राजस्थान में लघु और सीमांत किसान कौन है? - raajasthaan mein laghu aur seemaant kisaan kaun hai?

भारत एक किसान प्रधान देश है। यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह खेती पर निर्भर है। केंद्र और प्रदेश सरकारें किसानों के लिए ढेर सारी योजनाएं भी संचालित कर रही हैं। किसानों को अलग-अलग वर्गों में बांटा गया है, ताकि योजनाओं का संचालन प्रभावी ढंग से किया जा सके। इस आर्टिकल में भारत में मौजूद सभी तरह के किसानों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। उनके लिए संचालित योजनाओं का जिक्र भी किया जा रहा है, ताकि लोगों की जानकारी में इजाफा हो सके।

राजस्थान में लघु और सीमांत किसान कौन है? - raajasthaan mein laghu aur seemaant kisaan kaun hai?

तीन तरह के किसान हैं | Types of Farmer in India

केंद्र सरकार ने किसानों की स्थिति को परिभाषित किया गया है। भारत में आमतौर पर तीन तरह के किसान हैं। देश की 70 फीसदी आबादी किसी ने किसी रूप में खेती-बाड़ी के पेशे से जुड़ी है। सीमांत, लघु और वृहद श्रेणी में शामिल किसानों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ढेर सारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। सरकारों मानती हैं कि अगर किसान मजबूत होंगे तो देश तरक्की करेगा। उन्हें आगे बढ़ाए बगैर देश की तरक्की के बारे में सोचा नहीं जा सकता है।

1. सीमांत किसान (Simant Kisan)

वे किसान, जिनके पास एक हेक्टेयर या इससे भी कम जमीन होती है, उन्हें सीमांत किसान कहा जाता है। एक हेक्टेयर में करीब ढाई एकड़ जमीन होती है। केंद्र और राज्य सरकारें खेती को बढ़ावा देने के लिए ढेर सारी योजनाएं संचालित कर रही हैं, जिसके तहत सीमांत किसानों को लाभांवित किया जा रहा है। किसानों के लिए कर्जमाफी से लेकर लोन तक की व्यवस्था की गई है। आपदा में किसानों को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा आयकर के क्षेत्र से किसानों को पूरी तरह बाहर रखा गया है।

2. लघु किसान

लघु किसानों को भी परिभाषित किया गया है। लघु किसान आमतौर पर उन्हें कहते हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से ज्यादा और दो हेक्टेयर से कम जमीन है। इस तरह करीब पांच एकड़ जमीन के मालिक को लघु किसान की श्रेणी में शामिल किया जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि जमीन का यूज पूरी तरह खेती के लिए होना चाहिए। रेसिडेंशियल और कामर्शियल लैंड के ऑनर लघु किसान की श्रेणी में शामिल नहीं किए जाएंगे। केंद्र और प्रदेश सरकारें सीमांत किसानों की तरह लघु किसानों के लिए भी ढेर सारी योजनाएं संचालित कर रही हैं।

3. वृहद किसान

सीमांत और लघु किसानों की तरह वृद्ध किसानों की स्थिति को भी परिभाषित किया गया है। वृहद किसानों की श्रेणी में उन्हें शामिल किया गया है, जिनके पास दो हेक्टेयर से ज्यादा जमीन है। उनके लिए जमीन की अधिकतम सीमा को तय नहीं किया गया है। यानी बड़े पैमाने पर जमीन के मालिक को वृहद किसान कहते हैं। केंद्र और प्रदेश सरकारें आमतौर पर अपनी योजनाओं में वृहद किसानों को शामिल नहीं करती हैं। दो-एक योजनाओं के तहत ही उन्हें कुछ छूट दी गई है। दोनों सरकारें और संबंधित विभागों की ओर से इसके लिए हर साल समीक्षा भी की जाती है।

सीमांत और लघु किसानों की संख्या ज्यादा

भारत में 80 फीसदी किसान सीमांत और लघु श्रेणी में आते हैं। 20 फीसदी किसान ही ऐसे हैं, जिन्हें वृहद किसानों का दर्जा प्राप्त है। इसमें सबसे तेज सीमांत किसानों की संख्या बढ़ रही है। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से संचालित ज्यादातर योजनाओं के तहत इन्हीं दोनों वर्गों को लाभांवित किया जा रहा है। फिर वह चाहे ऋण माफी योजना हो या फिर किसान पेंशन योजना, ज्यादातर फायदा दोनों वर्गों में शामिल किसान इनका फायदा उठा रहे हैं।

