सती प्रथा को खत्म करने वाला कौन था? - satee pratha ko khatm karane vaala kaun tha?

1829- आज ही के दिन भारत में सती प्रथा का अंत हुआ था। तब वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने इस कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए राजा राममोहन राय को बुलाकर उनसे मशविरा किया। इस संबंध में कानून बनाकर सदा के लिए सती- प्रथा को बंद करा दिया। तीन दिन के भीतर ही इस कानून का आदेश मजिस्ट्रेटों के पास भेज दिया गया। इससे पहले राममोहन राय सती किए जाने की क्रूरता से बाल्यावस्था से ही परिचित थे, जब उनके बडे़ भाई की विधवा को उनकी आंखों के सामने बलपूर्वक सती किया गया था। अंग्रेज शासक इस प्रथा को बुरा मानते थे, पर उनको डर था कि इसमें हस्तक्षेप करने से शायद इस देश में अशांति फैल जाएगी और उनके साम्राज्य के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। इसलिए उन्होंने पंडितों से सहमति लेकर ये आदेश दिया कि ‘सती होने वाली स्त्री से यह मालूम कर लिया जाए कि वह अपनी इच्छा से सती हो रही है।

खास : सती प्रथा के अलावा विलियम बैंटिक ने कन्या शिशु वध पर रोक लगाई थी। उन्होंने भारतीय सेना में प्रचलित कोड़े लगाने की प्रथा भी खत्म कर दी थी।

इसे सुनेंरोकेंसती प्रथा का अन्त अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया। इस प्रकार भारत से सती प्रथा का अन्त हो गया।

राजस्थान में सती प्रथा पर रोक कब लगी?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में सर्वप्रथम 1822 ई. में बूॅंदी में सतीप्रथा को गैर कानूनी घोषित किया गया। बाद में राजा राममोहन राय के प्रयत्नों से लार्ड विलियम बैंटिक ने 1829 ई. में सरकारी अध्यादेश से इस प्रथा पर रोक लगाई।

विश्व की प्रथम सती कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंइस शब्द को देवी सती (जिसे दक्षायनी के नाम से भी जाना जाता है) से लिया गया है। देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा उनके पति शिव का अपमान न सह सकने करने के कारण यज्ञ की अग्नि में जलकर अपनी जान दे दी थी। यह शब्द सती अब कभी-कभी एक पवित्र औरत की व्याख्या करने में प्रयुक्त होता है।

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सती प्रथा को समाप्त करने वाला गवर्नर जनरल कौन था?

इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर लार्ड विलियम बेंटिंक है। लॉर्ड विलियम बेंटिक ने 1829 में सती प्रथा को अपराध घोषित करके समाप्त कर दिया था।

सती प्रथा पर रोक कब और किसने लगाई?

इसे सुनेंरोकेंमहिलाओं पर हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय ने आवाज उठाई। उन्हीं के प्रयासों से 4 दिसंबर, 1829 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में सती प्रथा पर रोक लगाई गई।

कन्या वध पर रोक कब लगी?

इसे सुनेंरोकेंकन्या वध प्रथा- राजपूतों में प्रचलित प्रथा जिसके अन्तर्गत लड़की के जन्म लेते ही उसे अफीम देकर अथवा गला दबाकर मार दिया जाता था। इस प्रथा पर सर्वप्रथम रोक हाडौती के पोलिटिकल एजेंट विल क्विंसन के प्रयासों से लार्ड विलियम बैंटिक के समय 1833 ई. में कोटा में तथा 1834 ई. में बूंदी राज्य में लगाई गई।

1822 में बूंदी का शासक कौन था?

इसे सुनेंरोकेंब्रिटिश प्रभाव से राजस्थान में सर्वप्रथम सती प्रथा को बूंदी नरेश राव विष्णु सिंह ने 1822 ई.

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राजस्थान की प्रथम सती कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंराजस्थान में 32 साल पहले हुआ रूप कंवर सती कांड एक बार फिर से सुर्खियों में है. चार सितंबर 1987 को सीकर जिले के दिवराला गांव में अपने पति की मौत के बाद उसकी चिता पर जलकर 18 साल की रूप कंवर ‘सती’ हो गई थी.

सती प्रथा की शुरुआत कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंमान्यताओं के अनुसार सती प्रथा की शुरुआत मां दुर्गा के सती रूप के साथ हुई थी जब उन्होंने अपने पति भगवान शिव की पिता दक्ष के द्वारा किये गये अपमान से क्षुब्ध होकर अग्नि में आत्मदाह कर लिया था.

