सामाजिक विषमता से क्या समझते हैं - saamaajik vishamata se kya samajhate hain

सामाजिक विषमता से आशय एक समाज के लोगों के जीवन स्तर तथा जीवन-शैली को भिन्नताओं से है, जो सामाजिक परिस्थितियों में इनकी विषम स्थिति में रहने के कारण होती हैं। उदाहरण के रूप में पूरयामो तथा भूमिहीन श्रमिक या ब्राह्मण व इरिजन को सामाजिक परिस्थितियों में पाए जाने वाले अनार के कारण उन्हें प्राप्त जीवन-स्तरों तथा जोवन-शैलियों में भी अन्तर देखने को मिलता है। सामाजिक विषमता की उत्पत्ति के विषय में निम्न माएँ प्रनित हैं।

⦁    प्राकृतिक विभेद

⦁    व्यझिागत सम्पत्ति
⦁    श्रम विभाजन एवं वर्ग निर्माण
⦁    युद्ध एवं विजय
⦁    प्रकार्यात्मक आवश्यकता
⦁    अभिमत एवं शक्ति

विषमता की उत्पत्ति को लेकर प्रमुख रूप से दो प्रकार के मत प्रतित हैं। एक मत के अनुसार विषमता एक ऐतिहासिक तथ्य है, जो समय के साथ-साथ अपने आप समाप्त हो जाएगी, लेकिन सो मतानुसार विषमता को समाज में समाप्त नहीं किया जा सकता, यह शाश्वत र निरन्तर बेनी रहेगी।

सामाजिक विषमता से क्या समझते है?

व्याख्या करते है:- सामाजिक स्तरीकरण व्यक्तियों के बीच की विभिन्नता का प्रकार्य ही नहीं बल्कि समाज की एक विशिष्टता हैसामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली व्यवस्था है जो सामाजिक संसाधनों को, लोगों की विभिन्न श्रेणियों में असमान रूप से बॉटती है

सामाजिक विषमता क्या है यह विकास में बाधक है कैसे?

मानव समाज इन सामाजिक समस्याओं का उन्मूलन करने के लिए सदैव प्रयासरत रहा है, क्योंकि सामाजिक समस्याएं सामाजिक व्यवस्था में विघटन पैदा करती हैं जिससे समाज के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाता है। समाजशास्त्र मानव समाज को निर्मित करने वाली इकाईयों एवं इसे बनाए रखने वाली संरचनाओ तथा संस्थाओं का अध्ययन अनेक रूपों से करता है।

सामाजिक विषमता से क्या समझते हैं सामाजिक विषमताओं को दूर करने के प्रमुख उपायों का वर्णन कीजिए?

समाज में बढ़ती हुई आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए गरीब और अमीर की खाई को पाटना आवश्यक है। गरीबों को रोजगार के अवसर मुहैया कराना होगा। ऐसे तबके को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा होगा। वंचित समुदाय को भी चाहिए कि वे कुप्रथाओं से दूर रहें।

विषमता से क्या आशय है?

अर्थशास्त्र और अनुबंध सिद्धांत में, सूचना विषमता (अंग्रेज़ी: information asymmetry) लेनदेन में निर्णयों के अध्ययन से संबंधित है जहां एक पक्ष के पास दूसरे की तुलना में अधिक या बेहतर जानकारी होती है। यह विषमता लेन-देन में शक्ति का असंतुलन पैदा करती है, जो कभी-कभी लेनदेन की असफलता का कारण बन सकती है।