सन 1947 में बच्चों के लिए राष्ट्रीय नीति बनायी गई थी | इसी नीति के अंतर्गत सन 1975 में लागू की गयी इस योजना में देश के 0-6 साल के आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की देखभाल की जाती है | इस समय इस योजना में 4 करोड़ बच्चों का नामांकन हो चुका है | Show
सन 1947 में बच्चों के लिए राष्ट्रीय नीति बनायी गई थी | इसी नीति के अंतर्गत सन 1975 में लागू की गयी इस नीति में देश के 0-6 साल के आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की देखभाल की जाती है | इस समय इस योजना में 4 करोड़ बच्चों का नामांकन हो चुका है | वर्तमान में केद्र सरकार इस योजना का 90%
खर्च वहन करती है बाकि का राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपने आप करते हैं | सन 2015-16 के बजट में इस योजना के लिये 14000cr का प्रावधान किया गया था | Image source:google.com भारत में रोजगार और विकास के विभिन्न कार्यक्रमों की सूची खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर समेकित बाल विकास सेवाएं, गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, किशोर बालिकाओं व 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण सम्बन्धी देखभाल, 0-6 वर्ष के बच्चों के शारीरिक संज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास तथा उनकी जरूरतों व अधिकारों के हेतु प्रारम्भ किया गया। विशेष रूप से गरीब समुदाय के 0-6 वर्ष के बच्चों का उनके स्वयं के अंचल में अपने ही परिचित समुदाय के लोगों के बीच सर्वांगीण विकास का एक कार्यक्रम हैं सही रूप से केन्द्र के संचालन का दायित्व मुख्य रूप से समुदाय व ग्रामों में ग्राम पंचायत का तथा शहरों में नगरपालिका का है। समुदाय से अपेक्षा की जाती है कि आँगनबाड़ी केन्द्र के भवन के लिए स्थान निशुल्क उपलब्ध करायें। बच्चों के सम्पूर्ण विकास की कल्पना, उन्हीं के परिवेश के अंचल(आंगन) में की गई है, इसीलिए इन सेवा केन्द्रों को आँगनबाड़ी केन्द्र का नाम दिया गया है। समेकित बाल विकास सेवा प्रारम्भिक बाल्यावस्था की देखभाल और विकास के लिए सबसे बड़ा कार्यक्रम है। छोटा बच्चा कुपोषण, रुग्णता एवं इससे पैदा होने वाली विकलांगता एवं मृत्यु का शिकार हो जाता है इस कार्यक्रम द्वारा बच्चों को सुरक्षा प्रदान की जाती है। बच्चों के जीवन के शुरू के वर्ष स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते है, इस पर अधिक ध्यान इस कार्यक्रम में दिया जाता है। शुरू के वर्षो में बच्चों कें संज्ञानात्मक, भावनात्मक, शारीरिक विकास एवं भाषा के विकास की नींव रखने हेतु विभिन्न प्रकार के क्रिया कलाप नियमित रूप से आँगनबाड़ी केन्द्रों पर आयोजित होते है। प्रारम्भिक बचपन का सही विकास समूचे जीवन के विकास का आधार है, यह समझ समाज में विकसित की जाती है। उपर्युक्त बातों को स्वीकार करते हुए समुदाय के सहयोग से 6 साल से कम आयु समूह के बच्चों को सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समेकित बाल विकास सेवा कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम के द्वारा साधन विहिन एवं कम आय वर्ग तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य है। यह कार्यक्रम छोटे बच्चे गर्भवती महिलाओं, दुध पिलाने वाली माताओं एवं किशोरियों के समूहों की स्वास्थ्य, पोषण सम्बन्धी बेहतर देखभाल एवं शिक्षा सेवाएं एक साथ प्रदान करने का समन्वित दृष्टिकोण उपलब्ध कराता हैं। समेकित बाल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य
समेकित बाल विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत दी जाने वाली सेवाएं
समेकित बाल विकास कार्यक्रम कब शुरू किया गया?1975 में लॉन्च किया गया, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) एक अद्वितीय प्रारंभिक बचपन का विकास कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य कुपोषण, स्वास्थ्य और युवा बच्चों, गर्भवती और नर्सिंग माताओं की विकास आवश्यकताओं को संबोधित करना है।
आईसीडीएस बिहार क्या है?आज समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) कार्यक्रम विश्व में बच्चों के लिए संचालित सबसे बड़े और सबसे अनूठे कार्यक्रमों में से एक है। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि छोटे बच्चे ही कुपोषण, रुग्णता आदि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं। बच्चे के जीवन के आरंभिक वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।
एकीकृत बाल विकास योजना उत्तर प्रदेश में कब शुरू हुई?एकीकृत बाल विकास योजना 2 अक्टूबर 1975 को शुरू की गई थी। एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और उनकी माताओं को भोजन, पूर्व-विद्यालय शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं प्रदान करती है।
बिहार में आंगनबाड़ी की स्थापना कब हुई थी?बच्चों के भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के भाग के रूप में, 1975 में उन्हें भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। आँगनवाड़ी का अर्थ है "आँगन आश्रय"। इस प्रकार का आँगनवाड़ी केंद्र भारतीय गाँवों में बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है।
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