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देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक....Mata sita father name & Mother nameकौन हैं माता सीता के असली माता-पिता? (mata sita father name & Mother name)देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। उस ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। तभी उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या मिली। उस कन्या को हाथों में लेकर राजा जनक ने उसे 'सीता' नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। यह रहस्य आज भी बरकरार है कि सीता के माता-पिता कौन हैं? अब आप देखिए कि ऐसी महिला जिसे अपने माता-पिता के बारे में कुछ भी नहीं पता है, वह राजमहल में पली-बढ़ी। इस देश में ऐसी कई बालिकाएं हैं जिन्हें उनके माता-पिता मंदिर की देहली, अस्पताल के बाहर या कचरे के ढेर पर छोड़कर चले गए हैं। ऐसी बालिकाओं को अनाथ आश्रम में जगह मिलती है या भाग्यवश वे किसी अच्छे घर की बेटी बन जाती है। लेकिन सैकड़ों ऐसी भी हैं, जो कि सड़क पर अकेली ही भटक रही हैं। उन सभी महिलाओं को माता सीता की ओर देखना चाहिए और हौसला रखना चाहिए। ये हैं उनकी माता और भाई : मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम तथा जनकपुत्री जानकी (सीता) का विवाह हुआ था, तभी से इस पंचमी को 'विवाह पंचमी पर्व' के रूप में मनाया जाता है। विवाह के समय ब्रह्महर्षि वशिष्ठ एवं राजर्षि विश्वामित्र उपस्थित थे। कहा जाता है कि उनका विवाह देखने को स्वयं ब्रह्मा, विष्णु एवं रूद्र ब्राह्मणों के वेश में आए थे। दूसरी ओर सभी देवी और देवता भी विभिन्न वेश में उपस्थित थे। चारों भाइयों में श्रीराम का विवाह सबसे पहले हुआ। विवाह का मंत्रोच्चार चल रहा था और उसी बीच कन्या के भाई द्वारा की जाने वाली रस्म की बारी आई। इस रस्म में कन्या का भाई कन्या के आगे-आगे चलते हुए लावे का छिड़काव करता है। विवाह करवाने वाले पुरोहितजी ने जब इस प्रथा के लिए कन्या के भाई को बुलाने के लिए कहा तो वहां समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि जनक का कोई पुत्र नहीं था। ऐसे में सभी एक दूसरे से विचार करने लगे। इसके चलते विवाह में विलंब होने लगा। अपनी पुत्री के विवाह में इस प्रकार विलम्ब होता देखकर पृथ्वी माता भी दुखी हो गयी। तभी अकस्मात एक श्यामवर्ण का युवक उठा और इस रस्म को पूरा करने के लिए आकर खड़ा हो गया और कहने लगा कि मैं हूं इनका भाई। दरअसल, वह और कोई नहीं बल्कि स्वयं मंगलदेव थे जो वेश बदलकर नवग्रहों सहित श्रीराम का विवाह देखने को वहां उपस्थित थे। चूंकि माता सीता का जन्म पृथ्वी से हुआ था और मंगल भी पृथ्वी के पुत्र थे। इस नाते वे सीता माता के भाई भी लगते थे। इसी कारण पृथ्वी माता के संकेत से वे इस विधि को पूर्ण करने के लिए आगे आए। अनजान व्यक्ति को इस रस्म को निभाने को आता देख कर राजा जनक दुविधा में पड़ गए। जिस व्यक्ति के कुल, गोत्र एवं परिवार का कुछ आता पता ना हो उसे वे कैसे अपनी पुत्री के भाई के रूप में स्वीकार कर सकते थे। उन्होंने मंगल से उनका परिचय, कुल एवं गोत्र पूछा। राजा जनक के आपत्ति लिए जाने के बाद मंगलदेव ने कहा, 'हे राजन! मैं अकारण ही आपकी पुत्री के भाई का कर्तव्य पूर्ण करने को नहीं उठा हूं। मैं इस कार्य के सर्वथा योग्य हूं। अगर आपको कोई शंका हो तो आप महर्षि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र से इस विषय में पूछ सकते हैं।' ऐसी वाणी सुनकर राजा जनक ने महर्षि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र से इस बारे में पूछा। दोनों ही ऋषि इस रहस्य को जानते थे अतः उन्होंने इसकी आज्ञा दे दी। इस प्रकार सभी की आज्ञा पाकर मंगलदेव ने माता सीता के भाई के रूप में सारी रस्में निभाई। कहते हैं कि मंगल देव के पिता महादेव हैं और माता पृथ्वी। हालांकि इस घटना का उल्लेख रामायण में बहुत कम ही मिलता है। विन्दे गुप्ता
रावण की बेटी या मृत्यु बनकर प्रकट हुई थीं देवी सीताAuthored by Rakesh Jha| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 2, 2022, 11:45 AM रावण की बेटी या मृत्यु बनकर प्रकट हुई थीं देवी सीताअपना यह राशिफल हर दिन ईमेल पर पाने के लिए क्लिक करें - सब्सक्राइब करेंक्लिक करे रामायण के दो प्रमुख पात्र हैं एक भगवान राम और दूसरी उनकी अर्धांगिनी देवी सीता। देवी सीता की महिमा ऐसी है कि राम से पहले देवी सीता का नाम लिया जाता है। देवी सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है लेकिन विभिन्न रामायणों और पौराणिक कथाओं में देवी सीता के जन्म को लेकर रहस्यमयी और रोचक कथाएं हैं। इसकी वजह यह है कि देवी सीता के माता पिता भले ही सुनयना और राजा जनक कहलाते हैं लेकिन यह केवल इनके
