सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण किसने किया?... Show
चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण करने वाला का नाम है मोहम्मद गजनी Romanized Version 3 जवाब This Question Also Answers:
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सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने करवाया था। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। बार-बार तोड़ा, फिर बनाया गया सोमनाथ मंदिरकहा जाता है कि सोमनाथ का मंदिर ईसा के पूर्व भी स्थित था। मंदिर पर बार-बार आक्रमण हुए। प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 में तीसरी बार इसका पुनर्निर्माण कराया। वहीं 1024 और 1026 में अफगानिस्तान के गजनी के सुल्तान महमूद गजनवी ने भी सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया। इसके बाद मंदिर को तहस-नहस करते हुए लूट लिया गया। इसके तकरीबन 750 साल बाद 1783 में अहिल्याबाई ने पुणे के पेशवा के साथ मिलकर ध्वस्त मंदिर के पास अलग मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के गर्भगृह को जमीन के अंदर बनाया गया। मूल मंदिर स्थल पर सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट का बनाया नया मंदिर स्थापित है। राजेंद्र प्रसाद ने नए मंदिर में रखी थी प्रतिमास्वतंत्रता के समय यह इलाका जूनागढ़ प्रांत का हिस्सा था। नवाब ने पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया। हिदुओं ने विद्रोह कर दिया तो नवाब पाकिस्तान भाग गए। 12 नवंबर 1947 को दीपावली थी। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जूनागढ़ गए थे। वहां एक जनसभा में उन्होंने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निमाण का ऐलान किया। महात्मा गांधी ने सुझाव दिया कि मंदिर निर्माण के लिए पैसा जनता से चंदा करके जुटाया जाए। एक ट्रस्ट बनाया गया जिसके चेयरमैन भारत सरकार के तत्कालीन खाद्य मंत्री केएम मुंशी बने। गांधी की हत्या और पटेल के निधन के बाद, मुंशी के निर्देशन में मंदिर का निर्माण जारी रहा। अवशेष हटाने के फैसले का खूब विरोध हुआ था। अक्टूबर 1950 में अवशेष हटाए गए। 11 मई, 1951 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने नए मंदिर में भगवान सोमनाथ की प्रतिमा स्थापित की। नेहरू ने प्रसाद को जाने से मना किया था...स्वतंत्र भारत के पहले खाद्य एवं रसद मंत्री केएम मुंशी ने अपनी किताब Pilgrimage to freedom में लिखा है कि नेहरू को सोमनाथ मंदिर को फिर से बनाने का विचार नहीं भाया था। मुंशी के अनुसार, 1951 में कैबिनेट की एक बैठक के बाद नेहरू ने उनसे कहा, 'मैं सोमनाथ के जीर्णोद्धार की आपकी कोशिशों को पसंद नहीं करता। यह हिंदू नवजागरणवाद है।' मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद मुंशी ने राष्ट्रपति को उद्घाटन का न्योता भेजा। नेहरू को यह बात पसंद नहीं आई कि राष्ट्रपति सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में शामिल होंगे। नेहरू ने प्रसाद को एक चिट्ठी लिख भेजी। कहा, 'मैं मानता हूं कि मुझे आपका सोमनाथ मंदिर के भव्य उद्घाटन से जुड़ने का विचार अच्छा नहीं लग रहा। यह केवल एक मंदिर जाने की बात ही नहीं है, वैसा तो आप या कोई भी कर सकता है मगर यह एक ऐसे कार्यक्रम में शिरकत करने की बात है जिसके कई मतलब हो सकते हैं।' हालांकि प्रसाद ने नेहरू की सलाह नहीं मानी और समारोह में शामिल हुए। अपने कदम का बचावच करते हुए प्रसाद ने कहा था, 'अगर चर्च या मस्जिद से न्योता आया तो भी मैं यही करता। यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता का मूल है।' यह किस्सा विस्तार से पढ़ें देखिए सोमनाथ मंदिर की पूरी कहानी
चंद्र ने जिसकी स्थापना की.... देखिए सोमनाथ मंदिर की पूरी कहानी, PM मोदी ने शेयर किया वीडियो वह दर्द जो वाजपेयी के सीने में शूल सा चुभता थापूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कार्यक्रम में प्लासी की लड़ाई का जिक्र करते हुए सोमनाथ से जुड़े एक वाकये का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, 'विदेश मंत्री के नाते मैं अफगानिस्तान गया था। आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि अफगानिस्तान के अपने मेजबानों से मैंने कहा कि मैं गजनी जाना चाहता हूं। पहले तो मेरी बात उनकी समझ में नहीं आई। कहने लगे कि गजनी तो कोई टूरिस्ट स्पॉट नहीं है। गजनी में कोई फाइव स्टार होटल नहीं है। उन लोगों ने कहा कि गजनी में आप जाकर क्या करेंगे, वहां जाकर आप क्या