सिंधु घाटी सभ्यता के पतन कैसे हुआ? - sindhu ghaatee sabhyata ke patan kaise hua?

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हड़प्पा सभ्यता या सिंधु घाटी सभ्यता भारत की प्राचीनम महान सभ्यता थी. इसका समय काल 2350 से 1750 BC निर्धारित किया जाता है. आप इस पोस्ट में आप सिंधु घाटी सभ्यता का विकास तथा हड़प्पा सभ्यता का पतन कैसे हुआ के बारे में पढेंगें.

हड़प्पा सभ्यता का रहस्य

सिंधु घाटी सभ्यता का विकास तथा इसका अंत कैसे हुआ, यह बातें आज भी पहेली बनी हुई है. हालांकि लिपि नहीं पढ़े जाने के कारण इसके सामाजिक, राजनितिक एवं धार्मिक जीवन के बारे में भी स्पष्ट पता नहीं चल पाया है, फिर भी उत्खनन से प्राप्त वस्तुओं से इस संबंध में अनुमान लगाया जाता है.

सिन्धु घाटी सभ्यता का विकास और पतन को लेकर उत्खनित वस्तुओं से कुछ विशेष पता नहीं लगाया जा सका है. इस सभ्यता की उत्पत्ति कैसे हुई तथा इसका पतन कैसे हुआ यह हड़प्पा का रहस्य बना हुआ है.

हड़प्पा के रहस्य के अंतर्गत हम यहाँ मुख्य रूप से दो चीजों का अध्ययन करेंगे पहला सिंधु घाटी सभ्यता का विकास कैसे हुआ और इससे जुड़े सिद्धांत और दूसरा सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ तथा इसके पतन से संबंधित विभिन्न सिद्धांत.

सिंधु घाटी सभ्यता का विकास

सिंधु घाटी सभ्यता का विकास कैसे हुआ. क्या बाहर से आये कुछ लोगों ने इस सभ्यता को अंजाम दिया. या फिर आर्य या द्रविड़ से सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ. सिंधु घाटी सभ्यता का विकास को लेकर इतिहासकारों में एक लम्बी चर्चा एवं बहस रहा है. इस पर विभिन्न विद्वानों की अलग-अलग राय है. इनमे से कुछ मुख्य तथा सर्वाधिक लोकप्रिय सिद्धांत निम्न है.

1. विदेशी उत्पति का सिद्धांत- विद्वानों के एक वर्ग मार्टिनर, व्हीलर, गार्डन चाइल्ड, केमर, डीडी कौशाम्बी आदि के अनुसार कालक्रम में मेसोपोटामिया वासी सिन्धु क्षेत्र में प्रवासन करके आये और अंत में इस सभ्यता को अंजाम दिया. वर्तमान में इस मत को पुर्णतः ख़ारिज कर दिया गया है.

2. आर्यों से उत्पत्ति का सिद्धांत- लक्ष्मणस्वरूप सहाय तथा रामचंद्रन जैसे विद्वान आर्यों को हड़प्पा सभ्यता का जनक मानते है. इस मत को भी नहीं माना जाता है, क्योंकि दोनों के तिथि क्रम में अंतर है साथ ही आर्य ग्रामीण थे, जबकि हड्प्पाई शहरी थे.

3. द्रविड़ो से उत्पत्ति का सिद्धांत- RD बनर्जी जैसे विद्वान द्रविड़ो को इस सभ्यता का जनक मानते है लेकिन इस मत को भी मानने में कठिनाई है क्योंकि द्रविड़ ग्रामीण संस्कृति के लोग थे, जबकि हड्प्पाई शहरी लोग थे.

4. स्वदेशी से उत्पत्ति का सिद्धांत- रोमिला थापर, आल्चिन दंपति, अमलानन्द घोष ने इस सभ्यता की उत्पत्ति के लिए स्वदेशी से उत्पत्ति का सिद्धांत दिया. यह सर्वाधिक मान्यता प्राप्त मत है, क्योंकि इस मत को देने वाले विद्वानों ने पुरातात्विक आकड़ो के आधार पर हड़प्पा के शहरी अवस्था से पूर्व की ग्रामीण अवस्था से विकास संबंधी साक्ष्य (गाँव), अर्द्ध शहर (टाउन) दिखलाये है.