भारत की प्रथम सती महिला कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंचार सितंबर 1987 को सीकर जिले के दिवराला गांव में अपने पति की मौत के बाद उसकी चिता पर जलकर 18 साल की रूप कंवर ‘सती’ हो गई थी. दिसंबर 1829 में ब्रिटिश सरकार द्वारा इस प्रथा को प्रतिबंधित किए जाने के 158 साल बाद पूरी दुनिया का ध्यान सती होने की इस घटना ने खींचा था.

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सती प्रथा की समाप्ति का विरोध करने वाले भारतीय नेता कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंराजा राम मोहन राय के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी-सती प्रथा का निवारण। उन्होंने अपने अथक प्रयासों से सरकार द्वारा इस कुप्रथा को गैर-कानूनी और दण्डनीय घोषित करवाया। उन्होंने इस अमानवीय प्रथा के विरुद्ध निरन्तर आन्दोलन चलाया। यह आन्दोलन समाचारपत्रों तथा मंच दोनों माध्यमों से चला।

भारत में सती प्रथा समाप्त करने वाले समाज सुधारक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में राजा राममोहन राय का विशिष्ट स्थान है.

तत्कालीन ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक द्वारा 4 दिसंबर, 1829 को बंगाल सती रेग्युलेशन पास किया गया था। इस कानून के माध्यम से पूरे ब्रिटिश भारत में सती प्रथा पर रोक लगा दी गई। रेग्युलेशन में सती प्रथा को इंसानी प्रकृति की भावनाओं के विरुद्ध बताया।

राजा राम मोहन राय और वह घटना
राजा राम मोहन राय किसी काम से विदेश गए थे और इसी बीच उनके भाई की मौत हो गई। उनके भाई की मौत के बाद सती प्रथा के नाम पर उनकी भाभी को जिंदा जला दिया गया। इस घटना से वह काफी आहत हुए और ठान लिया कि जैसा उनकी भाभी के साथ हुआ, वैसा अब किसी और महिला के साथ नहीं होने देंगे।

क्या थी सती प्रथा?
यह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें पति की मौत होने पर पति की चिता के साथ ही उसकी विधवा को भी जला दिया जाता था। कई बार तो इसके लिए विधवा की रजामंदी होती थी तो कभी-कभी उनको ऐसा करने के लिए जबरन मजबूर किया जाता था। पति की चिता के साथ जलने वाली महिला को सती कहा जाता था जिसका मतलब होता है पवित्र महिला।

मुगल काल में रोक
मुगलों के शासनकाल में सबसे पहले हुमायूं ने इस प्रथा पर रोक के लिए कोशिश की। उसके बाद अकबर ने सती प्रथा पर रोक लगाने का आदेश दिया। चूंकि महिलाएं स्वेच्छा से भी ऐसा करती थीं, इसलिए उन्होंने यह भी आदेश दिया कि कोई भी महिला अपने मुख्य पुलिस अधिकारी से विशिष्ट अनुमति लिए बगैर ऐसा नहीं करती हैं।

यूरोपीय औपनिवेशिक शासन में रोक
18वीं सदी के अंत तक इस प्रथा को ऐसे कुछ इलाकों में बंद कर दिया गया जहां यूरोपीय औपनिवेशिक शासन था। पुर्तगालियों ने 1515 तक गोवा में इस प्रथा पर रोक लगा दी थी। डच और फ्रेंच ने इसे हुगली चुनचुरा और पुड्डूचेरी में बंद किया।

21वीं सदी में भी कुछ मामले
21वीं सदी में भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में सती के मामले सामने आए। आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, 1943 से 1987 तक भारत में सती के 30 मामले सामने आए।

सती प्रथा का विरोध करने वाला पहला व्यक्ति कौन था?

ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया। जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था। अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया।

सती प्रथा को बंद करने वाला कौन था?

महिलाओं पर हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय ने आवाज उठाई। उन्हीं के प्रयासों से 4 दिसंबर, 1829 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में सती प्रथा पर रोक लगाई गई।

सती प्रथा की समाप्ति कब और किसने की?

आज का दिन भारतीय महिलाओं के लिए बहुत खास है, क्योंकि आज ही के दिन इतिहास में महिलाओं को सतीप्रथा जैसी कुप्रथा से आजादी मिली थी. चार दिसंबर 1829 को अंग्रेज वायसराय विलियम बेंटिक ने सती प्रथा को अवैध घोषित करते हुए इसपर प्रतिबंध लगा दी थी. विलियम बेंटिक ने कन्या वध की कुप्रथा का भी अंत किया था.

विश्व की प्रथम सती कौन थी?

इस शब्द को देवी सती (जिसे दक्षायनी के नाम से भी जाना जाता है) से लिया गया है। देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष द्वारा उनके पति शिव का अपमान न सह सकने करने के कारण यज्ञ की अग्नि में जलकर अपनी जान दे दी थी। यह शब्द सती अब कभी-कभी एक पवित्र औरत की व्याख्या करने में प्रयुक्त होता है।