सहारा सेबी का क्या फैसला हुआ? - sahaara sebee ka kya phaisala hua?

लखनऊ : कभी देश की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार रही सहारा इंडिया में एक समय देश के करोड़ों लोगों ने निवेश किया था। लेकिन कंपनी के कामकाज में पारदर्शिता ना होने और वित्तीय अनियमितताओं के चलते इसमें कई लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा फंस गया था। मोटा रिटर्न पाने के लालच में लोगों ने सहारा (Sahara) की कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया। लेकिन मैच्योरिटी पर इन कंपनियों ने निवेशकों को पैसा देने के बजाय ठेंगा दिखा दिया। अब ये जिंद एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है और फिर सहारा सेबी विवाद (Sahara SEBI Case) सुर्खियों का हिस्सा है। ऐसे में आइए बारीकी से समझते हैं क्या है सहारा सेवी विवाद, जिसमें देश के कई ऐसे लोग हैं, जिनका पैसा ना तो सहारा और न ही सेबी (SEBI) ने वापस लौटाया।

जिनका मोटा पैसा फंसा हुआ है, वे तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर अपना पैसा वापस पाने में लगे हैं, लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, वे पूरी तरह भगवान भरोसे बैठे हुए हैं।

यूपी के हमीरपुर में सहारा से बेसहारा हुए निवेशक
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर (Uttarpradesh Hamirpur) जिले में सहारा (sahara india) में करोड़ों रुपये का निवेश करने वाले हजारों लोग तबाह हो गए है। सहारा से बेसहारा बने निवेशक और एजेंट (sahara india investor agent) भी भुगतान न होने के कारण डिप्रेशन में है। कई एजेंटों ने दावा किया कि हमीरपुर शहर और आसपास के सैकड़ों गांवों से कई करोड़ रुपये का निवेश कराया था लेकिन कंपनी के धोखा देने से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। तमाम एजेंट बेसहारा होने के बाद अब दूसरे कारोबार से जुड़ गए है। हमीरपुर जिले में सहारा कंपनी ने आम लोगों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखाकर नेटवर्क फैलाया था। हमीरपुर शहर में ही पचास से अधिक एजेंट बनाए गए थे।

वहीं सैकड़ों ग्राम में भी बड़ी संख्या में सहारा के एजेंटों ने हजारों निवेशकों से पूंजी जमा कराकर उन्हें सपने दिखाए थे। लेकिन पांच साल बाद जब आरडी पूरी हुई तो किसी भी निवेशक को एक भी पैसे का भुगतान नहीं किया जा सका। एजेंट भी परेशान है। हमीरपुर शहर के अनूप कुमार निगम ने बताया कि सहारा में डेढ़ लाख रुपये का निवेश किया था जबकि साथी महेन्द्र ने भी इतना ही निवेश किया था। कई साल बीतने के बाद भी कंपनी के एजेंट नेटवर्क छोड़कर दूसरे धंधे में लग गए है। एजेंट अविनाश साहू ने बताया कि लाला मैकेनिक व राम श्याम तिवारी सहित हमीरपुर नगर के तमाम लोगों ने सहारा में बड़ी पूंजी का निवेश किया था, मगर अभी तक किसी को कोई भुगतान नहीं दिया गया।

नगर के पटकाना मुहाल निवासी शेर बहादुर सिंह उर्फ बाबू सिंह ने बताया कि सहारा में कई साल पहले करीब एक लाख रुपये निवेश किया था, लेकिन आरडी पूरी होने के बाद पेमेंट नहीं दिया गया है। कई बार एजेंट और कंपनी के लोगों से शिकायत की गई, मगर अगले महीने पेमेंट मिलने का आश्वासन सालों से दिया जा रहा है। बताया कि पेमेंट न मिला तो कोर्ट जाने की तैयारी करेंगे।

सहारा ग्रुप की दो कंपनियों से जुड़ा है विवाद
सहारा इंडिया (Sahara India) की शुरूआत साल 1978 में हुई थी। सहारा स्कैम (Sahara scam) मुख्य रूप से सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल ऐस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) से जुड़ा है। बात 30 सितंबर, 2009 की है। सहारा ग्रुप की एक कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपने आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन (DRHP) दाखिल किया था। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने इस डीआरएचपी का अध्ययन किया, तो सेबी को सहारा ग्रुप की दो कंपनियों की पैसा जुटाने की प्रक्रिया में कुछ गलतियां दिखीं। ये दो कंपनियां SHICL और SIRECL ही थीं।

OFCD के जरिए निवेशकों से जुटाए 24,000 करोड़
इसी दौरान 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को सेबी को दो शिकायतें मिलीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी। सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढ़ाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए।

फिर शुरू हुआ अदालती कार्रवाई का दौर..
इसके बाद अदालती कार्रवाई का दौर शुरू हो गया। मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। ऐसे भी संभावना जताई गई कि सहारा ग्रुप द्वारा काले धन को छिपाने के लिए बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने जब फंड के सोर्स के बार में सबूत मांगे, तो समूह कोर्ट को संतुष्ट करने में विफल रहा।

तीन महीने में 15% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का आदेश
अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों कंपनियों को सेबी के साथ निवेशकों का पैसा तीन महीने के अंदर 15 फीसद ब्याज के साथ चुकाने का आदेश दिया। साथ ही सेबी को सभी ओएफसीडी धारकों की डिटेल प्रदान करने को भी कहा गया। इसके बाद सहारा 127 ट्रक लेकर सेबी के ऑफिस पहुंचा, जिसमें निवेशकों की डिटेल्स थीं। लेकिन इन फाइल्स में निवेशकों की पूरी जानकारी नहीं थी। इससे मनी लॉन्ड्रिंग का शक बना रहा। सहारा सेबी को तीन महीने में 15 फीसद ब्याज के साथ पैसा जमा कराने में नाकाम रहा।

