रखिये नगर का विकास होता है - rakhiye nagar ka vikaas hota hai

रखिये नगर का विकास होता है - rakhiye nagar ka vikaas hota hai

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अधिवास भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा में ग्रामीण एवं नगरीय अधिवासों की स्थिति, उत्पत्ति, प्रतिरूप, व्यावसायिक संरचना आदि तथ्यों का अध्ययन किया जाता हैं। अधिवास जिसका अर्थ होता है घर जो मानव जीवन का आधार है।

ग्रामीण अधिवास[संपादित करें]

बस्तियों के प्रतिरूप[संपादित करें]

  • रेखिय या पंक्तिनुमा गांव
  • अरीय त्रिज्याकार बस्तियां
  • तीरनुमा बस्तियां
  • मकड़ी-जालनुमा बस्तियां
  • अर्ध्व्रताकार बस्तियां
  • तारानुमा बस्तियां
  • चौक पट्टीनुमा बस्तियां
  • पंखानुमा बस्तियां
  • जूते की डोरीनुमा बस्तियां
  • आयराकार बस्तियां
  • सीढ़ी के आकार की बस्तियां
  • मधुमक्खी छ्त्तानुमा बस्तियां
  • अनाकार बस्तियां
  • हरित बस्तियां

Nariya adhiwas

नगरीकरण के कारण/कारक 

भारत मे नगरीकरण के निम्न कारण है--

1. कृषि समाज की भूमिका 

ग्रामीण तथ्यों की उपेक्षा करके भारतीय नगरीकरण के विकास को स्पष्ट नही किया जा सकता है। आर्थिक दृष्टि से कृषि व्यवसाय मे जब विकास और प्रगति हुई तभी नगरों की स्थापनायें हुई है। कृषि उत्पादन मे वृद्धि से व्यक्ति की आवश्यक जरूरतों की पूर्ति हुई। औद्योगिक-क्रांति ने कृषि उत्पादन के क्षेत्र मे गुणात्मक परिवर्तन को जन्म दिया। मशीनों का प्रयोग कृषि उत्पादन मे तीव्रता से होने लगा जिससे सिंचाई के साधनों मे विकास हुआ। अनेक प्रकार के अन्वेषण प्रारंभ हुए जिनका उद्देश्य है किस प्रकार बढ़ती जनसंख्या के लिये समय पर व अधिक तथा अच्छी फसलें उत्पन्न की जायें। 

यह भी पढ़ें; नगरीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं और प्रभाव

2. उपयुक्त जलवायु

भारत जलवायु की दृष्टि से एक धनी देश है। प्रकृति ने इसे अनेक दृष्टि से महान बनाया है। संपूर्ण भारत मे नदियों का बहना, खनिज के भण्डार और ऊंचे-ऊंचे पर्वत इसकी अक्षुण्ण सम्पत्ति है। उपजाऊ-भूमि इसकी धरोहर है। 

3. आवागमन के साधनों का विकास 

नगरीकरण के विकास में आवागमन के साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। व्यापारीकरण, बाजार और विभिन्न प्रकार की मंडियों का विकास आवागमन के साधनों के अभाव में संभव नही है। प्रौद्योगिकी विकास ने आवागमन के साधनों को समृद्ध बनाया है। अब जल मार्ग ही हमारे व्यापार करने के साधन नही है वरन् रेल, वायुयान, पानी के विशाल जहाज, ट्रक आदि भी है। पहले यातायात की सुविधाओं का अभाव था लेकिन अब टेलीफोन, फैक्स, ई-मेल, ऑन लाइन भुगतान की सुविधा से हजारों मील दूर से व्यापार करना आसान हो गया हैं।

4. व्यापार करने की प्रवृत्ति में वृद्धि 

नगरों के विकास की पृष्ठभूमि मे व्यावसायिक प्रवृत्ति महत्वपूर्ण है। अधिक से अधिक व्यक्ति नगर मे इसलिए भी स्थापित होना चाहते है क्योंकि उन्हें व्यापार करने की सुविधा प्राप्त है। आधुनिक युग मे नगर व्यापार के केन्द्र स्थल हो गए है।

5. नगरीय सुविधाओं का आकर्षण 

गाँव असुविधाओं का केन्द्र है। ग्रामीण को जहाँ मिट्टी का तेल भी उपलब्ध नही होता है जीवन की अत्यंत आवश्यक आवश्यकताओं की भी वहाँ पूर्ति नही होती। व्यक्ति की भले ही मृत्यु हो जाए पर न उसे वहाँ डाक्टर उपलब्ध होते है और न दवा और न कोई चिकित्सालय। 

गाँवों मे मिलो दूर पर स्कूल मिलते है जहां पर शिक्षा की उत्तम व्यवस्था नही होती। इसके विपरीत नगरों मे अच्छे से अच्छे स्कूल, काॅलेज, विश्वविद्यालय और तकनीकी ज्ञान के क्रेन्द्र, मेडिकल काॅलेज, इंजीनियरिंग काॅलेज, तथा असंख्य संस्थायें, संघ, समितियाँ जो किसी न किसी रूप मे समाज सेवा का कार्य करती है, यहाँ उपलब्ध हैं। यह सभी सुविधाएं ग्रामीणों को नगरों मे आने के लिये प्रोत्साहित करती है।

6. धनी और संपन्न होने की भावना 

नगर जहां व्यापार के केन्द्र स्थल है वहीं यह जीविका अर्जन के अनेक विकल्प भी मानव समाज के सम्मुख प्रस्तुत करता है।