किसानों के लिए योजनाएं | Schemes for Farmers

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ऐसी ढेर सारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनके तहत किसान लाभांवित हो रहे हैं। इस कड़ी में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना भी शामिल है, जिसके तहत बुजुर्ग किसानों को पेंशन दी जा रही है। 60 साल की उम्र पूरी कर चुके किसानों को पेंशन के रूप में हर महीने तीन हजार रुपये तक दिए जाने का प्रावधान है। इसमें सीमांत और लघु किसानों को शामिल किया गया है।

1. पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत पारिवारिक पेंशन की व्यवस्था भी की गई है। लाभार्थियों की सूची में शामिल किसान की अगर इस दौरान मौत हो जाती है तो परिवार के सदस्य को पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। पारिवारिक पेंशन का लाभ पत्नी को मिलेगा। उन्हें नियमानुसार पेंशन की 50 फीसदी रकम दी जाएगी। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस में इसका जिक्र किया गया है।

2. किसान सम्मान योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना को भी प्रभावी ढंग से लागू किया गया है। किसानों को इस योजना के तहत एक साल में 6 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। यह योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जा रही है और इसके तहत मिलने वाली रकम को सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर किया जा रहा है। इस योजना का संचालन सशर्त किया जा रहा है और इसका फायदा फिलहाल उन्हीं किसानों को मिल रहा है, जो भारत सरकार की गाइडलाइंस को पूरा कर रहे हैं। किसानों के लिए इसी तरह की ढेर सारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनका वे फायदा भी उठा रहे हैं।

जालोरसहित राज्य भर के किसानों के खेतों की कायाकल्प होने वाली है। राज्य सरकार ने किसानों के खेतों के हालात सुधारने के लिए अपना खेत, अपना काम योजना की शुरुआत की है, जिसमें पात्र किसान तीन लाख रुपए का कार्य अपने खेतों में करवा सकेंगे। सरकार की ओर से शुरु इस योजना में अभी तक जॉब कार्ड धारी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, बीपीएल लघु सीमांत कृषकों को शामिल किया गया है। इसके बाद में लघु कृषकों भी शामिल किया जा सकता हैं। योजना में लाभार्थी किसानों को अपने खेत में कार्य करने के लिए सरकार की ओर से 3 लाख की राशि स्वीकृत की जाएगी, जिसमें 60 प्रतिशत मजदूरी 40 प्रतिशत सामग्री का अनुपात रहेगा। इस हिसाब से लाभार्थी किसान को अपना खेत अपना काम में 1.80 लाख रुपए मजदूरी 1.20 लाख रुपए सामग्री पर खर्च करने के लिए मिलेेंगे। वहीं इस योजना में पूरा कार्य किसान स्वयं या उसके परिवार वालों के नाम मस्टररोल भरके करवा सकेगा।

यह कार्य करवा सकते हैं किसान

इसयोजना के तहत धरती पुत्र अपने खेतों में भूमि सुधार, सिंचाई व्यवस्था में सुधार करने पानी का संग्रहण करने के लिए खेत में डिग्गी, टांका, तलाई, पानी के धोरों को पक्का, वृक्षारोपण, बागवानी, खेत की मेड़बंदी, जमीन समतलीकरण, पशु शैड, खेत में उपजाऊ मिट्टी लाकर डालने, अनुपजाऊ मिट्टी को खेत से बाहर डालने सहित करीब 139 कार्य किसान करवा सकते है।

किसानोंके लिए वरदान साबित होगी

^सरकारकी ओर से नरेगा में अपना खेत, अपना काम योजना शुरु की गई है। इसमें किसान अपने खेतों में अधिकतम 3 लाख रुपयों का कार्य करवा सकता है। परिषद की ओर से जिले के सभी पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को आदेश देकर प्रत्येक ग्राम पंचायत से कम से कम 100 पात्र किसानों को आवेदन लाने को कहा गया है। -जवाहर चौधरी, सीईओ जिला परिषद जालोर

