समाचार सूचनाएँ, आवेदन, आदेश व शिकायत आदि अलग अलग अनुच्छेदों में लिखा जाता है.

पत्र का अंत (End of letter)

पत्र के अंत में बाई ओर ही पत्र लिखने वाले के द्वारा अपने सम्बन्ध या पड़ के अनुरूप शब्द यथा भवदीय, आपका, आज्ञाकारी, शुभेच्छु आदि लिखकर नीचे अपने हस्ताक्षर किये जाते है.

  • भेजने वाले का पता-बाई ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है. इससे पत्र प्राप्त करने वाले को, पत्र भेजने वाले का सही सही पता ज्ञात हो जाता है. और उसे उतर भेजने में कठिनाई नही होती है.
  • पत्र पाने वाले का पता– पत्र समाप्ति के बाद पोस्टकार्ड, अंतरदेशीय पत्र तथा लिफ़ाफ़े पर पत्र पाने वाले का स्पष्ट पता लिखा जाता है. पते के साथ पिनकोड अवश्य लिखना चाहिए.
  • सम्बोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के कुछ उदहारण

गुरुजनों और परिवार के बड़े लोगों को

  • संबोधन- मान्यवर, आदरणीय, पूजनीय, श्रद्धेय, माननीय, पूजनीया
  • अभिवादन- सादर स्पर्श
  • अंत के शब्द- आपका आज्ञाकारी पुत्र, भाई, अनुज, छात्र, शिष्य, आदि स्त्रिलिग़ में आज्ञाकारी पुत्री, बहन, छात्रा, शिष्या आदि.

बराबर वालों को

  • संबोधन– प्रिय मित्र, प्रिय भाई, प्रिय बहिन, बंधुवर, प्रियवर आदि.
  • अभिवादन- नमस्कार
  • अंत के शब्द– स्त्रीलिंग में तुम्हारी प्रिय सखी, बहिन आदि.

छोटों को

  • संबोधन– चिरंजीव, प्रिय, आयुष्मती
  • अभिवादन- शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो
  • अंत के शब्द- तुम्हारा, शुभेच्छु, शुभचिंतक, हितैषी आदि.

परिचित को

  • संबोधन- प्रिय (नाम), श्रीमती (नाम), विवाहितों के लिए
  • अभिवादन– नमस्ते

अपरिचित को

  • संबोधन– प्रिय, महाशय, महोदय, महोदया, श्री (नाम)
  • अभिवादन- नमस्कार
  • अंत के शब्द– भवदीय, आपका (स्त्रीलिंग में) भवदीया, आपकी

किसी अधिकारी को

  • संबोधन– महोदय, महोदया
  • अभिवादन- नमस्ते
  • अंत के शब्द– भवदीय, भवदीया

पत्र लिखने की विधि-

नगर या शहर में भेजने के लिए पोस्टकार्ड/अंतर्देशीय/लिफ़ाफ़े पर पता इस प्रकार लिखा जाता है.

श्री देवा भवन
चांदनी चौक
नई दिल्ली (भारत)
पिन कोड…

पत्रों के प्रकार (Types of letters)

पत्रों को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है.

  1. औपचारिक पत्र (formal letter)
  2. अनौपचारिक पत्र (informal letter)

औपचारिक पत्र (formal letter)

औपचारिक पत्र व्यवहार उन व्यक्तियों के साथ किया जाता है. जिनके साथ पत्र लेखक का कोई निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नही होता है. औपचारिक पत्रों में व्यक्तिगत समाचार पर बातचीत अथवा आत्मीयता का कोई स्थान नही होता है. इस प्रकार के पत्रों में मुख्य तथ्य ही केंद्र होता है.

औपचारिक पत्रों में निम्न प्रकार के पत्र शामिल किये जा सकते है.