पालक माता-पिता हैं। इनका जन्म भूमि से हुआ है इसलिए इनके जन्म के संदर्भ में कई कथाएं मिलती हैं। इनमें सबसे प्रचलित कथा वाल्मीकि रामायण की है। धरती की बेटी सीता कहलाईं जनक पुत्री महर्षि वाल्मीकि ने अपने रामायण में लिखा है कि मिथिला राज्य में अकाल पड़ गया। ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ का आयोजन करने के लिए कहा ताकि वर्षा हो। यज्ञ की समाप्ति के अवसर पर राजा जनक अपने हाथों से हल लेकर खेत जोत रहे थे तभी उनके हल का नुकीला भाग जिसे सीत कहते हैं किसी कठोर चीज से टकराया और हल वहीं अटक गया। जब उस स्थान को खोदा गया तो एक कलश प्राप्त हुआ जिसमें एक सुंदर कन्या खेल रही थी। राजा जनक ने उस कन्या को कलश से निकाला और उस कन्या को अपनी पुत्री बनाकर अपने साथ ले गए। निःसंतान सुनयना और जनक की संतान की इच्छा पूरी हुए। हल के सीत के टकराने से वह कलश मिला था जिससे सीता प्रकट हुई थीं इसलिए कन्या का नाम सीता रखा गया। रावण की बेटी थी सीता? देवी सीता से संबंधित एक अन्य कथा का उल्लेख अद्भुत रामायण में मिलता है। इस रामायण में लिखा है कि रावण ने कहा था कि जब उसके हृदय में अपनी पुत्री से विवाह की इच्छा उत्पन्न हो तो उसकी पुत्री ही उसकी मृत्यु का कारण बने। इस संदर्भ में कथा का विस्तार इस तरह मिलता है कि गृत्समद नाम के ऋषि देवी लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने के लिए हर दिन मंत्रोच्चार के साथ कुश के अग्र भाग से एक कलश में दूध की बूंदे डालते थे।एक दिन जब ऋषि आश्रम में नहीं थे तब रावण वहां आ पहुंचा और वहां मौजूद ऋषियों को मारकर उनका रक्त कलश में भर लिया। इस कलश को रावण महल में लाकर छुपा दिया। मंदोदरी उस कलश को लेकर बहुत उत्सुक थी कि आखिर उसमें है क्या। एक दिन जब रावण महल में नहीं था तब चुपके से मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा। मंदोदरी कलश को उठाकर सारा रक्त पी गई जिससे वह गर्भवती हो गई। यह भेद किसी को पता ना चले इसलिए वह लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छुपाकर मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है। रावण की मृत्यु ने लिया था फिर से जन्म देवी सीता के जन्म की तीसरी कथा वेदवती नाम की एक ब्राह्मण कन्या से संबंधित है जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है। इस कथा में बताया गया है कि एक समय वेदवती भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। हिमालय पर भ्रमण करते हुए रावण की नजर वेदवती पर गई और वह कामांध हो गया। रावण ने वेदवती का हाथ पकड़ लिया और जबरन संबंध बनाना चाहा। लेकिन वेदवती ने रावण से खुद को छुड़ा लिया और पर्वत से खाई में कूद गईं। मरते-मरते वेदवती ने रावण को शाप दिया कि वह फिर से जन्म लेकर उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रेकमेंडेड खबरें
देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादसीता माता के असली मां बाप कौन है?मिथिला के राजा जनक माता सीता के पिता और सुनयना, सीताजी की मां थीं। सुनयना अत्यंत सरल, साध्वी, धर्म परायण, विनयी एवं उदार थीं।
सीता असल में किसकी बेटी थी?Ramayan : निसंतान रहे मिथिला नरेश जनक ने धरती से मिलीं सीता को अपनी पुत्री मानकर लालन-पालन किया और स्वयंवर के जरिए वह श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं. मगर असल में सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बनीं भगवान विष्णु की उपासक वेदवती. सीता इन्हीं वेदवती का पुनर्जन्म थीं.
सीता रावण की बेटी कैसे हुई?जहाँ एक प्रसंग के अनुसार, मिथिला नरेश जनक ने धरती से प्राप्त सीता को अपनी पुत्री मानकर पालन-पोषण किया और स्वयंवर के जरिए वह श्रीराम की अर्धांगिनी बनीं। वहीं अद्भुत रामायण में सीता को रावण और मंदोदरी की बेटी बताया गया है। रावण के अपने विनाश के बीज भी तार्किक रूप से इन्हीं कथाओं में गुथे गए हैं।
रावण की बेटी का नाम क्या है?इन तमाम सीरियल्स और ग्रंथों से हमें यही जानकारी मिलती है कि सीता मिथिला नरेश राजा जनक की बेटी थीं। हालांकि, राजा जनक को वे धरती की गोद से मिली थीं, लेकिन उन्हें राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री होने का दर्जा प्राप्त है। इस सच्चाई से इतर एक और सच है, जिसके मुताबिक सीता, लंका नरेश रावण की पुत्री थीं।
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