हड़प्पा सभ्यता का पतन [ आखिर कैसे नष्ट हुई सिंधु घाटी सभ्यता ]

सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ. क्या इसका पतन बाढ़ द्वारा हुआ. क्या मानव की भूमिका के वजह से हड़प्पा सभ्यता का पतन हुआ? क्या हड़प्पा सभ्यता का अंत प्रकृति के कोप के कारण हुआ?आखिर कैसे नष्ट हो गई सिंधु घाटी सभ्यता, हड़प्पा का रहस्य क्या है. इंडस वैली सिविलाइज़ेशन के पतन के पीछे क्या कारण थे? सिंधु घाटी सभ्यता के पतन से संबंधित सर्वाधिक मान्य सिद्धांत क्या है. Decline of harappa in hindi.

हड़प्पा सभ्यता के उत्पत्ति की भांति ही इसके पतन को लेकर भी विभिन्न विद्वानों की अलग-अलग राय है. इसके पतन से संबंधित प्रमुख सिद्धांत एवं विचार निम्न है.

1. बाढ़ द्वारा पतन – मार्शल मैके, S R राव जैसे विद्वानों का मानना है की एक भीषण बाढ़ के फलस्वरूप इस महान सभ्यता का पतन हो गया.

2. नदियों का सुख जाना – D P अग्रवाल, अमलानन्द घोष, P सूद जैसे विद्वानों का मानना है की नदियों के सुख जाने से इस सभ्यता का पतन हो गया. यह सभ्यता नदी पर बहुत अधिक तक निर्भर थी. ऐसे में नदी के सुख जाने से जन-जीवन बहुत कष्टप्रद हो गया. कृषि के साथ ही व्यापार-वाणिज्य भी प्रभावित हुआ. फलतः धीरे-धीरे हड़प्पा शहरी सभ्यता का अंत हो गया. इस मत को अन्य मत के अपेक्षा अधिक विश्वशनीय मत माना जाता है.

3. नदियों का मार्ग परिवर्तन – M S वत्स जैसे इतिहासकार का मानना है की नदियों के मार्ग बदल लेने से इस शहरी सभ्यता का पतन हो गया.

4. भूगर्भिक हलचल (भूकम्प) – R A राईस, M A साहनी जैसे विद्वान इस सभ्यता के पतन के पीछे भूगर्भिक कारकों को उत्तरदायी मानते है.

5. मलेरिया जैसी महामारी – अमेरिकी विद्वान कैनेडी जैसे इतिहासकार का मानना है की मलेरिया जैसे महामारी के फैलने से इस सभ्यता का पतन हो गया.

6. आर्यों का आक्रमण – यह मत मार्टिमर, व्हीलर, गार्डन चाइल्ड जैसे इतिहासकारों द्वारा दिया गया है. इसके अनुसार आर्यों के आक्रमण के फलस्वरूप इस सभ्यता का पतन हो गया. इस मत को सर्वाधिक कमजोर मत माना जाता है. इसके कहीं भी एतिहासिक प्रमाण प्राप्त नहीं होते है.

7. प्रशासन गिरावट – मार्शल जैसे विद्वान इस सभ्यता के अंत के लिए राजनीति एवं प्रशासन में गिरावट को वजह मानते है. हालाँकि लिपि नहीं पढ़े जाने के कारण इस सभ्यता के प्रशासन के बारे में अधिक पता नहीं चल पाया है लेकिन उत्खनित वस्तुओं से ज्ञात जीवन शैली को देखकर एक बेहतर प्रशासनिक तंत्र होने का अंदाजा लगाया जा सकता है. कुछ विद्वान का मानना है की इसी प्रशासन तंत्र में गिरावट के फलस्वरूप हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया.

8. व्यापार का पतन – यह सर्वाधिक लोकप्रिय मत है. इसके अंतर्गत माना जाता है की व्यापार में गिरावट आने से इस सभ्यता का क्रमशः अंत हो गया. हड़प्पा सभ्यता व्यापार पर निर्भर शहरी सभ्यता थी. ऐसे में इस मत को अन्य की अपेक्षा अधिक महत्व दिया जाता है.

9. जलवायु परिवर्तन या पारिस्थितिकी असंतुलन – जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप सिंधु घाटी सभ्यता का अंत अधिक विश्वसनीय माना जाता है. इसे फेयर सर्विस तथा गुरदीप सिंह जैसे विद्वानों ने दिया था. इस मत के समर्थन में धीरे-धीरे अन्य विद्वान भी आते गये . वर्तमान में यह सर्वाधिक लोकप्रिय मत है.

