सिक्किम में रेलवे लाइन क्यों नहीं है? - sikkim mein relave lain kyon nahin hai?

सिक्किम में रेलवे लाइन क्यों नहीं है? - sikkim mein relave lain kyon nahin hai?
सिक्किम रेल लाइन के लिए तैयार हो रही एक सुरंग

पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 राज्यों में से, रेल नेटवर्क संपर्क अब 7 राज्यों में उपलब्ध है। सिक्किम के लिए, नई रेल लाइन परियोजना सिवोक-रंगपो (44 किलोमीटर) की स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस परियोजना का शिलान्यास माननीय केंद्रीय रेल मंत्री द्वारा सिवोक (पश्चिम बंगाल) में 30.10.2009 को और उसी दिन भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा रंगपो (सिक्किम में) में किया गया था।

सिक्किम में रेलवे लाइन क्यों नहीं है? - sikkim mein relave lain kyon nahin hai?

44.96 किलोमीटर की कुल लंबाई में से 38.65 किलोमीटर (86 प्रतिशत) सुरंगों में, 2.24 किलोमीटर (5 प्रतिशत) पुलों पर और 4.79 किलोमीटर (9 प्रतिशत) लंबाई स्टेशन यार्डों की ओपन कटिंग/फिलिंग में है। प्रस्तावित लाइन में 14 सुरंगें हैं जिनमें 5.30 किलोमीटर लंबी सुरंग है और सबसे छोटी सुरंग 538 मीटर की है। प्रस्तावित रेलवे लाइन पर सिवोक और रंगपो सहित पांच स्टेशनों के निर्माण की योजना है। चार स्टेशनों को खुले क्रॉसिंग स्टेशन जैसे, सिवोक, रियांग, मेली और रंगपो और एक भूमिगत हॉल्ट स्टेशन तीस्ता बाजार बनाने का प्रस्ताव है।

सिक्किम में रेलवे लाइन क्यों नहीं है? - sikkim mein relave lain kyon nahin hai?

सुरंगों, जो कुल लंबाई का लगभग 86 प्रतिशत है, का निर्माण एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन सुरंग बनाने की प्रणाली) नामक नवीनतम तकनीक द्वारा किया गया है। इस परियोजना के कार्यों की निगरानी अंतर्राष्ट्रीय सलाहकारों द्वारा की जाती है ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। पर्यावरण और वन को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए इरकॉन सभी उपाय कर रहा है।

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नई दिल्ली. चीन की हरकतों को देखते हुए रेलवे ने सिक्किम तक रेल लाइन बनाने का काम तेज़ कर दिया है. तमाम चुनौतियों के बाद भी इस रेल लाइन को मार्च 2023 में पूरा करन का लक्ष्य रखा गया है. यह रेलव लाइन पश्चिम बंगाल (West Bengal Rail Line) के सेवोक से सिक्किम के रांगपो तक बनाई जा रही है. सिक्किम पूर्वोत्तर भारत का अकेला राज्य है जहां रेल नेटवर्क मौजूद नहीं है. सिक्किम तक रेल नेटवर्क के लिए शिलान्यास भले ही 2009 में किया गया था. लेकिन यह रेलवे लाइन पर्यावरण से मुद्दों पर अटकी हुई थी. फिर 2017 में डोकलम विवाद के बाद ही इस रेल लाइन को गंभीरता से लिए गया और हाल के समय में लद्दाख़ में टकरावों के बाद से इसे पूरा करने के प्रयास और तेज़ कर दिये गए हैं.

रेलवे लाइन को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर
मौजूदा समय में सिक्किम तक जाने के लिए नेशलन हाईवे 10 ही एकमात्र सड़क है जो राज्य को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ती है. यहां की सड़क पर ज़रूरत से ज्यादा दबाव होने से इलाके में ट्रैफ़िक जाम की भी समस्या बहुत बड़ी हो गई है. जबकि सिक्किम की राजधानी गैंगटॉक से महज़ 56 किलोमीटर दूर नाथूला पास मौजूद है. यह चीन की सीमा से लगा हुआ है इसलिए सेवोक से रांगपो रेलवे लाइन को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है.

रेल लाइन 13 पुलों और 14 सुरंगों से होकर गुज़रेगी
सेवोक से रांगपो तक बनाई जा रही रेल लाइन की लंबाई क़रीब 45 किलोमीटर है. यह इलाका भौगोलिक रूप से काफ़ी चुनौतियों से भरा हुआ है. इसलिए यहां रेल लाइन 13 पुलों और 14 सुरंगों से होकर गुज़रेगी. इस रास्ते पर रांगपो, रयांग, तीस्ताबाज़ार और मेली स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं. इस रेल परियोजना की लागत 8900 करोड़ रुपए रखी गई है. इस रेलवे लाइन का ज़्यादातर हिस्सा सुरंग से होकर गुज़रेगा जिससे इलाके के इको-सिस्टम को भी बचाया जा सकेगा.

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इस रेलवे लाइन के काम में पिछले कुछ महीनों में कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कई तरह की समस्या आई है. लेकिन अब इसका काम काफ़ी तेज़ कर दिया गया है. रेलवे अब यहां दिन रात काम कराने की योजना भी बना रहा है. यह रेल लाइन महन्दी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से होकर गुज़रेगी. अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी मिलने के बाद यहां तेज़ी से काम कराया जा रहा है.