  • प्रार्थना पत्र- विद्यालय के प्रधानाचार्य/ प्रधानाचार्या/ मुख्याध्यापक/ मुख्याध्यापिका को अवकाश, शुल्क मुक्ति, आर्थिक सहायता, छात्रवृति अथवा विद्यालय से सम्बन्धित किसी प्रकार की कठिनाई या समस्या से सम्बन्धित.
  • आवेदन पत्र- किसी कंपनी, संस्था अथवा औद्योगिक इकाई आदि में नौकरी के लिए
  • बधाई पत्र- किसी अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ व्यक्ति को किसी विशेष सफलता या उपलब्धी आदि पर.
  • शुभकामना पत्र- किसी अधिकारी द्वारा अपने विभाग में कार्यरत किसी कर्मचारी को विदेश यात्रा, पदोन्नति आदि पर.
  • धन्यवाद पत्र- किसी विशेष उत्सव/ कार्य गोष्ठी/कार्यक्रम/ प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि में सहयोग देने के लिए किसी विशेयज्ञ/ शिक्षाविद् आदि को धन्यवाद देने के लिए
  • सांत्वना पत्र- किसी अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ व्यक्ति के स्वयं या उसके परिवार के किसी सदस्य के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने या किसी प्रकार की शोकजनक घटना पर सांत्वना देने के लिए.
  • शिकायती पत्र- किसी समस्या से सम्बन्धित अपने विचार या कठिनाई अधिकारियों तक पहुचाने के लिए
  • संपादकीय पत्र- किसी समाचार पत्र के संपादक के माध्यम से अपनी बात सरकार या अधिकारियों तक पहुचाने के लिए
  • व्यावसायिक पत्र– व्यापारिक प्रतिष्ठानों/ प्रकाशकों/ पुस्तक विक्रेताओं आदि को लिखे गये पत्र

अनौपचारिक पत्र (informal letter)

अनौपचारिक पत्राचार उन व्यक्तियों के साथ किया जाता है. जिनसे पत्र लेखक का व्यक्तिगत या निजी सम्बन्ध होता है. अपने मित्रों माता-पिता अन्य सम्बन्धियों आदि को लिखे गये पत्र अनौपचारिक के अंतर्गत आते है. अनौपचारिक पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है.

तथा व्यक्तिगत बातों का उल्लेख भी किया जाता है. अनौपचारिक पत्रों में निम्नलिखित प्रकार के पत्र रखे जा सकते है.

  • बधाई पत्र
  • शुभकामना पत्र
  • निमंत्रण पत्र
  • विशेष अवसरों पर लिखे गये पत्र
  • सांत्वना पत्र
  • किसी प्रकार की जानकारी देने के लिए
  • कोई सलाह आदि देने के लिए

पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य सावधानियाँ (Letter writing to keep in mind considerations)

  1. पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए
  2. पत्र सारगर्भित होना चाहिए
  3. पत्र सुलेख में लिखा होना चाहिए
  4. पत्र में सरल भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए
  5. पत्र में विषय दिनांक, भेजने वाले का नाम आदि का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए.
  6. पत्र में काट छांट नही होनी चाहिए.

यह भी पढ़े

  • समाचार पत्र पर सुविचार और अनमोल वचन
  • फीचर लेखन किसे कहते है उदाहरण
  • नागरिकता के लिए प्रार्थना पत्र
  • अपने भाई की शादी में दोस्त को निमंत्रण पत्र

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पत्रों में अभिवादन को कैसे लिखा जाता है?

संबोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अभिवादन सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है। विषय-वस्तु अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक संभव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।

पत्र लिखते समय अभिवादन के लिए क्या लिखेंगे?

जैसे- अध्यापक को पत्र लिखते समय आपका आज्ञाकारी शिष्य'; मित्र को 'तुम्हारा', 'तुम्हारा मित्र'; माता-पिता को 'आपका बेटा', 'आपकी बेटी' आदि लिखेंगे। बड़े व्यक्ति अपने से छोटों के लिए 'शुभचिंतक', 'शुभेच्छु' आदि लिख सकते हैं। किसी को निमंत्रण देने पर प्रायः 'दर्शनाभिलाषी' लिखा जाता है ।

औपचारिक पत्र में अभिवादन में क्या लिखा जाता है?

प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द) – श्रीमान, श्रीयुत, मान्यवर, महोदय आदि। अभिवादनऔपचारिक-पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता। समाप्ति – आपका आज्ञाकारी शिष्य/आज्ञाकारिणी शिष्या, भवदीय/भवदीया, निवेदक/निवेदिका, शुभचिंतक, प्रार्थी आदि।

क्या कार्यालय पत्र में अभिवादन के शब्द होते हैं?

अभिवादन - अनौपचारिक पत्रों में अपने से बड़ों के लिए सादर प्रणाम, चरण स्पर्श आदि, छोटों के लिए आशीर्वाद, शुभाशीष तथा बराबर वाले अर्थात् मित्रों के लिए नमस्कार लिखना चाहिए। सरकारी तथा व्यावसायिक पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।