7. स्वप्नों का संसार 

ग्रामीण समाज और पिछड़े हुए अंचलों के व्यक्तियों के लिये नगर पूरक लोक की कहानी की तरह सुन्दर और आकर्षण है। व्यक्ति नगर से अनगिनत अपेक्षाएँ करता है। वह अपनी इच्छाओं और महत्वकांक्षाओं को वह यहां पूर्ण करना चाहता है। इसी प्रकार के स्वप्न लेकर दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे महानगरों मे 5 से 7 लाख लोगों व्यक्ति प्रतिदिन बाहर से आते है। इसीलिए छोटे-बड़े सभी नगरों मे निरन्तर जनसंख्या बढ़ती जा रही है। 

8. जीवकोपार्जन के केन्द्र 

ग्रामीण समाज में कृषि से संबंधित कार्यों मे ही व्यक्ति कार्य करता है और अशिक्षित रह जाता है और शिक्षित होने पर भी उसे वहाँ अवसर नही मिलते। इसके विपरीत नगर मे जीविकोपार्जन के असंख्य विकल्प उपस्थित है। व्यक्ति वहाँ सरलता से कोई न कोई कार्य ढूँढ लेता है। यही कारण है कि नगर की सीमाएं निरन्तर बढ़ती जा रही है। 

9. मनोरंजन के केन्द्र

गाँव मे मनुष्य के पास मनोरंजन के नाम पर कुछ भी नही है। नगरों मे सिनेमा, नाट्यघर, सांस्कृतिक कार्यक्रम, टी. वी., रेडियों, ट्राॅन्जिस्टर आदि ऐसी चीजे है जो व्यक्ति का मनोरंजन करती है। इसके अतिरिक्त अच्छे पार्क, चिड़ियाघर, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल, बच्चों के खेलने के स्थान जैसी चीजें है जिसे बार-बार देखने का मन करता है इसलिए व्यक्ति ग्रामीण समाज के उबाऊ जीवन को छोड़कर नगर मे स्थायी रूप से रहना चाहता है। 

10. शिक्षा का प्रसार और प्रचार 

कस्बे, नगर और महानगरों मे जो ग्रामीण-युवक शिक्षा-ग्रहण करने आते है वे किसी भी कीमत पर गाँव वापस लौटना नही चाहते जबकि उन्हें नगरों मे अनेक सुविधाओं के साथ समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। नगरीय जीवन का आकर्षण व्यक्ति को नगर आने के लिये निरन्तर प्रेरित करता है। इसी तरह नगरीकरण की प्रक्रिया निरन्तर सुदृढ़ रूप मे अग्रसर होती रहती है।

11. राजनीति के केन्द्र स्थल 

नगर राजनैतिक गतिविधियों के केन्द्र स्थल है और महानगरों मे ही राजधानियां है। यहां मंत्री, विधायक, सांसद रहते है। यहां सत्ता पक्ष और विरोधी दल के नेता भी उपलब्ध रहते है और इनके मुख्य कार्यालय भी यही हैं। इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि राजधानियां नगरीकरण का सशक्त माध्यम रही है। यह भी नगरों की जनसंख्या वृद्धि का एक सशक्त कारण है।

12. सुरक्षा की भावना 

ग्रामीण समाज में आज जितनी असुरक्षा की भावना व्याप्त है उतनी नगरो मे नही है। प्राचीन समय मे तो ग्राम सुरक्षा का केन्द्र माने थे पर अब वहाँ हत्या, डकैती, आम बात है। पुलिस और सुरक्षा बल घटना होने के घण्टों बाद घटना स्थल पर पहुंचते है। इसके विपरीत नगर मे नागरिकों के जान-माल की अधिक सुरक्षा है। नगल मे पुलिस, प्रशासक, सांसद, मंत्री आदि की भीड़ लगी रहती है। इसलिए प्रशासन चुस्त और दुरूस्त रहता है।

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नगर का विकास कैसे होता है?

ग्रामों से नगरों की ओर जनसंख्या का आना अर्थव्यस्था में विकास की कुंजी तथा शहरों की संख्या में वृद्धि सम्पन्नता को बढ़ाती हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, आवास, यातायात, दूरसंचार इसके मूल तत्व हैं। वर्ष 1951 में जहाँ शहरीकरण 4.88 प्रतिशत ( 3.64 लाख ) था यह वर्ष 2011 में बढ़कर 23.24 (59.37 लाख) हो गया है।

नगरों का विकास कब हुआ?

आधुनिक युग में नगरों का विकास नगरों में फैक्ट्री, मिल, कारखानों आदि की स्थापना से नगर बढ़ते चले गए। औद्योगिक क्रांति ने नगरों में नौकरी के असंख्य अवसर प्रस्तुत किये हैं। जिस स्थान पर भी बड़े कारखाने खुलते है वह कालांतर में एक नगर बन जाता हैं क्योंकि इनमें हजारों लाखों व्यक्ति कार्य करते हैं।

नगर क्या है नगर के विकास के लिए उत्तरदाई कारकों का उल्लेख कीजिए?

कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में स्थान विशेष लाभ होते हैं जैसे बाढ़ और तूफान से प्राकृतिक सुरक्षा, संसाधनों का लाभ जैसे पानी और भूमि की उपलब्धता, व्यापार मार्गों की पहुंच, आदि; ये सब नगरों की उत्पत्ति और विकास के लिए कारक होते हैं।

नगर कितने प्रकार के होते हैं?

राइजर ने कार्यो के आधार पर नगरों के प्रकार बताएं हैं -.
- उपभोग के नगर.
- उत्पादन के नगर.
- मिश्रित कार्यों के नगर.
- संचय और वितरण के नगर.
- नदी तथा समुद्रतटीय नगर.
- वित्त तथा साख के नगर.
- श्रमिकों या कारीगरों के नगर.
- सैनिक नगर.