नॉर्थईस्ट की सुरक्षा के लिहाज से रेलवे का यह प्रोजेक्ट काफ़ी महत्वपूर्ण 
नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सिनियर पीआरओ (कंस्ट्रक्शन) के मुताबिक सिक्किम तक रेल संपर्क को मार्च 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा. सेवोक से रांगपो तक रेल लाइन बनने से न केवल स्थानीय लोगों को मदद मिलेगी बल्कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. लेकन इससे सबसे बड़ी सहूलियत सेना को होगी और उनका मूवमेंट काफ़ी तेज़ी से हो सकेगा. यानी सुरक्षा के लिहाज से रेलवे का यह प्रोजेक्ट काफ़ी महत्वपूर्ण है.

दरअसल सर्दियों और ख़ासकर मॉनसून के दौरान यह इलाका लैंड स्लाइडिंग की वजह से पूरी तरह से बंद हो जाता है. ऐसे में रेलवे की नई लाइन इस इलाके को नया जीवन देने वाली है. सेवोक से रंगपो के बीच ट्रेन 100 किलोमीटर की रफ्तार से चलाई जा सकेगी. यह सफर 2 घंटे से भी कम समय का होगा. फिर रंगपो से सड़क के रास्ते गंगटोक तक एक घंटे में पहुंचा जा सकता है. रेलवे आने वाले समय में रंगपो और गंगटोक के बीच भी रेल लाइन बनाने वाला है, यह लाइन आगे नाथुला पास तक जाएगी. यानी यह पूरा रेल प्रोजेक्ट रक्षा ज़रूरतों के लिहाज़ से भी काफ़ी ख़ास है.

सेवोक रेलवे स्टेशऩ पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित एक छोटा स्टेशन है. यह न्यू जलपाइगुड़ी- अलीपुरद्वार- गुवाहाटी रेल लाइन पर मौजूद है. सेवोक- रांगपो रेल लाइन सिक्किम को पूरे भारत से रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली लाइन होगी. यह स्टेशन न्यू जलपाइगुड़ी से 35 किलोमीटर दूर है जबकि रांगपो स्टेशन सिक्किम की सीमा पर मौजूद है.

लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली
फिलहाल सिक्किम राज्य केवल सड़क के माध्यम से जुड़ा है. यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 10/31A होकर गुज़रता है. यह काफी दुर्गम इलाका है और मॉनसून के दौरान इलाके की सड़क अक्सर चट्टानों के खिसकने से बंद हो जाती है. इसलिए रेल लाइन बनने से इलाके के लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है. क़रीब 45 किलोमीटर की इस रेल लाइन का 86 फ़ीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुज़रेगा. यानी रेल लाइन के बनने से सिक्किम के इको सिस्टम को कम से कम नुकसान पहुंचेगा. इस रूट पर 41 किलोमीटर से ज़्यादा रेल लाइन पश्चिम बंगाल में जबकि 4 किलोमीटर से भी कम सिक्किम में होगा (41.55 किमी हिस्सा बंगाल और 3. 41 किमी हिस्सा सिक्किम में). इस रूट पर 14 सुरंग जबकि 13 बड़े और 11 छोटे पुल मौजूद होंगे.

क़रीब 100 साल पहले 15 मई 1915 को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ने तीस्ता घाटी रेल लाइन की शुरुआत की थी. इसका मक़सद आगे चलकर सिक्किम और कालिंपोंग को रेल लाइन से पूरे देश से जोड़ना था. यह लाइन सिलीगुड़ी से शुरू होकर गिलखोला तक जाती थी, लेकिन 1950 में एक लैंड स्लाइडिंग में यह लाइन पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. उसके बाद कभी इसकी मरम्मत तक नहीं हो पाई और यह योजना ठप हो गई.

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FIRST PUBLISHED : September 16, 2020, 13:48 IST

भारत के कौन से राज्य में रेलवे लाइन नहीं है?

भारत के मेघालय राज्य में रेलवे लाइन नहीं है.

सिक्किम में कौन सा रेलवे स्टेशन है?

गंगटोक जाने के लिए मुख्य रेलवे स्टेशन न्यू जलपाइगुड़ी है जो शहर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्टेशन से देश के अन्य भागों के लिए बड़ी संख्या में ट्रेनें चलती हैं।

कौन से देश में रेलवे स्टेशन नहीं है?

भूटान - Bhutan भूटान दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है। अभी तक, इस देश में कोई रेलवे नेटवर्क नहीं है।

भारत के मेघालय राज्य में ट्रेन क्यों नहीं चलती?

असम में दुधनोई और मेघालय में दीपा के बीच रेल लाइन का केन्द्रीय रेल-बजट १९९२-९३ में प्रस्ताव आया था। कालान्तर में स्थानीय लोगों के विरोध के कारण वर्ष २००७ में इसे दुधनोई-मेहंदीपत्थर में बदल दिया गया। असम और मेघालय सरकारों द्वारा भूमि अधिग्रहण में विलम्ब के कारण यह परियोजना २०१३ तक लम्बित हो गयी।