इस तरह कानून के शिकंजे में आया सहारा ग्रुप
समय के साथ, सुप्रीम कोर्ट और सेबी दोनों ही इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग की तरह लेने लगे। उन्होंने सहारा इंडिया के बैंक अकाउंट और संपत्ति को फ्रीज करना शुरू कर दिया। 26 जनवरी, 2014 को सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार हुए। नवंबर 2017 में ईडी ने सहारा ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चार्ज किया। इस तरह सहारा ग्रुप पूरी तरह कानून के शिकंजे में आ गया।

सहारा ने अब तक सेबी को जमा कराए सिर्फ 15,503.69 करोड़
सहारा ने सेबी को पहली किस्त 5120 करोड़ रुपये की जमा कराई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार सहारा समूह की कंपनियों- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन एवं सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन और उनके प्रवर्तकों एवं निदेशकों ने सेबी को कुल 15,485.80 करोड़ रुपये ही जमा कराए हैं। हाल ही में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा था, 'सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) ने 232.85 लाख निवेशकों से 19400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये जुटाये थे। सुप्रीम कोर्ट के 31.08.2012 के बाद के आदेशों के अनुसार, SIRECL और SHICL ने निवेशकों से जुटाई गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के मुकाबले 31 दिसंबर, 2021 तक ‘सेबी-सहारा रिफंड’ खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये ही जमा किए हैं।

सेबी ने सिर्फ इतना पैसा ही लौटाया
सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि सेबी सहारा इंडिया के निवेशकों को अब तक केवल 138.07 करोड़ रुपये ही लौटा पाया है। वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट या पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से सेबी ने 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट या पासबुक वाले 17,526 योग्य बॉन्डधारकों को 138.07 करोड़ रुपये की राशि रिफंड की।

सेबी क्यों नहीं लौटा पा रही पैसा
सेबी द्वारा निवेशकों को उनका पैसा नहीं लौटा पाने के पीछे दलील दी जा रही है कि दस्तावेजों और रिकॉर्ड में निवेशकों का डाटा ट्रेस नहीं हो पा रहा है। सरकार द्वारा बताया गया कि सेबी के पास रिफंड के लिए आए कई आवेदन या तो SIRECL और SHICL द्वारा उपलब्ध कराये गए दस्तावेजों और डाटा में रिकॉर्ड ट्रेस नहीं हो पाने के कारण अथवा सेबी द्वारा पूछे गए प्रश्नों को लेकर बांडधारकों से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होने के कारण बंद कर दिए गए हैं। वहीं, जिन लोगों का पैसा SIRECL और SHICL से कन्वर्जन कराकर सहारा क्यू शॉप (Sahara Q Shop) या सहारा की अन्य क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज में उलझा दिया गया, उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा हैं। अब देखना यह है कि सरकार निवेशकों के हित में कोई ठोस कदम उठा पाती है या नहीं।

क्या है ताजा हलचल
बतादें पटना हाईकोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को 11 मई को अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राय को किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया। सहारा कंपनी ने विभिन्न स्कीम में हजारों उपभोक्ताओं से निवेश के नाम पर पैसा जमा करवाया था। अवधि पूरी होने के बाद भी पैसे नहीं लौटाया। इस मामले में 2000 से अधिक लोगों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश संदीप कुमार की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता प्रमोद कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहारा को 27 अप्रैल तक का समय दिया था।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि सहारा के अधिकारी अदालत को बताएं कि वह कब और कैसे निवेशकों का भुगतान करेंगे। सहारा की तरफ से ऐसी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद अदालत ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने सारी दलील सुनने के बाद कहा कि हजारों लोगों की गाढ़ी कमाई पर कोई ऐसे कुंडली मारकर नहीं बैठ सकता। लोगों के पैसे ब्याज समेत लौटाने ही पड़ेंगे।

सहारा इंडिया पैसा कब मिलेगा 2022?

Sahara india New News 2022 : अगर आप का भी पैसा सहारा इंडिया में फंसा हुआ है तो आप सभी के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है क्योंकि सहारा इंडिया में जितने भी लोग अपना सहारा इंडिया में निवेश करते थे तो उन सभी का पैसा निकलना शुरू हो चुका है Sahara India Refund Payment 2022-23 जिसके लिए आप सभी के पास इन कागजातों का होना अनिवार्य है ...

सहारा और सेबी का क्या फैसला हुआ?

सेबी (SEBI) ने नियामकीय नियमों के उल्लंघन के एक मामले में सहारा समूह (Sahara Group) की कंपनी, इसके प्रमुख सुब्रत रॉय और अन्य को 15 दिन के भीतर 6.42 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में उनकी परिसंपत्तियों की कुर्की होगी।

सहारा और सेबी विवाद कब खत्म होगा?

सहारा सेबी भुगतान विवाद खत्म || Sahara India 11 NOVEMBER 2022 || Sahara India Refund News 2022 - YouTube.

सहारा इंडिया कंपनी डूब गया क्या?

साथ ही कई बॉन्डहोल्डर्स ने सेबी के सवालों का जवाब नहीं दिया, इसलिए उनके आवेदन को बंद कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के 2012 के आदेश के मुताबिक सहारा इंडिया ने निवेशकों से जमा की गई 25,781.37 करोड़ की मूल राशि के बदले 31 दिसंबर, 2021 तक 'सेबी-सहारा रिफंड' खाते में 15,503.69 करोड़ रुपये जमा किए थे।