ऐसे कर सकता है किसान आवेदन

अपनाखेत, अपना काम योजना में जॉब कार्ड धारी किसान अपनी ग्राम पंचायत में सादे कागज पर ग्राम सेवक के पास में आवेदन करेगा। सरपंच की रिपोर्ट होने के बाद पटवारी से जमीन संबंधी रिपोर्ट के बाद आवेदन के साथ में जमाबंदी की नकल लगा कर महात्मा गांधी नरेगा शाखा में पेश करना होगा। जहां पर नरेगा अधिकारी आवेदन के आधार पर एस्टीमेट बनाकर जिला परिषद को भेजा जाएगा। जिला परिषद के अधिकारी उक्त कार्य को स्वीकृत करने के बाद में किसान के नाम का मस्टररोल जारी करेगा। उसके बाद में किसान अपने खेत में कार्य शुरु करवा सकता है।

यहकिसान होंगे पात्र

इसयोजना में जॉब कार्ड धारी एससी, एसटी, बीपीएल लघु सीमांत किसान इस योजना में पात्रता रखेंगे। इन श्रेणी में भी पात्र किसान के पास में स्वयं उसके पिता या पति के नाम की खातेदारी भूमि होनी आवश्यक है। वहीं ऐसे किसान जिनके पास में पैतृक संपति में जमीन का हिस्सा आया हुआ है तो उक्त जमीन के मूल खातेदार से उत्तराधिकारी संबंधी उल्लेख शपथ पत्र मय नोटेरी करवा उक्त जमीन की नवीनतम जमाबंदी नक्शा ट्रेस आवेदन के साथ संलग्न करना होगा। यह प्रक्रिया उन किसानों को पूरी करनी होगी जिनके नाम पर राजस्व रिकार्ड में जमीन नहीं है।

जल स्तर बढ़ाने के होंगे प्रयास

प्रदेशके ज्यादातर गांवों में लगातार गिरते जल स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार दूसरी वर्षगांठ पर जल स्वावलंबन अभियान शुरु करने जा रही है। इस अभियान में में किसानों के लिए जल स्तर बढ़ाने के लिए कार्य किए जाएंगे। जिले के गांवों में भी जल स्तर कम होने के कारण पेयजल का संकट है। किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में अपना खेत, अपना काम योजना में किसानों के खेतों का सुधार करवाया जाएगा। खेतों में पानी को बारिश के पानी को रोकने के लिए खेतों के मेड़बंदी करवाई जाएगी, जिससे पानी बह कर अन्य जगह पर नहीं जा सके।

परिवार वालों के जारी होगा मस्टररोल

जिलेकी प्रत्येक ग्राम पंचायत में इस योजना के तहत कार्य करवाए जाएंगे। इसमें ग्राम पंचायत की ओर से कार्य स्वीकृत करने के बाद में पंचायत समिति की ओर से परिवार वालों के नाम का मस्टररोल जारी किया जाएगा। उक्त मस्टररोल पर स्वीकृत राशि की 60 प्रतिशत हिस्सा किसान के परिवार को मिलेगा।

राजस्थान में सीमांत किसान कौन है?

लघु किसान :- दो हेक्टेयर (पांच एकड़) या कम जमीन रखनेवाला कृषक, जैसा कि संबंधित राज्य या संघ शासित प्रदेश के कानून में कहा गया है। सीमांत किसान :- एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) या कम जमीन रखनेवाला किसान

सीमांत किसान कौन से होते हैं?

सीमांत किसान कौन होते हैं ? भारत में सबसे पहले सीमांत किसान आते है, अगर सरकार के हिसाब से देखा जाये तो सीमांत किसान वह किसान हैं जिनके पास खेती लायक जमीन केवल एक हेक्टेयर यानी कि लगभग ढाई एकड़ होती है, इसके मध्य खेती वालों को सीमांत किसान कहा जाता है।

लघु किसान कौन है Rajasthan?

इसे आम भाषा में समझे तो लघु किसान (Small Farmers) वो होते है जिनके पास 2 हेक्टेयर यानी (पांच एकड़) या कम जमीन रखते है, ऐसे किसानों को लघु किसान कहा जाता है।

सीमांत किसान के पास कितनी जमीन होती है?

एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) से कम क्षेत्रफल वाले किसान को सीमांत किसान कहा जाता है।