गुरदीप सिंह ने पर्यावरण तकनीक के आधार पर हड्प्पाई क्षेत्र में बदलाव संबंधी साक्ष्य प्रस्तुत किये है. जिस समय हड़प्पा सभ्यता अपने चरम पर थी, लोगों ने बारिश के पानी की निकाशी की उत्तम व्यवस्था की थी. उन्होंने अपने मुहरों तथा मृदभांडों आदि पर हाथी, गैंडा, बाघ जैसे सदाहरित मौसम में रहनेवाले जानवर का अंकन किया है.

आज के भारत पाकिस्तान के थार क्षेत्र जिसे हाकरा/ सरस्वती क्षेत्र (चोलिस्तान) कहा जाता है, में लगभग 200 हड्प्पाई बस्तियां प्राप्त हुई है. जबकि वर्तमान में यहां लोग नहीं रहते है.

ये सभी साक्ष्य बतलाते है की सिन्धु घाटी के क्षेत्र में कभी मौसम अनुकूल रहा होगा तथा पर्याप्त वर्षा होती रही होगी लेकिन बाद के दिनों में संसाधनों के अतिशय दोहन के कारण पारिस्थितिकी असंतुलन पैदा हुआ. इससे बारिश में कमी आई तथा अन्य क्षेत्र में लोग प्रवासन कर गये.

मई 2012 में, अमेरिका के रिसर्च संस्थान वुल होल ओलियानो ग्राफिक इंस्टिट्यूट ने भी सैटेलाईट आकड़ो के विश्लेषण कर इस मत की पुष्टि की है. इसके प्रमुख वैज्ञानिक ल्युबिड ज्वायसन ने अपने रिपोर्ट में निम्न सार प्रस्तुत किये. “मानसून बारिश में आई कमी के कारण सिन्धु घाटी क्षेत्र में बहने वाले नदियों के प्रवाह में कमी आई, परिणामस्वरूप सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हुआ. क्योंकि सभ्यता के लोग कृषि कार्यों के लिए मुख्यतः नदी जल स्त्रोतों पर निर्भर थे.”

इस तरह आपने इस पोस्ट में सिंधु घाटी सभ्यता का विकास, हड़प्पा सभ्यता का पतन या सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ जैसे हड़प्पा के रहस्य के बारे में पढ़ा. आशा है की आप इससे लाभान्वित होंगें.

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सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ था?

अधिकांश विद्वानो के मतानुसार इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप से हुआ। चूँकि सिंधु घाटी सभ्यता नदियों के किनारे-किनारे विकसित हूई, इसलिए बाढ़ आना स्वाभाविक था, अतः यह तर्क सर्वमान्य हैं। परन्तु कुछ विद्वान मानते है कि केवल बाढ़ के कारण इतनी विशाल सभ्यता समाप्त नहीं हो सकती।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन का मुख्य कारण क्या था?

ज्यादातर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप से हुआ, हालाकि इस सभ्यता का विकास नदी के घाटी में ही हुयी थी तो बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है। वही कुछ और विद्वानो का कहना है की केवल बाढ़ इतनी विशाल सभ्यता का पतन का कारण नहीं हो सकती।

सिंधु घाटी सभ्यता के अंत में क्या हुआ था?

कई लोगों की माने तो इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप से हुआ। बताया जाता है की सिंधु घाटी सभ्यता नदियों के किनारे-किनारे विकसित हूई, इसलिए बाढ़ आना स्वाभाविक था, अतः यह तर्क सर्वमान्य हैं। लेकिन कुछ विद्वान मानते है कि केवल बाढ़ के कारण इतनी विशाल सभ्यता समाप्त नहीं हो सकती।

हड़प्पा सभ्यता का अंत कैसे हुआ समझाइए?

हड़प्पा की सभ्यता की खोज 1920-22 में की गई थी, जब इसके दो बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थलों पर खुदाई की गई थी । ये स्थान थे, रावी नदी के किनारे बसा हड़प्पा और सिंधु नदी के किनारे बसा मोहनजोदड़ो । पहले स्थान की खुदाई की गई थी डी. आर.