देखेंगे? मैं उन्हें पूरी बात नहीं बता सकता था। मेरे हृदय में कहीं गजनी कांटे की तरह से चुभ रहा है, जब से मैंने गजनी से आए एक लुटेरे की कथा पढ़ी है और किशोरावस्था में पढ़ी है। मैं देखना चाहता था कि वो गजनी कैसा है। आपको सुनकर ताज्जुब होगा मजमूद गजनी का अफगानिस्तान के इतिहास में कोई स्थान नहीं है।' पूरी खबर पढ़ें जब खुद को गजनवी बतलाने लगे थे पाकिस्तानी विदेश मंत्रीआडवाणी के मन में सोमनाथ मंदिर के लिए गहरी आस्थापूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी 8 सदस्यों वाले सोमवार मंदिर ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य हैं। उन्होंने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ मंदिर से ही अपनी रथ यात्रा शुरू की थी। दिलचस्प यह कि तब यात्रा के संयोजन की जिम्मेदारी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास थी। सोमनाथ मंदिर के लिए आडवाणी के मन में कितनी गहरी आस्था है, इसका पता उनकी आत्मकथा से चलता है। 'मेरा देश, मेरा जीवन' में लालकृष्ण आडवाणी ने कई पन्ने सोमनाथ के ऊपर लिखे हैं। उन्होंने यह भी जिक्र किया है कि आखिर कब और कैसे उनके दिल पर सोमनाथ की यह अमिट छाप पड़ी। वे लिखते हैं, 'अयोध्या राम मंदिर आंदोलन को उसके सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए जरूरी है कि पहले स्वतंत्र भारत में एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर के पुनरुद्धार के बारे में जान लिया जाए। यहां मेरा अभिप्राय गुजरात के सौराष्ट्र तट पर स्थित प्रभास पाटन के सोमनाथ मंदिर से है। जिन्हें भारत के पौराणिक और ऐतिहासिक अतीत की जानकारी नहीं है, उनके लिए यह विश्वास कर पाना कठिन होगा कि किस प्रकार एक अकेला तटीय मंदिर भारत के संघर्ष, पीड़ा, विजय तथा उसके राष्ट्रीय स्वाभिमान की गाथा सुनाता है। अपनी युवावस्था में मैंने डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का एक ऐतिहासिक उपन्यास 'जय सोमनाथ' पढ़ा था, जिसका मेरे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। यह उपन्यास मूलरूप से गुजराती भाषा में है, मैंने इसका हिंदी अनुवाद पढ़ा था। उस समय मेरी आयु बीस-बाइस साल रही होगी।' 'सोमनाथ मंदिर जितनी बार गिराया गया, उतनी बार उठ खड़ा हुआ'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले न्यास के अध्यक्ष हैं। वह इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं। मोरारजी देसाई भी इस न्यास के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसी साल अगस्त में मंदिर के भीतर कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए मोदी ने इसके इतिहास का जिक्र किया था। मोदी ने कहा था, 'इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया। यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया। इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। सरदार पटेल साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे।' तालिबान कर रहा सोमनाथ मंदिर तोड़ने वाले का गुणगानNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें सोमनाथ मंदिर को किसने और कितनी बार लूटा?लेकिन सन् 1395 में गुजरात के सुल्तान मुजफ्फरशाह ने मंदिर को फिर से तुड़वाकर सारा चढ़ावा लूट लिया। इसके बाद 1412 में उसके पुत्र अहमद शाह ने भी यही किया। बाद में मुस्लिम क्रूर बादशाह औरंगजेब के काल में सोमनाथ मंदिर को दो बार तोड़ा गया- पहली बार 1665 ईस्वी में और दूसरी बार 1706 ईस्वी में।
सोमनाथ मंदिर को कितनी बार लूटा गया?इसी क्रम में हम आज हम बात कर रहे हैं, भव्य सोमनाथ मंदिर के इतिहास की। इतिहासकारों की मानें तो इसे 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया।
सोमनाथ के मंदिर को तोड़ने वाला कौन था?साल 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था. कहा जाता है कि अरब यात्री अल-बरुनी के अपने यात्रा वृतान्त में मंदिर का उल्लेख देख गजनवी ने करीब 5 हजार साथियों के साथ इस मंदिर पर हमला कर दिया था. इस हमले में गजनवी ने मंदिर की संपत्ति लूटी और हमले में हजारों लोग भी मारे गए थे.
सोमनाथ आक्रमण कब हुआ?सन 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया तो इसे पाँचवीं बार गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के गृह मन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और पहली दिसम्बर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।
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